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एक था लेखक

साळुंके प्रकाशन

एक था लेखक

-प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

एक था लेखक

प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

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सभी हक प्रकाशक के आधीन

Prashant subhashchandra Salunke publication

लेखक : प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

यह कहानी एक वास्तविक लेखक के जीवन से बनाई है पर कहानी को रोमांचक बनाने के लिए लेखक ने अपनी कल्पनाओ का भरपूर इस्तमाल किया है इसलिये इस कहानीको सिर्फ एक कहानी के रूप में ही पढे. इस कहानी का बहोत ही ध्यान से प्रुफ रीडिंग करने के लिए में मेरे भाई अनुपम चतुर्वेदी का तहेदील से शुक्रिया करता हुं

सुचना : इस कहानी में लिए गए सभी पात्र काल्पनिक है। इनका किसीभी जीवित या मृतुक व्यक्तिसे कोई सबंध नहीं है और अगर एसा होता है तो वो महज एक इत्तफाक है

एक था लेखक

उस लेखक की मौत ने साबित कर दिया की जो किसी से नहीं हारा आखिर उस एक चीज से हार गया..... प्रशांतने अपने आप से बाते करते हुए कहा

आश्चर्य से भौमिकने उसे ताकते हुए कहा " कौनसा लेखक और कौनसी वह चीज? तू यार यह हर बार सस्पेन्स मत बनाया कर। साफ़ साफ़ बता क्या बताना चाहता है?”

प्रशांतने कहा "यार सब बता दिया तो तुम ध्यान से सुनोगे नहीं और जो में बताना चाहता हुं उसकी असर नहीं होगी।“

भौमिक : “मतलब?”

प्रशांत : “सुन यह असली जीवन कहानी है एक साहसिक नवलकथाकार की, जो साहसिक नवलकथा यह लिखता था, पर और लेखको की तरह सिर्फ कल्पनाओ से नहीं, पर वह उस कहानी के लिए वास्तविक जीवन में होने वाले घटनास्थल पर पहुंच कर उस में घुल-मिल जाता था, यह लेखक खतरनाक जगहों पर जाकर फिर उन सभी चीजो में अपनी कल्पना मिलाकर उसकी कहानी बनाता था।“

भौमिक : “तो तो... वो लेखक काफी मशहूर होगा? इतिहास में उसका नाम होगा”

प्रशांतने कहा : “ना”

भौमिक : “(आश्चर्य से...) एसा क्यों?”

प्रशांत : “क्योकि उसने ही अपना इतिहास बनाया और उसीने अपना इतिहास बिगाड़ा.... एक विदेशी लेखक की यह कहानी सुनना चाहोगे?

तुझे पता है? यह लेखक लोग काफी मुड़ी किस्म के होते है, अपनी धुन में रहने वाले” प्रशांतने कान को हाथ लगाते हुए कहा : "अपनी गुजराती के एक महान लेखक अश्विनी भट्ट की बात कहु? वे भी बड़े मजेदार तरीके से कहानी लिखते थे। वे मुँह में खैनी दबाके कुछ किताबो के पन्ने फाड़ देते, फिर उनके टुकड़े टुकड़े कर देते। फिर उन सभी टुकडो को मिक्स कर एक एक टुकड़ा उठाके पढ़ते। और उसी टुकड़ो में मिलती उन्हें अपनी कहानी”

भौमिक : “तू भी तो कहानी लिखता है? तेरा भी कोई तरीका होगा?

प्रशांतने हंस कर कहा "भाई में तो शौख के लिए कहानियाँ लिखता हु। फिर भी मेरी भी एक तरीका है। में जो कहानी लिखता हुं। उसका एक किरदार अपने आप में सोचता हुं। मतलब में जब तक कहानी लिख रहा हुं में उसी पात्र को अपने आप में महेसुस करता हुं और सोचता हुं उस वक्त में क्या करता आसपास क्या होता! और हा में पंखा कभी नहीं लगाता, कितनी भी गर्मी हो मेरे कमरे का पंखा तुझे चालू नहीं दिखेगा!”

भौमिक : “एसी लग़ाता होगा?”

