Pyar ek anokha rishta - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २६

सुनील के साथ जीनत फ्री होकर डांस करने लगी पर हिना को अनकम्फर्टेबल लग रहा था तो वहां से नीचे आ गई।
और सिर्फ खड़े हो कर देखने लगी।
आभा ने कहा कि अरे हिना तुम भी जाओ।
हिना ने कहा अरे नहीं मम्मी जी।
फिर कुछ रिश्तेदार भी खाना खाने के बाद चले गए।
फिर कुछ देर बाद घर के लोग भी ख़ाना खाने लगे और फिर सब अपने अपने कमरे में चले गए पर राज और सुनील अब तक बाहर ही बातें करते रहे और उनका साथ परी दे रही थी।
ये सब कुछ हिना अपने कमरे की खिड़की से झांक कर देख रही थी।
जीनत ने कहा अरे बाबा अब भूल जा उसे।।
हिना ने कहा सच्चा प्यार वो शाश्वत है जैसे हम अपनी मौत को नहीं टाल सकते हैं ठीक वैसे ही अपने सच्चे प्यार को स्वयं के भीतर से नहीं निकाल सकते हैं।
कहते कहते हिना रोने लगी तो जीनत ने अपनी गले लगा लिया और फिर बोली रो लो अब ये आंसु ही तो बचे हुए हैं तेरे पास।
उधर नीचे सुनील राज को शायरी करने को बोला।
राज ने कहा अच्छा ठीक है सुन।
तेरे एहसासों की बेचैनियां हमें सोने नहीं देती ये कम्बक्त नींद भी रूठीं है अपनी बाहों में नहीं लेती यूं तो दर बा दर हम तुमको ही ढूंढते हैं पर तेरी बीती बातों की गर्माहट मेरे हृदय को सूकून लेने नहीं देती।।

सुनील ने कहा बाबा रे।।
परी ने कहा अरे बाबा मैं तो चली।
सुनील ने कहा एक मिनट परी ।।
सुनील ने परी के पास जाकर कहा आई लव यू एंड आई विल मैरी यूं।
परी तो एकदम से खुश हो गई और बोली अरे बाबा एक बार में ही।
परी ने फिर कहा ओके आईं डू।
और फिर शरमाते हुए वहां से भाग गई।
राज ने कहा अरे यार तू भी ना।
सुनील ने कहा अरे बाबा सच में मुझे शादी करनी है।
राज ने कहा ओह माई गॉड अब चल सोने चले।



एक बार फिर इश्क करेंगे हम अभी सिर्फ भरोसा उठा है जनाजा नहीं,।।
ये राज ने कहा और फिर ये सब कुछ हिना पीछे से सुन रही थी क्योंकि उसे पानी का बोतल लेना था उसके रूम का पानी खत्म हो गया था।
पर हिना उल्टे पांव अपने कमरे तक चली गई और फिर उसने दरवाजा बंद कर दिया और फिर पलंग पर जाकर फूट फूटकर रोने लगी।


फिर किसी तरह से रात निकल गई कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया।

सूरज की किरणे तो चारों तरफ फ़ैल चुका था पर हिना की आंख नहीं खुली।
जीनत जब उठी तो उसने हिना को उठाने की कोशिश कि पर हिना नहीं उठी।
जीनत को एक डर सा लगा और फिर वो‌ दरवाजा खोला और बाहर निकल कर चिल्लाने लगी।
उसकी आवाज सुनकर सब लोग वहां पहुंचे और फिर जब जीनत ने बताया कि हिना नहीं उठ रही है तो यह सुनते ही राज पागलों की तरह हिना को उठाने लगा पर यह क्या शरीर इतना ठंडा कैसे?
सुनील ने तुरंत डॉक्टर को फोन किया और फिर कुछ देर बाद ही डाक्टर साहब आ गए।
उन्होंने हिना को अच्छी तरह से देखा और फिर एक इंजेक्शन लगा दिया और बोले कि आप यह दवा लेकर आइए।
राज ने कहा पर इनको हुआ क्या है।
डॉ ने कहा अरे नर्वस ब्रेकडाउन हुआ है कोई बात इनके दिल को चुभ गई है इसलिए।
मैं कुछ टेस्ट दिया हुं करवा लीजिए।
राज ने कहा पर होश कब आएगा?
डॉ ने कहा हां कुछ देर बाद।
फिर डॉक्टर वहां से चलें गए।
राज भी दवा लेने चला गया।

घर के पास ही एक दवा की दुकान थी राज जल्दी से उस दुकान पर चला गया और पर्चा देख कर ही सारी दवाई समझा कर दे दिया।
राज को कुछ भी नहीं समझ आ रहा था कि आखिर क्यों हुआ ऐसा।
हिना को क्या तकलीफ़ है?
फिर किसी तरह से घर में पहुंच कर मालती को नाश्ता लेकर आने को कहा।
ऊपर पहुंच कर जैसे ही कमरे पहुंचा तो देखा कि हिना को होश आ गया था सब कोई उसको समझा रहे थे।
जीनत ने कहा हां आंटी अब आप लोग ही इसे समझा दीजिए क्योंकि डाक्टर ने कहा कि अगर ये हाल रहा तो अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा।
राज ने यह सुनते ही कहा नहीं। हिना अस्पताल नहीं जा सकती हैं उसे तो वहां डर लगता है।
सब राज को देख रहें थे।कि यह क्या बोल रहा है।।

राज अतीत में चला जाता है अरे बाबा बस करो तुमको कब से बरसात पसंद आने लगा?
हिना हंसती मुस्कुराती नाचती एक चंचल मोरनी की तरह बस फिर क्या था उसे रात को बुखार आ गया।हम लोग एक कालेज की तरफ से ट्रिप पर गए थे।
जब जीनत ने आकर बताया कि हिना बेहोश हो गई है मैं तो पागल सा सीधे डाक्टर के पास जाकर उन्हें लेकर आ गया।
डाक्टर ने देखते ही कहा अरे इसे निमोनिया हो गया है तो अभी अस्पताल भर्ती करवाना होगा।
राज और बाकी दोस्तों ने मिलकर तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया और फिर जब हिना को होश आया तो वो पुरे अस्पताल को अपने सर पर उठा लिया और फिर चिल्लाने लगी तोड़ फोड़ करने लगीं।
राज ने कहा अरे बाबा तुमको निमोनिया हो गया है कल मैंने समझाया था कि ज्यादा बरसात में मत भीगो पर मेरी तो सुनती नहीं हो तुम लो अब।
फिर डाक्टर साहब आ गए और बोले कि अरे हिना क्या बात है तुम ऐसा क्यों कर रही हो?
दिमाग से बीमार हो क्या?
हिना ने कहा क्या मैं पागल हुं।।।
राज ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है हम इसे लेकर जाते हैं।
हिना ये सुनकर शान्त हो गई और बोली हां अब ठीक है।
राज ने कहा बच्चों जैसी जिद्दी हो तुम।।
राज ने कहा ठीक है आप इसको डिस्चार्ज कर दिजिए।
डाक्टर ने कहा ठीक है एक नर्स को भेज देता हूं।

फिर राज ने सारी फोमालेटिज पुरी किया और रात को ही हिना को वापस होटल पर लेकर आए।
सुबह को हिना धीरे-धीरे ठीक होने लगी थी क्योंकि उसको एक घर का माहौल मिला था अस्पताल का नहीं।।

हिना कुछ दिनों बाद बिल्कुल ठीक हो गई।
राज अभी तक अतीत में ही सोच रहा था।।।।।।।।।।।

सुनील ने कहा हां कहां गए हो भाई?
और फिर राज ने कहा हां मैं ठीक हूं।।
सुनील ने अरे दवा तो दे दो जीनत को।।
राज ने कहा हां, ये लीजिए।

फिर कुछ देर बाद सब हिना के रूम से चले गए।
जीनत ने दवा देते हुए कहा कि क्या हो गया था तुझे एकदम से तु सुन्न पड़ गई पता है कितना डर गए थे सब।।
हिना बिल्कुल खामोश हो गई थी वो अब जीना ही नहीं चाहती थी।।।
जीनत ने कहा देख हिनू तु मेरे साथ चल बस।
हिना ने सिर्फ देखा और फिर सो गई।
सब रात को डिनर करने बैठ गए राज नहीं आया।
सुनील और परी आपस में बातचीत करते हुए खाना खाने लगे।
कुछ देर बाद जीनत आकर बोली आंटी हिना का खाना उसके रूम में दे दीजिए।
आभा ने कहा हां, ठीक है।
और फिर जब जीनत की नजर सुनील और परी पर पड़ी तो उसको समझते हुए देर नहीं लगा कि यह दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं और हिना तो।
ओह माई गॉड अब समझ आया।
फिर जीनत ऊपर जल्दी से जल्दी पहुंच कर हिना को उठाने लगी।
हिना जैसे ही उठ कर बैठ गई तो जीनत ने सब कुछ बोल डाला और फिर दरवाजे के बाहर से राज जो कि हिना का खाना लेकर आया था वो यह सब सुन कर खुद को कोसने लगा और उल्टे पांव नीचे जाकर मालती को प्लेट देकर बोला कि मुझे एक काम याद आ गया मैं अभी आता हूं।
फिर राज एकदम से घर से निकल गया।
और बाहर निकल कर खुब रोने लगा।
और फिर गाड़ी में बैठ गया और फिर बोला ओह मैं कितना पागल हुं एक ग़लती पर गलती करता जा रहा हूं बस।। मुझे कोई हक नहीं है हिना को दुःख देने का। वैसे भी मेरी वजह से वो बहुत ही परेशान हैं और फिर मैंने एक बार भी नहीं सोचा कि क्यों सब बोल रहा हूं क्या बोल रहा हूं??
वो लम्हे थे ही नहीं तुम्हारे पास,जिनपे हक हो मेरा तुम जब भी आएं यहां,अपना दिल बहलाने आएं।।।

प्रतिदिन तुम्हारे साथ व्यतीत किए पल पर विरह, वेदना, पीड़ा, प्रेम पर कविताएं लिखना, कभी तुम्हारे प्रेम को जीना तो कभी तुम्हारे तिरस्कार पर हृदय को सांत्वना देना, कभी तुम्हारी बीती बातों पर हंस देना, तो कभी हंसते हंसते रो देना।।

फिर राज गाड़ी स्पीड बढ़ा कर निकल गया।
और उधर हिना भी अपने आंसु को समेटे हुए मन में बोली।।
बस
जानते हो तुम
तुम्हारी विरह में
मृत्यु चुनना आसान था।
मेरे लिए पर मैंने चुना
तुम्हारी याद को दिल में लिए जीवित रहना।
मुश्किल है बहुत लेकिन नामुमकिन तो नहीं है।।।।
जीनत ने कहा अरे बाबा अब यह रोटी खत्म कर यार!
फिर दवा लेकर सो गई हिना।

फिर सब खाना खाने के बाद सो गए।
पर अभी तक राज नहीं आया यह आभा और मिनल बोल रहे थे।
आभा ने कहा कितनी बार उसको समझाया है पर।।
मिनल ने कहा दीदी अब जल्दी से शादी करवा दीजिए।

आभा ने कहा हां ठीक ही कह रही हो पर राजीव तो मानता नहीं है।बस एक रट लगाए हैं कि नहीं करनी है।।
मिनल ने कहा हां,बस यही समझ नहीं आता कि भला क्यों?

कुछ देर बाद ही राज के गाड़ी की होरन बजा तो सुनील ने गेट खोला और फिर गुस्सा करने लगा कि मुझे भी लेकर जा सकता था।।
राज ने कहा अरे बाबा ठीक है कल चलना। और सब सो गए?
खाना पीना हो गया।
सुनील ने कहा हां बाबा खा लिया सबने।
चल तू अब खाना खाने बैठ।।
राज ने कहा नहीं मेरा मुड नहीं है।
फिर राज ऊपर चला गया।
सुनील ने कहा ओह माई गॉड ये तो गया।।
राज अपने रुम में जाकर दरवाजा बंद कर देता है और फिर शायरी करने लगता है।।।
आखिरी बार कब हंसे थे
आखिरी बार कब रोएं थे
आखिरी बार खुरमा कब कराया था याद नहीं रहता है मुझे कुछ मगर आखिरी बार कब तुम पर प्यार आया था
ये न पूछो मेरी पलकें जितनी बार झपकी है
समझों तुम्हें प्यार किया मैंने
सांसें जितनी बार ली समझो प्यार किया मैंने
जो लिख रहा हूं दिल की स्हायी
से पढ़ना एक एक लफ्ज़
जितने लफ्ज़ होंगे उतनी बार प्यार किया है
एक यही काम है जिसकी इजाजत मेरे खुदा ने दिया है
इसको करने से तुम नहीं रोक सकती हो

राज शायरी लिखते लिखते सो गया।


क्रमशः