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बंजारन चुड़ैल - भाग 4

सुंदर मधुर मीठी युवती कि वाणी सुनकर शम्मी जल्दी से पीछे मुड़कर देखता है तो एक खूबसूरत युवती हाथ में कटार लिए मुंह में पान का बीड़ा गौरा रंग लहंगा चोली पहने खड़ी हुई थी। उसे देखते ही शम्मी समझ जाता है कि मुझे जीवन में पहली बार चुड़ैल के दर्शन हो गए क्योंकि यह कस्तूरी बंजारन चुड़ैल है, इसलिए शम्मी बंजारन चुड़ैल को देखकर वहां से तेजी से भागने लगता है किंतु थोड़ी सी दूर बंजारन चुड़ैल से बचकर भागते ही उसे जमींदार भूतनाथ भूत टांग से पकड़ कर गूलर के पेड़ कि चोटी पर उल्टा पेड़ के मोटे टहने पर लटका देते हैं।

गूलर के पेड़ पर उल्टा लटकने के बाद शम्मी को जमीन बहुत दूर दिखाई देती है और अपनी मौत करीब।

जब शम्मी को अपनी मौत निश्चित नजर आती है तो वह मौत से बचने कि आखिरी कोशिश करता है इसलिए वह‌ बंजारन चुड़ैल से कहता है "मुझे इन दोनों भूतों से बचा लो मैं और मेरी सात पीढ़ियां आपको अपनी कुलदेवी मानकर आपकी पूजा करेंगी ।" यह बात शम्मी दो-तीन बार बंजारा चुड़ैल से विनती करके कहता है।

तो बंजारन चुड़ैल गूलर के पेड़ कि चोटी पर शम्मी के पास आकर बैठ जाती है और फिर शम्मी कि दोनों टांगें पड़कर उसे उल्टा लटका कर उससे कहती है "मुझे तेरी सात पीढ़ियों से अपनी पूजा नहीं करवानी सिर्फ तुझसे अपनी पूजा करवानी है, जल्दी बोल तैयार है, तो पेड़ से नीचे आराम से उतरूंगी नहीं तो जमीन पर सर के बल छोड़ती हूं जमीन पर सर के बल गिरने से बच गया तो जमींदार भूतनाथ भूत तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे, अब जल्दी बता तेरा क्या फैसला है।"

शम्मी को पता था कि बंजारन चुड़ैल का कहना नहीं माना तो ज़मीन पर सर के बल गिरते ‌ही तुरंत मौत हो जाएगी अगर नहीं हुई तो दोनों भूत मेरा इंतजार कर रहे हैं मेरी जान लेने के लिए और बंजारन चुड़ैल का कहना मान लिया तो अभी जान बच जाएगी आगे बंजारन चुड़ैल से पीछा छुड़ाने का रास्ता भी ढूंढ ही लूंगा।

इसलिए वह बंजारन चुड़ैल का कहना मान लेता है और बंजारन चुड़ैल शम्मी को अपने साथ उड़कर पान के तलाक के पास ले जाती है पीछे-पीछे जमींदार भूतनाथ भूत भी वहां पहुंच जाते हैं क्योंकि बंजारन चुड़ैल के हाथों जलकर मरने के बाद वह उससे बदला लेने का मौका ढूंढते रहते थे।

और जब बंजारन चुड़ैल तालाब से पान एक पत्ता तोड़कर उस पान के पत्ते में अपने मुंह का चबाए हुआ पान डालकर शम्मी को खाने के लिए देती है, तो जमींदार भूतनाथ भूत शम्मी से कहते है "पान चबाने के बाद बंजारन चुड़ैल कि चुटिया काट कर अपने पास रख लेना फिर यह तुम्हारी जिंदगी भर गुलामी करेगी।"

