Vo kon thi - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

वो कौन थी - 9

(पिछले पार्ट में हमने देखा की अंजुमन के शरीर में रही रूहानी शक्तियां अमन को बताती है कि वो आखिर कौन थी और क्यों एक-एक करके सब को मौत के घाट उतार रही है अब आगे)




दिमाग चक्कर धिन्नी की तरह धुमने लगा उसका!
जब अंजुमन की बच्ची ने दस्तक होने पर दरवाजा खोला !
भीगी हवा ने बेफाम होकर मिनटो मे धर का माहौल पलट दिया!
वो डोर लोक करके वापस मां के पास बैठ गई थी!
उस वक्त अंजुमन का मन और दिमाग सतर्क हो गये !
हथोडे की तरह एक बात दिमाग पर चोट कर रही थी !
"कोई बात जरूर है! हवाओं ने अपना रुख पल़टा है ! बरसते आसमा के साथ आंधीयां यूं ही दो-दो हाथ नहीं हुई!
उसकी छठी इंद्रिय ने उसे सावधान कर दिया!
उसके पास ताकत भी तो थी !
किसी दीर्घ दृष्टा की तरह वो जीवन में उठने वाले तूफान की आहट पहचान लेती थी!
वारिस की मौत उसके लिए सदमा साबित हुई थी ! पति की मौतने उसे पूरी तरह तोड दिया था!
"मम्मी जी म्हारी आंखे भारी होवन लाग गी है..! "
बिटिया ने उसकी विचार श्रृंखला पर ब्रेक लगाई!
"तु आराम से मारे कन्ने सो जा गुडीया..!"
उसने जैसे ही बच्ची की पीठ पर हाथ फेरा वो गहरी नींद मे डूब गई!
इतनी जलदी बेटी की आंख लगने पर उसे बडी हैरानी हुई! पर ऐसा क्यों हुआ ? इस बात को लेकर उसे ज्यादा दिमाग खपाना न पड़ा!
जब वॉल क्लॉक ने 10 की घंटी बजाई तब उसके कंधे पर जैसे किसी ने बर्फ की सिल्ली रख दी!
" क कौन..?" हड़बड़ाहट में उसकी जबान साथ नहीं दे रही थी!
उसके कान में धीमी फुसफुसाहट हुई !
"मैं हूं ..! पहचाना नहीं..?"
आवाज सुनकर उसकी धड़कन तेज हो गई !
"वारिस?" उसके कपत्ते होठ फफड़े!
" हां मैं हूं..!"
वह समझ गई की वारिस खान की रूह कुछ कहने आई है! उसको यकीन नही हो रहा था..!
खिडकियां दरवाजे पर लगे पर्दे फडफडाने लगे थे ! कमरे में जानी पहचानी नाजनीन ईत्तर की खुशबू महक उठी!
बिना खोफ खाये वो बोली- "मैने सोचा भी न था की ऐसा कुछ हो जावेगा!"
"गलती मारी है !
वारिसखान उसकी बेड पर उसे नजर आया!
"कौणसी गलती हुई आपसे..?" अंजुमन काफी हैरान थी!
"जिस दिन मेरी मौत हुई तूम्हें याद है फज्र के वक्त एक अंजाने नंबर से मुझे कॉल आई थी!
"हां ..और आपने कहा था एक्सीडेंट हुआ है मुझे जाना पड़ेगा!"
"काश उस वक्त एक छोटी सी बात मेरी समझ में आ जाती की मेरे पर्सनल नंबर पर इस टाइम किसी अंजान लेडी की कॉल कैसे आई?"
घबराई हुई आवाज में कोई लेडी कह रही थी "सर ,जल्दी आजाइए..! कच्ची सड़क पर रात को एक भारी दुर्घटना हूई है !
रात को जख्मी हुआ वो इंसान गाड़ी में बेहोश पड़ा है !अगर मर गया तो गजब हो जाएगा ! आप जल्दी आजाईए ! यहां अनगिनत मानवभक्षी गिध्ध के समूहने हडकंप मचा रखा है! सभी उस कार पर मंडरा रहे है..! "
"समझ गया..! मैं जल्दी आता हूं !"
कहकर मैं भागा था!
"हा मुझे याद है, आपको ड्यूटी करते हुए भला मैं कैसे रोकती थी!"
