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एक था लेखक - 8

एक था लेखक

प्रकरण ८

प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

मेक विली के घर पर था। विली की हालत देख मेक की आँखों में आंसू आ गए। वो अपनी उम्र से 10 साल बड़ा लग रहा था। कमज़ोर, बेबस, और लाचार

मेकने कहा "यह क्या हाल बना रखा है विली?”

विलीने कहा : मेक में जीना चाहता हुं। मुझे बचा ले वरना में मर जाउंगा, वो मेरी जान लेकर ही छोड़ेगी, मेरी इज्जत तो उसने मिट्टी में मिलादी मेक अब वो मेरी जान भी ले लेगी।“

मेक : कौन, विली कौन तेरी जान के पीछे पड़ी है? कौन है वो?

विलीने कापते हाथो से एक और इशारा किया। मेकने उस और देखा

सिवा टेबल के उस और कुछ नही था!

मेकने कहा "कौन है वहाँ? कोई तो नही! विली तु मुझे बेवकूफ तो नही बना रहा न?

विलीने लाचारी से कहा "वो देख मेक वो .... वो शराब .... मुझे खत्म कर देगी... मेरा सब कुछ लूट लिया उसने मेक! सब कुछ! मेरी प्यारी बीवी भी उसने मुझसे छिन ली, शराब की आदत से वो मुझे छोड़ के चली गई। मेरे चाहक पाठक गण मुझे पियक्कड लेखक के नाम से जानते है। मेक .... मेक ... वो कहते है यह पियक्कड गया होगा असली जगहों पर। पर इस पगले को क्या होश होगा। पता नही क्या अनाब शनाब लिखा होगा? मेक तु तो जानता है न? मैंने अपनी कहानी के लिए कितने जोखिम उठाये है? क्या क्या नही किया मैंने एक उच्चतम लेखक बनने के लिए। और जीवन के आखरी पलो मे क्या मिला यह उपाधि... पियक्कड...पागल?”

मेक : “पर विली शराब को तु अपने आप पर कहा हावि होने देता था। वो तो तेरी गुलाम थी न?”

विलीने थूक उड़ाते मुँह से कहा "थोड़ी थोड़ी करते करते वो मुझ पर कब हावि हो गई मुझे पता ही नही चला। नर मांस खाया उसकी यादो को मिटाने, वो नरभक्षि के हाथो मर रहे निर्दोष की हेल्प हेल्प की बेबसी भरि आवाज को दबाने। वो देखे कतलो को भुलाने, बीवी के गम को छुपाने मे कब शराब मेरी कब राणी बन गई। मेक मुझे पता ही नही चला। मुझे कुछ पता नही चला मेक.... देख न रे.... देख न रे.... मेक तेरा यह विली शराब का गुलाम बन गया। मेक मैं अक्सर कहता था। शराब पीना बुरी बात नही। मजबूरी मैं पीना पड़े वो बुरी बात है। और आज मैं शराब के बिना रह नही सकता देख मैंक मैंरे हाथ उसके बिना काप रहे है, मैंरा सर चकरा रहा है। मैं कुछ लिखना चाहता हुं पर मुझे उसे पिए बिना सूझता नही। पर पर मैंक मैं हारूँगा नही। तेरा दोस्त विली लीजेंड ऑफ एडवेंचर नॉवेल्स वो शराब से हारेगा नही। मैं उसे हराऊंगा और लिखूंगा नई कहानी एक वास्तविक कहानी "विली डिफीटस् वाईन" हा मैं यही लिखूंगा.....हा...हा....हा..."विली डिफीटस्स् वाईन" ...."विली डिफीटस्स् वाईन"

मैंक ने विली के सर को अपनी गोदी मैं दबा के थप थपाने लगा....."विल...विल...विल शांत सब ठीक हो जाएगा..गोड (ईश्वर) पर भरोसा रख..अच्छे दिन आएंगे....

***

विलीने मैंक को कहा “मेक, मुझे शराब छोडनी है पर इस अमैंरिकन भद्र समाज के बीच रहकर में शराब नही छोड पाऊंगा! जहा भी जाता हुं मुझे शराब से भरे ग्लास दिखते है! मैंक मुझे किसी ऐसी जगह ले चल जहा शराब का नामो-निशान न हो! जहा शराब मिलना नामुमकीन हो!

मैंक ने कहा “विली पर अमैंरिकामें तुझे कहा ऐसी कोई जगह मिलेगी? यहाँ शराब आम बात है, तू कही भी जा तुझे वो जरूर दिखेखी.

कुछ सोच के विलीने कहा मैंक एक जगह है जहा शराब वर्जित है.

मैंक ने खुश होकर कहा “कौनसी विली? बता में तुझे वहाँ ले चलता हुं!”

पर मैंक की खुशी विली का जवाब सुनकर गायब हो गई.

गले में थुक उतारते विलीने कहा “पागलखाना”

मैंक ने कहा “क्या पागल हो गया है? तू पागल खाने जाना चाहता है?

विलीने हाथ जोडते कहा “हा मैंक हा.. मुझे कृपा कर पागलखाने भेजने की तैयारी कर में वहाँ जाना चाहता हुं. वहाँ मुझे शराब नही मिलेगी.. तो में पिउंगा कहा से? तू जो जानता ही है की पागलखाने में शराब वर्जित है. ले चल मैंक मुझे वहाँ ले चल.. में शराब छोडना चाहता हुं. मुझे वहाँ ले चल.....

मैंक ने व्यवस्था करवाई विली अब पागलखाने में था. एकाद दो दिन नही पुरे सात महीने वो पागलखाने में रहा. एक दिन मैंक पागलखाने में डॉक्टर से विली के बारे में पूछताछ करने गया. डॉक्टर ने कहा “ वैसे तो विली अब नॉर्मल है लगभग उसने सात महीने से शराब नही पी. पर शराब के प्रती उसकी धृणा बहोत ही बढ गई है.

मैंक ने कहा : “मतलब?”

डॉ. : “मतलब वह दीवारो पर सर पटकते और दीवारो को नाखून से नोचते बस एक ही चीज बोलता है. खबरदार मुझे शराब दी तो... में तुम्हे जान से मार दुंगा अगर मुझे किसीने शराब दी तो.... उसे पानी का ग्लास भी दिया तो वो देनेवाले को घुरकर पुछता है ‘मुझे शराब दे रहा है? जान से मार दुंगा तुझे अगर मुझे शराब दी तो....”

मैंक ने कहा : “डॉक्टर दरअसल वो शराब के लिए तडप रहा है. उसे शराब चाहिये पर वो उसे अपने जिद्दी स्वभाव की वजह से मांगता नही है.. उलटे तरीके से वो उसके लिए पुछता है.. मुझे शराब मत दो... मतलब मुझे वो दो....”

मायुसी से मैंक ने आगे कहा “क्या में विली से मिल सकता हुं?

डॉ ने कहा “हा..हा... क्यो नही?” और घंटी बजा के उसने अंदर से नर्स को बुलाया और उसे मैंक के साथ जाने की सूचना दी....

मैंक जब विली के कमरे के पास गया वो एक ग्लास को हाथ में पकडे हुए बैठा था.. और एक एक घुट उसमैं से पानी पी रहा था.. मैंक को देख वो बोला... “देखा मैंक, मैंने शराब को पिछले ७ महीने से हाथ भी नही लगाया. इन लोगोने मुझे कई बार वो पिलाने कि कोशिश कि पर विली डीफिटेड एवरीवन

नर्स ने चौक कर मैंक कि और देखा पर मैंक को शांत देख उसे यकीन हुआ कि उसने विली कि बातो को नजरअंदाज किया है.

मैंक ने कहा “अब घर चलेगा विली?”

विलीने चोक कर कहा “हा मैंक अब कोई दिक्कत नही मै शराब को लगभग छोड चुका हुं. अब यहाँ रहेने का क्या मतलब?

मैंक ने नर्स से जरुरी बाते कि डॉक्टर से मिला.. और उनकी सहमती लेकर वो उसे पागलखाने से घर ले गया.. पुरे रास्ते विली शराब के खराब असरके बारे में मैंक को बताता रहा, बीच बीच में वो बोलता कि मैंक शराब पिना बुरी बात नही पर मजबुरी में उसे पिना पडे वह बुरी बात है. मतलब उसके लिए अगर तडपना पडे वो बुरी बात है... अब में सुधर गया हुं अब मुझे शराब के बारे में कोई लालसा नही...”

प्रशांतने अपनी बात को पुरी कर भौमिक कि और देखा. भौमिकने पुछा “तो क्या वह लेखक सुधर गया? उसकी शराबकि लत छूट गई? वाकई में वह गजब का लेखक था, हाईटी के लोगो के बीच रहा! नरभक्षि लोगो के बीच रहा! न जाने और क्या क्या पराक्रम किए तो उस बंदे के लिए शराब जेसी मामुली चीज को हराना क्या बडी बात हो सकती थी? फिर क्या हुआ?

प्रशांतने शांतता से कहा “दुसरे दिन के अखबारो में समाचार थे The great Author William seabrook is no more”

भौमिक को अपने कानो पर भरोसा न हुआ वो बुरी तरह चौक उठा “क्या वो मर गया कैसे?”

प्रशांत : घर पहुँचते ही उसने दो चीजे कि, एक तो उसने निंद कि गोलिया खाई, और दुसरी चीज और जो उसके लिए अहम थी वो कि उसने सात महीने का कोटा एकसाथ पुरा किया...

भौमिक “मतलब?”

प्रशांत “मतलब उसने उस रात कई बोटले एकसाथ खाली कि जिसकी वजह से वो दुसरे दिन मर गया......”

भौमिक आश्चर्य से प्रशांत को देखता रहा.......

समाप्त