Paytm CEO Vijay Shekhar Sharma Success Story in Hindi Motivational Stories by ᴀʙнιsнᴇκ κᴀsнʏᴀᴘ books and stories PDF | पे.टी.एम सीईओ विजय शेखर शर्मा सक्सेस स्टोरी

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पे.टी.एम सीईओ विजय शेखर शर्मा सक्सेस स्टोरी


आजकल हर कोई Online transaction का प्रयोग करके अपना जीवन आसान बना रहा है। आज के समय में हम Online transaction से जुड़े किसी भी काम की बात करें तो हमारे दिमाग में एक ही नाम सबसे ज्यादा आता है, और वो है Paytm. पेटीएम ने लोगों के बीच ऐसी पकड़ बनाई है की कुछ लोग तो ये बोलने के बजाए की, “तेरे account में ऑनलाइन पैसे डाल देता हूं,” वो बोलते हैं “यार मैं तेरे फ़ोन में Paytm कर देता हूं।”

उनके लिए online transaction का मतलब ही पेटीएम है जबकि Paytm तो बस बांकी Apps की तरह ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का एक जरिया है। आप भी रोजाना किसी ना किसी पेमेंट के लिए पेटीएम का इस्तेमाल करते ही होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका संस्थापक कौन है? किसने पेटीएम को बनाया है? किसने हमें ये सुविधा दी कि हम अपने रोजमर्रा के पेमेंट्स बिना बैंक का चक्कर काटे घर बैठे आसानी से कर लें?

Paytm कंपनी के CEO हैं विजय शेखर शर्मा। आज हम आपको Paytm CEO विजय शेखर शर्मा के बारे में बताएंगे।

विजय शेखर शर्मा सफलता की कहानी कोई पटकथा नहीं है और ना ही उन्हें ये दौलत विरासत में मिली। उनकी सारी कमाई और पेटीएम की सफलता उनकी मेहनत को बयां करती हैं। विजय शेखर शर्मा ने अपने दम पर 50 हज़ार करोड़ (Paytm Mkt Cap) की कंपनी खड़ी कर दी।

उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था जब उनके पास खाने के लिए भी रुपए नहीं थे। ये सारी कामयाबी सिर्फ और सिर्फ उनके संघर्ष से आयी है क्योंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। तो आज हम आपको बताएँगे कि कैसे एक मध्यम परिवार का लड़का जो कभी खाने के लिए दोस्तों के वहां जाने का बहाना ढूंढता था, उसने इतनी बड़ी कंपनी (Paytm) बना दी।

विजय शेखर शर्मा का जन्म 8 जुलाई 1973 को विजयगढ़, जिला अलीगढ, उत्तरप्रदेश में हुआ। वह बहुत ही सामान्य परिवार से थे। उनके पिता सुलोम प्रकाश एक बेहद ईमानदार स्कूल टीचर थे। जो ट्यूशन पढ़ाने को भी अपने उसूल के खिलाफ मानते थे। उनकी माता आशा शर्मा हाउसवाइफ थी।

इनकी शुरूआती पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। विजय पढ़ाई में बहुत ही होशियार थे। उन्होंने सिर्फ 14 साल की उम्र में ही 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें अलीगढ से बाहर जाना पड़ा और उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजिनीरिंग में एडमिशन ले लिया। Delhi College of Engineering से उन्होंने BTech की डिग्री प्राप्त करी।

बचपन से ही हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ने के कारण उनकी अंग्रेजी काफी कमजोर थी। जिसकी वजह से उन्हें कॉलेज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्कूल के टॉपर रहे विजय कॉलेज एग्जाम में बहुत मुश्किल से पास हो रहे थे। इस सब का कारण उनकी कमजोर अंग्रेजी थी। अपनी इस कमी के कारण वो classes bunk करने लगे।

कई बार उनके मन में आया कि वह सब कुछ छोड़ के घर लौट जाये। लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी परेशानियों से भागने के बजाय उनका सामना करने का निर्णय लिया। इसके बाद वह बाजार से पुरानी किताब और मैगज़ीन लाकर दोस्तों की मदद से अंग्रेजी सीखने लगे।

इसके लिए उन्होंने एक अनोखा तरीका निकाला। विजय एक ही किताब को अंग्रेजी और हिंदी दोनों में खरीद लेते थे और दोनों को एकसाथ पढ़ते थे, जिससे उनको इंग्लिश जल्दी से समझ आ जाये। आखिरकार दोस्तों और किताबों की मदद से उन्होंने फर्राटा इंग्लिश बोलना सीख ही लिया।

इंजीनियरिंग क्लासेज नहीं लेने के कारण उनके पास काफी समय रहता था और दिमाग में बस बिजनेस करने का ख्याल आता। विजय अपना आदर्श हॉटमेल के संस्थापक सबीर भाटिया और याहू के संस्थापक जेरी यांग व डेविड फिलो को मानते हैं। उन्होंने किताबों की मदद से कोडिंग सीखी और खुद का एक content management system तैयार किया।

जिसे The Indian Express सहित कई बड़े अखबार प्रयोग करने लगे। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उन्होंने indiasite.net नाम की एक वेबसाइट बनाई और बाद में एक अमेरिकी कंपनी ने उसे लाखों रूपये देकर खरीद लिया। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने कुछ महीने नौकरी करी लेकिन नौकरी में उनका मन नही लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने एक नई कंपनी की शुरुवात करी। लेकिन कॉमर्स में ज्यादा अनुभव ना होने के कारण बहुत जल्द ही कंपनी की हालत ख़राब हो गई। जिसकी वजह से विजय के पास खाने के भी पैसे नहीं बचे। यही वो समय था जब विजय पैट भरने के लिए अपने दोस्तों क यहाँ जाने का बहाना ढूढ़ते रहते थे।

पैसों की कमी होने के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर One 97 communication नामक कंपनी शुरू की। यह कंपनी मोबाइल यूजर्स को ऑनलाइन कंटेंट जैसे न्यूज, रिंगटोन, क्रिकेट स्कोर्स, एसएमएस जैसी सेवाएं देती थी।

उस समय स्मार्टफोन बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहे थे जिसका फायदा विजय ने उठाया। उन्होंने सोचा क्यों ना कैशलेस ट्रांसक्शन की शुरुआत की जाये। जिससे छोटे-छोटे भुगतान मोबाइल से ही हो जाएं। अपने इस idea के साथ ही उन्होंने साल 2010 में Paytm की शुरुवात करी।

शुरुआत में उन्होंने पेटीएम में ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज की सुविधा दी। जैसे-जैसे Paytm का बिज़नेस बड़ने लगा विजय ने उसमें ऑनलाइन पेमेंट, बिल रिचार्ज, वॉलेट, मनी ट्रांसफर और ऑनलाइन शॉपिंग जैसे फीचर भी जोड़ दिए।

इसके बाद साल 2016 में हुई नोटबंदी के कारण पेटीएम कंपनी ने एक नई रफ्तार पकड़ ली। इस दौरान ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बहुत ज्यादा होने लगी। 2017 आते आते उनकी app को 100 मिलियन से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड कर लिया। देखते ही देखते ये 50 हज़ार करोड़ की कंपनी बन गयी।

Reports के अनुसार आज के समय में पेटीएम डिजिटल मार्केट का 40 फीसदी कंट्रोल करता है। हालांकि पेटीएम का रेवेन्यू अब साल दर साल कम होता जा रहा है। लेकिन इन सब को छोड़ दे तो पेटीएम आज भी अपने आप में एक बहुत बड़ी सफलता है और ये मुमकिन हुवा विजय की मेहनत, जुनून, हौसला और हार ना मानने की ज़िद्द से।