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ना मौजूदगी

ना - मौजूदगी


खाली नहीं है नामौजूदगी तेरी,
ये भरी हुई है तेरी याद से,
तुझसे की थी मैंने हर उस बात से...
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
किनारों तक तेरे एहसास से...

इस कमरे का जो ये खाली कोना है,
याद है मुझे यहां जब तू करीब मेरे आया था,
मेरी उंगलियों से उंगलियां अपनी उलझा कर,
मेरी तरफ देख मुस्कुराया था,
हौले से मुझे अपनी और कर,
तू लबों को कानों तक लाया था,
"तू चली गई तो रह ना पाऊंगा",
ये कहकर सीने से लगाया था,
आज जो तू नहीं है तो गूंजता है,
यह कोना तेरी उस आवाज से,
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
किनारों तक तेरे एहसास से...

घर में जो सीढ़ियां है वो लगता है,
मुझे बार-बार आवाज दे रही है,
कहती है वह दो पल तो आ बैठ यहां,
तेरे अंदर का तो कुछ यही है,
जब जब मैं हर उस जगह से गुजरती हूं,
जहा हमने प्यार के पल साथ बिताए थे,
तब तब तेरी हर बात हर मुलाकात याद आती है,
आज भी लगता है तू यही कहीं आस पास ही है,
फिर याद आता है वो मेरा,
तेरे कान और नाक पर हल्के से काटना,
और तेरा वो मुस्कुराना बड़े प्यार से,
तभी तो कहती हूं कि,
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
किनारों तक तेरे एहसास से...

वो दिन याद है जब मुझसे मिलने,
तू पहली बार आया था,
दिल बड़ा ही बेचैन था तेरा,
पर तू ठीक है ये जताया था,
तेरी आंखें तेरी धड़कन तो,
कुछ और ही बात बता रही थी,
पर लबों से तो तू,
कुछ और ही समझा रहा था,
दुनिया के लिए होली 2 दिन बाद थी,
पर तूने तो रंग दिया था मुझे उसी दिन,
अपने प्यार के रंगों से,
तबसे भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
किनारों तक तेरे एहसास से...

माना की हम नजरों से बोहत दूर है,
पर मेरे दिल में तेरा ही सुरूर है,
अब तुझे देखने के लिए तेरा,
सामने होना तो जरूरी नहीं है,
आंख बंध होते ही तू नजदीक है,
"करीब नहीं है तू",
ऐसी शिकायत क्यों करू,
अब में तुझसे,
अभी तक तो भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
जाना किनारों तक तेरे एहसास से...

कभी-कभी तो तुझ पर इतना प्यार आता है,
कि, अगर तू सामने आ जाए तो,
पहरो तक तुझे बस देखती ही रहूं,
तो कभी-कभी इतना गुस्सा आता है
कि, तू अगर सामने भी आ जाए तो भी ना देखूं,
यह कैसा वजूद बनाया है तूने अपना,
की दिल में भी बस गया,
और दिमाग में भी तू,
समझती हूं मैं भी यह की तू,
मजबूर है अपनी मजबूरियों से,
तभी तो कहती हूं,
कि भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी,
जाना किनारों तक तेरे एहसास...


हीमाश्री...
"राधुं"


हर किसी की जिंदगी में , कोई ऐसा होता है ...

जिसे अपना बना सकते है , पर अपना बता नहीं सकते ...


क्या आप भी किसी से प्यार करते हो जो आपकी एक एक सांस में है पर साथ नहीं... जो आपकी दिल के करीब है पर आस पास नहीं...

तो ये कविता उसे dedicate करे...