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एक ज्योतिषीजी पर मुकदमा

एक ज्योतिषीजी पर मुकदमा

आर० के० लाल

वकील साहब! मुझे एक मुकदमा दायर करवाना है, अंकुर ने अपने रिश्तेदार से कहा जो हाईकोर्ट में एक एडवोकेट हैं। एडवोकेट साहब ने कहा, “अरे भाई साहब! आपको किस तरह का मुकदमा करना है? क्या आपने कहीं कोई फौजदारी कर दी या घर में चोरी हो गई? घर में सभी लोग कुशल से तो हैं””? अंकुर ने उत्तर दिया, “ “सभी लोग कुशल पूर्वक हैं, कोई चोरी भी नहीं हुई, लड़ाई-झगड़ा भी नहीं हुआ है। मुझे तो उस ज्योतिषी पर मुकदमा करना है जिसने मेरा विवाह पक्का करवाया था। मेरे माता-पिता उसके पास बहुत दौड़े थे। कई अच्छी लड़कियों का रिश्ता आया था परंतु लगभग बीस-पचीस कुंडलियों को उन्होंने रिजेक्ट कर दिया था और बता दिया था कि किसी लड़की से गुण नहीं मिलते, कोई मंगली तो किसी पर राहु या शनि का दोष था। उन्होंने हर बार कुंडली मिलान के नाम पर काफी पैसा लिया था। एक बार तो मुझे लगने लगा था कि शायद अभी तक कोई छोरी मेरे लिए पैदा ही नहीं हुई है। उसके लगभग दो माह बाद उसने उन्होंने बड़ी सुशील कन्या है, मंगली भी नहीं है कह कर और छत्तीस में से बत्तीस गुण मिला कर मेरी शादी शोभा से करवा दी। कई ग्रहों, सूर्य और बुध आदि के स्थान बताते हुये कहा था कि लड़की का स्वभाव बहुत मधुर एवं सरल होगा। कुंडली में भकूट और नाड़ी कूट के आधार पर कुंडली मिलान के परिणाम अनुकूल और संयोजन सर्वश्रेष्ठ बताया था । उन्होंने विस्तृत व्याख्या करते हुये कहा था कि कुंडली दोनों में आपसी समझ, अनुशासन , समर्पण और अनुकूलता को दर्शाता है । कहा था कि लड़के और लड़की दोनों का राशि स्वामी सूर्य हैं जो अत्यंत उपयुक्त है, लड़के और लड़की दोनों का वर्ण क्षत्रिय है जो सोने पर सुहागा है। इस तरह तमाम बखान किए थे परंतु असली बात छुपा गए थे कि लड़की का गण राक्षस है जो अच्छा नहीं होता। इस प्रकार उन्होंने मुझे धोखा दिया”।

अंकुर ने फिर कहा, “आज शादी के सात साल हो गए हैं, दो साल तो सब कुछ ठीक चला परंतु अब आए दिन आपस में बवाल होता रहता है। ज्योतिषीजी ने जो कुछ बताया था सब कुछ उसका उल्टा हो रहा है। मैं अपनी पत्नी का कुछ नहीं कर पा रहा हूं । आप बताइए मुकदमा करने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा”? यह सुन कर वहां बैठे सभी लोग हंसने लगे कि यह अपनी तरह का पहला मुकदमा होगा । अंकुर ने सबको शांत कराते हुये कहा था, “कृपया हँसिये मत, यह एक गंभीर मामला है । गुस्सा बड़े- बड़ों की जिंदगी तबाह कर देती है । अगर किसी की बीवी का नेचर ही गुस्से वाला निकल जाए तो क्या होगा? कोई भी अपना संतुलन खो सकता है। शोभा हर समय परिवार के लोगों के साथ तू-तू मैं-मैं करती रहती है किसी की सुनती कम है बोलती ज्यादा है । चाहती है कि सभी उसके इशारे पर नाचते रहें। मेरी बीवी का गुस्सा तो उसकी नाक पर बैठा रहता है। लगता है जैसे वह गुस्से होने का कोई न कोई बहाना तलाशती रहती है। जब वह गुस्से से लाल-पीली होती है तो मुझे घर छोड़ कर चले जाना पड़ता है। इसी वजह से हमारे बीच एक गहरी खाईं भी पैदा होने लगी है। इन सबका दोष ज्योतिषी का है जिसने पैसा लेने के बावजूद ठीक सर्विस नहीं दी” ।

