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इनाम

                                                          कहानी -  इनाम 


देव और गौरव दोनों  भोपाल के एक स्कूल में पढ़ते थे  . वैसे तो दोनों पढ़ने लिखने में अच्छे थे , पर देव क्लास में अव्वल था तो गौरव टॉप टेन  में होता था  .स्कूल के बाद  दोनों  ने फिर एक ही  कॉलेज में एडमिशन लिया था   . वहां भी देव ही अव्वल रहता था   . दोनों में न मित्रता थी न ही शत्रुता , पर प्रतिस्पर्धा अवश्य थी   . 
इत्तफाक से  पढ़ाई के पश्चात दोनों को कैंपस से  मुंबई की एक कंपनी में नौकरी मिली   . दोनों खुश थे   . इसी बीच देव के पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे  . देव उनकी देखभाल में लगा था   . इस कारण उसने कंपनी से ज्वाइन करने की तिथि में दो  महीने की छूट ले ली  . उधर गौरव ने  नियत तिथि पर नौकरी ज्वाइन कर ली    . 


पिता के स्वस्थ होने के उपरांत  करीब  दो महीने बाद देव ने भी कंपनी ज्वाइन कर लिया   . हालांकि इंटरव्यू के लिखित और मौखिक दोनों टेस्ट में देव टॉप रहा था , पर कंपनी के नियमानुसार वरीयता में ज्वायनिंग तिथि के आधार पर गौरव सीनियर था   .


देव बहुत मेहनती , कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार कर्मचारी था   . इसके विपरीत गौरव आरामतलब  था  और अपने सीनियर को  मस्का भी खूब लगाता था  . अपनी वरीयता के रोब  में अक्सर वह अपना काम देव पर टाल देता    .देव हमेशा अपने काम के अतिरिक्त गौरव का काम भी शेड्यूल के पहले पूरा कर देता था  . इस बात की खबर कंपनी में सभी को थी  . देव का बर्ताव भी सीनियर और जूनियर सभी से मित्रतापूर्ण था  .  पर अपनी वरीयता और मस्काबाजी  के चलते गौरव को प्रमोशन पहले मिल गया   . इसके बावजूद देव अपना काम पहले की तरह मन लगाकर कर रहा था   . 


एक शुक्रवार  के  दिन गौरव ने इंटरकॉम पर देव से कहा  “  मुख्यालय से चेयरमैन साहब का फोन आया है   . इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन सोमवार को देना है  . अब तो शाम हो चली है  . इसलिए शनिवार और रविवार को भी तुमको ऑफिस आकर प्रोजेक्ट रिपोर्ट पूरी  करनी होगी    . “


फिर गौरव ने अपनी सेक्रेटरी को बुला कर कहा  “ मिस जूली , आप प्रोजेक्ट की फाइल देव साहब को दे दें   . “


जूली ने फाइल देव को दे दिया   . गौरव फिर बोला “ शेड्यूल पर काम हो जाना चाहिए देव  . नो स्लिपेज , वरना चेयरमैन बहुत नाराज होंगे   . रिपोर्ट मेरे टेबल पर रख देना , सोमवार सुबह मैं देख लूंगा   .  वैसे मैं भी आता , पर पत्नी कल  मैके से लौट रही है , इसलिए नहीं आ सकूंगा   . “


“ ओके  डोंट वरी   . “


इधर देव ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ वीकेंड  में मस्ती करने का प्रोग्राम बनाया था   . एक दिन पूरा रिसोर्ट में और दूसरे दिन मूवी और होटल में  डिनर का इरादा था   .  शुक्रवार घर लौटा तो थका हारा था   . घर पर आते ही फाइल और लैपटॉप टेबल पर पटक कर पत्नी  शीला से बोला “ जल्दी एक कप चाय पिलाओ , बहुत काम करना है   . कल परसों दोनों दिन ऑफिस भी  जाना है   . “


“ और बंटी को कैसे समझायेंगे  ? सप्ताह भर से मूड बनाये बैठा है रिसोर्ट में मौज मस्ती करने का   . “


“ उसे हम मना लेंगे  . कोशिश करूंगा संडे को मूवी और डिनर का प्रोग्राम यथावत रहे   . “


देव ने पूरी  लगन से काम करते हुए रविवार की दोपहर तक काम पूरा कर रिपोर्ट गौरव के   टेबल पर रख दिया   . फिर ऑफिस से ही फोन कर पत्नी से कहा “ शीला , खुशखबरी है   . मेरा काम पूरा हो गया है   . मैंने मूवी की टिकटें बुक कर ली हैं   . इवनिंग शो में चलते हैं और उसके बाद डिनर भी बाहर होटल में करेंगे   . तुम लोग तैयार रहना   . “


देव अपनी  पत्नी और बेटे के साथ मल्टीप्लेक्स में मूवी देखने  गया  . वहां उसने अपने  से दो कतार आगे की कार्नर सीट में गौरव और जूली को साथ बैठे देखा   . गौरव ने अपनी  बाँह को जूली के कंधे तक फैला रखा था   . देव ने देखा कि मूवी ख़त्म होने के कुछ मिनट पहले ही गौरव और जूली हॉल से निकल गए  . हॉल से निकल कर देव पत्नी और बेटे के साथ होटल में डिनर के लिए गया  . वहां भी पार्किंग में उसने देखा कि गौरव कार पार्क कर जूली के साथ लिफ्ट की ओर जा रहा था   . देव ने अपना इरादा बदल कर दूसरे होटल में डिनर करना उचित समझा  . वह सपरिवार दूसरे होटल में डिनर के लिए गया   . 


