haribansh ray bachchan by amitabh bachchan books and stories free download online pdf in Hindi

हरिवंश राय बच्चन द्वारा अमिताभ बच्चन

                                            हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित

सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द

शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये!

पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तकों से प्ररेणा ले

प्रेम के प्रतीक, पीर पीड़ितों की गा गये!

 पृथ्वी पै पिता के प्रताप को प्रदीप्त कर

पुत्र के पुनीत पुण्य धर्म को निभा गये !

हरिवंश राय, हरि वंश की निभाये लाज

हरि पद गाये हरि धाम को सिधा गये!! 1

 

सुत ने 'सरस्वती' से सुमति, सुबुद्धि पाई

 सुयश-सुकीर्ति शुद्ध भावना से पा गये !

सत्य प्रेम, सत्य नेम सत्य हो सनातन है

सत्य के सहारे  से, स्वनाम धन्य छा गये !!

ब्रह्म-सत्य शब्द - ब्रह्म, सत्य ब्रह्म शब्द ज्ञान

पृथ्वी पै परम प्रकाश पुंज पा गये !

हरिवंश राय, हरि वंश की निभाये लाज

हरि पद गाये हरि धाम को सिधा गये!!2

 

धन्य माँ सरस्वती जो सात्विकी सुपुत्र जाये

 पुण्य थे प्रताप के सो पाये हरिवंश जी!

अंग्रेजी भाषा विश्वविद्यालय इलाहावाद

छात्र-छात्राओं को सिखाये हरिवंश जी!!

 डब्ल्यू.बी.ईट्स के काव्य में रहस्यवाद

ढूढ़-ढूंढ़ कैम्ब्रिज से लाये हरिवंश जी !

झुके न तू थके न तू सदा चले रुके न तू

जिन्दगी है अग्निपथ बताये हरिवंश जी !! 3

(4)

मधुवाला, मधुशाला, मधु के कलश हाला

 मिलन की यामनी में गाए हरिवंश जी!

छल से रहित रहे, शत्रु हो गया स्वभाव

ऐसे मत मंत्र से सुनाये हरिवंश जी!

राग-द्वेश, पाप-पुण्य, हर्ष और विषाद त्याग

सत्य के स्वरूप में समाये हरिवंश जी!!

हर-हर हलक हलाहल भरे रहे सो

 हाला हल हलक से गाए हरिवंश जी!! 4

 

 हरिवंश के वंश के दीपक में

बढ़े 'तेजी' से ज्योति नये साल में!

'जया' हो हर एक प्रयोजन में

 नित हों 'अभिषेक' नये साल में!

नित्य नन्दा की नंदन वाटिका में

 खिलें 'स्वेता' से पुष्प नये साल में!

हर शाम सुहानी अवध की मिले

 हर सुबह बनारस नये साल में!! 5

 

त्रिपुरा में लेनिन  गिराए बुलडोजर से

तमिल में पेरियार तोड़फोड़ डारे हैं !

मेरठ में भीमराव तोड़े और चेन्नई में

भीमराव जी के देखो मुख किये कारे हैं !

केरल में गांधीजी के चश्मे को तोड़ डाला

श्यामा जी का मुख कोलकता में बिदारे हैं!

संस्कार मान मर्यादा सब भूल बैठे

ऐसे मदमस्त राजनीति के सितारे हैं!!

मुक्तक

1

जिन्दगी को मौत से लड़़ते हुए देखा हमने

 हंसी को आंसुओं से झगड़़ते हुए देखा हमने

तुम भले मानो न मानो बात सच है

सर्द नम को धूप पर चढ़़ते हुए देखा हमने

2

विकल हृदय की व्यथित वेदना को मैंने जाना

अंतर्मन के मौन रुदन को मैंने पहचाना

मुझसे पूछो क्या होता है जख़्मी जिगर छुपाना

जब जब अपने दर्द गिने सब ने समझा गाना

3

अब मुझे रुचिकर नहीं लगती हंसी की बात

क्योंकि मुझको हर खुशी देकर गई आघात

हर हंसी छल है खुशी है पुंज भ्रम का

निष्कपट है दर्द जिसके साथ हूँ दिन रात

4

आजकल बिल्कुल अकेला हूं जहां में और चारों ओर गम की भीड़ है

 दर्द हावी हो गया मेरी हंसी पर अंतः करण में वेदना की नीड है’

5

सैकड़ों लड़गये, जिस गरल के लिये

अनगिनत दिन गये, एक पल के लिये,

 देखकर उसकी रचना की संम्पूर्णता

सब समर्पित हुए उस गजल के लिये ।

 

 

 

(6)

हमें व्यवस्था दे न सके, पानी प्रकाश की

बड़ी-बड़ी बातें करते थे वे विकास की

हमें उजाले से तम तक जो ले आये हैं,

हदें लाँघ ली अब उनने नैतिक ह्रास की

(7)

त्रिपुरा में लेनिन  गिराए बुलडोजर से

तमिल में पेरियार तोड़फोड़ डारे हैं !

मेरठ में भीमराव तोड़े और चेन्नई में

भीमराव जी के देखो मुख किये कारे हैं !

केरल में गांधीजी के चश्मे को तोड़ डाला

श्यामा जी का मुख कोलकता में बिदारे हैं!

संस्कार मान मर्यादा सब भूल बैठे

ऐसे मदमस्त राजनीति के सितारे हैं!!