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ज्योतिष एव शुभ अशुभ विचार

ज्यातिष एव शुभ अशुभ विचार---

मनुष्य सदैव से जागरूक एव ईश्वर वाद के जीवन दर्शन को स्वीकार करता है एव अपने पल प्रहर प्रति दिन के जीवन मे ईश्वर का आशीर्वाद मार्ग दर्शन चाहता हैं ।मगर अनीश्वरवादी लोंगो का मानना है कि शुभ अशुभ मानव मन की कल्पना है काल अपनी गति से चलता है एव उसमें उतार चढ़ाव किसी शुभ अशुभ के कारण नही होता मगर यह सत्य है कि व्यक्ति के जीवन मे घटने वाली घटनाओं के संकेत मिलते है जिससे मनुष्य सतर्क हो जाय तो हानि को कम किया जा सकता है।जब घर से कही बाहर जाते समय कुछ घटनाएं तो उद्देश्य का परिणाम तक बता देती है घर से निकलते समय पान का पत्ता ,मछ्ली, हाथी अर्थी दिखे तो शुभ संकेत घर से निकलते समय दूध ,खाली वर्तन, कूड़ा दिखे तो असफलता का सूचक है यदि फूल या माला दिखे तो मांगलिक कार्य के होने की सूचना है।
घर से निकलते समय झींक आये तो अशुभ होता है लेकिन सदैव घर से बाहर निकलते समय झींक अशुभ हो जरूरी नही यदि कोई बीमारी मौसम के अलावा एक एक झींक आती है तभी महत्व हो सकता है ।
जब भी कोई व्यक्ति घर से बाहर निकलता है तो उसके मन मे घर से बाहर जाने के उद्देश्य पूर्ति ही मूल रहती है लेकिन घर से बाहर निकलते वक्त कुछ ऐसे संकेत मिलते है जिनसे संभावित उद्देश्य की पूर्ति या ना पूर्ति के स्पष्ट संकेत प्राप्त होते है।
1-यदि जाते हुए रास्ते मे गिरा सिक्का मिल जाय तो जिस काम के लिए जा रहें है उसके पूर्ण होने में बिलम्ब है। 2-यदि रस्ते में गिरा हुआ रुपया मील जाय तो उद्देश की सफलता की संभावना प्रबल होने के संकेत है।
3-यदि रास्ते मे सिक्का एव रुपया दोनों मिल जाय तो जिस उद्देश्य के लिये जा रहे है वह किसी सहयोग से पूर्ण होगा।
4-घर से निकलते समय यदि आपके पैर किसी कीचड़ या गंदगी गोबर में पड़ जाय तो किसी समस्या के संकेत है ।
5-यदि रास्ते मे मिलने वाले धन का संकेत शुभ ना हो तो उस धन को तुरंत मंदिर में दान कर दे।
6-यदि घर से निकलते किसी भिखारो को कुछ दान देते है तो निश्चित कोई ऋण उतरने वाला है।
7-यदि घर से निकलते समय कलम रुमाल भूल जाए तो निश्चित विवाद की नौबत आने वाली है।
8-खुदाई के दौरान मारे जीव का मिलना या घर मे चूहे विशेष कर काले चूहे दिखना आने वाली मुसीबत विपत्ति के संकेत है।
9- घर के सामने मुंह करके कुत्ते का रोना मुसीबत या किसी मृत्यु के संकेत
घर मे चमगादड़ का आना रहना भवीष्य में होने वाली दुर्घटनाओं के संकेत हैं।
9-यदि आंगन में कोई घायल पक्षी गिरे तो निश्चित रूप से भविष्य में किसी होने वाली दुर्घटना के संकेत है।
10-उल्लू आकर घर पर बैठे या घर के आस पास आवाज करे घर मे विपत्ति के संकेत है।
11-घर मे बिल्लियों का लड़ना पारिवारिक कलह की ओर संकेत है। घर मे लाल चींटियों का आना किसी बड़े नुकसान के संकेत है।
12-घर मे दीमक या मधुमक्खी छत्ता होने पर गृह स्वामी के स्वास्थ के अशुभ संकेत है।
