Wo Maya he - 79 books and stories free download online pdf in Hindi

वो माया है.... - 79



(79)

विशाल की आँखों में एक नफरत दिखाई पड़ रही थी। यह नफरत उसके लिए उसके ही दूसरे हिस्से की थी। डॉ. हिना के सामने एक पैड रखा था। जिस पर वह कुछ प्वाइंट्स लिख रही थीं। उन्होंने पैड पर लिखा।
डिसोसिएटिव पर्सनालिटी डिसऑर्डर
उसके आगे उन्होंने लिखा।‌ विशाल के व्यक्तित्व का एक और हिस्सा है। जिसके बारे में विशाल को पता नहीं है। जो कुछ खास स्थितियों में सक्रिय होता है। प्वाइंट्स नोट करने के बाद अब उनके लिए यह जानना ज़रूरी था कि वास्तव में मोहित के जन्मदिन वाले दिन हुआ क्या था ? कुसुम और मोहित के शरीर में ज़हर कैसे पहुँच गया। उन्होंने कहा,
"माया तुम्हारे नज़दीक थी। विशाल से दूर हो गई थी।"
"बिल्कुल.... माया यह देखकर बहुत अधिक दुखी थी कि विशाल को उसके ना रहने से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है। वह उस पर भरोसा कैसे कर सकती थी ? उसे सिर्फ हम पर भरोसा था।"
"इसलिए माया ने तुमसे उसे इंसाफ दिलाने को कहा था। अब यह बताओ कि तुमने उसे इंसाफ कैसे दिलाया ?"
"हमने वही किया जो माया ने हमसे करने को कहा था।"
"माया ने विशाल से बदला लेने के लिए तुमसे क्या करने को कहा था ?"
डॉ. हिना गौर से उसके चेहरे की तरफ देख रही थी। विशाल के चेहरे पर ऐसा भाव आया जैसे कि वह उस दिन जो हुआ उसे याद कर रहा हो। उसने कहा,
"मोहित के जन्मदिन से दो दिन पहले रात में माया ने हमसे कहा था कि उसे इस बात का बुरा लगता है कि विशाल अपनी पत्नी कुसुम के साथ अपने बेटे मोहित के जन्मदिन की तैयारी में व्यस्त है। उसने हमसे कहा था कि उसको यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है। हम उसके लिए कुछ करें। माया ने हमसे कहा कि कुसुम और मोहित इस घर की खुशियों का कारण हैं। उनकी वजह से ही विशाल और बाकी घरवाले हमें भूलकर उन दोनों को सर आँखों पर बैठा रहे हैं। इसलिए हम उन दोनों को रास्ते से हटा दें। हम खुद विशाल और उसके घरवालों के व्यवहार से आहत थे। हमने माया की मदद करने का फैसला किया।"
इतना कहकर विशाल चुप हो गया। डॉ. हिना ने उसे आगे बताने के लिए प्रेरित किया,
"तुमने माया की मदद करने का फैसला किया। मतलब कुसुम और मोहित को रास्ते से हटाने को तैयार हो गए। तुमने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए क्या किया ?"
"माया ने हमसे मदद मांगी थी। साथ ही उसने हमें यह भी बताया था कि दोनों को रास्ते से हटाने के लिए क्या करना है।"
"क्या बताया था उसने ?"
"उसने कहा था कि हम उन दोनों को ज़हर दे दें। माया ने कहा था कि पहले उन लोगों को जन्मदिन की खुशियां मना लेने देना। उसके बाद अपना काम करना। इससे उन लोगों को कुसुम और मोहित की मौत का और अधिक दुख होगा। उन्हें समझ आएगा कि जब भी इस घर में खुशियां आएंगी तब हम उन्हें निगल जाएंगे।"
"तुम्हारे पास ज़हर आया कैसे ?"
"घर में खेती होती थी। कीटनाशक घर में था। हमने तय किया था कि उन दोनों को खाने में कीटनाशक मिला कर देंगे।"
"तुमने उन्हें ज़हर कैसे और कब दिया ?"
कुछ पलों तक खामोशी रही। उसके बाद उसने उस रात जो हुआ वह बताना शुरू किया।
"वैसे तो माया रात को ही हमारे पास आती थी। पर मोहित के जन्मदिन पर वह दोपहर को हमारे पास आई थी।"
"दोपहर को ? तो फिर किसी ने उसे देखा क्यों नहीं ?"
"वह हमारे अलावा किसी को भी दिखाई नहीं देती थी। विशाल को भी नहीं।"
"तुम्हें कैसे पता ?"
"उसने खुद यह बात हमें बताई थी। फिर दोपहर जिस समय वह हमारे पास आई थी तब सब लोग नीचे थे। कुसुम भी मोहित के साथ नीचे ही थी। छत पर हम अकेले थे। माया ने हमसे कहा कि क्या हम उसकी मदद के लिए तैयार हैं। हमने कहा कि हम तैयार हैं। हमने उसे बताया कि हमने प्रसाद के एक डब्बे में ज़हर मिला दिया है। रात को पार्टी खत्म होने के बाद कुसुम और मोहित को खिला देंगे। माया यह कहकर चली गई कि वह याद दिलाने के लिए फिर आएगी।"
"माया याद दिलाने के लिए आई थी।"
"पार्टी खत्म होने के बाद सब चले गए थे। सिर्फ परिवार के लोग थे। मोहित के नाना नानी को भेजने की तैयारी कर रहे थे। कुसुम और बाकी लोग उनके साथ थे। तब माया ने हमारे पास आकर कहा कि अब समय आ गया है। मोहित के नाना नानी के जाने के बाद बाकी परिवार वाले भी निकलने की तैयारी कर रहे थे। हम प्रसाद का डब्बा बैग में रखकर ले गए थे। मौका देखकर हम कुसुम और मोहित को एक तरफ ले गए। उन्हें यह कहकर प्रसाद खिलाया कि उनके लिए विशेष प्रार्थना करके चढ़ाया था।"
"कुसुम और मोहित ने तुम्हारे हाथ से प्रसाद खा लिया ?"
"हाँ..... उन्होंने हमारे हाथ से प्रसाद खा लिया।"
विशाल ने बड़े इत्मीनान से कहा था कि कुसुम और मोहित ने प्रसाद खा लिया था। डॉ. हिना के मन में कुछ सवाल उठ रहे थे। उन्होंने पूछा,
"तुम विशाल तो थे नहीं। फिर कुसुम और मोहित ने तुम पर भरोसा क्यों किया ? क्या कुसुम तुम्हें जानती थी ?"
इस सवाल को सुनकर विशाल के चेहरे पर कुछ परेशानी उभरी। डॉ. हिना ने पूछा,
"जब तुम कुसुम और मोहित को प्रसाद खिला रहे थे तो विशाल कहाँ था ?"
इस सवाल पर विशाल के चेहरे पर और अधिक परेशानी आ गई। डॉ. हिना ने कहा,
"जहाँ तुम होते हो विशाल कभी भी वहाँ नहीं होता है।"
विशाल कुछ उलझन में लग रहा था। डॉ. हिना ने कहा,
"उसे छोड़ो....यह बताओ कि कुसुम और मोहित के ना रहने पर माया ने क्या कहा‌ ?"
विशाल ने याद करने की कोशिश की। लेकिन कुछ बता नहीं पाया। डॉ. हिना ने पूछा,
"यह बताओ कि अपनी पत्नी और बच्चे की मौत से विशाल बहुत दुखी हुआ था। तब तुमको कैसा लगा था ?"
डॉ. हिना के हर सवाल का विशाल कोई जवाब नहीं दे पा रहा था। उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे कुछ याद ना हो। डॉ. हिना सोच रही थीं कि विशाल की इस तरह की चुप्पी से ऐसा लगता है कि उसका दूसरा रूप उस घटना के बाद से शांत हो गया था। पुष्कर की हत्या से विशाल के इस रूप का कोई संबंध नहीं है। विशाल ने यह बात स्वीकार की थी कि उसने पुष्कर को मारने के लिए कौशल को भेजा था। जबकी अपनी पत्नी और बेटे को ज़हर देने की बात उसने नहीं कही थी। इसका मतलब था कि विशाल का वह रूप दोबारा सामने नहीं आया था। डॉ. हिना के मन में सवाल आया कि यदि यह रूप शांत हो गया था तो उस दिन पुलिस के सामने और आज उनके सामने क्यों आया ? उन्होंने कहा,
"कुसुम और मोहित को ज़हर देने के बाद तुम शांत हो गए थे। पर जब पुष्कर की शादी तय हुई तब तो फिर घर में खुशियां आने लगीं। माया को बुरा लगा होगा। उसने तुमसे मुलाकात नहीं की ?"
विशाल कुछ सोचकर बोला,
"मोहित के जन्मदिन के बाद वह आखिरी बार हमसे मिली थी। हमें हमारे काम की याद दिलाने के लिए।"
"तुम इतने सालों से कहाँ थे ?"
इस बार विशाल फिर कुछ नहीं बोला। डॉ. हिना एकबार फिर सोच में पड़ गईं। उन्होंने कुछ सोचकर कहा,
"अच्छा यह बताओ कि उस दिन पुलिस के सामने और आज मेरे सामने तुम क्यों आए ?"
विशाल के चेहरे पर गुस्सा उभरा। उसने कहा,
"माया को झूठ बताया गया तो हमसे रहा नहीं गया। माया झूठ नहीं है।"
"तो फिर पुष्कर की शादी के समय तुमसे क्यों नहीं मिली ?"
विशाल फिर दुविधा में दिखाई पड़ा। उसने गुस्से से कहा,
"माया है....हम बस इतना जानते हैं।"
यह कहकर वह चुप हो गया। डॉ. हिना ने महसूस किया कि एकबार फिर विशाल के हावभाव बदल रहे हैं। थोड़ी देर में वह एकदम सामान्य था। हावभाव से विशाल लग रहा था। वह डॉ. हिना की तरफ देख रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अब तक जो हुआ उससे एकदम अनभिज्ञ था। उसने डॉ. हिना से कहा,
"हमने पुष्कर की हत्या के लिए कौशल को पैसे दिए थे। पर हत्या उसने नहीं की थी। हत्या के लिए माया का श्राप ही ज़िम्मेदार है।"
"तुमको लगता है कि माया तुम्हारी पत्नी और बच्चे की मौत के बाद भी संतुष्ट नहीं हुई थी।"
"कुसुम और मोहित की मौत के बाद हम अपने दुख में डूब गए थे। हमारे परिवार वाले भी उस दुख को भुला नहीं पाए थे। हम लोगों को यही लगता था कि मेरी पत्नी और बच्चे को मारकर माया ने अपना बदला ले लिया है।‌ वह शांत हो गई थी। हमारे घर में कई सालों तक कोई खुशी नहीं आई थी। लेकिन पुष्कर की बरीक्षा होने के बाद वह एकबार फिर मेरे सपने में आई थी।"
"इससे पहले भी कभी वह तुम्हारे सपने में आई थी।"
"कुसुम और मोहित की मौत से पहले उसने मेरे सपने में आकर कहा था कि वह घर की खुशियां छीन लेगी। पुष्कर की बरीक्षा के बाद वह दोबारा सपने में आई। उसने हमसे कहा कि तुम्हारे घरवाले फिर खुशियां मनाना चाहते हैं। हम ऐसा होने नहीं देंगे।"
डॉ. हिना समझने की कोशिश कर रही थीं। इस बार माया ने विशाल के दूसरे रूप से संपर्क नहीं किया था। उसका दूसरा रूप माया ही थी या वह एक अलग रूप था। डॉ. हिना के लिए स्थिति कुछ उलझन पैदा करने वाली थी। पर वह जानती थीं कि धैर्यपूर्वक विशाल से बात करके इस गुत्थी को सुलझाया जा सकता है।