Ishq Junoon - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

इश्क़ जुनून - 5





शामको में ओर माया इस्कॉन मोल के कॉफे एरिया में एक टेबल पर आमने सामने बैठे थे।
अपनी सवालभरी निगाहों से वो मुजे ही देखे जा रही थी।
मैने वहाँ की खामोशी को तोड़ते हुवे उसका हाथ पकड़ते हुवे धीरे से कहा
''में भी तुमसे प्यार करता हु माया..''
ओर मानो मेरा जवाब सुनकर उसके चहेरे की वो खोई हुई हँसी वापस आ गई..
उसने मुजे हैरानी से देखा और कहा
''सच, सच मे तुमभी मुझसे प्यार करते हो?''
''हा..माया में तुमसे बहुत प्यार करता हु''
उसने मुजसे सीधे शादी के लिए पूछा,
''तो क्या तुम मुझसे शादी करोगे..?''
उसके सवाल के साथ ही मुजे बाबाजी के वो शब्द याद आ गए।
वही शब्द जिन में स्पष्ट चेतावनी थी की ना तो ये लड़का किसीसे प्यार कर सकता है ओर ना ही शादी..अगर इसने ऐसा करने की जुर्रत भी की तो वो इसके प्यार को मार देगी..
माया ने देखा की में फिर किसीके ख्यालो में खो गया उसने मेरा हाथ पकड़ते हुवे कहा
''वीर, कहा खो गए..?''
में उन ख्यालो से एकदम बाहर आया।
ओर मुस्कुराकर कहा..
''माया, बोलो कब करनी है शादी दूल्हा तैयार है..''
वो थोड़ी शरमाई..
''इतने भी उतावले मत बनो शादी को अभी बहुत टाइम है''
उस के बाद हमदोनो के बीच काफी कुछ बाते हुई..
पर मुजे नही पता था की हमारे आसपास उस मोल में कोई था। जो हमे कब देख रहा था। हमारी बाते सुन रहा था।
* * *
फाइनली में ओर माया एक हो गए उस कॉफे एरिया से निकलकर हम दोनों थिएटर में चले गए मूवी की टीकिट्स तो मेने कल रात ही ऑनलाइन बुक कर दी थी सात बजे का शो था।
मूवी के बीच ही जब हीरो ने अपनी हीरोइन को किस किया मेने भी मोके का फायदा उठाकर माया को किस कर ही लिया। पहले माया ने थोड़ी सी अपनी शरम दिखाई फिर शायद उसे लगा की में नाराज हो जाऊंगा इसीलिए उसने भी अपनी शरम छोड़ दी।
थिएटर के अंधरे कोनेवाली सीट पर हम रोमांस में खोये थे। ओर सामने मूवी के पददे के पीछे से कोई हमे देख रहा था।
रात को तकरीबन दश बजे के आसपास मूवी खतम हुई ओर फिर में ओर माया निकले अपने अपने घर की और
माया की हौंडा सिटी कार उसवक़्त में ड्राइव कर रहा था। उसे नींद आ रही थी तो उसे मेने ड्राइव करने से मना किया। मेरे बगल में वो अपनी सीट पर ही नींद के झोंखे खा रही थी। में ड्राइव कर रहा था की तभी अचानक
मुझे वो गाना सुनाई देने लगा..
हा.. वही गाना
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
हो..ओ तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना..
ड्राइव करते करते मेने माया को कहा।
''माया प्लीज़..अपना फोन उठावो..''
मेरी आवाज सुनकर उसने मुस्कुरा कर कहा
''वीर, पागल हो गए हो, मेरा फोन तो कब से स्विच ऑफ है''
मेने हेरानी से पूछा
''तो फिर ये गाना.. कहा बज रहा है.?"
उसने भी हैरान होते हुवे पूछा
''वीर, कोन सा गाना ? तुम किस गाने की बात कर रहे हो ? मुजे तो यह कोई गाना नही सुनाई दे रहा ''
''अरे वही, यार तुम्हारा वो रिंगटोन वाला मुजे अब भी सुनाई दे रहा है..''
मेरी बातें सुनकर वो हैरानी से मुझे देख रही।
''तुम क्या कह रहे हो मुजे तो कुछ समझ नही आ रहा''
तभी.. मानो गाड़ी की पीली हेडलाइट सामने वही लाल रंग के शादीवाले जोड़े में खुलेबालो वाली वो लड़की आ गई जिसे मेने कल रात ही अपने घर के पास देखा था वो अचानक से हमारी कार के सामने से गुजरी।
ओर उसने सर घुमाकर हमारी और देखा
इस बार मुजे उसका चेहरा साफ दिखाई दिया।
लाल रंग के शादी के जोड़े में सोला सिंगर सजी वो जैसे मानो अपनी शादी छोड़कर भाग आई थी।
खूबसूरत से उस चहरे पर मानो बर्षो की बेबसी के साथ आंखों में बर्षो के आँसु भी थे।
उसे अचानक ही मेरी कार के सामने गुजरते देखकर ही
मेने उसे बचाने के लिए स्टियरिंग घुमाया।
वो तो पल में कही आंखों से ओझल हो गई और हमारी कार अपना संतुलन खो कर सामने दिखाई दे रहे एक बड़े पेड़ से टकराई
साथ ही माया की दर्दनाक चींख के साथ एक जोर की आवाज आई और.. मेरा सर कार की स्टीयरिंग से टकराया ओर में बेहोश हो गया
* * *
दो दिन बाद एक संजीवनी नामकी हॉस्पिटल के फर्स्ट फ्लोर पर रूम नंबर दो के एक सफेद कमरे में एक बेड पर मुजे होश आया। उस पल मेरा सर कुछ भारी भारी से लग रहा था क्योंकि उस एक्सीडेंट में मेरे सर में बहुत गहरी चोट आई थी।
में यह कैसे पोहचा ये तो मुजे नही मालूम था। पर मेरे आंखों के सामने कुछ घटना ये बार बार दिख रही थी।
एक हॉस्पिटल का ऐसा ही सफेद कमरा जिसमे एक बेड पर मानो बर्षो की नींद में सोई एक सावली सी लड़की, जिसे देखकर मानो ऐसा लगा की उसे में जानता हु वो मेरी ही कोई करीबी है। पर कोन..? कोन है ये लड़की ?, मुजे ही क्यु दिखाई दे रही.. ऐसा क्या रिश्ता था मेरा उसके साथ ? अपने ही सवालो से घिरा हुवा था की अचानक ही आंखों के सामने कुछ पुरानी घटनाए घूमने लगी।

किसी पुराने सरकारी स्कूल का बिल्डिंग था जिसके एक क्लास में प्रिंसिपल साहेब अंदर आये और आते ही उसने कहा
''संध्या शर्मा रोल नंबंर 41''
एक थोड़ी सावली ओर मासूम सी लड़की पहेली बेंच पर घबराते हुवे खड़ी हुई
उसे देखकर प्रिंसिपल साहब ने खुश होकर उसके पास जाते हुवे कहा
''अच्छा तो तुम संध्या हो..?''
घबराते हुवे उस लड़की ने हा में अपना सर हिलाया
उसकी घबराहट देखकर प्रिंसिपल साहब ने उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुवे कहा
''अरे बेटी घबरा क्यु रही हो में तुम्हे ये बताने आया हु की पिछली बार स्कूल में जो गाने की प्रतियोगिता हुई थी ना उसमे तुम फर्स्ट आई हो''
इतना सुनते ही संध्या नामकी वो लड़की एकदम खुश हो गई,

क्रमशः