Wo Maya he - 53 books and stories free download online pdf in Hindi

वो माया है.... - 53

(53)

शाहखुर्द से पाँच किलोमीटर दूर एक गेस्टहाऊस था। इस गेस्टहाऊस में साइमन मरांडी के ठहरने की व्यवस्था थी। उसकी देखभाल के लिए उसका खास आदमी मनोज महतो उसके साथ आया था। मनोज कई सालों से साइमन के साथ था। जहाँ भी साइमन जाता था मनोज उसके साथ जाता था।
अपनी आदत के अनुसार साइमन सुबह जल्दी उठ गया था। उसने कुछ देर गेस्ट हाउस के बागीचे में कसरत की। प्राणायाम किया उसके बाद अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो गया। काम पर जाने से पहले उसने वह प्रार्थना की जो रोज़ दिन की शुरुआत करते हुए करता था।
"हे परमपिता, आज के इस दिन आप मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें। मैं जो कुछ भी सोचूँ, बोलूँ या करूँ उसमें आप मुझे सही मार्ग दिखाएं। आपकी दया मुझ पर बनी रहे। आमीन"
प्रार्थना करने के बाद उसने क्रॉस बनाया और एक नए केस की ज़िम्मेदारी लेने शाहखुर्द पुलिस स्टेशन चला गया।

इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल ने पुलिस स्टेशन में साइमन का स्वागत किया। साइमन ने सारी औपचारिकताओं को किनारे कर गंभीर आवाज़ में कहा,
"मैं यहाँ विशेष जांच अधिकारी के तौर पर आया हूँ। मुझे बेवजह की औपचारिकताएं पसंद नहीं हैं। हम सीधे काम पर आते हैं। मैंने यहाँ अपने लिए एक केबिन की व्यवस्था करने को कहा था। मुझे वहीं ले चलिए।"
पुलिस स्टेशन के ऊपरी हिस्से में एक कमरा साइमन का केबिन बनाया गया था। इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल उसे वहीं ले गए। अपनी कुर्सी पर बैठकर साइमन ने कहा,
"अब मुझे दोनों हत्याओं के बारे में सही तरह से बताओ।"
इंस्पेक्टर हरीश ने पहले उसे पुष्कर की हत्या के बारे में तफसील से जानकारी दी। सब सुनने के बाद साइमन ने लैपटॉप पर उन तस्वीरों को देखा जो घटनास्थल और उसके आस पास खींची गई थीं। तस्वीरें देखते हुए उसने एक तस्वीर को रोकने को कहा। उसे ध्यान से ज़ूम करके देखा। उसके बाद बोला,
"पुष्कर की लाश पेड़ के पीछे मिली थी।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"जी सर.....जहाँ झाड़ियां थीं उससे कोई दस मीटर की दूरी पर एक पेड़ के पीछे।"
साइमन ने लैपटॉप के स्क्रीन की तरफ देखकर कहा,
"उसे वहाँ तक घसीट कर ले जाया गया। तस्वीर में घसीटे जाने के निशान हैं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ध्यान से उस तस्वीर को देख रहा था। उसने कहा,
"सर....इसका मतलब है कि पहले उसे घसीट कर पेड़ के पीछे ले जाया गया उसके बाद उसकी हत्या हुई। क्योंकी घसीटते समय खून के निशान नहीं हैं।"
साइमन ने उसकी तरफ तारीफ भरी नज़रों से देखा। उसने कहा,
"गुड ऑब्ज़र्वेशन कमाल....."
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर.... पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार पुष्कर की गर्दन पर वार किए जाने का निशान था। सर मैंने इसके बारे में पढ़ा था।‌ इस तरह वार करके किसी को बेहोश कर सकते हैं। पुष्कर को पहले गर्दन पर वार करके बेहोश किया गया। उसके बाद पेड़ के पीछे ले जाकर उसकी किसी पंजेनुमा धारदार हथियार से हत्या की गई।"
साइमन कुछ सोचने लगा। इंस्पेक्टर हरीश ने आगे कहा,
"चेतन की हत्या में भी यही तरीका अपनाया गया है। इससे लगता है कि दोनों की हत्या करने वाला एक ही है।"
साइमन ने कहा,
"अभी उसकी भी तस्वीरें देखेंगे।‌ पहले उस टायर इंप्रेशन की तस्वीर दिखाओ जो पुष्कर की लाश के पास मिला था।"
इंस्पेक्टर हरीश ने लैपटॉप पर वह तस्वीर दिखाई। उसने कहा,
"यह निशान पुष्कर की लाश से कुछ ही कदम दूर मिला था।"
साइमन उस टायर इंप्रेशन की तस्वीर को ध्यान से देख रहा था। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर मुझे यह निशान किसी बाइक के टायर के लगते हैं।"
साइमन ने पूछा,
"इसका कास्ट तैयार कराया था‌ ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने नज़रें झुका लीं। कुछ सोचकर साइमन ने कहा,
"अब बताओ तुमने इस केस में अब तक क्या पता किया है ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने अब तक जो पता चला था सब बता दिया।‌ उसने भवानीगंज जाकर पुष्कर के परिवार से मिलने वाली बात भी बताई। साइमन‌ ने कहा,
"अभी तक उस आदमी का पता नहीं चला जिसे चेतन ने बात करते सुना था।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"सर मैंने शाहखुर्द और उसके आसपास के इलाकों में उस आदमी का पता लगाने की कोशिश की। लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली।"
साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"तुम दोनों पुष्कर के घर भवानीगंज गए थे। उसके परिवार से मिले थे। किसी ताबीज़ वाली बात के बारे में पता करने। तुम लोगों को वह परिवार कैसा लगा ?"
इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल ने एक दूसरे की तरफ देखा। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर वैसे तो बहुत दुखी लग रहे थे। लेकिन..…"
साइमन ने मुस्कुरा कर कहा,
"लेकिन है ना तुम्हारे पास। इसका मतलब तुम्हें कुछ सही नहीं लगा। अब बताओ क्या गलत लगा तुम्हें ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने तांत्रिक, माया के श्राप और विशाल की पत्नी और बच्चे की अचानक हुई मौत के बारे में बताया। साइमन ने मेज़ पर हाथ मारकर कहा,
"इंस्पेक्टर हरीश....यह तो बहुत बड़ी बात है। कुछ साल पहले घर के दो सदस्य रहस्यमई तरीके से मरे। कोई पुलिस रिपोर्ट नहीं की गई। मामले को एक मरी हुई लड़की के श्राप के नीचे दबा दिया गया। तुम्हें यह अजीब नहीं लगा।"
"सर बहुत अजीब लगा था। इसलिए मैंने उस केस के बारे में भी पूछताछ की थी‌। कुछ डीटेल लिए थे। भवानीगंज के थाना प्रभारी सुमेर सिंह को मैंने सब दे दिया था। उनसे कहा था कि पता करके बताएं। पर अभी तक उन्होंने कोई सूचना नहीं दी।"
साइमन गहराई से कुछ सोच रहा था। उसने कहा,
"तुमने जब पुराने केस के बारे में पूछताछ की तो पुष्कर के परिवार की क्या प्रतिक्रिया थी ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने कुछ सोचकर कहा,
"बाकी सब तो ठीक थे पर विशाल इस बात से नाराज़ हुआ था कि मैं पुष्कर का केस छोड़कर इतने पुराने केस के बारे में क्यों दिलचस्पी ले रहा हूँ।"
"तुमने विशाल को उस आदमी की तस्वीर दिखाई थी जिसे चेतन ने बातें करते हुए देखा था।"
"हाँ....मेरे मोबाइल पर तस्वीर थी जो मैंने उसे दिखाई थी। सर उसने ध्यान से तस्वीर को देखा था। लेकिन पहचानने‌ से इंकार कर दिया था।"
