woh aasman se aati thi - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

वो आसमान से आती थी - 3

भाग 2 में हमनें पढ़ा कैसे कबीर उस अजनबी लड़की की ख्वाबों की दुनिया से बाहर आता है और नींद से जाग जाता है आगे पढ़ते हैं क्या होता है.....

कबीर ने ख्वाब से बाहर आकर घड़ी की तरफ देखा,घड़ी ने दस बजने का इशारा दिया,कबीर बाहर गार्डन की सीढ़ियों की तरफ भागा उसने देखा सीढ़ियों पर कल रात की सिगार की कोई राख नही थीं,सहम सा गया था अब तक और असमंजस में भी था काफी।

वो फिर भागा सीधा बंगले के सदर दरवाज़े की तरफ और उसने देखा दरवाज़ा बंद ही था अब तो यकीन था,कि वो सपना ही था।

वो सीधा बंगले के अंदर आया और उसने मारकोस को बुलाया,"मारकोस! मारकोस कहाँ हो तुम जल्दी आओ"।

ढप... ढप... ढप! कदमों की आहट करते हुए दोनों हाथ पीछे किये विलायती अंदाज़ में मारकोस हाज़िर हुआ और अपने देशी और विदेशी मिश्रित अंदाज़ में बोला-

"ब्रेक-फास्ट अभी रेडी नही है! आप कल जल्दी सो गए और मुझे नही बताया कि आप सुबह ब्रेक-फास्ट में क्या लेना पसंद करेंगे"।

"उम्म...ह्म्म्म...ये सब छोड़ो ये बताओ कल रात को सोने के बाद में उठा था क्या देर रात और क्या मैं बाहर गया था?" कबीर ने डूबे हुए स्वर में पूछा।

"सर,आप दरवाज़ा बंद किये बिना सो गए थे रात को मैंने आपके रूम को लॉक किया था और सुबह आपके जागने से पहले खोला था,फिर आप कल बाहर कैसे जा सकते हैं,शायद आपने कोई सपना देखा होगा"।

"हाँ, वो सपना ही था......पर हक़ीकत जैसा"कबीर ने बहुत ही विचार करते हुए कहा।

उसके बाद कबीर ने मारकोस को नाश्ता लेने के लिए भेज दिया।

कबीर भी ऊपर बालकनी में जा कर नाश्ते का इंतेज़ार कर रहा था,तभी अचानक काँच टूटने की आवाज़ आई,कबीर देखने के लिए दूसरे कमरे की तरफ भागा और उसने देखा खिड़की का काँच टूटा हुआ था।

उसने फर्श पर देखा एक गेंद पड़ी हुई थी जो उस खिड़की को तोड़ कर कमरे के अंदर आ गई थी।

कबीर ने उस गेंद को उठाया और खिड़की से बाहर देखा सड़क के दूसरी तरफ एक बच्चा खड़ा था।
जिसके हाथ मे बल्ला था और वो बच्चा कबीर को देख रहा था।

वो बच्चा बिल्कुल अकेला था उसके चेहरे पर कोई भाव नही थे जैसे पत्थर का बच्चा हो जो एक टक कबीर को देखे जा रहा था।

अचानक ही वो बच्चा जंगल के अंदर भाग गया,कबीर भी झट से भागता हुआ बंगले के बाहर आ गया और उस जंगल की तरफ भागने लगा।

कबीर जंगल के अंदर पहुँचा और उस बच्चे को ढूंढने लगा अचानक वो बच्चा दिखा और उसने फिर भागना शुरू किया।

"हे,रुको बच्चे क्यों भाग रहे हो,मेरी बात सुनो रुको"कबीर ने चिल्लाते हुए उसे रोकने की कोशिश की और उसके पीछे भागना शुरू किया।

बच्चा भागते-भागते एक कुँए के पास जाकर रुक गया,कबीर भी उस से कुछ दूरी पर रुक गया।

फिर,उस बच्चे ने कुँए में छलांग लगा दी ये देख कबीर भी कुँए की तरफ भागा और छलांग लगाने ही वाला था कि तभी उसके कंधे पर हाथ रखा।

"क्या कर रहे हो सर आप कुँए में कूदोगे क्या"मारकोस ने कबीर को रोकते हुए कहा।

कबीर ने हड़बड़ा कर बोलना शुरू किया।

"मारकोस...मारकोस वो बच्चा कूद गया इसमें कूद गया वो"कबीर ने संतुलन खोते हुए कहा।

"सर...सर! शांत रहिये कोई बच्चा नही यहाँ,कोई वहम हुआ है आपको"मारकोस ने उसे समझने के प्रयास से कहा।

"नही!नही! वो था उसकी बॉल मेरे कमरे में आई और वो भागा मैं भी भागा और वो कुँए में कूदा"
कबीर ने सकपकाते हुए कहा।