पुलिस की नौकरी में जिनसे भी मेरा ताल्लुक रहा सभी रिश्वतखोर और बेईमानियो के बाप थे!
मिठाई के रूप में हराम की दौलत आती थी तो मुझे भी उसमें हिस्सा दिया जाता था!
मना करने का सवाल ही पैदा नहीं उठता! जब मगरमच्छ ही आदमखोर हो तो उनकी टोली में शामिल हो जाने में ही समझदारी होती है!
मैं भी हराम का पैसे लेने वाला भ्रष्ट अफसर बन गया था!
तकरीबन परिवार पर आने वाली सारी मुसीबतों का अंदेशा तुझे पहले से होने के बावजूद मेरे बुरे कर्मो का अंजाम तुझे नजर नहीं आया!
और आता भी कैसे ? तेरे जिस्म में रहने वाली रूहानी ताकते मुझ जैसे भ्रष्ट इंसान की रक्षा कैसे करती भला..!"
"डॉक्टर ने बताया था तुम्हारी मौत हार्ट अटैक से हुई है! तुम्हारी मौत के बाद तुरंत ही सारा नजारा जैसे मेरी आंखों के सामने से गुजरा था! फिर भी आप बताये मै आपसे सुनना चाहूंगी!
"फिर घर से निकलते ही मैं सीधा उस कच्ची सड़क पर पहूंचा ,जहां ये हादसा हुआ था..!
हल्की हल्की बारिश की वजह से सड़क पर की मिट्टी गीली मुलायम हो गई थी !
लोहे की रेलिंग वाली ढलान पर वो बैठी थी!
अभी अंधेरे ने पूरी तरह अपनी माया को नही समेटा था!
भूमि पर बिछी सूखे पत्तो की चद्दर ओस की कातिलाना मार से झुलस गई थी!
पेड पौधे मोती सझाकर चमक रहे थे! बर्फिली जानलेवा ठंड मे वो नजर आई!
सडक के एक टर्न पर पुलिसवाहन को मैंने पार्क किया!
उसके माथे पर चुनरी थी!
घूंघट में चेहरा आसमा में जगमगा रहे चांद की भांति नजर आ रहा था!
उसका उज्जवल रूप देखकर एक पल के लिए मैं भौचक्का रह गया!
किसी भी पुरुष का ईमान डगमगा जाए ऐसा उसके रूप का जलवा था!
ढलान से नीचे उतर कर वो कार पलट गई थी!
वाकई आसमां में गिद्ध कार पर मंडराते नजर आए!
अपने मन और दिमाग को कंट्रोल करके मैं कार की तरफ उंगली करते हूए उससे मुखातिब हुआ!
"क्या यही वो कार है..?"
"हां यही है !"
उस लेडी ने काफी हताश होकर कहा!
"वैसे मेरी समझ में ये बात नही आई की आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही थी?"
हैरानी थी मुझे की उस पर ठंड का जरा भी कुछ असर न था!
"सरजी मेरा बयान आप बाद में लेते रहना, पहले इसे हॉस्पिटल पहुंचाओ.?'
उसने पलटी हूई कार की और ईशारा करते हूए कहा!
उसका श्वेत चहरा रक्तिम हो गया! उस अंजान औरत की बात मेरे जेहन में उतर गई!
मै तेज कदमो से कार के नजदीक पहुचा!
शीशा खुला होने की वजह से ड्राइविंग सीट साइड का दरवाजा खोलने में दिक्कत ना हूई!
मैनें उस शख्स को संभालकर बाहर खींच लिया!
वो बेहोश था!
उसका कंधा पकड़ झिंझोडते हूए उसे होश में लाने की बहुत कोशिश की! मगर ढाक के तीन पात !
मुझे लगा कहीं गाडी से बाहर निकाल कर मैने गलती तो नही की?
"ईतनी ठंड मे तो ये जख्मी ईन्सान मर जायेगा साब जी..!
उस के चहरे पर रंज की लकीरे छा गई!
"-अपने गर्म कोट से उसका बदन कृपया ढक लीजिए . फिर आप अपनी गाडी मैं बैठ जाईए...! "
"मुझसे ठंड बर्दाश्त नही होती और तुम मुझे नसिहत ना दो..!"