बंजारन चुड़ैल दोनों भूतों कि यह बात सुनकर उन्हें वहां से पत्थर मार मार कर भागने लगती है शम्मी पहले से ही जानता था कि चुड़ैल कि चुटिया काट लो तो वह वश में आ जाती है, इसलिए बंजारन चुड़ैल जब दोनों भूतों को भगाने में व्यस्त हो जाती है, तो उस समय शम्मी मौका देखकर बंजारन चुड़ैल कि चुटिया उसी के पान के तालाब के स्थान पर रखी कटार से काट कर अपने पास रख लेता है।

चुटिया कटते ही बंजारन चुड़ैल शम्मी के पैरों में गिरकर कहती है "मेरी चुटिया वापस दे दो जो तुम कहोगे मैं करूंगी।"
शम्मी गुस्से में कहता है "पहले इन दोनों भूतों को यहां से रवाना कर फिर उसके बाद में सोचूंगा तेरे साथ क्या करना है।" फिर स्वयं से ही शम्मी कहता है "मेरी जगह कोई और कमजोर दिल का आदमी होता तो उसे दिल का दौरा नहीं पड़ता बल्कि उसका दिल ही फट जाता वह तो शुक्र है मुर्दा घर में नौकरी करने कि वजह से मेरा दिल आम आदमियों से ज्यादा मजबूत है, वरना तुम भूत चुड़ैलों ने तो मेरी जान लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

बंजारन चुड़ैल शम्मी के पैरों पर गिरकर कहती है "मैं इतने वर्षों से आप जैसे ही इंसान का अपनी मुक्ति के लिए इंतजार कर रही थी, जब से आप रास्ता भटक कर इस वीराने में घूम रहे हो तो मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे तुम्हारा खून पीने के लिए घूम रही थी, क्योंकि युवा इंसानों का खून पीने से मैं जवान रहती हूं और मुझ में नई शक्ति और ताज़गी आतीं है लेकिन जब तुमने दो दिन से अपनी चिता के पास बैठे राजू पंडित को मिठाई का डिब्बा खाने के लिए दिया और गीदड़ कि लाश को गड्ढे में दबाकर दफनाया मैं तभी समझ गई थी कि वह इंसान आ चुका है, जो सत्कर्मी है और जिसके हाथों मेरी मुक्ति लिखी है। और जमींदार भूतनाथ भूत ने मुझे तुझे अपने बस में करने का मौका तुझे पेड़ पर उल्टा लटका कर दे दिया था, लेकिन तूने उन भूतों के कहने से मेरी चुटिया काट कर मुझे ही अपने वश में कर लिया है।"

"चल तेरी बकवास मैंने बहुत देर तक सुन ली अब मुझे इन दोनों भूतों से सुरक्षित रखते हुए गांव कि सीमा तक छोड़कर आ और अपने ठिकाने पान के तालाब के पास बैठकर मेरा वापस आने का इंतजार तब तक कर जब तक कि मेरी ममेरी बहन कि शादी नहीं हो जाती है, क्योंकि इससे पहले मैं तेरी चुटिया तुझे वापस करने वाला नहीं हूं।"
और फिर शम्मी चिल्लाकर जमींदार भूतनाथ के भूत से कहता है "तुम दोनों भी चिंता मत करो बंजारन चुड़ैल के साथ मैं तुम्हारी आत्मा शांति कि पूजा स्वयं गांव वालों के साथ मिलकर जरूर करूंगा।"
यह कहकर शम्मी अपना बैग उठाकर अपने मामा के गांव कि तरफ चल देता और उसके पीछे-पीछे बंजारन चुड़ैल बंजारन चुड़ैल के पीछे जमींदार भूतनाथ का भूत।

गांव कि सीमा में घुसते ही जमींदार भूतनाथ का भूत गांव के बाहर बने प्राइमरी स्कूल के आगे लगे पुराने पीपल के पेड़ के ऊपर उल्टा लटक कर झूलने लगते हैं, लेकिन रात के 3:30 बजे सर्दी कोहरे कि अंधेरी रात में शम्मी के मामा के घर कि चौखट तक पहुंच जाती है और गांव का कोई भी आवारा या पालतू कुत्ता उसे देखकर भोंकता है तो वह उसे जान से मार रही थी।

