Koun he wo - 5 books and stories free download online pdf in Gujarati

कौन है वो? - 5

खुशी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हारे लिए ही वापस आया हूं। मैं तुम्हें अपने साथ ले जाने आया हूं। चलोगी न मेरे साथ खुशी?.............
अब आगे...... खुशी: मैं तुम्हारे प्यार की कद्र करतीं हुं। लेकिन मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती। मुझे माफ़ कर दो।
सुनील: क्या कहा? तुम मेरे साथ नहीं चलोगी? मैं तुम्हें लिए बीना नहीं जाउंगा। तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।
सुनील बहुत गेस्से हो गया। और उसकी बात से खुशी को पता चल गया था कि वो ऐसे नहीं मानेंगा।
खुशी ने कुछ सोचा फिर बोली : ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलुंगी। लेकिन मुझे कुछ दिनों का समय चाहिए।
सुनील : क्यों? और कितने दिनों का समय चाहिएं?
ख़ुशी : एक सप्ताह। क्यों की मैं मेरा परिवार छोड़ कर तुम्हारे साथ चलुंगी मेरे मां-पापा का मेरे सीवा कोई नहीं है। वो भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं। और मैं एक सप्ताह उनके साथ रहने के लिए मांग रहीं हुं। लेकिन तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा।
सुनील : कैसा वादा?
खुशी : कि जब तक मैं खुद तुम्हें ना बुलाऊं तुम नहीं आओगे। एक सप्ताह के बाद मैं तुम्हें ख़ुद बुलाऊंगी तभी तुम मुझे लेने आ जाना।
सुनील बहुत खुश हो गया। और वो खुशी से बहुत प्यार करता था। इसलिए वो खुशी कि बात मान गया। वो वहां से चला गया।
अब खुशी सोचने लगी कि अब क्या होगा? क्या मुझे मेरे मां-पापा को छोड़ कर जाना पड़ेगा? मुझे कुछ करना होगा मैं ऐसे नहीं जा सकती। सुनील एक आत्मा है और मैं एक इन्सान हुं हमारा मिलना नामुमकिन है। लेकिन वो ए बात नहीं समझेगा। मुझे पापा को सब बताना चाहिए। वो जरुर कुछ न कुछ करेंगे। ये सोचकर खुश अपने पापा के पास जाति है। उसके पापा सो रहें हैं।
खुशी : पापा उठो। मुझे आपसे बात करनी है। पापा उठो जल्दी।

खुशी के पापा उठते हैं। और बोले : क्या हुआ बेटा ? इतनी रात गए तुम मुझे क्यों उठा रहीं हों?
खुशी: पापा वो फोन फिर से वापस आ गया है। और उसके अंदर कोई सुनिल नाम के लड़के कि आत्मा हैं। वो मुझसे प्यार करता था। और उसका एक्सिडेंट हुआ था। और वो अपने फोन में मेरी फोटो देखते हुए मर गया था। इसलिए वो भटक रहा है। और वो मुझे लेने आया था। मैं ने उसे एक सप्ताह का समय मांगा है। वो एक सप्ताह के बाद फिर से आयेगा और मुझे ले जायेगा पापा। इतना कहकर खुशी रो पड़ी।
खुशी के पापा : खुशी रोओ मत बेटा। चुप हो जाओ। मैं हूं ना मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। कहीं नहीं जाना है तुम्हें तुम हमारे साथ ही रहोगी बेटा। और खुशी के पापा भी रोने लगे। दोनों को रोता हुआ सुन खुशी की मां भी जग गई और बोली ,
खुशी कि मां : क्या हुआ? क्यों रो रहे हो तुम दोनों? मुझे कोई कुछ बताता क्युं नहीं। बोलों खुशी बेटा क्या हुआ। खुशी ने सारी बात अपनी मां को बताई।

खुशी की मां : मुझे लगता है हमारे गांव में जो तांत्रिक बाबा रहते हैं उन्हें ये सब बताना चाहिए।
खुशी के पापा : हा। सही कहा तुमने खुशी कि मां। हमें तांत्रिक बाबा के पास जाना चाहिए चलो।
खुशी और उसके मम्मी- पापा तांत्रिक बाबा के पास जाने है और उन्हें सारी हकीकत कहते हैं। कुछ सोच के तांत्रिक बाबा बोले: खुशी बेटा वो फोन कहा है?
खुशी: बाबा वो फोन तो वो लड़का गायब हो जाने पर फोन भी मुझे वहां नहीं दिखा।
तांत्रिक : ह: ‌‌‌‌‌‌‌‌‌खुशी तुम्हें वो फोन लाना होगा। और उस फोन में से तुम्हारी फोटो डिलीट करनी होगी। उस लड़के की आत्मा फोन में नहीं, तुम्हारी फोटो में है। उसने मरते वक्त तुम तुम्हारी फोटो को देखा है। वो तभी जाएगा जब तुम खुद वो फोटो डिलीट कर दो।
खुशी: पर कैसे बाबा? मैं ने तो उसे एक सप्ताह तक नहीं आने का वादा लिया है।
तांत्रिक: वो अपनी मर्जी से नहीं, लेकिन तुम खुद बुलाओगी तो जरूर आएगा। अब तुम जाओ और उसे बुलाओ। मैं भी यहां बैठ के तुम्हारे लिए प्रार्थना करता हूं।
खुशी: ठीक है बाबा। मैं जा रही हुं। और मा-पापा आप भी मेरे लिए प्रार्थना करना।
खुशी अकेलि अपने घर जाती है। और अपने कमरे में जाकर सुनील को बुलाने लगती है। ईधर तांत्रिक और खुशी के मां-पापा खुशी को कुछ न हो इसलिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
खुशी: सुनील......। तुम कहां हो? मुझे तुम्हारी जरूरत है। सुनील तुम सुन रहे हो मुझे......। सुनील.....। की तभी अचानक फोन कि घंटी बजती है बत्ती (लाईट) बंद होकर फिर से आती है तभी खुशी देखती है कि सुनील उसके सामने खड़ा था।
सुनील : तुम ने मुझे क्यों बुलाया? तुम ने तो एक सप्ताह का समय मांगा था ना?
खुशी : सुनील मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हुं। एक आखरी बार तुम मेरी बात मानोगे?
सुनील : खुशी अगर तुम मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो तो मैं भी तुम्हारी हर बात मानने के लिए तैयार हुं। बोलो क्या बात है?
खुशी: मुझे तुम्हारा फोन चाहिए।
सुनील: बस इतनी सी बात! येलो मेरा फ़ोन। केहकर सुनील ने अपना फोन खुशी को दे दिया।
खुशी : ठीक है। अब जैसे मैं ने तुम्हें कहा था वैसे तुम एक सप्ताह के बाद आना और मुझे ले जाना। मैं ख़ुशी ख़ुशी तुम्हारे साथ चलुंगी।
सुनील खुशी से इतना प्यार करता था कि वो खुशी की हर बात मानने को तैयार था। वो एक आत्मा होते हुए भी खुशी के मन की बात समझ नहीं सका और वहां से चला गया।.........