jin ki Mohbbat - 21 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 21

"अम्मी...बेटा उस जिन को पता चल गया था कि में शान के बारे में जान चुकी हूं उसने मुझे इतना डरा दिया था कि ।
"में कुछ नहीं बोल पाई उसने कहा शान को ज़िंदा देखना चाहती हो तो अपना मुंह मत खोलना ।
"तभी से में बुत बान कर पड़ी हुई हूं अम्मी अब में क्या करू इसे कैसे बचा जा सकता है । अब आगे..!


भाग 21

अम्मी ने कहा
"तू किसी पीर बाबा के पास जा उनसे सारी बाते बोल ,श्याद वो कुछ हमारी मदद करे ।
"ठीक है अम्मी... में किसी बहाने से आज ही पीर बाबा के पास जाती हूं ।
शान घर लौट आया l उसे आता देख ज़ीनत और अम्मी दोनो हस्ते हुए बाते करने लगी ताकि जिन को कोई शक ना हो ।
ज़ीनत ने शान की नजर बचते हुआ अम्मी के मोबाइल से अपनी फुफी को कॉल किया ।
कहा !
"कुछ देर बाद मुझे कॉल करना इस नंबर... पर बहुत ज़रूरी बात है ।
कुछ देर बाद फुपी ने कॉल किया जब ज़ीनत शान के साथ थी ।
तभी फोन की रिंग बजी !
ज़ीनत ने कॉल लिया , फुपी ने कहा !
ज़ीनत क्या हुआ बोलना ?
ज़ीनत ने कहा l
क्यू फुफी मुझे घर क्यू अाना है..? सब ठीक तो है ना..?
"बोल ना आप कुछ छुपा रही है मुझसे?"
नूरी कुछ हद तक ज़ीनत की बात समझ गई थी ।
उसने भी हा.. हा करते हुए कहा l
"तू जल्दी से घर आजा अब्बू की तबियत ठीक नहीं है ।"
ज़ीनत - क्या हुआ है अब्बू को वो ठीक है ? में अभी आती हूं आप अब्बू का ख्याल रखे ।
शान बाते सुन रहा था ज़ीनत ने जाने की बात कही तो शान बोला l
"में साथ चलू ?"
ज़ीनत-
" आप मेरे साथ जाएगे तो अम्मी का ख्याल कोन रखेगा? वो अकेली कैसे रहेगी ?
शान -
"ठीक है तुम जाओ लेकिन अपना भी ख्याल रखना ! जल्दी आ जाना ।"
"जी में जल्दी आने की कोशिश करुगी !दुआ करना अब्बू ठीक हो जाए ।"
ज़ीनत बहाना बना कर निकल गई! ओर नूरी के पास पहूंची कहा !
"फुफी जल्दी मुझे पीर बाबा के पास लेकर चलो !"
नूरी को सारी बाते बताई ।
अब नूरी ओर ज़ीनत पीर बाबा के पास आई ! उनको सारी बाते बताते हुए कहा!
" बाबा हमारी मदद कीजिए ।
वो जिन्नात मेरे घर में मेरे शौहर बन कर रह रहा है ! अब में क्या करू ?
पीर बाबा ने बताया की उसे पीछा छुड़ाना आसान नहीं ! वो ज़ीनत से बे पनाह मोहब्बत करता है ।
ज़ीनत उसे कुछ भी करा सकती हैं वो जिन इसकी मोहब्बत में इतना पागल हो गया है कि वो ज़ीनत को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकता।
ज़ीनत अब इस परेशानी से सिर्फ ओर सिर्फ तुम खुद ही निकल सकती हो ।
कुछ ऐसा करना होगा कि वो खुद तुम से दूर जाए अपनी मर्ज़ी से ।
हम उस ताबीज़ के जरिए दूर भी कर दे लेकिन वो ज़्यादा दिन तुम से दूर नहीं होगा वो फिर से आ जाएगा ।
अब में क्या कर सकती हूं..?
पीर बाबाने कहा!
" वो तुम्हे खोना नही चाहता ! तुम्हारी ज़िंदगी उसकी ज़िंदगी है ।
अब तुम कुछ ऐसा करो जिसे वो खुद ही तुम से दूर हो जाए ।
बस ये ताबीज़ लेे जाओ वो तुम्हे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकता है लेकिन घर में जितने लोग है वो उनको ज़रूर कुछ भी कर सकता है ।
ये ताबीज़ उन सब के हाथो में बांध देना इसे वो जिन उनके करीब नहीं आ सकेगा ।ज़ीनत वहा से ताबीज़ लेकर आई !
नूरी के हाथ पे अपने अब्बू के हाथ पे वो ताबीज़ बांध कर गई ।
घर जा कर चुपके से अम्मी के हाथ पर भी ताबीज़ बोंधा ओर कहा!
" अब सब ठीक हो जाएगा ! इंशाअल्लाह ।
शान ने ज़ीनत को देखा !
"ज़ीनत अब्बू की तबियत कैसी है ?अब अभी ठीक है बस मुझे याद करते है तो हो जाती हैं उनकी ऐसी हालत ।
ज़ीनत शान से दूर दूर हो कर बात कर रही थी शान उसके पास जाकर बोला ।
ज़ीनत क्या हुआ..?

क्रमश: