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घूंघट काये उघारें, ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें

बुन्देली कविता 

 

घूंघट काये  उघारें !

ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!

 रूखे बार कजर बिन अखियां भीतर सें मन मारें!

 ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!

 कैसीं हो अनमनी तुम्हाई सूरत पै हैरानी ,

 ऐसो लगत हिये की जैसे कौनउ चीज हिरानी!

 जैसें  कौनउ प्यासो  पंछी सूखे ताल किनारें !

ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!

कै  तो सास कही कछु तोसें कै रिस  भरी जेठानी,

 कै ननदी ने  विष  के बोलन तो खों  करी दीवानी!

 कै कछु बातन साजन छेदीं  तीखी नैन कटारें।

ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!

कौउ कछु न बात कही है मीत हिरानो  मन कौ,

 निशदिन परत पराई सेजन माली जा उपवन कौ !

 हम चकोर बन रात गुजारें  वे कमलन गुंजारें !

ठाड़ीं भुन्सारे सें द्वारें!

 

2

: रोजमर्रा की कहानी है गजल !

फिर भी हर दिन नई पुरानी है गजल!

 आप सब ने ओड़ी और बिछाई है इसे,

बस हमारी तो जुबानी है ग़ज़ल !

 प्यार नफरत झूठ सच अच्छा बुरा,

 दीन ओ ईमा बेईमानी है गजल !

 

अफ़साना थी दास्तान ए इश्क की,

अब फकीरों की कहानी है ग़ज़ल!

 पोती पोता बेटा बेटी अब्बा अम्मी,

 दादा दादी नाना नानी है, गजल!

घुँघरुओं का साथ सदियों तक दिया,

 अब शहीदों की दीवानी है ग़ज़ल!

 बादशाहों के हरम की शान थी,

अब भिखारिन की जवानी है गजल!

आज नैतिक ह्रास  के इस दौर में ,

सर झुकाए पानी पानी है ग़ज़ल!!

3

 राजपथ से झोपड़ी तक आ गईं तुम,

 शुक्रिया आदाब मेहरबानी है गजल!! किसी ने इश्क के घेरे खीरी मे लाके लूट लिया

किसी ने प्यार की कसमें जताके लूट लिया !

किसी ने प्रेम की बंसी बजा के लूट लिया,

 बहार ए ऐश  की दुनिया दिखाकर लूट लिया!!

 हम किसे लूटें   बहार ए ऐश  है ना बांसुरी,

 मेरे खिलते चमन को खुद खिज़ा ने लूट लिया !

 

4

चाह कर भी आज तक जिसको कभी चाहा न था ,

आज अनचाहे उसी को चाहने कैसे लगा मैं !

5

उनसे नजरें मिली और दिल भी मिले,

बस शुरू हो गए प्यार के सिलसिले !

किससे क्या-क्या करें उनके शिकवे गिले,

 दर्द देने को बस एक हम ही मिले!

6

बेटू को असीम स्नेह खुशियों से भरा रहे गेह  

बरसे धन घन बनकर मेंह  

और निश्संताप हो यह देह

7

 हम गति सीमा में रहें  करें प्रगति दिन-रात!

 व्यस्त व्यवस्था में रहे संयम यातायात !!

8

किस से कह दूं बात आज मैं अपने मन की

 मुझ पराश्रयी को तलाश है आलंबन की !

9

उस शख्सियत का दिमाग भी क्या तूफानी है,

 नहीं ढूंढने से भी मिलता जिसका सानी है!

 जिस की आत्मकथा दुनिया की अमर कहानी है,

 वही आजकल अपने घर पर भरता पानी है !!

10

ले आये  ढूंढ कर तस्कर विधायक सत्ताधारी का

लगाया फिर पता रोमांस पुस्तक भ्रष्टाचारी का!

 निलंबित कर रखा लंबित उसे आरोप पत्रों में,

बहाली के लिए दोहन किया हर एक लाचारी का!

11

ओ रे मूर्ख पपीहा काका तें प्यासों मर जै,

बा बदरा के लाने

जाने अनगिन ले लये  प्रान काऊ की टेक न राखी

वैसे तो कैवे खों  तेरी बात सही है

काये कै  विश्वास बंधो  है आसमान सै

लेकिन हम जो कै रये वो   भी साँची मानो

सब जग जानत जा बदरा को कौन ठिकानों

मन को चंचल

 का कयें कबे  किते, कैसें की पै आ जैहे

और  जाने कितें  बरस कै की की प्यास बुझे है

तैं  अज्ञानी जाके लाने भूलो फिर रयो

वो  अभिमानी काऊ गैर संग रास रचे है

 तैं  पागल प्यासों रओ अब लों प्यासों है  प्यासो  मर जैहे

12

 बीड़ी पीते देखा तुमको

मुंह को फेर लिया

 चिलम लगाई तुमने तब तब

 अनदेखा कर दिया

 पर अब तो बात बढ़ गई

तुमने मेरे आगे मदिरा पी ली

मैंने अपनी हर आशा को अपनी विष का घूंट जानकर लीली

जी मैं आया उठूँ  तुम्हारे हाथ थाम लूं

रोकूं  चिल्लाऊं  हाथों से छुड़ा जाम लूं

पर इस डर से कि

प्यार कहीं कलुषित ना हो जाए

सच कहते हैं  दोस्त तुम्हे हम रोक नहीं पाए