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मुलाकात

दोनों बहुत लंबे समय बाद मिले थे। दोनों अपने घर जाने को थे। बातचीत शुरू होती उससे पहले प्लेटफार्म पर ट्रेन आने की घोषणा हो चुकी थी। लड़की को बैग उठाता देखे उसने भी अपना सामान कंधे में रख लिया। अपनी जगह पर सामान रखकर लड़के से बात करने वह नीचे आई। लड़के ने कहा, आज अचानक तुमसे मिलकर ख़ुशी हुई। आज भी वैसे ही हो या वक्त का बदलता दौर तुमसे भी गुजर चुका है? उसने कहा, क्या तुम बदल चुके हो ? ऐसा किसने कहा? बदल जाने से मुझे याद आया आजकल पुरानी चीजों से बहुत प्यार होने लगा है। जैसे पुराने वह संवाद जिसे याद करते ही चहरे में मुस्कुराहट तैरने लगती है। उसने मुस्कुराते हुए लहरा कर अच्छा..कहां। फिर कहा, तुम साफ-साफ क्यों नहीं कहते की आज भी मुझसे प्रेम करते हो! हमारी आखरी मुलाकात की यादे भी धुंधली हो चुकी हैं। हमें बात किये भी लंबा वक्त बीत चुका हैं। ऐसे में इस वर्तमान में तुम्हारे लिए मैं ही पुरानी हो चुकी होंगी? और तुमको मैं फिर प्रिय लगने लगी हूं। हैं ना ? ऐसा बिलकुल नही है। सब ख़त्म होने के बाद भी मैंने तुमको वर्तमान में ही रखा है। कभी पुराना होने ही नहीं दिया। लेकिन ऐसा क्यों? मुझे लगता है जब चीजे पुरानी हो जाती है तो एक वक्त बाद उन चीज़ की जड़े निकल आती है और फिर वह वैसा बनना चाहता है जैसे पहले हुआ करता था। और मेरे सत्य में तुम शामिल नहीं। अगर तुम पुरानी हुई तो एक वक्त बाद तुम्हारी भी जड़ें निकल आएगी और फिर वही होगा, जो मैं चाहता नहीं। बहुत गुस्सा करने लगे हो तुम। समझ सकती हूं गलती मेरे थी। उतने मैं ट्रेन छुटने की घोषणा हो गई। लड़की झट से गेट पर चढ़ गई। लड़के ने कहा, अपना ध्यान रखना। इच्छा भाव से उसने कहां तुम भी मेरे साथ सफ़र क्यों नहीं करते? नहीं मेरी सीट पीछे वाले डिब्बे में है। अगले क्षण में उसने बात खत्म कर दी। अच्छा सुनों मुझे अगर रात में नीद ना आई तो तुमकों काल कर लुंगी अपने दफ्तर के किस्से सुनाना मुझे। तुमको तो पता हैं मुझे तुम्हारे दफ्तर की किस्से सुनते ही नीद आने लगती है। शायद तुम इसी पुरानी यादों से आज प्यार करते होंगे? तुम शायद कब से कहने लगी? मेरे लिए भी शायद एक अंतिम उम्मीद की तरह है जो हमेशा बची रहती है। संवाद को बनाए रखने की एक उम्मीद के साथ। लेकिन अब शायद उस उम्मीद की उम्र हो चुकी है। लेकिन खत्म तो नहीं हुई है। मैं तुम्हारे वर्तमान में पुराना होना चाहती हूं। अब उम्मीद खत्म हो चुकी है। ट्रेन चलने लगी। वह भी अपने जगह पर जा बैठा गया। सफर में वह गहरी नींद की कल्पना करता रहा, ताकि वह खुद से उसके बारे में संवाद कर सके. रात में वह उसके फोन का इंतजार करता रहा. इच्छा भी उसे वह उसे फोन कर पूछ ले. कोई दिक्कत तो नहीं. जब ट्रेन स्टेशन रुकी वह उससे मिलने उसकी जगह पर पंहुचा पर वह वहां नही थी. खैर..