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रिनी और रोमी

Amrita Shukla

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रिनी और रोमी

दस साल की रिनी बड़ी प्यारी और सुंदर लड़की थी।वह अपने मम्मी _पापा,दादा_दादी और बड़े भाई के साथ एक बड़े से घर में रहती थी। भाई रिनी से पांच साल बड़ा था। इसलिए सबसे छोटी रिनी सबकी बहुत लाड़ली थी।उस बड़े से घर में बड़ा सा लॉन था,बहुत से फूलों की क्यारियां थी।बीचों बीच एक फव्वारा भी थाऔर पानी में काली सुनहरी मछलियां भी थी
पीछे फलों के खूब बड़े _बड़े पेड़ थें।दादी बताती है जब यह घर दादाजी ने बनवाया था तब इन फलों के पेड़ो को दादीजी ने लगाया था।
रिनी कभी पेड़ों पर चढ़ जाती।कभी लॉन में नाचती _गाती।कभी तितलियों के पीछे भागती।कभी फव्वारे के पानी में भीगती।साथ ही दादी और मम्मी की तरह मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाती। वो पांचवी क्लास में पढ़ती थी ।वो और भाई पास के स्कूल में साथ में जाते थे।रिनी की सहेलियां भी थी ।वो सब कभी घर में खेलती या पास के बगीचे में। रिनी को जानवरों से बहुत प्यार था। खासतौर से डॉग और उसके पपी से।जब वो खेलने जाती या स्कूल आते जाते समय यदि कोई पपी दिख जाता तो वह सब भूलकर पपी को गोदी में उठा लेती।बहुत बार घर लेकर भी आ जाती और उसे पालने के लिए जिद करती । लेकिन पापा ये कह कर मना कर देते कि _तुम अभी छोटी हो।तुम लोग स्कूल चले जाते हो ,मैं अॉफिस।मम्मी रहती है उन्हें भी काम रहता।फिर कहीं दादा दादी को उसने कहीं तंग किया तो?वैसे हरीराम तो है फिर भी वो ठीक से नहीं संभाल पाएगा।।रिनी उदास हो जाती।एक दिन तो रिनी ने हद ही कर दी। उस दिन वह अकेले स्कूल से लौट रही थी।तभी उसने देखा कि डॉगी मम्मी लेटी है और उसके तीन चार पपी दूध पी रहे हैं।रिनी ने अपना बस्ता ,बॉटल किनारे रखा और दूध पीते पपी को खींच कर गोदी में उठा लिया।थोड़ी देर प्ऊयीार करने के बाद नीचे छोड़ दिया।मगर उसका मन नहीं था छोड़ने का।पर उसे पापा की बात याद आ गई।रिनी ने अपना बस्ता बॉटल उठाया और घर आ गयी।जब रिनी पपी को उठा रही थी ,तब दादाजी के एक दोस्त उत्सुकतावश उसे दूर से देख रहे थे ।पास नहीं आए क्योंकि वे डॉग से ड़रते थे,बचपन में काटा जो था ।इसलिए शाम को उन्होंने घर में ये बात बताई तो रिनी के पापा ने थोड़ा नाराज होते कहा_क्या है बेटा।तुमने ऐसा किया।कहीं डॉगी मम्मी गुस्सा हो जाती और काट लेती तो?जैसे दादाजी को काट लिया था।तब बड़े से इंजेक्शन लगते।तुम भी परेशान होतीं और हम सब भी।आगे ऐसा नहीं करना।रिनी ने सिर हिलाकर हामी तो भर दी ।लेकिन उसका पपी प्रेम खत्म नहीं हुआ।
इस घटना के कुछ दिन बाद एक दिन रिनी बगीचे में खेल रही थी।तभी कूं_कूं की आवाज उसे सुनाई दी।उसने गेट से झांका तो देखा कि एक बहुत प्यारा काला सफेद पपी रो रहाथा।उसके पंचचजे में चोट लगी थी और खून बह रहा था।रिनी ने तुरंत गेट खोला और उसे अंदर ले आयी।तभी भाई रिकू जोर से चिल्लाया__पापा सब लोग बाहर आओ रिनी फिर पपी ले आयी है।जब सब आएघ तो सबने रिनी की गोद में चोटिल पपी देखा। तब पापा ने कहा चलो अबकी ले ही आई हो तो पाल ही लो।नहीं तो तुम ऐसे ही उठा कर लाती रहोगी।शाम को इसे डॉक्टर को दिखा लाएंगे और वो कहेंगे तो इंजेक्शन भी लगवा देगें जिससे तुम्हारा पपी भी स्वस्थ रहे और सब सुरक्षित रहें।।फिर उन्होंने ने हरिराम से पपी के घाव को पोंछने और अच्छी तरह नहलाने के लिए कहा ।फिर रिनी से कहा __देखो बेटा हमने तुम्हारी बात मान ली है।