Perhaps in Hindi Short Stories by Suresh Chaudhary books and stories PDF | शायद

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शायद

आज सुबह ही पंडित जी आ गए, और हवन का सारा सामान देने के लिए कहा, लडके ने सारा सामान ला कर पंडित जी के सामने रखते हुए,, पंडित जी पूरा क्रियाकर्म शास्त्र सम्मत ही होना चाहिए,,
,, चिंता न करें यजमान,,। कहने के साथ ही पंडित जी ने हवन कुंड बनाना शुरु कर दिया,
,, अब आप सब आ कर हवनकुंड के पास बैठ जाइए, पूजा शुरु होनी है,,।
पंडित जी के आदेशानुसार लडका, बहु और छोटी सी पोत्री आ कर हवनकुंड के पास बैठ गए, मैं भी उदास और शांत मन से आ कर बैठ गया।
,, संकल्प आप लेंगे या,,। पंडित जी ने आधे अधुरे शब्दों में पुछा
,, सार्थक,,। और पंडित जी ने पूजा शुरु कर दी।
अचानक मेरी आंखो के सामने अतीत का कुछ हिस्सा चलचित्र की तरह घूमने लगा।
जब एक दिन मैं अचानक ऑफिस से घर वापस आ गया क्योंकि ऑफिस में तबीयत खराब हो गई थी, मुझे लगा कि जैसे सीमा अपने रूम में किसी से हंस हंस कर बाते कर रही है, मेरे द्वारा बाहरी गेट खोलने की आवाज भी सीमा ने नही सुनी,,, हो सकता है कि लेंड लाइन फोन पर किसी से बात कर रही हो,, यही सोचकर जब मैने रूम में प्रवेश किया तो मेरे कदमों के नीचे से जमीन हो निकल गई हो, सीमा अपने बिस्तर पर वासु के साथ आलिंगन बद्ध। मुझे देखते ही सीमा ने ऐसे रिएक्ट किया जैसे मैं उसका पति न हो कर कोई भूत हूं, और छिटक कर वासु से अलग हो गई। मेरे कुछ कहने से पहले ही वासु रूम से बाहर चला गया।
,, यह सब क्या है सीमा,,। बिना चिल्लाए मैने धीमी आवाज में कहा
,, कु कू कुछ भी तो नहीं,,। सीमा ने थोडा हकलाते हुए कहा
,, सीमा क्या अब भी, मैं सब कुछ अपनी आंखो से देख चूका हूं, फिर भी,,,।
,, तो,,। सीमा ने थोडा निडर हो कर कहा
,, मतलब,,।
,, तुम तो मुझे टाईम देते नही,,।
,, सीमा,,। मैं धीमी आवाज में चीखा
,, चीखने से क्या होगा, मोहल्ले वालों को पता लगेगा, इससे तुम्हारी ही बेइज्जती होगी,,। यह सुनकर मैं चुपचाप ड्राइंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गया और सोचने लगा। तभी याद आया जब मेरे दोस्त देवेंद्र ने कहा था,, यार तेरी बीबी है बड़ी स्वीट,, तब उसके शब्द सुनते ही मैंने अपना आपा खोते हुए उसके मुंह पर चांटा जड़ दिया था। इसका मतलब यह है कि देवेंद्र के साथ भी सीमा के अनैतिक संबंध रहे,। मैं अपने बेटे का ख्याल करके चुप रह गया और मैं जिंदगी के साथ समझौता करके जीने लगा।
एक दिन मैं यह सोचने लगा कि यह बेटा मेरा है भी या,,,,,।
और मैने अपना रूटीन बना लिया कि सुबह बिना कुछ बोले टिफिन ले कर ऑफिस जाना और शाम को आ कर चुप चाप खाना खा कर थोडी देर अपने लडके के साथ टाइम बिता कर सो जाना,। धीरे धीरे बीस साल कट गए और फिर अभी दस दिन पहले हार्ट अटैक से मौत। सोचते सोचते अचानक मेरे होटों पर हल्की सी मुस्कान तैर गई। पिछले बीस साल से मैं अलग रूम में और सीमा अलग रूम में। जब मैं अतीत से बाहर निकला तो देखा कि हवन संपन्न हो गया मैं बड़बड़ाया,, शायद इसी का नाम जिंदगी है।।