Vivek aur 41 Minutes - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

विवेक और 41 मिनिट - 16

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 16

विवेक ने उरपालर की मूर्ति के पास कार रोक कर नीचे उतर चारों तरफ देखा, थोड़ी दूर पर लाइन से ‘पार्क’ की हुई गाड़ियों में सफ़ेद लांसर अलग से साफ दिखाई दी |

समुन्द्र के किनारे दस बजे उत्साह से भरे बहुत लोगों की भीड़ होती है | समुन्द्र की हवा रह रह कर चल रही थी | नारियल मिला शुंडल (साबुत दाल का उबला) मसाला डाली हुई खुशबू आ रही थी | फूल बेचने वाली दो लड़कियां चेन्नई तमिल में अपने कालेपन को धता दिखाते हुए बात कर रही थीं| काम करने वाले मूर्ति के नीचे थे एक आदमी नशे में एक सज्जन नेता को गालियां दे रहा था उसकी लूँगी उतर कर नीचे पड़ी थी |

विवेक अपनी कार पर ताला लगा, सफ़ेद लांसर के पास जाने लगा |

गाड़ी के काँच ऊपर चढ़े हुए थे | सामने वाले काँच को उसने धीरे से थपथपाया विवेक ने “टौक टौक.......” काँच नीचे उतरा |

ड्राइविंग सीट पर मृदुला दिखाई दी | कार के अंदर ए. सी. चल रहा था | धीमी आवाज में रेडियो FM बोल रहा था | विवेक ने अपनी निगाहों को दौड़ाया |

कार के अंदर और कोई नहीं था |

“प्लीज गेट इन मिस्टर विवेक........”

विवेक अंदर घुसकर सीट पर पसर गया | मृदुला के शरीर से गोल्ड फेल्म सेंट की खुशबू एक फूलों के गुच्छे जैसे उसे छू कर चली गई | बहुत से साप्ताहिक पत्रिकाओं के मुख पृष्ठ पर देखा हुआ नामी और बहुत प्रसिद्ध चेहरा है |

“बोलिएगा मृदुला.......... क्या बात है ? आप पुष्पवासन को कैसे जानती हैं ?”

“मिस्टर विवेक ! अभी मैं जो बोलुंगी उस बात को आप बाहर किसी से भी नहीं कहेंगे | हो सकता है कोर्ट में बोलने की नौबत आए तो भी मेरा नाम नहीं आना चाहिए |”

विवेक मुस्कुराया |

“आप मुझ पर विश्वास कर सकती हैं|” मृदुला ने कुछ देर मौन रह कर फिर धीरे से बात करना शुरू किया |

“ये एक साल पहले की घटना है| हीरोइन बनने के लिए एक पिक्चर में मैंने अधिक रुपयों की मांग की | इस एक ही कारण के लिए पिक्चर बनाने वाले ने मुझे एक व्याभिचार के केस में फंसा दिया | कोर्ट में केस चल रहा था तभी एक दिन रात को जज सुंदर पांडियन के कार ड्राइवर दुरैमाणिकम ने आकर मुझे कहा“तुमने कोई गलती नहीं की ऐसा फैसला होना चाहिए तो जज के गेस्ट हाउस में आकर एक रात ठहर कर जाना होगा |” इसके लिए मैंने मना किया तो एक साल जेल जाना पड़ेगा ऐसा बोला | मैंने कोई गलती नहीं की ये फैसला होगा तब ही सिनेमा के संसार में मेरा सम्मान होगा इस सिर्फ एक कारण के वजह से जज की इच्छा को मैंने माना उनके गेस्ट हाउस में गई | सोने के कमरे में मैं और जज थे तब बाहर कॉलिंग बेल की आवाज आई | मुझे कमरे में ही रहने को कहकर उन्होंने जाकर दरवाजा खोला | मैंने खिड़की से झांक कर देखा | जज एक युवक से बात कर रहे थे | बातचीत में गुस्सा था | वे दोनों जो बात कर रहे थे उसे मैं वैसे ही बोलती हूँ |

“तुम्हारा नाम क्या है पुष्पवासन....?”

“हाँ.......”

“अभी तुम्हें क्या चाहिए......?”

“मुझे क़ारूँणया के बारे में जानना है |”

“क्या मालूम करना है ?”

“वह मिल नहीं रही है.....”

“वह तो कोई नौकरी मिलने से अमेरिका चली गई थी ?”

“वह अमेरिका जाने के लिए रवाना होकर एयरपोर्ट गई यह सच है | परंतु वह एयरपोर्ट नहीं पहुंची | रास्ते में ही उसे कुछ हो गया...........”

“कुछ हो गया क्या मतलब है ?”

“आपके द्वारा उसको कोई आफत आई है मतलब |”

“तुम किस से बात कर रहे हो पता है ना ?”

“मालूम है……. सुंदर पांडियन नाम के एक कामुक जानवर के साथ !”

जज तुरंत गुस्से से चिल्लाये |

“दुरैमाणिकम”

ड्राइवर “साहब” बोलते हुए अंदर से बाहर आया | “इस पर थोड़ा ध्यान दो |” ऐसा बोल कर जज अंदर आ गए | उसके बाद पुष्पवासन की गति क्या हुई मुझे नहीं मालूम | उस बात को मैं कुछ-कुछ भूल गई ; पिछले कुछ दिनों से पेपर में, टी. वी. में जज सुंदर पांडियन का नाम पुष्पवासन का नाम ज्यादा ही आ रहा है | अत: मुझे जो सच पता है उसे आपसे कहने की इच्छा हुई | अब बोल दिया |”

“बहुत-बहुत धन्यवाद मृदुला...... पुलिस को इस तरह के सच मिलने से ही दोषी लोगों को पकड़ सकते हैं | आपने जो बातें बताई उसको सुनकर लगता है पुष्पवासन के अभी जीवित रहने का कोई अवसर नहीं है | ऐसा मेरे मन को लग रहा है |”

“मेरा भी यही ख्याल है | अब आप केस को जैसे डील करना है वैसे करिएगा | मैं निकलूँ मिस्टर विवेक.......... ए. वी. एम. में एक नाइट शेडूल शूटिंग है | पेट के लिए सोलो डांस करने के लिए भी मैं मान गई |”

“वंस अगेन थैन्क यू...........” कह कर विवेक कार से बाहर आया तो “गुड नाइट” कह कर मृदुला उड़ गई |

विवेक अपनी कार की तरफ आया तो विष्णु मजदूर की मूर्ति के पीछे से बाहर आया |

“क्या है बॉस.........! कोडमपाक्कम की मौसी क्या बोल कर गई ?”

“आ रे कार में जाते हुए बात करेंगे |” दोनों कार की तरफ जा रहेथे तो विवेक के शर्ट के जेब से उसका मोबाइल बजा | उठा कर बात की | “हैलो.........”

“कौन बोल रहा है विवेक ?”

“हाँ आप कौन ?”

“पुष्पवासन”

***