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महान सोच - भाग 7 (स्किल डेवलपमेंट)

महान सोच – भाग 7 (स्किल डेवलपमेंट)

आर0 के0 लाल

 

 

अब मैं 70 पार कर चुका हूं । मैं भूल जाता हूं कि कब और कितना वाटर टैक्स, हाउस टैक्स, इनकम टैक्स आदि जमा करना है । यह भी याद नहीं रहता कि म्युचुअल फंड या स्टॉक में कितना पैसा लगा रखा है। मैं निर्णय नहीं ले पाता कि कब रिडंप्सन करा लेना चाहिए। इसी चक्कर में मुझे हमेशा घाटा ही लगने लगा है और मेरी गाढ़ी कमाई डूबने लगी है।  जमीन-जायदाद और खेती - बारी के कागजात भी अब हमसे नहीं संभाले जाते। गांव जाकर खेतों की बुवाई-कटाई करवाना तो बहुत दूर हो गया है। इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं अब अपनी वसीयत तैयार कर दूं। दीनानाथ में अपने दोस्त गोविंद को दुखी मन से यह सब बताया और सहायता मांगी कि किसी अच्छे वकील से सब कुछ करवा दें ताकि मेरे मरने के बाद किसी तरह का विवाद न खड़ा हो। दीनानाथ जी ने यह भी बताया कि वह चाहते हैं कि अपनी संपत्ति में से एक हिस्सा अपनी लड़की को भी दे दे और कुछ जमा किए हुए पैसे किसी अनाथ आश्रम को दान कर दें लेकिन मेरे दोनों बेटे ऐसा नहीं चाहते इसलिए वसीयत रहेगा तो कम से कम मेरे मरने के बाद तो मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी।

गोविंद उनके बचपन के दोस्त थे, दोनों ने एक साथ आई0  टी0  आई0  किया था तथा दोनों ने एक साथ इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री में नौकरी की । दोनों ने एक ही जगह मकान भी बनवाया था जहां वे रिटायरमेंट के बाद रह रहे थे और एक दूसरे के दुख-सुख में भागीदारी कर रहे थे। पर न जाने क्यों इधर कुछ दिनों से दीनानाथ दुखी रहते थे शायद बच्चों से कुछ कहासुनी हो गई थी।

गोविंद बोले, "अरे भाई दीना नाथ जी, मुझे समझ में नहीं आता कि आप इतना निराश क्यों हो गए हैं। सत्तर भी कोई उम्र होती है ? यह तो ऐसी उम्र है जब आप अपनी लाइफ को और अधिक इंजॉय कर सकते हैं। अब आप अपने दोस्त डॉक्टर हरी को ही देख लीजिए। उनकी उम्र लगभग छिहत्तर साल हो रही है लेकिन वह कितना मस्त जीवन बिता रहे हैं। उनको डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर दोनों है। इसके वावजूद उनकी  जिंदादिली में किसी तरह की कमी नहीं आई। वह हर महीने अपने दोस्तों के साथ पार्टी करते हैं,नाचते गाते हैं और म्यूजिक सिखा कर इंजॉय करते हैं।“

दीना नाथ बोले कि अरे भाई उनकी क्या बात करते हैं। वे तो एक डॉक्टर हैं , रिटायर्ड सीएमओ। अपनी दवा खुद ही कर लेते होंगे। गोविंद बोले ऐसा नहीं है अपने लिए तो करते ही हैं समाज के लिए भी कुछ करने को तत्पर रहते हैं । वे  एक आश्रम चलाते हैं  जिसमें कोई भी बेसहारा बुजुर्ग जाकर सस्ते में रह सकता है। सारी देखभाल वही करते हैं। आश्रम शहर से थोड़ी दूर पर जरूर है पर काफी साफ-सुथरा, सुंदर और प्राकृतिक माहौल में है। डॉक्टर साहब म्यूजिक के शौकीन हैं इसलिए अक्सर वहां म्यूजिकल कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं जिसमें वे स्वयं गाना गाते हैं और दूसरों को भी गाने के लिए प्रेरित करते हैं।

दीनानाथ जी बोले करना तो मैं भी कुछ चाहता हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब यह शरीर मेरा साथ देगा और मेरे घरवाले मुझे प्रोत्साहित करेंगे इसलिए मैं वसीयत करके चैन की सांस लेना चाहता हूं। कभी-कभी मैं भी डॉक्टर हरी के वृद्ध आश्रम में  रहने की सोचता हूं।

गोविंद ने कहा आप क्यों रहेंगे वृद्ध आश्रम में। आपके पास क्या कमी है। हमें तो लगता है कि आपका आत्मविश्वास डगमगा गया है। मगर अभी भी आप बहुत कुछ कर सकते हैं। आप केवल अपनी प्रॉपर्टीज के बारे में ही बात कर रहे हैं और उसकी वसीयत करना चाहते हैं, मगर आपने पूरे जीवन में अनेकों ऐसी काबिलियत अर्जित की है  जिसकी वजह से आपको कई बार प्रशंसा  और अवार्ड मिले हैं । उनको किसे देना चाहेंगे? आप तो कहते थे कि वह आपकी पूंजी है तो फिर क्या आप अपने मरने के बाद उन्हें नष्ट हो जाने देंगे।

गोविंद की ये बातें दीनानाथ के सिर के ऊपर से निकल जा रही थी। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसी फिलासफी की बातें हैं। दीनानाथ जी ने कहा, अरे भाई गोविंद! मेरे पास क्या है, थोड़े से पैसे, एक मकान और गांव में केवल दो बीघे खेत है। इसके अलावा तो मेरे पास कुछ नहीं है?

गोविंद ने कहा,“ मैं आपको याद दिलाने की कोशिश करता हूं,  फैक्ट्री में सब लोग आपके हुनर की तारीफ किया करते थे। आप को याद होगा कि किसी भी मशीन पर हाथ रखते ही आप समझ जाते थे कि  खराबी कहां है और चुटकियों में उस समस्या का समाधान भी कर देते थे । केवल फिटर का कोर्स किया था आपने, मगर सब तरह की वाइंडिंग करने में आप निपुण हो गए थे। अपने घर के ही नहीं बल्कि हम सब के घरों के इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत कर देते थे। कई जुगाड तो आपने भी बना लिए थे। घंटाघर की घड़ी भी आप ठीक कर देते थे। छुट्टियों में आप कबाड़ से  गजब की फूल पत्तियां एवं सजावटी सामग्री बना देते थे। अगर उन्हें बाजार में बेचा जाए तो अच्छी खासी कमाई हो सकती है।

हॉबी के रूप में ज्योतिष शास्त्र द्वारा हस्त रेखा देखकर किसी व्यक्ति के भूत, भविष्य बता देते थे। जड़ी-बूटियों के औषधीय उपयोग करने में आप काफी दक्ष हुआ करते थे । दुर्भाग्य है कि रिटायर होते ही यह सब आपकी कलाएं पता नही कहां चली गईं?

आगे गोविंद ने अपना मत व्यक्त किया, "मेरा तो मानना है कि जिस प्रकार आप अपनी प्रॉपर्टी के विषय में परेशान हैं उसी तरह अपने अर्जित कौशल के विषय में भी चिंतित होना चाहिए।  पाया गया है कि अक्सर अपने अभ्यास से ही  कुछ क्षेत्र में विशेषज्ञ हो जाते हैं, कोई कंप्यूटर, कोई संगीत सीख लेता है । किसी में कारोबार की दक्षता आ जाती है तो कोई अकाउंट्स में गुरु बन जाता है। कोई अच्छा मेडिटेशन जानता है तो कोई योगा। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे अपने रिटायरमेंट लाइफ के दौरान कुछ दूसरे लोगों को अपनी कला सिखा दें। अगर आप जैसे किसी इंजीनियर को अच्छा मशीन मरम्मत करना आता है तो मोहल्ले के इच्छुक बच्चों को सिखाया जा सकता है जिसे वे अपने घर के लिए और मौका पड़ने पर अपना स्व:रोजगार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं । आप जैसे बुजुर्गों को भी अपना ट्रेड सीक्रेट कुछ लोगों को सिखा ही देना चाहिए। इस प्रकार उनकी जीवन भर की उपलब्धि बेकार नहीं जाएगी और घर-घर स्किल डेवलपमेंट हो सकेगा ।

गोविंद  की बातें सुनकर के दीना नाथ काफी दिनों तक सोचते रहे। उन्हें लगा कि गोविंद सही हैं। अभी भी वे बहुत कुछ कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपने एक कमरे में एक छोटी सी वर्कशॉप बना ली  जिसमें वे घरेलू उपकरणों की मरम्मत का काम जरूरतमंदो को नि:शुल्क सिखाते हैं जहां प्रशिक्षार्थियों की भीड़ होती है ।

अब दीनानाथ जीवन से निराश नहीं है बल्कि उन्हें लगता है कि अभी वे बहुत कुछ कर सकते हैं।

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