Koun hai wo - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

कौन है वो? - 1

हैलो दोस्तो !
मेरी पहली कहानी में आपका स्वागत है। यह कहानी है एक लडकी की जो गांव में अपने माता-पिता के साथ रहती है।
खुशी। एक प्यारी सी, शर्मीली सी लड़की है। खुशी अपने काम से काम रखती है।ना किसी से ज्यादा बात करती है ना ही किसी के साथ ज्यादा समय बिताती है। उसे पढ़ने का बहुत शौख है। पर अफसोस की वह माता-पिता के मना करने पर आगे बढ़ नहीं सकीं। उसे दस पास करके स्कूल छोड़ना पड़ा। अब बो घर पर ही रहती है। उसे बहुत बुरा लगा कि वह अब आगे बढ़ नहीं पायेगी। लेकिन करती भी क्या?
एक दिन वह खाना बना रही थी। घर पर कोई नहीं था। और किसी ने बाहर से आवाज़ लगाई: कोई है घर पर ? खुशी जल्दी से बाहर आइ। बहार आ कर देखा तो कोई आदमी शादी का कार्ड लेके आया था। खुशी ने कार्ड देखा तो उसके चाचा की बेटी आशा की शादी थी। शाम को खुशी के मम्मी-पापा घर आये तो खुशी ने उन्हें बताया कि आशा की शादी है। खुशी के पापा ने कहा: अभी बहुत काम है, हम शादी में नहीं जा सकते। तभी खुशी की मम्मी बोली: हम दोनों नहीं जा सकते लेकिन खुशी तो जा सकती है ना। क्यु खुशी जाओगी ना तुम? खुशी को पहली बार कहीं अकेले जा ना था उसे डर तो लगा पर हा करदी ।
अगले दिन सुबह खुशी शादी में जाने के लिए तैयार हो गई मम्मी-पापा उसे स्टेशन तक छोड़ने गये। तभी खुशी के पापा ने खुशी के हाथ में कुछ डिब्बे जैसा दिया। खुशी ने बह डिब्बा खोल कर देखा तो उसमें मोबाइल फोन था। खुशी ने कहा: पापा इसकी क्या जरूरत थी?
खुशी के पापा: जरूरत है बेटी। तुम वहां अकेली जा रही हो इसलिए इसकी तुम्हें ज्यादा जरूरत है। पहोंच के फोन करना। इतने में बस आई। खुशी बस में बैठ गई और बस चल पड़ी। कुछ समय बाद खुशी आशा के गांव पहुंची।
गांव जाकर मम्मी-पापा को फोन किया कि मैं गांव पहोंच गई हुं। गांव जाकर खुशी सब से मीली उसे बहुत अच्छा लगा।

लेकिन...लेकिन...लेकिन... यह गांव खुशी कि जिंदगी तबाह करने वाला था। इस गांव में खुशी के साथ वह होने वाला था जो खुशी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
रात हुई सब ख़ान खाने बैठे थे। तभी आशा ने खुशी से कहा: खुशी शादी तो कल है लेकिन आप को शादी के बाद भी कुछ दिन रुकना होगा। खुशी : नहीं आशा में नहीं रूक सकती। मम्मी-पापा ने सीर्फ शादी तक ही रूकने को कहा है। तभी आशा के पापा बोले: तुम्हारे पापा से मैं बात करुंगा। अब तो तुम्हें कोई परेशानी नहीं है ना? खुशी: ठीक है चाचा जैसी आपकी मर्जी। फिर सब खाना खाके सो गये।
सुबह सब तैयार हो गये। सब अच्छे से हो रहा था। आशा की शादी भी अच्छे से हो गई। शादी के बाद जैसे आशा ने कहा था खुशी को आशा के घर कुछ दिन रुकना पड़ा। अब आशा की तो शादी हो गई थी। और वह तो अपने ससुराल चली गई थी। अब खुशी को बहुत अकेला लगने लगा
एक दिन खुशी घर में बैठी थी। अचानक उसे अपने फोन की घंटी सुनाई दी। वह फोन उठाने आइ तो घंटी बन्द हो गई।खुशी ने फोन में देखा तो किसी का फोन नहीं आया था। खुशी को लगा की उसे कोई भ्रम हुआ होगालेकिन एसा नहीं था दोस्तों। यह खुशी का भ्रम नहीं था। यह उस घटना की शुरुआत थी जो खुशी के साथ घटने वाली है।