अब तुम सारा समय पपी में नहीं लगाना।तुम्हें स्कूल भी जाना है और पढ़ना भी है।इसके साथ एक बात और कि इसे गोद में लेना या छूना तो हाथ साबुन से जरूर धोना ।यदि इस बारे में कोई शिकायत मिलेगी तो हम इसे किसी को दे देंगे। रिनी ने आदतन सिर हिलाकर कहा _नहीं पापा आपको कभी शिकायत नहीं होगी। रिंकू इस बात से थोड़ा नाराज़ भी था कि रिनी की बात सब मान लेते हैं।पर उसे भी पपी अच्छा लगा।तो वह कहने लगा_आखिर तुमने अपने मन की कर ही ली।अब पाला है तो नाम भी रख लो। तब रिनी ने कहा_भैया मैंने नाम सोच लिया है।हमारा नाम र से है तो इसका नाम भी र से ही रखेंगे ।इसलिए मैंने इसका नाम रोमी रखा है।अब सब उसे रोमी बुलाते ।
हरिराम ने रोमी को नहलाया तो वो और भी सुंदर लगने लगा था।रिनी ने पुरानी चादर बिछा कर धूप में बिठा दिया और दूध पीने दिया। रोमी बहुत भूखा था इसलिए झट से पूरा दूध पी लिया।तब रिनी ने उसके घाव पर दवा भी लगा दी।रोमी छोटा था तो कुछ दिन तो वो कूं कूं करता रहा।पर जल्द ही वो सबसे हिल मिल गया। ठ़ंड़ के दिन थे।मम्मी बुनाई करती तो ऊन का गोला उठा लेता और खेलने लगता।दीवान पर चढ़ने की कोशिश करता लेकिन दीवान की ऊंचाई के कारण नहीं चढ़ पाता तो कुकुआने लगता। कोई उसे ऊपर चढ़ा देता तो मम्मी की गोद में घुस कर सो जाता। थोड़े दिन के बाद वो रिंकू और रिनी के साथ बगीचे में खूब खेलता।उनके दोस्तों के साथ भी भाग दौड़ करता ।
देखते देखते रोमी महीने भर का हो गया। वह सबका प्यारा बन गया ,पापा का भी।रिनी ने एक दिन पूछ ही लिया कि पापा आप इस बार रोमी को पालने के लिए कैसे मान गए।तो पापा बोले कि ऐसा नहीं है कि हमें जानवरों से प्यार नहीं है। पर इनकी देखभाल अच्छे से करनी पड़ती है बिलकुल बच्चों जैसे। हमें लगा कि हमारे पास समय नहीं है और तुम लोग छोटे हो यदि सही से नहीं रख पाए तो?मगर जब तुम उस चोट लगे हुए पपी को ले कर आयीं तो उसके प्रति तुम्हारे प्यार के साथ साथ दयालुता भी दिखी।तुममें ये भाव देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और गर्व भी ।तुमने उसकी मदद की ये बड़ी अच्छी बात है।तभी रिनी बीच में ही बोल पड़ी__ हाँ पापा हमारी किताब भी यही बात लिखी है कि यदि किसी की मदद करो तो भगवान भी खुश होत हैं। । पापा ने कहा हाँ ये बिलकुल सही लिखा है।कुछ गंदे बच्चे जानवरों उनके बच्चों को तंग करते है। कभी पत्थर मारते हैं और कभी पूंछ में फटाके बांध कर जलाते हैं और खुश होते हैं।लेकिन ये गलत बात है।ये बोल नहीं पाते मगर बहुत समझदार होते हैं।बहुत अच्छे दोस्त रहते हैं और बहुत फेथफुल भी ।ये प्यार भी पहचानते हैं। सड़क के डॉगी तो भूखे प्यासे ,बेघर रहते हैं।उन्हें बीमारी भी हो जाती है।ये किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।ऐसे में कोई सताए तो ये बुरी बात है।यदि सभी तुम्हारी तरह सोचे और महगे डॉग खरीदने की बजाए इनको पालें और घर दें तो कितना अच्छा हो। यह सुनकर रिनी को अच्छा लगा कि उसने बढि़या काम किया है।
एक दिन पापा ने अॉफिस से आकर सबसे लॉन में बैठने कहा।जब सब आ गए तो पापा ने एक छोटी सी बॉल रोमी को दी और लाल रंग का पट्टा उसके गले में पहना दिया।रिनी ने पूछा ये पट्टा क्यों पहनाया तो पापा ने कहा कि अब ये हमारा घर का सदस्य है इसलिए।ऐसा लगा कि रोमी भी खुश हो रहा था वह जोर जोर से पूंछ हिलाने लगा और सबके पास जाने लगा।तभी वो झट से रिनी की गोद में बैठ गया मानोअपने घर में लाने और परिवार का सदस्य बनने के लिए रिनी का शुक्रिया कह रहा हो।