वहाँ बैठे एक मुवक्किल भी बोल पड़े, “मेरा भी यही हाल है। मेरी बीवी स्वभाव से काफी जिद्दी है । उसे तो सभी चीजें अपने मन मुताबिक ही चाहिए । वह अपने अपने गुस्से से किसी को भी डरा सकती है। वकील साहब! मेरे लिए भी कोई उपाय कर दीजिये” । वकील साहब तो कोई मुकदमा कर सकते हैं, उन्हें तो अपनी फीस से मतलब होता है।

वकील साहब ने अंकुर से कहा, “ अंकुर जी यह मामला केवल आपका ही नहीं है बल्कि आपके पूरे परिवार का है, खासकर आपकी पत्नी का है। इन सभी के बयान दर्ज कराने पड़ेंगे। अच्छा होगा कि भाभी जी अपना पक्ष मेरे सामने रख दें ताकि मैं उनकी बातों का भी जिक्र मुकदमे में कर दूं। आपके कहने पर तो वह आप से लड़ने लगेंगी और आप पर गुस्सा होंगी इसलिए मैं स्वयं उनसे बात कर लूंगा। उनके भी रिटेन स्टेटमेंट ले लूँगा ।

कुछ दिनों बाद वकील साहब ने अंकुर की पत्नी शोभा से मुलाकात की और बातों- बातों में उनके वैवाहिक जीवन के बारे में पूछ लिया। शोभा का भी कहना था कि उनके साथ धोखा हुआ है। इसमें ज्यादा हाथ उनके सास - ससुर का है जो अपने लड़के की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। कह रहे थे कि यह बहुत ही सरल स्वभाव का है। अंकुर कहीं से भी सीधे – सादे नहीं हैं , हमेशा मुझे खरी-खोटी सुनाते रहते हैं । किसी काम में हाथ नहीं बटाते। इतना भी नहीं होता कि हमें कभी कहीं घुमाने ले जाएँ । मुझे तो नौकरानी ही समझ लिया है। दो-दो बच्चे पैदा कर दिए हैं जैसे मैं कोई बच्चा पैदा करने वाली मशीन हूं। एक बार मेरी मम्मी यहां आ गई थी तो उनकी आवभगत करने के बजाय अंकुर अपने कार्यालय के टूर पर चेन्नई चले गए । वापस तभी आए जिस दिन मम्मी वापस जा रही थी। मेरे लिए कभी एक पैसा नहीं निकलता। मैं जो भी कहती हूं उसका उल्टा ही करते हैं। आए दिन अपने दोस्तों की पार्टी घर में करते रहते हैं और मुझे बहुत ढेर सारा काम करना पड़ता है। फिर शोभा ने बताया इन सभी में उन ज्योतिषीजी का भी हाथ है जिसने मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा था बेटा शोभा यह बड़ा शुभ संजोग है। एकदम राम-सीता की जोड़ी होगी तुम दोनों की। पूरे इकतीस गुण मिलते हैं, बड़ी सुंदर कुंडली है। मेरी मम्मी- पापा उनकी बातों में आ गए थे। पूरे पचीस सौ रुपये कुंडली मिलाने का दिया गया था। मगर सब झूठा निकला। मेरा बस चले तो उसे गोली मार दूं । शोभा धारा प्रवाह बोले जा रही थी, वकील साहब को कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया। वकील साहब कोर्ट जाने के बहाने वहां से भाग खड़े हुए। बस इतना पूछा कि यदि उस ज्योतिषी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दूं तो आप पार्टी बनेगी? शोभा ने पूछा कि क्या यह संभव है? आपकी बड़ी कृपा होगी उनको सबक सिखाना ही चाहिए। मेरी सहमत है, आप अपना वकालतनामा भेज दीजिएगा , मैं हस्ताक्षर कर दूंगी।

अगले दिन ही वकील साहब ने अपने स्टेनो को बुला कर एक रिट पिटीशन लिखवा दी। नोटिस भी उन ज्योतिषीजी के घर के पते पर भेज दिया। नोटिस पा कर ज्योतिषीजी हड़बड़ा गए। उनकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाए। मुकदमे के लिए दूसरा वकील करने और पैरबी करने में बहुत खर्च आयेगा , टेंशन अलग से रहेगा। ज्योतिषीजी ने सोचा कि कई सालों तक केस चल सकता है, इस समय उनके ऊपर भी राहू की महादशा चल रही है इसलिए मुकदमा हार जाने का संयोग है, कहीं सजा न हो जाए इसलिए उचित होगा कि यजमान से समझौता ही कर लिया जाए।

इसलिए नोटिस मिलते ही तुरंत ज्योतिषीजी ने अंकुर के वकील से संपर्क किया और सुलहनामा का प्रस्ताव रखा जिसकी फीस देने को वे तैयार थे । वकील साहब ने अंकुर को बुलवाया और समझाया कि ज्योतिषीजी कुछ उपाय कर देंगे, जरूरी पूजा करा देंगे ताकि आपकी और शोभा के रिश्ते सुधार जाएंगे। इसलिए बिना मुकदमा दायर किए ही काम बन जाएगा । अंकुर मान गया मगर उसने कहा कि मैं पूजा-पाठ में कुछ नहीं खर्च करूंगा और अगर नतीजा ठीक नहीं निकाला तो कम से कम इन पर 420 का केस तो बनता ही है।

ज्योतिषीजी ने वकील साहब से कहा, “मैं उपाय करता हूँ मगर यजमान को भी कुछ करना होगा। मुझे पति पत्नी दोनों को कुछ गुरु मंत्र देना पड़ेगा, और उनकी काउंसलिंग करनी पड़ेगी। गणेश जी ने चाहा तो सब मंगल ही होगा। उनके लिए मुझे महामृत्युंजय जाप भी करना पड़ेगा तो मैं करूंगा और कोई पैसा नहीं लूंगा। बस मेरी जान आप बचा दीजिए”। अंकुर भी अपने जीवन में शांति के लिए सब कुछ करने को तैयार था । ज्योतिषीजी ने ग्रहों को शांत करने के लिए कई पूजा-पाठ कराये और बारी-बारी से अंकुर और शोभा से लंबी वार्ता की। अपने अथक प्रयासों से दोनों की कमियाँ वे जान चुके थे मगर खुल कर कहना नहीं चाहते थे। उन्होंने दोनों से कहा, “हम लोग शादी करा सकते हैं लेकिन अपना जीवन तो तुम्हें स्वयं ही जीना पड़ेगा। इसलिए तुम दोनों एक दूसरे की फीलिंग को समझो और उसी के अनुसार अपना जीवन बिताओ। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। कोई आदमी पूरा परफेक्ट नहीं होता इसलिए अनावश्यक एक दूसरे की गलतियाँ मत निकालो बल्कि अपने प्यार की ताकत को इतना मजबूत कर लो कि दूसरा अपनी गलती स्वयं सुधार ले। शादी के बाद हर पति पत्नी एक दूसरे से बहुत सारी उम्मीदें रखते हैं जिसे मिल कर पूरा करना पड़ता है”।

ज्योतिषीजी ने आगे बताया , “शादी होते ही लड़की अर्द्धांगिनी हो जाती है तो दो शरीर एक जैसे हो जाते हैं। दोनों हिस्सों को एक्टिव रखना जरूरी है वरना एक हिस्सा अपंग हो सकता है। कुंडली से संयोग बताया जा सकता है पर आपसी सम्बन्धों को एक शरीर की तरह स्वस्थ और निरोगी रखने के लिए तो आपको ही प्रयास करना पड़ेगा। रिश्तों की फंक्शनिंग सामान्य रखने के लिए अहम पर नियंत्रण होना चाहिए, केवल अच्छा देखें, थोड़ा रोमांटिक मूड भी बनाए रखें, एक दूसरे को सरप्राइज़ और समय दें। रिश्तों में खराबी न आने पाये इसलिए सजग रहें । कहा जाता है कि प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर । अपने निर्णय आपस मे बातचीत करके स्वयं लें किसी तीसरे से पूछ कर नहीं । अपने मन के कम्पुटर की हार्डडिस्क के पार्टिसन करके कुछ बातें तो स्थायी रखें बाकी कूकीज़ , बैड फ़ाइल को डिलीट करते रहें। आपकी हर सुबह नयी होनी चाहिए। आप दोनों का जीवन पहले आपका है, अपनी जिम्मेदारियाँ निभाएँ जरूर परंतु दूसरे की लाइफ सवांरने के चक्कर में अपनी लाइफ स्वाहा न होने दें चाहे वह कोई महिला, पुरुष, औलाद या रिश्तेदार ही क्यों न हो। दोनों को गुस्से के कारणों का पता करके सिचुएशन को प्यार से हैंडल करना चाहिए”। यह बात अंकुर और शोभा दोनों को समझ में आ गई। अब वह दोनों एक दूसरे के साथ पूरी तरह समझौता करके रहते हैं।