शम्मी सब कुछ देखकर इसलिए चुप था कि मैं एक साधारण इंसान हूं यह भयानक चुड़ैल और इसके पीछे दो भूत भी है अगर मुझसे कोई गलती हो गई तो इन तीनों को मेरी जान लेने में पल भर का भी समय नहीं लगेगा।
लेकिन जब बंजारन चुड़ैल शम्मी के मामा कि घर की चौखट से वापस जाने का नाम नहीं लेती तो शम्मी बंजारन चुड़ैल के हाथ जोड़कर कहता है "तुम मानती हो ना कि मैं सच्चा अच्छा इंसान हूं, तो मेरे ऊपर विश्वास करो मैं तेरी चुटिया दिए बिना वापस अपने घर कोलकाता नहीं जाऊंगा।"
"मेरे स्वामी मुझे चुटियां नहीं चाहिए मुझे बस अब मुक्ति चाहिए और जब तक मेरी चुटिया आपके पास है, मैं चाह कर भी वापस नहीं जा सकती हूं।" बंजारन चुड़ैल कहती है
"इतनी जल्दी में तेरी मुक्ति के लिए पूजा नहीं करवा पाऊंगा और जब तक मैं जीती जागती चुड़ैल को कहां छुपा कर रखूंगा।"शम्मी कहता है "ऐसी गलती मत करना वरना जमींदार भूतनाथ भूत जो स्कूल के आगे पुराने पीपल पर झूल रहे हैं, इसी समय तेरी जान ले लेंगे, क्योंकि तेरी हथेली के जख्म का लहू मेरी चुटियां से लग गया है, इसलिए दोनों भूतों को तेरी जान लेकर वह सुकून मिलेगा जो उन्हें मुझे कष्ट देखकर मिलता और मुझे कष्ट देखकर उनके शरीर कि जलने की जलन कम होती है।" बंजारन चुड़ैल शम्मी को चेतावनी देकर कहती है

शम्मी सोचता है इंसान तो झूठ बोल सकते हैं लेकिन कभी भी भूत प्रेत चुड़ैल झूठ नहीं बोल सकते और जब यह जीवित थी तो बहुत खूबसूरत स्त्री थी, इसलिए इससे विवाह करने में क्या दिक्कत और इन तीन भटकती आत्माओं को मेरी वजह से शांति मिलती है, तो यह पुण्य कर्म भी तो परमात्मा मेरे खाते में ही लिखेगा। इसलिए शम्मी कहता है "पहले तुम बंजारन कि वेशभूषा बदलकर गांव कि साधारण स्त्री बनकर मेरे सामने आओ मामा मामी को झूठी सच्ची कहानी सुना कर समझने के बाद पिता जी को तो मैं फोन करके समझ ही दूंगा कि किसी मुश्किल हालात की वजह से मुझे इस बेसहारा अनाथ मजबूर खूबसूरत लड़की से शादी करनी पड़ी।"

शम्मी का आदेश सुनते ही बंजारन चुड़ैल शम्मी कि ममेरी कि बहन का ही नया दुल्हन शादी का लाल रंग का सुर्ख जोड़ा पहनकर शम्मी के सामने आकर खड़ी हो जाती है।

बंजारन चुड़ैल को दुल्हन के कपड़ों में सजी सवारी देखकर शम्मी सोचता है मैं पूरी दुनिया में ढूंढता तो भी इस कस्तूरी बंजारन चुड़ैल से खूबसूरत दुल्हन मुझे नहीं मिल सकती थी।

और सुबह चार बजे जब शम्मी के मामा जी का मुर्गा बांग देता है, तो उस पालतू देसी मुर्गी को बंजारन चुड़ैल जिंदा खा जाती है।