प्रशांत गुस्से से : “एसी से में दूर रहेता हुं मेरे घर में जिस कमरे में एसी है वहां में जाता भी नहीं। अब आगे सुन अपने इन लेखक महोदय का भी एसा ही एक तरीका था। दो पेग शराब पिना उससे ज्यादा नही और फिर कहानी के बारे में सोचना, और कहानी में माहोल बनाने के लिए खतरनाक जगहों पर जाना अपनी जान पर खेल कर वहाँ रहेना? यह उनका शौख था जो उन्हें ले डूबा!”

भौमिक : “शराब में डूब के वे अनाब शनाब नहीं लिखते होंगे! या सोचते होंगे?”

प्रशांत : “मैने पहले ही कहा वह लिमिट में ही पिते थे। उन्हें अपनी इस आदत पर गर्व था। उनका कहना था "शराब पीना बुरी बात नहीं है! मज़बूरी में शराब पीना पड़े वो बुरी बात है। उनकी लिमिट के बाहर वे एक बूंद भी ज्यादा नहीं पीते थे। उन्हें इस बात का घमंड भी था। और वह खुद पर संयम भी रख सकते थे।“

भौमिक : “तुमने कहा था की वे कहानी में माहौल बनाने के लिए खतरनाक जगहों पर जाते थे? उसके बारे में बताओ?”

प्रशांतने गहरी सास लेते हुए कहा : “सुनो...”

प्रशांतने शुरू किया "1915 में हमारे लेखक जिन्हें हम विली के नाम से अभी बुलाएँगे वे फ्रेंच आर्मी में शामिल हुए जहा उनके होसलो और बहादुरी की तारीफ होती, उनकी निडरता से काफी लोग प्रभावित थे। तभी विश्वयुद्ध -1 शुरू हुआ, प्रथम विश्वयुद्ध में वेरडून जो विश्वयुद्ध का महत्व का भाग था। वहां उनकी पोस्टिंग हुई, वहाँ उन्होंने काफी अच्छी रणनीति से युद्ध किया। और उनकी वजह से फ्रेंच आर्मी ने लड़ाई में काफी अच्छा प्रदर्शन किया उनकी इन अधभुत कार्य के लिए उन्हें "Croix de Guerre" का अवार्ड दिया गया। “

आर्मी से लौटने के बाद उन्होंने न्यु यॉर्क टाइम्स में बतोर पत्रकार नोकरी की, उन्होंने बाद में लेखन पर भी हाथ अजमाया। उनके लेख लोकप्रिय मेगेझिन Cosmopolitan, Reader's Digest and Vanity Fair में प्रसिद्ध हुए। उनके लेख पर एक किताब भी प्रसिद्ध हुई "वाव", पर विली अभी भी अपने कार्यो से संतुष्ट न था। कहेते है न की जब तक इश्वर ने हमें जिस उददेश से भेजा है वह उद्देश पूर्ण न हो तब तक हम कितनी भी कीर्ति पा ले हमें आत्म संतोष नहीं होता। विली को करना था कुछ बड़ा! जिसके लिए उसका जन्म हुआ था। वह अक्सर इसी के बारे में सोचते रहते और एक दिन उन्हें उनका मकसद मिल गया!

भौमिक बड़े ध्यान से सुन रहा था।

प्रशांतने आगे कहा " विली को अपना मकसद मिल गया उसके मन में विचार आया की वह एक साहसिक नवलकथा लिखे। उसने यह बात अपने एक खास दोस्त मेक के सामने रखी......

विलीने शराब की दो बुँदे अपने गले में उतारते हुए कहा "मेक में एक साहसकथा लिखना चाहता हुं"

मेक : "तो उसमे कौनसी बड़ी बात है। सभी लेखक ज्यादातर साहस कथाये लिखते है। जो कल्पनाओ से भरपूर होती है। मजेदार होती है।

विली "पर ज्यादातर ऐसी कहानियाँ बालकथाये बनकर रह जाती है। में सोच रहा हुं की कुछ एसा लिखू जो वास्तविकता के नजदीक हो...”

मेक "मतलब?"