13-मेढ़क का घर मे आना शुभ माना जाता है धन प्रतीक के शुभ है।
14-घर मे तोता आना शुभ होता है।
कछुआ आना घर के लिये शुभ होता है।
14-पितृ पक्ष में नई चीजें खरीदना वर्जित है या अशुभ है इस संदर्भ में ना तो ज्योतिष में ना ही धर्म ग्रंथो में कुछ लिखा या कहा गया है।
15-घर मे दो मुहा सांप का आना शुभ है और धनधान्य प्राप्ति के संकेत है। 16-काली चींटियों का घर मे आना शुभ है घर में यदि बिच्छु कतार बनाकर बाहर जाते दिखाई दे तो लक्ष्मी जाने के स्पष्ठ संकेत है ।
17-पीला बिच्छू माया का प्रतीक है पीले बिच्छू का घर से निकलना लक्ष्मी आगमन के संकेत है।
18- जिस घर मे बिल्लियों द्वारा गंदगी फैलाई जाती है वहा शुभ के संकेत है।19-घर के दरवाजे पर गाय जोर से रंभाये निश्चित घर मे शुख संवृद्धि की बृद्धि है।
20-घर मे प्राकृतिक रुप से कबूतरों का वास शुभ होता है।
21-घर मे मकड़ी का जाला अशुभ संकेत है। घर मे छछुंदर घूमते है शुभ संकेत है।
22-घर के छत पर कोयल सोंन चिरैया का चहचहाना शुभ संकेत है।
23-घर की छत पर टिटिहरी कौआ लल्लू बोले अशुभ के संकेत है।
24-घर के सामने हाथी सूद ऊंच करे शुभ संकेत है घर मे भरे का आना शुभ है।
25-यदि नव निर्मित घर पर गिद्ध बैठ जाए तो भयंकर अशुभ के संकेत है।
26-अगर कही जा रहे हो सामने सुहागन स्त्री या गाय आ जाय शुभ संकेत है।
27-कही जाते समय कपड़े पहन रहे हो और पैसे गिर जाए शुभ होता है।
सोकर उठे भिखारी सामने आ जाये शुभ संकेत।
28-सोकर उठते ही नेवला दिख जाय शुभ संकेत है।
29-किसी काम पर जाते समय कोई गुड़ लेकर जाता दिख जाए तो शुभ संकेत है।
30-यदि रास्ते मे जाते समय चिड़िया बिट कर दे तो शुभ संकेत है।
31-यदि जागते ही शंख घंटा भक्ति सुनाई दे तो शुभ संकेत है।
32-यदि जागते ही कौवे की आवाज सामने प्रत्यक्ष सुनाई दे तो घनघोर बिपत्ति अशुभ के संकेत है।
यदि जागते ही दूध दही से भरा पात्र दिखे शुभ संकेत है।
33-यदि कही जाते समय रास्ते मे फूल या हरि घास लेकर कोई जाता मिल जाय तो शुभ होता है।
34-यदि रास्ते मे दूध दही से भरे बर्तन दिख जाए शुभ संकेत हैं।
35-यदि यात्रा में कही रास्ते मे ईश्वर की आरती सुनाई दे शुभ संकेत है।
यदि रास्ते मे हंसता खेलता बालक या फल फूल बेचने वाला दिखे शुभ संकेत है।
36-यदि घर से बाहर निकलते समय वर्षा से भीग जाय शुभ संकेत।
ब्राह्मण ,घोड़ा,हाथी,बाज़,मोर,दूध दही, फल फूल,कमल,भक्ति संगीत,अन्न ,जल से भरा कलश ,बंधा पशु,मछली,प्रज्वलित अग्नि,छाता, वैश्य ,कोई शत्र कोई भी रत्न, स्त्री, कन्या ,धुले वस्त्र के साथ धोबी दिख जाए ,घी ,मिट्टी ,सरसो , गन्ना, शव यात्रा,पालकी ,ध्वजा ,बकरा,अपना प्रिय मित्र,बच्चे सहित स्त्री,गाय बछड़ा सहित,सफेद बैल,साधु ,कल्प बृक्ष ,शहद ,शराब,या कूड़े से भरी टोकरी ,सामान से लदा बहन,यदि यात्रा के समय कुछ भी राह में पड़ जाय तो शुभ होता है।
शुभ प्राणि --गाय,कली चींटी,हांथी, बिल्ली,कबूतर मोर ,पीला बिच्छू, मोर,दोमुंहा सांप छछुंदर कबूतर ।
अशुभ प्राणि -काले छुहे,चमगादड़, कौआ,मकड़ी,कुत्ता,।

यात्रा और शुभ अशुभ विचार--


ब्रह्मांड प्रकृति में नित्य प्रति दिन ऐसी घटनाएं घटित होती है जो प्राणि के विकास ह्रास का वर्तमान में संकेत देती है जिसका प्रभाव विशेषकर मानव समाज पर पड़ता है क्योंकि मानव ही ऐसा प्राणि है जिसके पास सोचने समझने एव किसी तथ्य तत्व को खोजने की क्षमताएं निहित है।मै सदैव ज्योतिष विज्ञान की वह सच्चाई मानव समाज के समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूँ जो उसके जीवन के पल प्रति पल से संबंधित होती है ।मुस्कान जैसी ख्याति लब्ध पत्रिका के माध्यम से मेरा प्रायास सदैव ज्योतिष विज्ञान के सार्थक विषयो के प्रति जन सामान्य के ज्ञान को जागरूक करना एव उसकी सत्त्यार्थ से अवगत कराना होता है ।मुस्कान के पिछले अंक में मैन स्वप्न एव उसके प्रभाव को जन जन तक पहुचने का एक प्रायास किया था तो आगामी अंक में शुभ शकुन पर अपनी जानकारी साझा करने की एक कोशिश है।ज्योतिष शास्त्र के संघीता विभाग में शुभा शुभ शकुनो का वर्णन है।बृहद संघीता के अनुसार मनुष्य ने पूर्व जन्म में जो शुभा शुभ कर्म किये है शकुनं उनके शुभाशुभ फल दर्शाते हैं।
मंगलवार--पूर्व एव दक्षिण यात्राओं के लिये शुभ होता है।
बुधवार--पूर्व एव पश्चिम यात्रा के लिए शुभ होता है।
गुरुवार--दक्षिण को छोड़ सभी दिशाओं के लिये शुभ होता है।
सुक्रवार --शाम को शुरू की गई यात्र के लिये शुभ होता है।
शनिवार--अपने घर छोड़कर कही के यात्रा के लिये शुभ नही होता है।
न चाहते हुए भी यदि यात्रा आवश्यक है तो और दिशाशूल है तो यात्रा दोष को दूर करने के लिये ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए है।
प्रतिपदा हिन्दू पंचांग की पहली तिथि प्रतिपदा कही जाती है इस दिन चंद्रमा अपनी नई यात्रा पर निकलते है यह तिथि मंगलकारी होती है लेकिन इस दिन यात्रा अशुभ माना जाता है।
द्वीतिया तिथि को यात्रा शुभ मानी जाती है।
तृतीया तिथि तीज को यात्रा कल्याण कारी होती है।
चतुर्थ दिवस की यात्रा शुभ नही होती है।
पंचमी की यात्रा शुभ होती है ।
षष्टी को यात्रा हानिकारक होती है।सत्तमी कि यात्रा अशुभ होती है।अष्ठमी की यात्रा हानिकारक होती है।नवमी इस तिथि को उग्रा कहते है कोई शुभकार्य वर्जित है।
दसमी को धर्मीनि कहा जाता है इस तिथि की यात्रा शुभ होती है।
एकादसी को ग्यास कहा जाता है इस तिथि को प्रारम्भ सभी कार्यो का फल शुभ होता है।
द्वादसी को यशोबला कहते है इस दिन कोई भी कार्य हानिकारक हो सकता है।
त्रयोदसी तेरस को कोई कार्य करने पर शुभ मंगल होता है।
चतुर्दशी इस दिन कोई भी कार्य बर्जित है।
पूर्णिमा को गुरु चद्रमा एक नक्षत्र में होते है इस दिन कोई यात्रा शुभ नही होती लेकिन यदि यात्रा रात्रि में की जाती है तो शुभ मंगल की संभावना रहती है।

यदि राहु के साथ बृष राशि मे मंगल है अंगारक योग बनता है जो खतरनाक होता है हिन्दू पंचांग की तीसवीं तिथि अमावस्या कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन होता है इस तिथि की यात्रा बेहद अमंगलकारी होती है।

यात्रा के दिशाशूल--रविवार-पूर्व,
सोमवार-आग्नेय कोण
मंगलवार-उत्तरदिशा
बुधवार-ईशान एव नैऋत्य कोण
गुरुवार-दक्षिण दिशा
शुक्रवार-वायव्य कोण
शनिवार--पूर्व दिशा

योगिनिवास दिशाशूल--उभयपक्ष तिथि 1/9-पूर्व दिशा 3/11-आग्नेय कोण दक्षिण दिशा 4/12 नैऋत्य कोण 6/14 पश्चिम 7/15 वायव्य 2/10 उत्तर 8/30 ईशान कोण यात्रा नही करनी चाहिए।

नक्षत्रवार दिशाशूल--ज्येष्ठा -पूर्व दिशा पूर्वा भाद्रपद-दक्षिण, रोहिणी-पश्चिम दिशा उत्तरा फाल्गुनी -उत्तर दिशा।

दिन के अनुसार किये जाने वाले यात्रा के उपाय--
रविवार-दही शक्कर या पान इलाइची खा कर यात्रा शुरू करे।
सोमबार--खीर खा कर यात्रा प्रारम्भ करे।
मंगलवार -गुड़ खा कर यात्रा प्रारम्भ करे।
बुधवार-दूध पीकर यात्रा शुरू करे।
गुरुवार-दही या जीरा खा कर यात्रा शुरू करे।
शुक्रवार--मीठा दूध या लस्सी पी कर यात्रा शुरू करे।
शनिवार-उड़द दाल की खिचड़ी खा कर यात्रा शुरू करे।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश