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साथ तेरा मेरा

"कलमुँही भिखारी की औलाद निकल जा घर से
कमल के पिता को कैंसर था।उनकी तबियत बिगड़ती जा रही थी।वह पत्नी से बोले,"मैं आंखे बंद करने से पहले बहु चाहता हूँ
कमल किसी लडक़ी से प्यार करता था।वह दूसरी जाति की थी।कमल जनता था उसके मा बाप दूसरी जाति की लड़की को अपनी बहू बनाने के लिए कभी भी तैयार नही होंगे।इसलिए वह चाहता था उसकी नौकरी लग जायेगी तब मा बाप से बात करेगा।पर वह ऐसा कर पाता उससे पहले ही
गीता ने पति की इच्वहा पूरी करने के लिए लड़कितलाशी।
गीता की मौसी की देवरानी की ननद की लड़की थी सालू।गीता को वह पसन्द आ गयी।कमल पिता की बीमारी की वजह से कुछ नही कह पाया और सालू
से कमल की न चाहते हुए भी शादी हो गयी।कमल ने सुहागरात को ही सालू से बोल दिया,"दुनिया की नजरों में तुम मेरी पत्नी हो लेकिन मेरी तुम से शादी मेरी बिना मर्जी के हुई है
सालू चुप रह गयी थी।सुहागरात को उसके पति ने उसे छुआ तक नही था।
गीता को यह बताया गया था कि परिवार अच्छा है और एक लडक़ी और लड़का है।गीता को उम्मीद थी दहेज अच्छा मिलेगा।लेकिन
गीता की रिश्तेदारों में जितनी भी शादी हुई थी।दहेज में कार, सभी सामान और नगद रुपया भी खूब मिला था। और एक उसकी बहु थी जो
दहेज न लाने की खीज गीता, सालू पर उतारती।दिन भर काम मे लगी रहती फिर भी उससे गाली गलौज करती,उसके मा बाप को कोसती
कमल भी कुछ न कहता।और कई बार तो गीता बहु पर हाथ भी उठा देती।
सालू ने उसके साथ हो रहे दुर्व्यवहार की कभी भी अपने माता पिता से कोई शिकायत नहीं कि थी।
कभी उसका भाई भी मिलने आता था।वह भी ।मैके जाती थी।लेकिन कमल कभी भी अपनी ससुराल नही गया था।न अकेला न बीबी के साथ।ससुराल में कार्यक्रम होता तब भी नही
कमल की माँ उसके सामने भी कई बार सालू को भला बुरा कहती लेकिन वह मूक दर्शक बना रहता।
कमल नीलू से प्यार करता था।कमल ब्राह्मण था जबकि नीलू कायस्थ
कमल ने नीलू को सब कुछ बता रखा था कि उसकी शादी हो गयी है।नीलू ने कभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नही दी थी।वह उससे पहले की तरह मिलती थी।नीलू कम्पनी में काम करती थी।उसी कम्पनी में नरेन आया था।उनमें दोस्ती हो गयी।नरेन नीलू को चाहने लगा।और समय गुजरने के साथ नीलू भी उसके करीब आने लगी।एक दिन नरेन ने अपने प्यार का इजहार करते हुए उसे प्रपोज किया था।
कमल को जब पता लगा तब उसने नीलू से कहा था,"हम दोनों प्यार करते है और तुम नरेन से
"देखो कमल अब तुम्हारी शादी हो चुकी है
"मैं तुम्हे सब बता चुका हूँ
"कमल मैं मानती हूँ तुम्हारी कोई गलती नहीं थी।ऐसी सिथति में अगर मैं भी होती तो।यही करती।लेकिन यह तो सत्य है तुम विवाहित हो और सालू तुम्हारी पत्नी है
"नीलू में उसे तलाक दे दूंगा।शादी जरूर हुई है लेकिन मेंस उसे छुआ तक नही है
लेकिन यह भी गलत है।इसमें सालू का क्या दोष है।गलती तो तुम्हारी है
"मेरी क्यो।मेने उसे पत्नी माना ही नही"
"तुम्हारे न मानने को कोई नही देख रहा।लेकिन समाज ने यह देखा है कि तुमने उसके साथ सात फेरे लिए है,"नीलू बोली,"अगर हिम्मत थी तो उसी समय मेरे से शादी करते।अब हम दोनों की भलाई इसी में है तुम मुझे भूलकर पत्नी को उसका हक दो
नीलू कि बाते सुनकर कमल लौट आया।बाहर सालू बैठी हुई री रही थी
"क्या हुआ
सालू कुछ न बोली रोती रही।घर का दरवाजा बंद था।कमल ने दरवाजा खुलवाया
"माँ क्या है।ये बाहर बैठी क्यो रो रही है
"इस कलमुँही को मैने घर से निकाल दिया है।तू अंदर आ जा।तेरे लिए मैने दूसरी लड़की तलाश ली है।"
"माँ ये शादी तूने अपनी मर्जी से की थी।"
"मुझे क्या मालूम था।इसका बाप भिखारी है
"माँ अब यह मेरी पत्नी है
"इसे तो मैं घर मे नही रखूंगी
"मत रख
"उठो सालू
कमल ने उसे हाथ पकड़कर उठाया था
"चलो
"कहा जा रहा है
"यह जहा रहेगी वहाँ ही में रहूंगा
और उसके साथ चला गया