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सद्दाम हुसैन

सद्दाम हुसैन दुनिया के सबसे बदनाम कातिलो में से एक माना जाता है जिसने अपनी तानाशाही के बल पर लाखो को मौत के मुह में धकेल दोय था | सद्दाम इराक का पाँचवा राष्ट्रपति था जिसने ईराक पर लगभग 30 सालो तक राज किया | आइये आपको उस बदनाम कातिल तानाशाह सद्दाम हुसैन की जीवनी से रूबरू करवाते है |
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ईराक ब्रिटिश जनादेश के अंतगर्त था जिसे अक्टूबर 1932 में सम्पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी | सन 1936 में ईराक में तख्तापलट हो गया जिससे अरब राष्ट्रवाड के पुनर्जीवन की पार्टी बनी | Saddam Hussein सद्दाम हुसैन आगे चलकर इसी पार्टी के नेता बना था | Saddam Hussein सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 में इराक की तिकरित नदी के पास दजला नदी के उत्तर पश्चिम में हुआ था | सद्दाम का पूरा नाम सद्दाम हुसैन अब्द-अल-मजीद अल-टिकरी था | सद्दाम का जिस परिवार में जन्म हुआ था वो एक भूमिहीन सुन्नी परिवार था जो पैगम्बर मोहम्मद के वंशज होने का दावा किया करते थे |
Saddam Hussein सद्दाम की माँ का नाम तुलफा-अल-मुस्स्लत और पिता का नाम हुसैन आबिद-अल-मजीद था | सद्दाम ने अपने पिता को कभी नहीं देखा और ना उसके बारे में जान पाया क्योंकि उसके जन्म के छ: महीने पहले ही वो घर से गायब हो गया था और बाद में मौत हो गयी थी | पिता की मौत के समय सद्दाम गर्भ में था और उसकी माँ ने आत्मत्या करने का विचार किया लेकिन परिवार वालो के समझाने पर उसने गर्भपात ना करवाकर बालक को जन्म दिया जिसक अनाम सद्दाम हुसैन Saddam Hussein था | सद्दाम के जन्म के कुछ दिनों बाद ही सद्दाम के बड़े भाई की कैंसर से मौत हो गयी जो 13 साल का था | अब शिशु सद्दाम को बगदाद में उसके मामा खैरअल्लाह तलफ के पास भेज दिया जब तक कि वो तीन साल का नही हो गया
अब Saddam Hussein सद्दाम की माँ ने दूसरा निकाह कर दिया जिससे सद्दाम के तीन सौतेले भाइयो का जन्म हुआ था | सद्दाम के सौतेले पिता इब्राहीम हसन ने उसके वापस लौटने पर उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया था जिससे परेशान होकर सदाम 10 वर्ष की उम्र में अपने घर से भागकर बगदाद में अपने मामा के पास वापस चला गया | सद्दाम का मामा तुलफा एक सुन्नी मुस्लिम था जो इराकी सेना में उच्च अधिकारी था जिसने 1941 के एंग्लो-इराकी युद्ध में हिस्सा लिया था | उसने ही सद्दाम की देखभाल की थी और उसे बगदाद के ही सेकेंडरी स्कूल में नेशनलिस्ट स्कूल में दाखिला दिलाया | इसके बाद सद्दाम ने तीन साल तक इराकी ला स्कूल में पढाई की |
1957 में 20 वर्ष की उम्र में Saddam Hussein सद्दाम अरब बथ पार्टी में शामिल हो गया जिसको उसके मामा सहयोगी थे | इस दौरान सद्दाम ने कुछ समय स्कूल में अध्यापक का काम भी किया था | सन 1958 में इराक में तख्तापलट हुआ और ईराक में गणराज्य की स्थापना हुयी जिससे इराक में अस्थिरता छा गयी थी | इराकी कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रवादी गुटों के बीच लगातार संघर्ष की स्तिथि बनी हुयी थी | सद्दाम हुसैन पार्टी में सक्रिय होने के कारण पार्टी के आन्दोलन में लगातार सक्रिय था | इसी बीच अपने चचेरे भाई की हत्या के आरोप में सद्दाम को जेल में डाल दिया गया लेकिन दस महीनों के बाद सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया गया |

1958 में Saddam Hussein सद्दाम ने बाथ पार्टी ज्वाइन कर ली जिसको आर्मी अफसर जनरल अब्द-अल-करीम कासिम चला रहा था | कासिम की पार्टी में सद्दाम एक सक्रिय और अग्रणी नेता था लेकिन कासिम के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पार्टी के लोगो ने कासिम को मारने की योजना बनाई | 7 अक्टूबर 1959 में कासिम की हत्या करने के लिए सद्दाम को चुना गया लेकिन गोलीबारी के दौरान सद्दाम ने गलती कर दी जिससे कासिम का ड्राईवर मारा गया लेकिन कासिम को कंधे पर गोली लगी थी | साजिश में शामिल लोगो को लगा कि कासिम मर गया है लेकिन कासिम बच गया था | हमले के वक़्त बाथ पार्टी में 1000 से भी कम सदस्य थे |
कुछ साजिशकर्ता देश छोडकर सीरिया भागने में सफल रहे लेकिन सद्दाम पर कीसी को शक नही हुआ | सद्दाम को मिचेल अफ्लाक की पार्टी में पूर्ण सदस्यता मिल गयी | इस हमले के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनको हिरासत में ले लिया गया | बारीक पूछताछ के बाद उनमे से छ अभियुक्तों को फांसी के सजा सुनाई गयी लेकिन किन्ही कारणों से उनको फांसी नही हुयी थी | 1959 में सद्दाम पकड़े जाने के डर से इजिप्ट भाग गया और 1963 तक वही रहा | बाथ पार्टी के सदस्यों ने बाद में कासिम को पार्टी से निकाल दिया और अब्दुल सलाम शरीफ को राष्ट्रपति बनाया गया | आरिफ की 1966 के एल प्लेन क्रेश में मौत हो गयी |
उधर Saddam Hussein सद्दाम जब 1964 में वापस इराक लौटा था तब उसे गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन 1966 में जेल से भाग जाने के बाद उसे बाथ पार्टी का सहायक महासचिव बना दिया गया | 1968 में फिर विद्रोह हुआ और इस बार 31 वर्षीय सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया | अल-बकर राष्ट्रपति बन गया और सद्दाम को उसका उप-राष्ट्रपति बना दिया गया | अब अल बकर उस समय वृद्ध हो गया था इसलिए सद्दाम ने सारी कमान सम्भाल रखी थी | सद्दाम ने अब कई ऐसे कदम उठाये जिससे पश्चिमी जगत के माथे पर शिकन पैदा हो गयी थी |
1972 में ईराक ने सोवियत संघ के साथ उस वक़्त 15 वर्षो का सहयोगसमझौता किया था जब शीत युद्ध अपनी चरम सीमा पर था | ईराक ने अपनी उन तेल कंपनियों का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया जो पश्चिमी देशो को तब तक काफी सस्ती दरो में तेल दे रही थी | वर्ष 1973 में तेल संकट आया और ई उस वक़्त जो भी फायदा हुआ उसका निवेश देश के उद्योग ,शिक्षा और स्वास्थ्य में किया गया | जल्द ही जीवन स्तर के मामले में ईराक का स्थान अरब जगत में बहुत उपर के देशो में माना जाने लगा | धीरे धीरे सद्दाम हुसैन ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी और अपने रिश्तेदारों व् सहयोगियों को
उच्च पदों पर नियुक्त कर दिया था |
वर्ष 1978 में एक नया कानून बना और विपक्षी दलों की सदस्यता लेने का मतलब जान से हाथ धोना माना जाने लगा | माना जाता है कि 1979 में Saddam Hussein सद्दाम हुसैन ने खराब स्वास्थ्य के नाम पर जनरल बक्र को इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर दिया और खुद देश का राष्ट्रपति बन बैठा | सत्ता सम्भालने के बाद उसने अपने प्रतिद्वान्दियो को मारना शुरू कर दिया था | सद्दाम अपने आप को अरब देशो में सबसे प्रभावशाली प्रमुख समझने लगा था | वर्ष 1980 में उसने नई इस्लामिक क्रांति के प्रभावों को कमजोर करने के लिए पश्चिमी ईरान की सीमओं पर अपनी सेना उतार दी थी | इसके बाद आठ वर्षो तक चले युद्ध में लाखो लोगो को जान गंवानी पड़ी थी |
जुलाई 1982 में सद्दाम हुसैन के उपर के आत्मघाती हमला हुआ जिसमे वो बच गया था लेकिन उसने साजिश करने वाले शिया बाहुल्य दुजैल गाँव के 148 लोगो की हत्या करवा दी थी | मानवधिकार उल्लंघन के ऐसे कई मामलों के बावजूद अमेरिका ने इन हमलो में सद्दाम का साथ दिया था | हालंकि ईरान के साथ वर्ष 1988 में युद्ध विराम हो गया था लेकिन सद्दाम ने अपना प्रभुत्व बनाये रखने के लिए अपने कामो को ओर तेज कर दिया था | उसने अब लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाईलो और परमाणु हथियारों को बनवाने का काम शुरू करवा दिया था | ईरान के खिलाफ युद के कारण उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो गयी थी इसके लिए उसने तेल के दामो को बढ़ा दिया | 1975 में चतुराई के साथ सद्दाम ने ईरान के साथ संधि कर ली थी |
इसके बावजूद सद्दाम खादी देशो के खिलाफ लड़ रहा था | अब प1991 में पश्चिमी देशो ने कुवैत और ईरान के साथ मिलकर इराक पर दबाव बनाना शूरू कर दिया जिसके फलस्वरुप खाड़ी युद्ध में ईराक की हार हुयी | खाड़ी युद्ध के बाद सद्दाम सरकार पर परमाणु हथियार बनाने पर रोक लगा दी गयी | अमेरिका ने इराक को चेतावनी दी कि वो विश्व शांति के लिए परमाणु हथियारों के निर्माण को बिना शर्त बंद कर दे लेकिन सद्दाम ने अमेरिका की चेतावनी पर ध्यान नही दिया | इसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से ईराक पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगे जिससे इराक की अर्थ व्यवस्था चरमराने लगी थी |
वर्ष 2000 में अमेरिका में जोर्ज बुश की ताजपोशी ने सद्दाम सरकार पर दबाव ओर ज्यादा बढ़ा दिया था | वर्ष 2002 में सयुंक्त राष्ट्र के दल ने इराक का दौरा किया और इस दौरान इराक की कई मिसाईलो को खत्म किया | मार्च 2003 में अपने कुछ सहयोगी देशो के साथ मिलकर अमेरिका ने ईराक पर हमला कर दिया | 09 अप्रैल 2003 को सद्दाम हुसैन सरकार को गिरा दिय गया और 20 मार्च को इराकी सेना ने आत्मसमपर्ण कर दिया था | इसके बाद Saddam Hussein सद्दाम भूमिगत हो गया था | सद्दाम हुसैन की एक मूर्ति को जब अमेरिकी सैनिको ने तोडना शुरू किया तब वहा पर मौजूद लोगो ने मूर्ति पर अपना गुस्सा उतारा जिससे पता चलता है कि जनता में सद्दाम के खिलाफ कितना आक्रोश था |13 दिसम्बर 2003 को सद्दाम हुसैन Saddam Hussein को अमेरिकी सैनिको ने पकड़ लिया | सद्दाम उस समय तिकरित शहर के एक घर में छुपा हुआ था और उसने बिना किसी लड़ाई के समपर्ण कर दिया था |
Saddam Hussein सद्दाम हुसैन और बाथ पार्टी के अन्य नेताओ के विरुद्ध इराक सरकार ने मुकदमा चलाकर उन आरोपों में सद्दाम हुसैन समेट उन नेताओ को दोषी पाया जिन्होंने अपराध ,युद्ध और नरसंहार में सद्दाम हुसैन का साथ दिया था | दो वर्ष बाद 5 नवम्बर 2006 को सद्दाम हुसैन पर दोष सिद्ध हुआ और उन्हें अपराधी घोषित कर दिया गया | सद्दाम पर युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध कृत्यों के आरोप थे जिनमे 50 हजार लोगो की मौत हुयी थी |1,50,000 ,3,40,000 इराकी , 1000 कुवैत के नागरिको की मौत और 7,30,000 ईरान-इराक युद्ध के दौरान मारे गये सैनिको की मौत का जिम्मेदार मानते हुए सद्दाम हुसैन को फांसी की सजा सुनाई गयी |
Saddam Hussein सद्दाम हुसैन की दो पत्निया और पांच संताने थी जिसमे तीन पुत्रिया और दो पुत्र थे | दोनों बेटो उदै और कुशे इराक पर किये जाने वाले अमेरिकी हमले में मारे गये | Saddam Hussein सद्दाम ने सजा से बचने की अपील भी की लेकिन उसकी अपील ख़ारिज कर दी गयी | आख़िरकार 30 दिसम्बर 2006 को उसे फांसी के सजा दे दी गयी | उसकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें फासी की बजाय शूट करके मारा जाए ताकि वो सम्मान की मौत मरे लेकिन उनकी इच्छा पुरी नही की गयी | Saddam Hussein सद्दाम की फांसी के बाद उसको अपने पैतृक गाँव में दफन कर दिया गया |