मैने अकड दिखाई!
उस ओरत की बात मुझे सही लगी थी! पर उसने कहा इस लिए मैने उसकी बात नही मानी..!
आखिरकार 108 को कॉल लगाई!
कोहरे ने कहर बर्तया था! चारों ओर पेड़ पौधे और झाड़ियों थी ! इन हरियाली वादियों में कोहरे की धुंध इस कदर छाई थी जैसे कुदरत ने श्वेत चद्दर बिछाकर हरियाली को ढक रखा था!
कच्ची सड़क के करीब बहुत ही पुराना वटवृक्ष था! उस वटवृक्ष पर बहुत सारे गीद्ध आपस में फाइट करते हुए चीख रहे थे!
मुझे उस खौफनाक नजारे को देखकर ताज्जुब हुआ!
"क्या देख रहे हो साब्जी..?"
वो घुंघट वाली औरत बिल्कुल मेरे पीछे खड़ी थी!
"मुझे लगता है वहां कुछ है..?"
"सारा इलाका जंगल से भरा हुआ है! कुछ भी हो सकता है !"
फिलहाल मैं आपका काम आसान कर दूंगी! "
"अच्छा वो कैसे..?" उसकी गहरी गहरी आंखों में देखकर मैने पूछा!
"कार हादसे के पश्चात ही यहां घिनौना अत्याचार हुआ है ! एक जिंदगी को तबाह किया गया है!"
पर उस दरिंदे को पता नही था उसकी इस घिन्नोनी हरकत को जंगल से गुजर रहे एक तपस्वी बाबाने देख लिया था!
जो अपने आप मे ही एक महामाया था!
मै सोचने लगा 'जब से आया हुं कुछ ना कुछ अजीब सा मेरे साथ हो रहा था! अब फिर कोई नया राज उजागर होगा! मैने अपनी जिज्ञासा जताई!
"ओह ..!आप बता सकती हैं ये सब किसने किया है? किसकी जिंदगी तबाह हुई..?
" Of course बता सकती हूं!"
तो फिर मुहूर्त देखना बाकी है ? शुरू हो जाओ, जो कुछ भी देखा है बताओ! मैं सबकुछ जानना चाहता हूं!
" देखो साहब जी मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि यहां पर अपराध हूऑ है!
जख्मी और बेहोश छोरे की वाईफ के साथ रेप करके उसे जमीन में गाड़ दिया गया है!
मेरी आंखे सिकुड गई! वो और खुलासा करने लगी.!
रेप के बाद उसके सारे गहने चुरा लिये गए है..!
"आगे एक ढाबा है! वहां जाकर ढाबे वाले छोरे को सख्ती से पूछिए..! सारी बात तोते की तरह उगल देगा..!
"मै तुम्हारी बात पर कैसे यकिन करलु..?क्या सब तुमने अपनी आंखो से देखा है..?"
"ऐसा ही समझ लो..!"
बडी ही रहस्यमय उसकी बात थी!
मैं ने तसल्ली करना मूनासिब समझा!
अगर ऐसा कुछ हुआ है तो लडकी को घसिटने के निशान होगें..
मैं मोबाइल टोर्च से भूमि को देखने लगा..!
भूमि पर ओस से भीगे पत्तो की परत के कारन कुछ अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था!
कार के पिछला हिस्सा देखने के इरादे से मै आगे बढा!
जैसे ही मैने टोर्च का प्रकाश घने बांस की हरीयाली से ढके अंधरे मे डाला तो मेरी रूह कांप उठी..
एक काली बिल्ली कुछ खा रही थी! उसका मुंह खून से सना था!
में आगे बढा.. ! बिल्ली मुझ पर गुर्राई..!
जब मैने उसके पंझो में फसी चीज को पहचाना तो मेरे होश उड गए!
वो एक गर्भ नाल थी जो बच्चे के जन्म के साथ ही निकलती है..!
"या अल्लाह...! इसका मतलब तो था किसी बच्चे का जन्म हूवा है यहां..!
बिल्ली के आस पास बहोत सारे सुखे पन्ने खून से लाल हो गये थे!
लगता था जैसे पत्तो पर गिरे खून को चाट चाट कर बिल्ली ने पूरी जगह खराब कर रखी थी!