और इतना कह कर उसने अपना हाथ उठाया जिसमें उसने गेंद पकड़ रखी थी और कबीर ने देखा अब उसके हाथ में कोई गेंद नही थी।

"बॉल!कहाँ गई उसकी बॉल मेरे हाथ में थी"कबीर ने हैरत से कहा।

"सर कोई कोई गलतफ़हमी हुई है आपको,कहाँ है बॉल आपके पास,चलिए वापिस चलिए।"मारकोस ने उसे समझाया और उसे वापिस बंगले में ले आया।


दोपहर का वक़्त था,कबीर उसी बच्चे के बारे में सोच रहा था,फिर उसे याद आया कि ऊपर वाले कमरे का काँच टूट गया था जब उस बच्चे की गेंद अंदर आई थी।

वो ऊपर वाले कमरे की तरफ गया,उसने दरवाज़ा खोला और देखा की खिड़की सही सलामत थी,वहाँ कोई काँच नही था,उसे ये देख कर हैरत हुई।


"ये कैसे हो सकता है,आखिर हो क्या रहा है ये?कुछ समझ नही आ रहा"कबीर ने सोचते हुए कहा।

अचानक फिर काँच टूटने की आवाज़ आई,फिर वही खिड़की टूटी और गेंद अंदर आई।
कबीर डर गया लेकिन उसने तुरंत अपने आपको सम्भाला और उस गेंद को उठा कर फिर खिड़की से बाहर देखा।


वही बच्चा फिर उसी जगह खड़ा था और एक टक कबीर को देखने लगा,देखते देखते बच्चा फिर भागने लगा जंगल की तरफ,कबीर ने इस बार बिना देरी किये बालकनी से छलांग लगा दी और सीधा बंगले के गार्डन में कूद गया और बंगले से बाहर निकल कर जंगल की तरफ भागने लगा।

बच्चा कुछ दूरी पर भागते हुए दिख रहा था कबीर भी लगभग उसके करीब ही पहुँच गया था,भागते हुए बच्चा फिर उस कुएँ के पास पहुँच गया।

"है! कूदना नहीं रुको!मैंने कहा रुक जाओ!
कबीर ने चिल्लाते हुए कहा।

लेकिन बच्चा आखिर उस कुएँ में कूद ही गया,कबीर भागते हुए उस कुएँ की तरफ गया और कुएँ के अंदर झाँकने लगा।

ऐसा कुआँ जिसके अंदर सिर्फ स्याह अंधेरा और गहराई इतनी की नापी न जा सके सिर्फ स्याह अँधेरा और उसके अंदर क्या है पानी है या नही कुछ पता नहीं।

कबीर ने भी ज़्यादा देर न कि,वो कुएँ की मुंडेर पर चढ़ा और कुएँ की गहराई देख कर लंबी-लंबी साँसें लेना शुरू कर दी तीन-चार गहरी साँस लेने के बाद,उसने आखरी साँस बहुत गहरी अंदर लेकर थाम ली और कूद गया कुएँ के अंदर।


कुछ पता नहीं सिर्फ अँधेरा और कुछ नही,न कोई शोर न कोई हलचल सिर्फ और सिर्फ अँधेरा दम घोंट देने वाला।

थोड़ी देर बाद साँसे फिर शुरू हुई आँखें खुलीं और कुछ मकड़ी के जाले,कुछ यहाँ-वहाँ उड़ती हुई चमगादड़ और एक सुराख़ जिसके अंदर से बहुत हल्की बहुत ही हल्की रोशनी आ रही थी।


कबीर उठा और उस सुराख़ की तरफ बढ़ा उसमें से आती ठंडी मद्धम हवा और एक अजीब खुशबू उसे और कोतुहल का विषय बना रही थी।

कबीर ने उस सुराख़ के अंदर घुसने की कोशिश की और वो सफल रहा,काफी लम्बी और छोटी सुरंग थी और लेटकर आगे बढ़ना पड़ रहा था डर भी था पर उसके अंदर आती अजीब लुभावनी खुशबू ने जैसे कबीर के दिलो-दिमाग़ पर कोई जादू सा कर दिया था।

उसके अंदर सिर्फ यही इच्छा थी कि इस सुरंग को पार करके देखना है कि उस पार है क्या?
जैसे तैसे उसने सुरंग पार की और आ गिरा एक गुफा में बहुत विशालकाय और भव्य गुफा।

चटटानों से बना जैसे कोई महल,जगह-जगह पत्थर की अप्सराओं की मूर्तियां जिन पर धूल और मकड़ी के जालों के पर्दे थे।

कुछ सोने-चाँदी के प्याले जिन पर काई लगी हुई थी,पत्थर के छोटे-छोटे सिंहासन दोनों ओर एक कतार में थे और बीच में था एक विशालकाय सिंहासन,जिसपर शेर की खाल बिछी हुई थी और नीचे पड़ा किसी जानवर का कंकाल।