सोमवार सुबह समय से पहले ही देव ऑफिस में मौजूद था  . न गौरव आया न ही जूली   . देव ने देखा कि जूली एक घंटे देर से आयी और अपने  टेबल पर बैठी  काफी खुश दिख रही थी   . फिर उसने जूली से गौरव के बारे में पूछा तो बोली  “ बॉस अपनी पत्नी को लेने एयरपोर्ट गए हैं   . वे दोपहर तक ऑफिस में आएंगे   . “


दोपहर लंच के बाद गौरव  अपने चैम्बर में गया तो पीछे से देव भी गया   . वह बोला “ मैंने प्रोजेक्ट रिपोर्ट संडे को ही आपके  टेबल पर रख दिया था   . आप एक बार खुद देख लें   . “


“ देव , मैंने कभी तुम्हारी रिपोर्ट पर कोई टिपण्णी की है ?  तुम्हारा काम ए वन होता है   . यू रिलैक्स , मैं सरसरी निगाह से देख लूंगा   . वैसे भी जल्दी नहीं है   . चेयरमैन साहब ने कहा है कि अगले सोमवार को वे आ रहे हैं , उसी दिन प्रेजेंटेशन दिया जायेगा   . “


देव अपने  टेबल पर चला गया   . वह रिलैक्स्ड महसूस कर रहा  था उसने सोचा कि आज  काम का प्रेशर नहीं है   . थोड़ा पहले ही घर जा कर बीबी बच्चे को सरप्राइज करेगा  . यह सोच कर वह गौरव को सूचित करने के लिए उसके चैंबर में गया  . उसने केबिन का दरवाजा जरा सा ही खोला था कि गौरव की बात सुन कर वहीँ ठिठक गया   . गौरव की पीठ दरवाजे की तरफ थी और वह चेयरमैन से बात कर रहा था  “ यस सर , नो डाउट  देव का काम काबिले तारीफ़ है  . पर फ़िलहाल मैं  उसके प्रमोशन और ट्रांसफर के पक्ष में  नहीं हूँ   . उसके जाने से इस यूनिट का काम बहुत सफर करेगा   . फ़िलहाल उसको जैसा है , जहाँ है वहीँ  रहने दीजिये  . वैसे कंपनी के नए ब्रांच के लिए आपको  एक आदमी की जरूरत है तो एक आदमी है मेरी नजर में  . “


शायद चेयरमैन ने पूछा होगा , तभी गौरव बोला  “  सर , अर्जुन है न आपके ऑफिस में , वह मेरा साला है. आप देव के बदले उसे ही प्रोमोट  कर के वहां पोस्ट कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकी  . “


उधर से चेयरमैन ने कुछ कहा  , जिस पर गौरव बोला “ यस सर   . आप आएं तो सही   . जूली बिलकुल फ्री रहेगी आपकी सेवा के लिए  . मैं डर रहा था कि कहीं आप जूली के भी ट्रांसफर की तो नहीं सोच रहे हैं ? “


चेयरमैन की बात सुन कर  गौरव बोला “ थैंक यू सो मच सर  . आई विल बी ग्रेटफुल टू यू . वैसे देव को भी खुश करने के लिए क्यों न हमलोग देव को प्रमोशन के बदले बेस्ट एम्प्लॉयी का पुरस्कार दे दें   . “


देव  दरवाजा बंद कर अपने टेबल पर चला गया   . उसने जूली को फोन कर कहा “ गौरव अगर पूछे तो बता देना कि मुझे कुछ काम था , मैं चला गया   . “


अगले सप्ताह मुख्यालय से चेयरमैन साहब पधारे थे   . देव ने अपने बनाये प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन दिया   . चेयरमैन ने प्रेजेंटेशन की भरपूर प्रशंसा की  . एक विशेष समारोह में उन्होंने अनाउंस  किया “ मुझे यह कहने में अत्यंत ख़ुशी हो रही है कि मैनेजमेंट देव के काम से बहुत खुश है  . देव जैसे कर्मचारी पर कंपनी को गर्व है   . इसलिए मैनेजमेंट ने उसे बेस्ट एम्प्लॉयी के पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है   . मिस्टर देव , आप कृपया मंच पर आ कर  अपना पुरस्कार स्वीकार करें  .  


पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा   . देव ने अपना पुरस्कार स्वीकार किया   . एक मैडल , एक प्रशस्ति पत्र और एक लाख  रुपये का चेक उसे मिला    . 


उसने माइक हाथ में ले कर चेयरमैन से  कहा  “ इस इनाम  के लिए मैं प्रबंधन का आभारी हूँ और  विशेष कर  गौरव का आभारी हूँ  क्योंकि इन्हीं की  बदौलत मुझे प्रमोशन के बदले यह इनाम मिला है. मैंने अपना त्याग पत्र आपके  टेबल पर रख दिया है  .” 


फिर  देव ने  चेयरमैन से हाथ मिलाया और  वह गौरव की ओर  व्यंगात्मक  हँसी  बिखेरते हुए अपनी सीट पर चला गया   . वहां मौजूद सभी लोग आश्चर्य से कभी देव को तो कभी गौरव को देख रहे थे . 


                              

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