Wo Billy - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

वो बिल्ली - 22

(भाग 22)

अब तक आपने पढ़ा कि प्रेम और अंशुला किसी खास मकसद से स्टोर रूम में आते है।

अब आगें...

प्रेम ने जल्दबाजी करते हुए अंशुला से कहा - " डॉक्युमेंट को लेकर मैंने सारी फॉर्मेलिटी कर दी है। पहले यदि ऐसा पता होता कि यूँ ऐंन बखत वकील साहब प्रेमलता के अंगूठे के निशान भी मांग लेंगे तो मैं उसी वक्त निशान ले लेता जब वह मृत पड़ी हुई थी। अब फ़िर से गढ़े मुर्दे को निकालकर गधा हम्माली करो और निशान लो। यह सचमुच थका देने वाली प्रक्रिया है।"

यह कहकर वह कुदाल से फर्श उखाड़ने लगा। अंशुला भी उसकी मदद करवाने लगीं थी।

दोनों इस बार से अनजान थे कि उनके ठीक सामने प्रेमलता की आत्मा उन्हें ही गुस्से से घूर रहीं थीं। प्रेमलता ने अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाने के लिए ग्रामोफोन ऑन कर दिया।

वहीं गीत उस सुनसान पड़े कमरे में ठक-ठक करती खुदाई की आवाज़ के साथ बज उठा - " दुश्मन न करें दोस्त ने वो काम किया है...."

गीत बजते ही प्रेम की सिट्टीपिट्टी गुल हो गई। उसके हाथ से कुदाल छूट गई। पहले से ही पसीने से तरबतर उसके शरीर में ख़ौफ़ के कारण सिहरन सी दौड़ पड़ी। उसके हाथ पैर थरथर कांपने लगें।

अंशुला ने ग्रामोफोन बन्द कर दिया। वह प्रेम को झकझोरते हुए बोली - " क्या हुआ..? रुक क्यों गए..? जल्दी करो वरना वकील साहब आ गए तो क्या जवाब दोगे.?"

प्रेम के भीतर डर इस कदर घर बना बैठा था कि वह बस इतना ही कह सका - " प..प..प्रेमलता.."

अंशुला ने चिढ़ते हुए कहा - "ओहो ! अब यह क्या नया तमाशा शुरू कर दिया। वह मर चूंकि है। उसी की लाश निकालने हम यहाँ आए हैं। चलों ! अब जल्दी से कुदाल उठाओ औऱ खोदना शुरू करो।"

अंशुला की बात का प्रेम पर कोई असर नहीं हुआ। वह अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुआ।

अंशुला अपनी ही धून में मिट्टी को हटाती जा रही थीं। सहसा उस पर उसकी ही पालतू बिल्ली ने हमलाकर दिया। वह अपने चेहरे से बिल्ली को हटाने की लाख कोशिश करती रही पर बिल्ली उसके चेहरे को नोचती रहीं। वह मदद के लिए प्रेम को पुकारती रहीं। प्रेम तो जैसे मूर्ति बना खड़ा रहा।

बिल्ली अपना काम करके कूदकर दूर चली गई। अंशुला का चेहरा लहूलुहान हो गया। उसके चेहरे पर बहुत सारी खरोंच थी। हाँफते हुए अंशुला ने प्रेम की ओर बहुत गुस्से से देखा। वह बुत बना खड़ा रहा।

उससे ध्यान हटाकर अंशुला ड्रेसिंग टेबल की ओर गई। वह अपना चेहरा देखकर चोंक गई। वह अपने चेहरे के निशानों को देख ही रहीं थी कि आईने में उसे अपने पीछे प्रेमलता दिखाई दी।

उसने झटके से पीछे मुड़कर देखा...

वहाँ कोई नहीं था। गहरी सांस छोड़कर उसने जैसे ही आईने की ओर फ़िर से मूँह किया इस बार आईने में अंशुला का अक्स नहीं बल्कि प्रेमलता दिखाई दी। उसके

चेहरे की मुस्कान बड़ी भयानक थीं। अंशुला को लगा कि यह उसकी आँखों का वहम है। उसने कसकर अपनी आंखें मूंद ली।

उसका कलेजा जोर-जोर से धड़क रहा था।

वह आंख मुंदे खड़ी रहीं। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और वह बुरी तरह से घबराकर चीख़ पड़ी।

शेष अगलें भाग में....

क्या होगा अंशुला व प्रेम के साथ ?

क्या इन्हें मिलेगी धोखेबाजी को कड़ी सज़ा ? जानने के लिए कहानी के साथ बनें रहें।