"तुमको क्या लगता है कि विशाल सही कह रहा था‌ ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने एकबार फिर सब इंस्पेक्टर कमाल की तरफ देखा। साइमन ने कहा,
"उस आदमी को ताबीज़ के बारे में पता था। तुमको नहीं लगा कि उसे सिन्हा परिवार के किसी सदस्य ने भेजा हो। खासकर विशाल‌ ने।"
साइमन की बात सुनकर दोनों चुप रहे। साइमन ने कहा,
"इंस्पेक्टर हरीश तुम भवानीगंज‌ के थाना प्रभारी सुमेर सिंह को उस आदमी की तस्वीर भिजवाओ। उनसे कहो कि भवानीगंज और उसके आसपास उस आदमी के बारे में पता करें। उनसे कहो कि किसी आदमी के ज़रिए विशाल पर नज़र रखवाएं। सिन्हा परिवार के पिछले कुछ महीनों से अब तक कॉल रिकॉर्ड्स भी निकलवाने को कहो। उन्हें बता देना कि केस के लिए अप्वाइंट हुए विशेष जांच अधिकारी साइमन मरांडी का आदेश है।"
"जी सर मैं अभी उनसे बात करता हूँ।"
साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"ऐसा करो कि तुम खुद भवानीगंज चले जाओ। इस सबके अलावा तुम खुद विशाल की पत्नी और बच्चे की मौत के बारे में पड़ताल करो। उस केस में ज़रूर कुछ गड़बड़ है। कुछ मिल जाए तो उस विशाल को अच्छी तरह से घेरते हैं।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"ठीक है सर मैं कुछ देर में ही निकल जाता हूँ। कोशिश करता हूँ कि जल्दी ही कोई ठोस जानकारी लेकर आऊँ।"
साइमन ने कुछ और सोचकर कहा,
"पुष्कर के बारे में भी हमें कुछ पता करना होगा। यह भी हो सकता है कि उसका किसी से झगड़ा हुआ हो। उसने ही ढाबे पर पहुँच कर उसे मारा हो।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर भवानीगंज से उसका नाता बहुत पहले खत्म हो गया था। उसकी पत्नी दिशा ने बताया कि वह पढ़ाई के सिलसिले में भवानीगंज छोड़कर गया था तबसे बाहर ही था।"
यह सुनकर साइमन फिर सोच में पड़ गया। उसने कहा,
"चलो कोई बात नहीं। फिलहाल एक तरफ से शुरू करते हैं। तुम भवानीगंज के लिए निकलो। एक दिन में काम नहीं हो पाएगा। वहाँ रुकना पड़ेगा। सुमेर सिंह से कहना कोई व्यवस्था कर देगा। कम से कम एक हफ्ते की तैयारी से निकलो। रिपोर्ट करते रहना।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा कि वह अपनी तैयारी करके कुछ ही देर में भवानीगंज के लिए निकल जाएगा। इंस्पेक्टर हरीश चला गया। साइमन सब इंस्पेक्टर कमाल के साथ चेतन की हत्या वाली जगह की तस्वीरें देखने लगा। वह एक एक तस्वीर बड़े गौर से देख रहा था। चेतन के शव पर भी वैसे ही घाव के निशान थे। साइमन ने कहा,
"दोनों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ध्यान से देखता हूँ। साथ ही कत्ल की जगह मिले साक्ष्यों की जांच करता हूँ। तुम लोगों ने ढाबे के मालिक से बात की जहाँ चेतन काम करता था।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने उसे ढाबे के मालिक सूरज पाल के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया। उसने कहा,
"सर..… सूरज को कत्ल वाली जगह से कुछ पहले लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में मोटरसाइकिल पर चेतन के पीछे जाते देखा गया था। उसने पीछे जाने की बात स्वीकार की। लेकिन उसके अनुसार उसे चेतन दिखा नहीं तो वापस आ गया। उसके ढाबे का सीसीटीवी कैमरा खराब था। इसलिए यह नहीं कह सकते हैं कि वह ढाबे से कब निकला था।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने बताया कि सूरज ने चेतन की पिटाई की थी। साथ ही यह भी बताया कि अखबार में ताबीज़ वाली खबर पढ़कर वह चेतन की हत्या को शैतान का काम बता रहा था।
साइमन ने उससे कहा कि फिलहाल वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट ध्यान से देखता है।