कबीर ने उस कंकाल को गौर से देखा तो उसे आभास हुआ ये किसी शेर का कंकाल था और बहुत चीजें तलवारें,भाले,ढालें,बरछे और चाकू दीवारों पर चिपके हुए थे।

कबीर ने जेब से सिगार और माचिस निकाली और सिगार को जलाने के लिए एक माचिस तीली जलाई,तो माचिस की रोशनी में उसे दिखे ज़मीन पर पड़े इंसानों के ढेर सारे कंकाल,वो डर गया उसके मुँह से सिगार और हाथ से माचिस छूट गया।

तभी एक किसी कोने से भयंकर रोने की आवाज़ सुनाई दी।


उँह......हूंऊ......हूँ....उँह....रोने की दहशत भरी आवाज़ दिल दहला देने वाली आवाज़ थी।
कबीर को लगा आवाज़ उसके पीछे से आ रही है,उसने माचिस उठाई और दीवार पर लगी एक मशाल निकली और उसे जलाया।

और आवाज़ के पीछे चल पड़ा उसे एक बहुत ही अँधेरा कोना दिखा जिसके पास जाते ही आवाज़ और तेज़ होती जा रही थी इसका मतलब वहां कोई था।

कबीर आगे बढ़ा और मशाल की रोशनी से देखा एक साया जो काले कपड़ो में बैठे हुए पीठ किये हुए रोये जा रहा है कबीर को थोड़ा डर लगा पर उसने हिम्मत की उसने उस साये के कंधे पर हाथ रखा।

और वो साया झट से कबीर तरफ मुड़ा और कबीर देहल गया,लंबे झुरमुरे बाल जला हुआ हुआ चेहरा और चेहरे पर खून के धब्बे,होंठ थे ही नही जिसकी वजह छारीरे दाँत साफ दिखाई दे रहे थे नाक टूटी हु
एक आँख का ढेला बाहर लटका हुआ था।


ऐसा भयावह चेहरा जो देख ले तो दहशत से ही मर जाये,कबीर घबरा कर गिर पड़ा।
देखने मे वो साया एक औरत का मालूम हो रहा था और धीरे-धीरे कबीर के आगे बढ़ रहा था बिल्कुल करीब आते ही उसने अपना जला हुआ हाथ कबीर की ओर बढ़ाया।

और कबीर बिल्कुल असहाय सिर्फ अपनी मौत को आते हुए देख रहा था,इस मंज़र के बीच एक आवाज़ सुनाई दी।


भोंकने की आवाज़ और ये आवाज़ सुनकर वो साया थम गया,भोंकने की आवाज़ से उस चुड़ैल को डर लग रहा था वो जैसे अपनी डरावनी आवाज़ से उस भोंकने की आवाज़ का प्रतिउत्तर दे रही थी कि चले जाओ मेरे पास मत आना।

साया पीछे हटने लगा और एक कुत्ते की परछाई दीवार पर दिखाई दी और सामने आया एक जंगली कुत्ता।

कुत्ता साये की तरफ भागा और साया एक दरवाज़े की तरफ और कुत्ता भी उसके पीछे चला गया,कबीर ने मशाल उठाई और अपने आपको संभाला और वो आगे बढ़ा,गुफा में चलते-चलते उसे एक दरवाज़ा दिखाई दिया,उसने दरवाज़ा खोला।

एक कमरा बहुत ही सुसज्जित और शान ओ शौकत से भर-पूर एक बहुत बड़ा कमरा जिसमे कालीन बिछे हुए थे,दीवारों पर तस्वीरें और मूर्तियां थीं।

लेकिन ये क्या कबीर के कदम थम से गये एक तस्वीर जो धुंधला सी गयी थी,कबीर ने उस तस्वीर को उतारा और उस पर से मिट्टी हटाई,जब तस्वीर साफ हुई तो देखा रंगों से बनी किसी राजा की तस्वीर थी।

चित्रकार ने किसी ज़माने में यहाँ के राजा की तस्वीर बनाई थी जो इस कक्ष में आज भी मौजूद थी,सिंहासन पर विराजमान राजा और उसके कदमों में बैठा शेर।

कबीर ने तस्वीर और साफ की और राजा के चेहरे को गौर से देखा और वो चौंक गया,तस्वीर में बैठा राजा और कोई नही मारकोस था.............




कहानी जारी है....

तस्वीर का क्या रहस्य है?
वो ख़्वाब में आने वाली लड़की कौन है?
वो अनजान बच्चा कौन था?
उस काले साये और कुत्ते का क्या रहस्य है?

सब जानेंगे लेकिन कहानी की अगली कड़ी में।