बिल्ली मेरे सामने बड़ी-बड़ी आंखें निकाल कर देख रही थी! मुझे देख कर वो जरा भी डरी नहीं थी!
उस औरत की बात में कुछ तो सच्चाई थी.! मैं तुरंत पीछे मुड़ा!
जानना जरूरी हो गया था कि वो आखिर कौन थी ,और उसने यह सब कब देखा था?
पर मैं ठिठक गया वो अपनी जगह पर नहीं थी! पता नहीं इतनी देर में कहां चली गई?"
कुछ हद तक उजाला हो रहा था!
वहां वटवृक्ष पर गिद्धों ने चिल्लाहट से तहलका मचाया हुआा था!
तभी वहा पर 108 आ गई!
एम्बुलेंस में आई तबीबी टीम को मैंने बताया!
"इसे फटाफट होश लाने की कोशिश करो! इससे बहुत कुछ बाते जाननी है मुझे..!
Ok sir जी कहकर उस जख्मी
शख्स को दो लड़कों ने ट्रेचर पर डालकर एम्ब्युलेंस में ले लिया!
108 को रवाना करके मैं सीधा उस वटवृक्ष के पास पहुंचा जहां गिद्धों ने हड़कंप मचा रख्खा था!
वटवृक्ष की भुजाओं ने झकडा हुआ था और एक हादसा..!
मेरी आंखों में अंधेरा छाने लगा!
कुछ गड़बड़ जरूर थी मगर मैं समझ नहीं पा रहा था!
वटवृक्ष की भुजाओं में जकड़ी हुई लाश की एकएक बोटी गिद्धों ने नॉच ली थी! उस लाश की दोनो टांगे इस तरह से फटी हुई थी जैसे दोनों तरफ से खींचकर किसी ने बेरहमी से उसे दोनों पैरों के बीच से चीर डाला था!
फटे हुए कपड़े खून से सने थे जगह-जगह मांस के लोथडे लटक रहे थे उसका सर पूरी तरह खोपड़ी में तब्दील हो गया था!
इसको इतनी बेरहमी से किसने मारा होगा? मेरे सामने इतना बड़ा सवाल सर उठाकर खड़ा था!
इंसान को दोनों पैरों के बीच से चीर कर इस तरह पेडपर लटकाना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं थी!
मुझे लगा की कहीं ये घटना रेप वाली घटना से जुड़ी हुई तो नहीं है?
डेड बॉडी किसकी है ? इसके बारे में अब तो एक ही इंसान बता सकता था वह ढाबे वाला लड़का!
एक पल की भी देरी किए बगैर मैंने ढाबे के कंपाउंड में पुलिसवाहन को रोका!
गाड़ी की आवाज सुनकर ही ढाबे वाले दोनों बाप बेटे सतर्क हो गए!
"Oh.. कहिए साबजी कैसे आना हुआ?
मुस्कुराता हुआ भैसे जैसा एक काला शख्स बाहर आया!"
" क्यों मुझे चाय पिलाने का इरादा नहीं है क्या ?
मैंने ढाबे में घुसकर एक टेबल पर बैठते हुए कहा! " - बाहर से ही भगा देना चाहते हो?"
" नहीं नहीं साबजी आपसे कैसी नाराजगी ? आपकी रहेम निगाहों से तो हमारी गाड़ी धनाधन दोड रही है! गबरुसिंग दिलदार आदमी है..! और ये आपका अपना ढाबा है !आप जब चाहो नि:संदेह मेरी ईस कूटिया मे पधार भूमि को पावन कर सकते हो..!
बिराजिए में फटाफट अदरक वाली चाय लाता हूं..! सारी सर्दी फूर्र हो जावेगी ! म्हारी सोंगद..!"
मैं जानता था गबरुसिंग ढाबे की आड में भारी मात्रा में अफीन और चरस गुजरात होकर अन्य राज्यों में घुसेड रहा था! बडेबडे अफसर मक्खन खा रहे थे! मुझे भी अपना हिस्सा अलग से मिल जाता था..!
वैसे भी इस बदी को अकेला आदमी नही मिटा सकता उसकी जडे काफी मजबूत थी!