विली " में कहानी लिखने जा रहा हुं अरब के उन रेगिस्तान में भटकनेवाले अरबी डाकूओ के बारे में जो क्रूर है, निष्ठुर है, पर में उनके बारे में सिर्फ काल्पनिक बाते नहीं लिखना चाहता!.... चाहता हुं आरब जाकर उनसे प्रत्यक्ष मिलु!, उनके रीती रिवाजो के बारे में जानू, और फिर उनकी एक कहानी लिखूँ”

मेकने उस पागल इंसान की और गौर से देखा और शराब का ग्लास आगे बढ़ाया विलीने ना का इशारा किया और कहा "बस मेरा हिसाब पूरा हुआ अब और नहीं चाहिए"

मेकने मुस्कुरा कर कहा, "तुम्हारा हिसाब विली दिन-ब-दिन बढ़ने लगा है! फिर आगे कहा विली तुम पगला तो नहीं गए हो उन अरबी लुटेरो के साथ रहेने की तुम सोच भी कैसे सकते हो? तुम्हारी जान को खतरा है? तुम पागल हो गए हो क्या? “

विलीने हंस कर कहा "में एक अलग कहानी लिखना चाहता हुं। जो बाल कथा न बन पुरे विश्व में धूम मचाये और एसा ही हुआ उन अरबी लोगो के साथ विलीने कुछ दिन बिताये और फिर आकर कहानी लिखी। "एडवेंचर इन अरेबिया" जिसे दुनिया ने सराहा और रातो रात वेह एक उच्च कोटि के लेखक बन गए! शराब के नशे में लिखी उनकी कहानी ने सब को उनकी लेखनि के नशे में डुबो दिया। सब उनकी कहानी के आशिक हो गए।“

भौमिक : "मुझे वहां का कोई दिलचस्प वाकिया तो सुनावो।“

प्रशांतने हंस कर कहा "यह वाकिया हमारे लिए असामान्य है। पर उनके जीवन में हुई घटना के सामने बिलकुल सामान्य है! में जल्द से जल्द वो वाकिया तुम्हे सुनाना चाहता हुं।“

भौमिक ध्यान से सुन रहा था। इस प्रवास की सफलता के बाद विली का जोश और जुस्सा एकदम बढ़ गया। उसकी हिम्मत अब बढ़ गई। अब उसके मन में एक नई कहानी ने जन्म लिया । अपने दोस्त मेक को उन्होंने बताया.......

विली : मेक में अब एक नई साहस कथा लिखना चाहता हुं..

मेक : किस विषय में?

विली : वस्तुत विषय मुझे मिला नहीं पर जगह मुझे मिल गई है। शराब की बूंदों को गले से उतारते विलीने कहा

मेक : कौनसी जगह?

विलीने ग्लास खत्म करते हुए कहा : हाइटी.....

मेक : तुझे ज्यादा हो गई है बिल! तू जानता है तू क्या बतिया रहा है।

विलीने हंस कर कहा "विली कभी अपने उपर शराब को हावी नहीं होने देता। उसने एक एक शब्द पर ज़ोर देते हुए कहा।

हा....इ.....टी.......

मेक के हाथ के ग्लास से बर्फ के कंपन की आवाज साफ साफ़ सुनाई दे रही थी।

मेकने लडखडाते शब्दों में कहा "तुझे पता है हाइटी को हाइटी क्यों कहते है?

विली जवाब में सिर्फ मुस्कुराया

मेक : पागल वो अमेरिका के पास में आया एक बेट है। वहाँ बहोत गर्मी रहेती है। और उसी कारण वहाँ के लोगो के दिमाग एकदम गर्म रहते है। बात बात पर गोली चलाना और छोटी छोटी बात पर खंजर पेट में घुसेड देना उनके लिए आम बात है।

विलीने लापरवाही से ग्लास की बूंदों को गले में उतारते कहा "पता है!"

मेक : फिर भी? "

विली : हां क्योकि में जानता हुं मुझे कुछ नहीं होगा

मेक : मतलब

विली : हम चियर्स के लिए ग्लास टकराते है। समझ ले की में ग्लास नहीं टकराऊ तो?

मेक : आवाज नहीं होगी।

विली : बस....वैसे ही में चिल रहा कुल रहा, तो सामने वाला क्या खाक गर्म होगा?

मेक : देख भाई संभल कर रहेना हिम्मत होती तो तेरे साथ भी आता, पर में तेरे जेसा पागल कहा।

विलीने हंस कर कहा "इसे पागलपन नहीं जुनुन कहेते है। चल अब निकल... कल सुबह निकलना है.... हाइटी!!!

भौमिकने कहा "फिर क्या हुआ?" विली वहाँ से सही सलामत वापस आया?

(आगे जानने के लिए पढ़े प्रकरण २)