Kamsin - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

कमसिन - 22

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(22)

उसका विश्वास कैसे टूट सकता है वह तो अडिग विश्वास करती है ! खुद से भी ज्यादा उन पर भरोसा था और रहेगा भी। जरूर कोई मजबूरी है रवि की, अन्यथा एकदम से उनका व्यवहार बदलना उसकी समझ से परे था। मंदिर बिल्कुल खाली था कोई भी जन आसपास नजर नहीं आ रहे थे। राशि ने बेंच के हत्थे पर अपना सिर रख लिया। ऐसा लग रहा था शरीर में बिल्कुल जान ही नहीं हैं, खून की एक एक बूंद तक किसी ने निचोड़ दी हो । रवि के ख्याल मन को उद्वेलित कर रहे थे। वे खूबसूरत रोमांटिक और प्यार के अनमोल पल उसकी नजरों में किसी फिल्म की कहानी की तरह घूम रहे थे। पिछले एक साल से वह रवि के प्यार में पागल थी और रवि वे शायद उससे भी ज्यादा। उसने उसके दिल की धड़कन में अपना नाम सुना था, वो उसका नाम लेकर ही धड़कता था। कितनी बार उसके सीने से लगकर सकून महसूस किया था। जानबूझकर तो प्यार नहीं किया था न उसने, रवि का नहीं पता, उसके दिल में प्यार के भाव क्यों जन्में ! ये कोई सच था या फिर उसे पाने की कोई सोची समझी साजिश। ये सब उसे नही पता । नहीं, रवि स्वार्थी नहीं हो सकते, बिलकुल भी नहीं ! वे बहुत प्यारे हैं ! वे उसे बहुत प्यार करते हैं ! उसका दिल ये मानने को बिल्कुल तैयार ही नही था। बस दिल और दिमाग में आपस में बहस छिड़ गयी थी ! जरूर कोई मजबूरी रही होगी। लेकिन क्या? वे उसे खुलकर बता सकते थे वो तो उसी की अपनी थी। उसके लिए अपनी जान भी दे सकती है तो ये प्यार की कुर्बानी कौन सी बड़ी बात थी।

जब पहली बार कोचिंग क्लास में रवि से मिली थी, तो वे उसे बेहद अच्छे लगे थे, पढ़ाने में उनका कोई जवाब नहीं बेहद मिलनसार बात करने में एकदम वाकपटु और देखनें में तो काफी स्मार्ट व सुंदर। लेकिन उसके दिल में उनके प्रति सिर्फ आदर भाव था और कुछ नहीं। जब उस रात न्यू ईयर पार्टी थी तो रवि उसके साथ ही लगे रहे थे। खाने पीने से लेकर डाँस करने तक। जब वह ग्रुप में डाँस कर रही थी तो उसके बहुत सारे फोटो भी खींचे थे।

तब भी उसे कुछ महसूस ही नहीं हुआ था। जब रात को काफी देर चली पार्टी में उसके पापा उसे लेने नहीं आये तो वे स्वयं उसे उसके घर के पास तक छोड़ कर आये थे। तब भी उन्होंने कुछ नहीं कहा था। कोचिंग क्लास के साथ अब स्कूल में भी मैथ पढ़ानी शुरू कर ही थी। बहुत ही अच्छी मैथ पढ़ाते थे इतनी आसानी से सब सवालों के जवाब दे देते, कुछ भी पूछों हर सवाल का जवाब उनके पास होता था। राशि उनके इस पढ़ाने के ढंग से बेहद प्रभावित हुई थी। उन्हीं दिनों उनको बीस दिन की छुट्टी लेकर किसी ट्रिप पर जाने का मौका मिला। वे चले गये थे। हाँ कुछ फर्क पड़ा था परन्तु, इतना भी नहीं ! वो घर स्कूल व सहपाठियों में मस्त हो गई थी। वह शायद सोमवार का दिन था। मम्मी का व्रत था वे पूजा करने मंदिर गई थी और पापा दुकान पर। आज उसका मूड कुछ ठीक नहीं था तो स्कूल भी नहीं गई थी। वो टीवी चलाके के अपना मनपसंद कार्टून देख रही थी कि फोन की घंटी घनघनाई अरे ये कौन सी गंदी रिंगटोन बज रही है किसका फोन है? नं. देखे बिना ही उसने काल का बटन दवा के फोन कान से लगा लिया था।

हैलो राशि?

जी हाँ, आप कौन?

मेरा नं. सेव नहीं किया न अभी तक?

ओह सौरी, नं. देखे बिना ही फोन उठा लिया था।

रवि बोल रहा हूँ भई।

ओह रवि सर।

जी हाँ रवि सर। वैसे तुम कैसी हो? पढाई कैसी चल रही है!

सब कुछ ठीक है, बस आप नही है न, तो आजकल मैथस कोई नहीं पढ़ा रहा है ।

ओके जी, आपने कहा और हम निकल लिये वापस आने के लिए।

अच्छा आप वापस आ रहे है?

हाँ मैं कल स्कूल पहुँच जाऊँगा।

चलिए रवि सर ये ठीक किया आपने वरना पढ़ाई का बहुत लाॅस हो रहा था।

अब नहीं होगा मैं आते ही सब कुछ कम्पलीट करा दूँगा।

आप कहाँ गये थे?

मैं घूमने आया इधर पहाड़ों पर अपने दोस्तों के साथ।

जी।

मुझे ये पहाड़ नदियाँ बर्फ बहुत अच्छे लगते हैं। ये प्रकृति ही मेरा जीवन है !

जी।

यह जी, जी क्या कर रही है कुछ बोलो भी !

ठीक है बोलती हूँ।

अच्छा चलो ठीक है !

अब कल पहुँच कर ही बात करता हूँ अपना ख्याल रखना।

बाय सर

बाय राशि। फोन कट गया परन्तु बहुत देर तक वो आवाज उसके कानों में गूँजती रही, अपना ख्याल रखना। वाकई रवि सर बहुत अच्छे हैं उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव तैर गये। अपना ख्याल रखना, ये शब्द उसके मन के तारों को झंकृत कर गये। आज तक तो किसी ने नहीं कहा उससे कि अपना ख्याल रखना ! मीठा मीठा सा एहसास मन के कोने कोने में जग गया। सच में जबसे रवि सर स्कूल में नही है कुछ खाली खाली सा लगता था, वे स्कूल में एक अभिभावक जैसे ही लगते थे। हर बात का ख्याल रखना, देर हो जाने पर घर तक छोड़कर आना या फिर फोन करके पूछना कि तुम ठीक से घर पहुँच गई। वो इसी तरह उनके ही ख्यालों में खोई रहती, अगर मम्मी ने दरवाजे पर बैल न बजाई होती।

बड़ा मुस्कुरा रही हो, क्या बात है राशि?

मम्मी ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अरे वो कार्टून देख रही थी न।

हे भगवान! इतनी बड़ी हो गई पर अभी तक तेरा कार्टून देखना बदस्तूर जारी है।

हाॅ जारी रहेगा क्या बड़े होने पर कार्टून नहीं देखा जाता।

ठीक है देख, मुझे अपना काम करने दे। वो फिर टीवी के आगे आकर बैठ गई पर आज उसका मन टी.वी. देखने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसने चैनल चेंज कर दिया अब वो अपने मन पसंद गाने को सुनने के लिए सारे म्यूजिक चैनल बदल बदल कर देखने लगी।

ये दिन क्यों निकलता है? ये रात क्यों होती है?

हाँ ये गाना ठीक है उसने आवाज थोड़ी तेज कर दी। ओफ्फोह ये लड़की भी न अभी तो कार्टून की दीवानी थी और अब ये गाना। तेरा तो भगवान ही मालिक है। आवाज तो कम कर लो ! मम्मी ने कहा !

वो पूरी रात उसने आंखों में काट दी, सुबह जल्दी स्कूल पहुंचने के इंतजार में। पूरी रात करवटें बदली और वहीं गाना मोहब्बत है क्या चीज हमको बताओ, ये किसने शुरू की हमें भी सुनाओ, दिमाग में घूमता रहा।

सुबह कुछ अलग ही उत्साह व उमंग का भाव उसके मन में चल रहा था स्कूल जाने के लिए। सच जब जीवन बदलता है तो अहसास ही नहीं होता और पल भर में एक नयी दुनिया बन जाती है और उसमें ही खो जाने का दिल करता है। ये पहला पहला प्यार मासूम सा अहसास बनके उसके जीवन में दस्तक दे चुका था। उसके दिन बदल चुके थे, रातें बदल गई थी। उसका नाम लेकर ही दिल धड़कता था, हर तरफ उसका चेहरा नजर ही आता था। वो पहली बार हुआ जब रवि ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा था, वो छुअन उसके रोम रोम को पुलकित कर गई थी, फिर कई रातें वह रवि के ख्यालों में जागती रही ! अब उसकी आंखों से नींद उड़ गई थी।

क्या था उसमें ? नहीं पता बस रवि ने क्लास में सबसे अच्छे नं. लाने पर उसका हाथ पकड़ कर ऊपर उठाते हुए कहा था, देख रहे हो बच्चों मेहनत का फल, राशि ने आज कल अपना पूरा मन पढ़ाई में लगा रखा है और नतीजा पूरे स्कूल में सबसे अच्छे नं, मैथ में फुल मार्क्र्स ! राशि खुश थी क्योंकि उसने इतनी मेहनत, रवि का प्यार पाने के लिए की थी। उसने उस स्पर्श में अपने लिए एक अजब कशिश महसूस की। जो उसे भीतर तक सहला गई थी। वह बड़ी हो गई है इतनी बड़ी कि रवि को पहचान सके, उसके दिल के भेद जान सके, उसे पढ़ सके। उस पर अपने प्यार प्रेम की रसधार बहा दे, उसे सराबोर कर दे, भिगों दे और अपने हिस्से का आकाश अपनी बाहों में समेट ले।

हर लड़की का यही सपना होता है कि अपने भीतरे झरते दुलार की आर्द्रता को उस पर उड़ेल दे, जो उसके प्रेम में तपा हो। क्या रवि भी उसे प्यार करते है। हाँ जरूर करते हैं, जब वह करती है तो वे क्यों नहीं। जरूर उनके मन में भी यहीं भाव तैरते होंगे क्योंकि दिल की आवाज दिल तक अवश्य हीं पहुँच जाती है। वह बदलने लगी थी, तपने लगी थी अपने प्यार के लिए, पहले प्यार के, पहले स्पर्श ने उसे बदल दिया था ! अब रवि जो भी कहते वो मान लेती। उनकी कही बात ही दुनियां में सबसे सही लगती, बाकी सब गलत। अब उसे सिर्फ रवि के बारे में ही सोंचना अच्छा लगता या फिर अपनी मैथ्स दिखाना कि वो अपने प्यार से कुछ शब्द सुनने के लिए दिन रात मेहनत करेगी। सही में जीवन बदल देता है वो जो आ जाता है जीवन में यूँ ही, अचानक से ! वो अपने घर परिवार और पासपड़ोस के लोगों में डूबती जा रही थी !

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