तब शम्मी सोचता है चुड़ैल स्त्री में यही तो फर्क है, इसकी खूबसूरती पर मोहित होने से कोई फायदा नहीं क्योंकि इसका असली रूप बहुत ही भयानक और डरावना होगा इसलिए जल्दी से जल्दी इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने की मुझे सोचनी पड़ेगी।

बंजारन चुड़ैल कि चुड़ैल जैसी हरकतें देखकर शम्मी सोचता है सुबह-सुबह शादी वाले घर में चुड़ैल को ले जाना अच्छा नहीं होगा इसलिए दोपहर तक इस बंजारन चुड़ैल के साथ इसके पान के तालाब वाले ठिकाने पर ही बैठता हूं और बंजारन चुड़ैल को यह कहकर कि मैं पान के तालाब पर जा रहा हूं, तुम्हें आना हो तो आ जाना पान के तालाब कि तरफ चल पड़ता है।

और मामा मामी के घर से जब शम्मी प्राइमरी स्कूल कि तरफ से गांव की सीमा से बाहर जाने के लिए पीपल के पेड़ की तरफ से गुजरता है, तो उस समय उस पीपल के पेड़ पर जमींदार भूतनाथ भूत उसे नजर नहीं आते हैं वह समझ जाता है कि लोग सच कहते हैं कि सूर्य उदय होते ही बुरी आत्माएं नकारात्मक शक्तियों कि शक्ति कम हो जाती है और वह अदृश्य हो जाती है इसलिए घर के किसी कमरे में बहुत दिनों तक अंधेरा नहीं रखना चाहिए, क्योंकि उस कमरे में अंधेरा होने की वजह से भूत प्रेतों का निवास हो जाता है।

यह सोचते सोचते जब शम्मी को महसूस होता है कि बंजारन चुड़ैल उसके पीछे-पीछे नहीं आ रही तो शम्मी पीछे मुड़कर देखता है, तो बंजारन चुड़ैल उसका सामान का बैग हाथ में पकड़ कर ला रही थी और रात को शम्मी ने मशाल बनाने के लिए बैग को फाड़ कर जहां से रूई (डेवलप) निकली थी, बैग के उस हिस्से को न जाने कहां से सुई धागा लेकर सिलती हुई आ रही थी।

शम्मी उसे देखकर सोचता है जब यह जिंदा होगी तो बहुत अच्छी पत्नी होगी उस नीचे भूतनाथ से शादी होने के बाद इस बेचारी को अपनी जान से भी हाथ धोने पड़े।

पान के तालाब पर पहुंचने के बाद शम्मी जब देखता है कि गांव का एक परिवार बंजारन चुड़ैल के स्थान पर जहां उसने आत्महत्या कि थी, पान फूल नारियल सुहागन का सिंगर कटार बताशे लॉन्ग जायफल चढ़ा रहा था।

तो शम्मी उस परिवार से पूछता है? "आप लोग किस देवी की पूजा कर रहे हो।"

वह परिवार बताता है "न्याय की देवी कस्तूरी बंजारन की।"

तो शम्मी ऐसे खुश होता है कि जैसे कि वह परिवार उसकी बिहाता पत्नी को मान सम्मान दे रहा हो लेकिन जब वह सूरज की रोशनी में बंजारन चुड़ैल को ध्यान से देखा है, तो वह चेहरे से आदमखोर शेरनी लग रही थी और उसकी पूजा करने आए उन माता-पिता के जवान बेटे को ऐसे देख रही थी जैसे अभी उसका सीना फाड़ कर लहू की जाएगी, क्योंकि बंजारन चुड़ैल को युवा अवस्था में उसके युवापति भूतनाथ ने धोखा दिया था, इसलिए बंजारन चुड़ैल युवाओं से नफरत करती थी, और युवाओं का खून पीने से ही वह युवा रहती थी।

शम्मी अपने मन में कहता है "जिसे यह देवी समझ रहे हैं, वह अपनी मुक्ति के लिए मेरी गुलाम बन गई है।"