Atonement of a Chain Snatcher books and stories free download online pdf in Hindi

चेन स्नैचर का प्रायश्चित

चेन स्नैचर का प्रायश्चित

आर ० के ० लाल

रत्नाकर ग्रेटर नोएडा के एक विशिष्ट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक करने के बाद एमबीए के अंतिम वर्ष में था। कॉलेज में पिछले तीन दिनों से एक बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का प्रोजेक्ट मैनेजर के पद के लिए कैंपस इंटरव्यू चल रहा था। लिखित परीक्षा और ग्रुप डिस्कशन उत्तीर्ण करने के बाद आज रत्नाकर का भी अंतिम दौर का साक्षात्कार था। रत्नाकर का नंबर आने पर वह साक्षात्कार कक्ष में गया जहां चार एक्सपर्ट थे। सभी ने उसका स्वागत किया और उसे बैठने के लिए कहा।

साक्षात्कार - बोर्ड के चेयरमैन ने उससे प्रश्न किया , “मिस्टर रत्नाकर! आपके बायोडाटा में विकलांग लिखा हुआ है जबकि मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा है कि आप कहां से विकलांग हैं”। मुस्कुराते हुए रत्नाकर ने अपना बायां हाथ सामने कर दिया और कहा कि सर मेरे बाएं हाथ की दो उँगलियाँ एंप्यूटेटेड हैं जिनके ऊपर यह आर्टिफिशियल लिंब इंप्लांट है। मैंने अपनी सी० वी० में नियमानुसार विकलांगता की परसेंटेज भी उल्लिखित कर दिया है। रत्नाकर ने संक्षिप्त सा व्योरा दिया कि एक कार की टक्कर से दुर्घटना होने पर कार की पहिये से हाथ कुचल गया था जिससे दो उँगलियाँ काटनी पड़ी थी। सभी एक्सपर्ट ने सॉरी बोला।

एक एक्सपर्ट ने कहा, “आपने बी टेक में पूरी यूनीवर्सिटी में टॉप किया है और एमबीए सेमेस्टरों में भी सर्वाधिक अंक अर्जित किए हैं मगर मगर बीटेक के प्रथम एवं द्वितीय वर्षों में आपके कई सब्जेक्ट में बैक पेपर आए थे। इसके पीछे क्या कहानी है? साथ ही चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि हम आप के अध्ययन के अचीवमेंट के बारे में कुछ ज्यादा जानने में इच्छुक नहीं है क्योंकि वह तो मार्कशीट और सर्टिफिकेट से पता चल ही रहा है। हम तो जानना चाहते हैं कि आप मुझे अपने जीवन की कोई एक घटना बताएं जो आपकी असफलता अथवा मुसीबत का वर्णन करता हो । साथ ही बताएं कि आपने उस सिचुएशन को किस प्रकार हैंडल किया?

रत्नाकर कुछ देर सोचता रहा फिर वह अगले क्षण ही बोल पड़ा, “सर मेरा एक्सीडेंट ही मेरे जीवन की सबसे बड़ी घटना है जिसने मेरी लाइफ ही बदल दिया। चूंकि मुझे लगता है कि मुझे आपके साथ आपकी कंपनी में काम करने का मौका मिल जाएगा इसलिए मैं आपसे कुछ छुपाना नहीं चाहता। मेरी अच्छाइयों और बुराइयों का पूरा ब्यौरा आपको पता होना ही चाहिए। मगर आप से अनुरोध है कि भले ही आप मेरा चयन न करें परंतु जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ उसे किसी से शेयर न होने दीजिएगा क्योंकि यही मेरी ताकत है जो मुझे पश्चाताप के बाद मिली है, और यही मुझे आजीवन संबल देता रहेगा ताकि मैं जीवन की तमाम समस्याओं को निपटा सकूँ ।

एक एक्स्पर्ट ने कहा, “वेरी इंटरेस्टिंग, आप निश्चिंत रह सकते हैं। यह वार्ता नितांत गोपनीय रहेगी। आप खुल कर बताएं। हमारे पास समय की कमी नहीं है, परंतु हम अब भी चाहेंगे कि हमें पता चले कि आपने विषम सिचुएशन को कैसे मैनेज किया?,

रत्नाकर ने धन्यवाद देते हुये कहा, “सर ! इस कहानी की शुरुआत होती है जब मैंने इस संस्थान में प्रवेश लिया था । मेरे पिता ने सारी सुख सुविधाएं यहाँ भी मुहैया करा दी थी। उनके पास पैसों की कमी नहीं थी मगर मुझे जरूरत से ज्यादा पैसे नहीं देते थे। नया नया शहर आया तो मेरी आदतें बिगड़ गईं । अक्सर नोएडा से दिल्ली जाता, होटलबाजी करता। मैंने पब्जी क्लब भी ज्वाइन कर लिया था। तभी फेसबुक पर मेरी दोस्ती नेहा से हो गई थी । मैंने ही उसे ई – मेल किया और वह मेरे कहने पर हैंगआउट पर आयी। फिर हम दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। उसकी उम्र करीब उन्नीस साल थी। वह काफ़ी फैशनेबल लड़की थी और उसका चेहरा काफ़ी आकर्षक था, उसकी काली-काली झील जैसी गहरी और चमकर आँखों को देखकर कोई भी उसे पाने की चाहत कर सकता था। नेहा भी एक कॉलेज में बी एस सी कर रही थी। उसके साथ मैं डेटिंग भी करता। इस कारण से क्लास में जाने में मेरा मन नहीं लगता था। मेरा एक साथी अनूप हरियाणा से आया था उसके पिता ठेकेदार थे । उसके पास भी पैसे की कमी नहीं थी। हम दोनों की दोस्ती खूब निभने लगी थी । उसने भी एक लड़की से दोस्ती थी। हम दोनों को महीने के खर्च के लिए घर से जो पैसा भेजा जाता वह एक ही सप्ताह में खत्म हो जाता। इतने पैसों से हमारा काम नहीं चल रहा था, क्योंकि एक दफे डेट पर जाने पर हजारों रुपए फुंक जाते थे। जी एफ की डिमांड भी बढ़ती जा रही थी। उधार लेकर कब तक यह सब चलता इसलिए हम चेन स्नैचर बन गए थे।

एक दिन मैं और अनूप बाइक से दिल्ली जा रहे थे। अचानक बाइक में पेट्रोल खत्म हो गया। उस दिन हम दोनों की जेबें खाली थीं । कार्ड में भी पैसे नहीं थे। हम सोच रहे थे कि क्या किया जाए। तभी हमने देखा कि वहां एक महिला अपनी कार से उतरकर ठेले वाले से कुछ खरीदने लगी। अनूप ने अचानक उसकी कार में रखा उस महिला का पर्स निकाल लिया जिसमें काफी पैसे थे। कई हफ्ते तक हमारा काम चल गया था। उसके बाद तो हम उसी रास्ते पर चल पड़े थे। हमेशा शिकार की तलाश में रहने लगे। अनूप के साथ मैं रहता इसलिए मुझे भी छीना झपटी के काम में मजबूरन उसका साथ देना होता था। सुबह-सुबह पास के स्टेशन पर चले जाते और किसी का मोबाइल, किसी का पर्स या किसी का चेन छीन कर भाग जाते थे। अंधेरे में कोई मैं देख नहीं सकता था। सड़क पर चल रहे अकेले व्यक्तियो से फोन, पैसे छीनकर भाग जाते थे। वह तो भगवान का शुक्र है कि हम कभी पकड़े नहीं गए। सर! आपको जानकर हैरानी होगी कि कॉलेजों में पढ़ रहे कुछ अच्छे घरों के बच्चे भी छीना-झपटी का काम करके अपना शौक पूरा करते हैं । यह सुनकर सारे एक्सपर्ट एक दूसरे को अचरज की नजर से देख रहे थे।

रत्नाकर ने आगे बताया कि भगवान सभी को उसके कर्मों की सजा अवश्य देता है। एक दिन मैं अनूप के साथ एक्सप्रेस-वे पर शाम के समय जा रहा था । हल्का अंधेरा हो रहा था। हम दोनों मोटरसाइकिल पर थे। तभी एक बुजुर्ग महिला एक छोटे बच्चे के साथ दिखी। उनके गले में एक मोटी चेन थी। दूर-दूर तक कोई इंसान नहीं नजर आ रहा था । मैं पीछे बैठा था और अनूप बाइक चला रहा था, उसने मुझे इशारा किया और बाइक महिला के बगल से निकाली। मैंने झपट्टा मारकर उसकी चेन छीननी चाही कि अचानक अनूप का बैलेंस बिगड़ गया और हम दोनों गिर पड़े। पीछे से आ रही एक कार वाला ब्रेक लगाने के बावजूद हमें टक्कर मार दी थी । कार की पहिया मेरे बाएं हाथ को कुचलते हुए निकल गयी थी। मैं बुरी तरह से जख्मी हो गया था। अनूप ने जब यह देखा तो घबड़ाकर अपनी बाइक से भाग निकला। मगर वह बुजुर्ग महिला लगभग चिल्लाते हुए मेरे पास आई और मेरा हाल-चाल देखा। शायद उसे पता ही नहीं चल पाया था कि कुछ देर पहले मैं उसकी चेन छीनना चाहता था । उसका घर पास ही था तो वह मुझे अपने घर ले गई और अपने ड्राईवर से अस्पताल भिजवाया । दुर्घटना में मैं मरते-मरते बच गया था पर उँगलियाँ कटानी पड़ी थी। बायां हाथ होने के कारण ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। बाद में जयपुर जाकर एक आर्टिफिशियल लिम्ब लगवा लिया जो आपके सामने है।

सर, उस दिन मुझे बहुत पश्चाताप हुआ कि जिस औरत के साथ मैं बदसलूकी करने जा रहा था, उसी ने हमारी पूरी सहायता की। मैं कई दिनों तक रोता रहा । कमरे से बाहर नहीं निकला। भगवान से प्रार्थना करता रहा कि मेरे कुकृत्यों का पता किसी को न चले, मेरे पैरेंट्स को भी नहीं । कसम खाई कि अब सब कुछ छोड़ कर एक अच्छा इंसान बन जाऊंगा, केवल पढ़ाई करूंगा और कोई गलत काम नहीं करना करूंगा, भले ही भूखा मर जाऊं। मैंने अनूप का साथ छोड़ दिया था और नेहा ने स्वयं ही मुझसे दूरी बना ली थी । एक दिन मुझे पता चला कि अनूप ने ही उसे समझा दिया था कि मैं विकलांग हो गया हूं इसलिए अब मुझे छोड़ कर उसके साथ दोस्ती कर ले और वह मान गयी थी। दोनों एक दिन एक क्लब में पकड़े गए थे और दोनों को कॉलेज से निकाल दिया गया था।

सर, यही कारण था कि मेरे बीटेक फर्स्ट और सेकंड ईयर में बैक पेपर आए थे लेकिन बाद में मैं सुधर गया तो सब मेरी तारीफ करने लगे। मुझे नहीं पता कि मेरे अंक ज्यादा कैसे आते हैं जबकि ज़्यादातर समय तो मैं फुटबाल ही खेलता रहता हूँ। लेकिन मेरा मानना है कि मेरी अंतरात्मा ने मुझे रास्ते पर ला दिया । मेरी अंतरात्मा मुझे ताकत भी देती है और कहती है कि तुम्हारे पास सामर्थ है किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए। यही बातें मुझे एक कांफिडेन्स देती हैं, किसी तरह की असफलता को सफलता में परिणित करने के लिए। मेरी यही सच्ची कहानी है। मेरी अंतरात्मा ने ही मेरा यही मेरा सेल्फ-डेवलपमेंट किया है ।

सर, सफलता प्रयत्न करके ही अर्जित की जा सकती है, इसकी कोई गणितीय विधि नहीं है । यह तो बहुत सारे गुणों का समग्र प्रतिफल है। यही अपने हाथ में है। आत्मचिंतन के द्वारा हमें अपनी गलतियों से सीखने और अच्छे किए गए कार्य की और बेहतर ढंग से करने का मौका मिलता है। वह बुजुर्ग महिला ही मेरी सच्ची गुरु बन गयी थी। आज भी मैं उसके पास जाता हूं। मेरे शिक्षक और पेरेंट्स के सपोर्ट से ही मैं उस सिचुएशन से ऊपर उठ सका। अगर आदमी चाहे तो बिगड़ जाने के बाद भी अपने सही रास्ते पर आ सकता है ऐसा मेरा मानना है। रत्नाकर ने निष्कर्ष बताया ।

अंत में सभी एक्सपर्ट ने रत्नाकर को धन्यवाद दिया और बोले, “वास्तव में आपने अपने जीवन की परीक्षा में भी टॉप किया है इसलिए हम भी आपको टॉप क्लास की सैलरी देने का वादा करते हैं”।

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