"वो तो ठीक है बरखुरदार..!,
मैने यहां आने का मकसद जाहिर करते हुए कहा! - क्या आप ढाबे में इतने मस्त रहते हो कि अपने अगल बगल में बडी से बडी वारदात हो रही हो और उसकी आप को भनक तक ना लगे ,ऐसा कैसे हो सकता है?"
"पहेलिया मत बुझाईए साबजी वाकई में कुछ नहीं जानता ! कुछ हुआ है क्या.. ?"
"बड़ी हैरानी की बात है गबरुसिंगजी की गिद्धों ने आपके सामने ही वटवृक्ष पर हल्ला बोला है! आपकी पैनी निगाहों से यह बात निकल गई मुझे यकीन नहीं हो रहा!
"हां वहां पर आज गिद्ध नजर आए हैं!
कभी कबार मरे हुए पशुओं को लाकर उधर डाल दिया जाता है तब गिद्घ भारी मात्रा मे तूट पडते हैं..! तभी मैने उस पर कुछ ध्यान नहि दिया..!"
"यही तो मार खा जाते हैं आप ! चौकन्ने रहिए ! चारो दिशाओं पर अपनी नजरें गड़ाए रखें! एक चिडीया भी इलाके में पंख फड़फड़ाये तो आपको पता होना चाहिए! वरना आप की बनी बनाई सल्तनत बिखर सकती हैं!"
"साबजी आपकी बाते मेरे भेझे मे नहि उतर रही! बस जरा सा ईशारा कर देते मेरा ज्ञान बढ़ जाता!"
"अभी सब समझ में आ जाएगा! कहां है आपके सुपुत्र को बुलाइए हम उनके दीदार को बेताब है!"
गबरुसिंग का दिमाग घूमने लगा! वो समझ गया कुछ तो लोचा जरूर था!
रात को वो एक ड्राईवर के साथ बाहर गया था! कोई गडबड करके तो नही लौटा होगा?
वो जैसे ही भीतर जाने लगा मैने उसको रोका!
एक मिनट रुको..!
वो ठिठका..!
में तेजी से ढाबे के काउन्टर पर गया..!
लोकर खोले!
फस्ट नही सेकन्ड लॉकर खुलते ही गबरुसिंग की आंखें फटी की फटी रह गई!
लॉकर में गहने छुपाकर छोरे ने रखे थे ! असलियत सामने आ गई थी! माजरा कुछ हद तक समझ में आते ही गबरुसिंग सीधा मेरे पैरों में गिर पडा!
"लगता है बावले छोरे ने कुछ गलती कर दी है माई बाप ! बचा लीजिए..!"
"तुम जानते हो उसने क्या किया है?
उसके दिमाग के परखच्चे उडाने की मैने ठान ली!
तूम्हारे सपूतने एक्सीडेंट में बेहोश हुई लेडी का रेप करके गहने चुरा के फिर मर्डर करने के बाद उसे जमीन में गाड़ दिया है!
"नहीं साब जी ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता! मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह जानता हूं वो ना किसी का रेप कर सकता है ना मर्डर.?"
रात को वह लोरी का ड्राइवर उसे ले गया था! उसी ने यह सब किया होगा!
कौन था वो..?
इस वक्त मेरी आंखों में खून से सनी हुई नर कंकाल बनी लाश वटवृक्ष पर लटकती तैरने लगी!
"फर्नांडिज...! हा इसी नाम से उसका दोस्त उसे बुलाता है! वो दोनों लोरी लेकर इस राह से जब भी गुजरते हैं, अपने ढाबे की दाल बाटी खाना कभी नहीं चूकते!
कल रात को फर्नांडीज आया था!
छोरे के पास बैठकर कुछ खुसर-फुसर करके निकल गया!
छोरा मुझे बताकर उसके साथ गया था! मुझे लगा कोई छोटा-मोटा काम होगा अभी वापस आ जाएगा!
काफी देर हो गई थी वो नहीं आया था मुझे बहुत चिंता होने लगी.!
जैसे ही उसका पता लगाने में बाहर निकला!
ढाबे की मैन फाटक से उसे प्रवेशता हुआ देखकर मेरी जान में जान आई!
वो काफी घबराया हुआ था! उसको मैंने पूछा भी "तू कहां था इतनी देर?"
वो चुपचाप अपने कमरे में चला गया !
मैंने आसमा की ओर इशारा करते हुए कहा!
