woh aasman se aati thi - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वो आसमान से आती थी - 1

रात के ढाई बज रहे थे,हवाएं थोड़ी तेज़ चलने लगी थीं,कमरे की खिड़कियां बोहत शोर कर रही थीं,इसी वजह से कबीर को नींद भी नही आ रही थी काफी शोर और बैचेनी उसे सोने नही दे रही थी.

कबीर उठकर सीधे वॉश रूम गया और उसने शावर
चालू किया और पानी की फुआर से थोड़ी बेचेनी ठंडी की
फिर अपने लंबे बालों को सहलाते हुए रूम में आया और टॉवल उतार कर अपना नाईट सूट पहना और एक सिगार निकाली और सिगार के लंबे कश मारने लगा,कश मारते हुए वो गार्डन में आया,हवाएं अब हल्की चल रही थी,शोर काफी कम हो गया था,वो गार्डन की सीढ़ियों पर बैठे कश मार रहा था,तभी उसकी निगाह बंगले के मैंन दरवाज़े पर पड़ी, वहाँ कोई परछाई थी जैसे कोई वहाँ टहल रहा हो,शायद कोई लड़की थी कबीर ने अपनी सिगार बुझाई और दरवाज़े की तरफ चल दिया जैसे जैसे वो दरवाजे की तरफ बढ़ता वो लड़की पीछे जाने लगती और कोहरे की चादर में गुम होने लगी,कबीर ने कदम और तेज़ किये और फुर्ती से दरवाज़ा खोला।

जैसे ही वो बाहर आया वहाँ कोई नहीं था,फिर उसने बायीं तरफ देखा फिर दायीं तरफ वो लड़की उसे दिख गयी लेकिन वो सीधे जा रही थी,काले पटियाला सूट में लड़की बाल खुले हुए और धीमी सी रफ्तार में चले जा रही थी
कबीर को ये बात कुछ हज़म नही हो रही थी,वो भी उसके पीछे चल दिया।

उसने उस लड़की को टोका नही,वो चुपचाप उसके पीछे चलने लगा,वो लड़की चलते चलते जंगल मे जा पहुँची, जंगली जानवरों की भयानक आवाज़ें,डरावने लंबे पेड़ और पत्तो की आवाज़ें काफी डरावना महसूस हो रहा था।

लड़की एक पहाड़ी की नोक पर जा पहुंची और खाई की तरफ पैर लटका कर बैठ गयी।

कबीर की समझ में कुछ नही आ रहा था,वो लड़की खाई में पैर लटकाये चाँद को देख रही थी और फिर अचानक उसने अपना सर झुकाया और खाई की तरफ पूरी झुक गयी और वो लड़की गिर गयी ।
ये देख कबीर हाथ आगे करता हुआ लड़की की तरफ भागा और सीधा खाई की नोंक पर हाथ लटकाये झांकने लगा,
लेकिन शायद देर हो गयी थी।

वो धीरे से उठा और अपने सर के बालों को ऊपर किया पीछे की तरफ मुड़ने लगा,मुड़ते ही वही लड़की उसके सामने खड़ी थी और वो चौंक गया और खाई की तरफ उसका पैर फिसल गया ।


और अंधकार से छा गया।

फिर एक बोहत तेज़ प्रकाश उत्पन्न हुआ और अंधेरा छट गया,अंधेरा छटते ही कबीर ने अपने आपको किसी की आगोश में लेटे हुए पाया उसने अपनी नज़रे धीरे-धीरे ऊपर की और देखा वो उसी लड़की की गोद मे लेटा था वो अचानक उठा और एक पेड़ का सहारा लेकर बैठ गया।

जंगल ही जंगल था और जंगल भी अनजान और सामने बैठी थी खूबसूरत लेकिन अनसुलझी पहेली।

वो लड़की कबीर की आंखों से,आँखें मिलाये उसे देख रही थी बिल्कुल शांत चेहरे पर कोई हाव भाव नही,बस देखे ही जा रही थी।

बोहत हिम्मत करके कबीर ने उस लड़की से पूछा "कौन हो आखिर तुम?"

लड़की ने आसमान की ओर नज़रे की और कहा
"मैं आसमान से आती हूँ"





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