"गबरुसिंग जी वो गिद्घ देख रहे हैं आप..? उन्होंने पेड़ पर लटक रही एक लाश को नोच नोच कर खाया है ! मुझे लगता है वो फर्नांडिस की ही लाश है!
हो सकता है उसी ने रेप और मर्डर किया हो! फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसने तुम्हारे बेटे का इस्तेमाल किया हो!
"हां साहब बिल्कुल ऐसा हुआ होगा! मेरा बेटा ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकता!"
" देखो गबरुसिंग जब ये जुर्म हूआ तुम्हारा बेटा भी मौका ए वारदात पर मोजुद था ! सबूत के तौर पर गहने तुम्हारे ढाबेे से बरामद हुए हैं !
यही बातें तुम्हारे छोरे को दोषी ठहराने के लिए काफी है!
मेरी बात सुनकर गबरुसिंग की आंखों में डर कत्थक करने लगा!
एक पल का भी वक्त गवाएं बगैर लॉकर में से उसने 100-100 की दो घड्डिया निकाल कर मेरे हाथों में थमाते हूए कहा ! "ये रख लो और भी चाहिए तो मांग लेना मगर अपने छोरे का नाम इस मामले में नहीं आना चाहिए!
गहने ले जाइए आपको F.I.R बनाने में काम आयेंगे !
" काफी समझदार हो!"
उसने मुझसे दो हाथ जोड़े और मुस्कुरा दिया!
तुम्हारे एक बार मिलना चाहूंगा क्योंकि वो दोनों ड्राइवरों पर केस भी तो बनाना पड़ेगा मुझे? छोरे की बात जानने के बाद ही में आगे की रूपरेखा तैयार करूंगा !
"ठीक है आइए वो उसके कमरे में होगा!" इतना कहकर गबरुसिंग एक कमरे की और आगे बढ़ा!
काफी शातिर दिमाग का आदमी था गबरुसिंग!
इस काले धंधे में आकर उसने परिस्थिति के अनुरूप साम दाम दंड भेद सब कुछ आजमा कर आदमी को वश करना अच्छी तरह जानता था!
मैं भी उसके पीछे चलने लगा अचानक ढाबे में जल रहे लैंप लपक झपक होने लगे कहीं शॉर्ट सर्किट हुई हो ऐसी आवाजे आ रही थी !
गबरुसिंग ने जैसे ही भीतर कदम रखा! उसके हलक से चीख निकली!
उसके चहरे पर असीम दर्द के भाव उमड आए! अपने सीने पर हाथ रखकर वो बस गिरने वाला ही था कि मैने उसे लपक लिया!
छटपटाकर उसने मेरी गोदमे ही दम तोड दिया!
तभी मैने कमरे मे नजरे घुमाई!
फर्श पर सेन्टर मे लहू का एक बडा घब्बा नजर आया!
मेरी आंखे सिकूड गई! वह खून धीरे-धीरे बहने लगा था! मैने देखा की खून मे एक एक बूंदे गिर रही थी जिससे छीटे उछल रहे थे!
मैने नजरे उठाकर छत को देखा! बडा ही खौफनाक नजारा था वो!
गबरुसिंग का छोरा फैन के नीचे उल्टा लटका हूआ था! रस्सी से जैसे उसे कसकर बांधा गया था!
कंधे से दोनो हाथो को जैसे किसी ने राक्षसी ताकत आजमा कर खींच लिए थे वहां से भारी मात्रा में लहु बह रहा था!
कटे हुए दोनों हाथों को फैन के ऊपर रख दिया गया था!
गबरुसिंग की बड़ी-बड़ी खुली बेजान आंखें अपने बेटे की लाश को देख रही थी!
मैं काफी हद तक डर गया था ! यह काम किसी इंसान का नहीं था!
फर्नांडीज और गबरु का छोरा उस बेकसूर औरत के साथ किए गए अत्याचार में शामिल थे !वरना इनकी मौत इतनी भयानक ना होती! गलती तो मुझसे भी हो गई थी! इस हत्यारे का गुनाह ढकने की गलती! नजरअंदाज करने की गलती!
गबरु का सिर अपनी गोद से नीचे पटक कर मैं वहां से जान बचाकर भागा!
.(क्रमशः)

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