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सुलझे...अनसुलझे - 20

सुलझे...अनसुलझे

मान-सम्मान

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आज से कुछ सालों पहले तक अपने ब्लड टेस्ट करवाने के लिए डॉक्टर की पर्ची आवश्यक तो होती थी| पर कई बार पर्ची न होने पर भी कई लैब मरीज़ के बताने पर टेस्ट कर दिया करती थी| ऐसी ही कुछ धारणा लिए एक मरीज़ बगैर किसी पर्ची, हमारे सेंटर में प्रविष्ठ हुआ| दिखने में यह युवा बहुत पढ़ा-लिखा तो नहीं लग रहा था| पर उसको देखकर यह जरूर लगता था कि उसका उठना बैठना शायद अच्छे-बुरे सभी इंसानों के साथ है| अच्छी पेंट, शर्ट और हाथ में स्मार्ट फ़ोन लिए हुए वह सेंटर के रिसेप्शन पर पंहुचा|

‘क्या-क्या टेस्ट करवाने है आपको डॉक्टर की पर्ची दीजिये|’ स्टाफ ने आए हुए मरीज से डॉक्टर की पर्ची मांगी|

‘पर्ची नहीं है मेरे पास| मुझे तो कुछ टेस्ट अपनी जानकारी के लिए ही कराने थे| जो कि मैं व्यतिगत रूप से मेरी होने वाली पत्नी के करवाना चाहता हूँ| मेरा नाम सोहन है|’

‘बगैर पर्ची हमारे यहाँ कोई टेस्ट नहीं होगा सोहन जी ....बोलकर स्टाफ चुपचाप उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उसको एकटक देखने लगा|

‘क्यों नहीं कर सकते आप इस टेस्ट को| जबकि बहुत बार यह टेस्ट मैंने दूसरी लैब में बगैर डॉक्टर की पर्ची के करवाया है| तो फिर आपको क्या दिक्कत है |’

कुछ ऐसा-सा गुस्से में बोल कर सोहन नाम का यह व्यक्ति स्टाफ को घूर कर देखने लगा|

‘दिक्कत की बात नहीं है सोहन जी| बस यह हमारे सेंटर का नियम है कि बगैर डॉक्टर कि पर्ची मरीज़ों की जांचे नहीं होगी| सोहन जी हम तो यहाँ काम करते है| जैसा हमको डॉक्टर्स निर्देश देते हैं| हमें उनकी अनुपालना करनी होती है|’ एक ओर स्टाफ की बात सुनकर सेंटर की मालिक होने के नाते मुझे अच्छा लगा कि कम से कम स्टाफ सेंटर के नियमों को तरीके से मरीज़ों के सामने रखता है| दूसरी ओर सोहन और स्टाफ बातें सुनकर मुझे जिज्ञासा हुई ऐसा कौन-सा टेस्ट है...जिसको पेशेंट बगैर डॉक्टर की राय के करवाना चाहता है| और क्यों करवाना चाहता है? इसी जिज्ञासा के तहद मैंने मरीज़ और उसकी होने वाली पत्नी को अन्दर अपने चेम्बर में बुला भेजा|

‘सोहन जी! क्या टेस्ट करवाना चाहते है आप?’ मैंने मरीज़ से पूछा|

‘जी मैडम! कुछ ख़ास टेस्ट नहीं है| चूँकि मेरी और सुमन जी की शादी होने वाली है| तो सोचा सुमनजी की एड्स की जांच करवा लूँ|’ सोहन ने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया...

सोहन का एक ओर अपनी होने वाली पत्नी को जी लगाकर बोलना मुझे बहुत अच्छा लगा| पर दूसरी ही ओर सिर्फ़ सुमन की एड्स की जांच करवाने की सोचना मुझे महिला होने के नाते भला नहीं लगा| जितना शायद सोहन पढ़ा-लिखा लग रहा था....उसके कहीं ज्यादा सुमन पढ़ी-लिखी लग रही थी| उसने बहुत सलीके से पहन ओढ़ रखा था| उसके बातचीत के हाव भाव भी सरल थे|

यह सब बातें उस समय पूछने का मतलब नहीं था| पर बहुत कुछ महसूस करने के बाद मुझे लगा सोहन से मुझे तरीके से बात कर उसको समझाना होगा| विवाह की नींव से पहले ही एक तरफ़ा आरोपण रिश्ते को कमज़ोर करता है|

जब मैंने उसकी होने वाली पत्नी की तरफ नज़र डाली तो ऐसा लगा कि वह कुछ कहना चाहती है| शायद विरोध ही...पर कह नहीं पा रही| कोई भी लड़की कितनी ही कम पढ़ी-लिखी हो उसको अपना स्वाभिमान समझ आता है| वह बात अलग है कि उसकी कोई मज़बूरी उसको न बोलने के लिए विवश कर रही हो|

‘वह तो बहुत अच्छी बात है| पर अगर तुमको इस टेस्ट की इतनी अधिक जानकारी है और आप सब कुछ समझते-बुझते हो, तो मेरी समझ में यह टेस्ट आपको भी करवाना चाहिए|’

यह बात मैंने बहुत सोच समझकर सुमन के सामने ही कही, क्योंकि इस टेस्ट को करवाने की बात सुनकर वह बैचैन-सी लग रही थी| मानो किसी ने उसको कठघरे में खड़ा कर दिया हो और सज़ा सुना दी हो|

क्यों मैडम जी? मैं कोई गलत इंसान थोड़े हूँ| जो मैं अपना भी एड्स का टेस्ट करवाऊं| आपको टेस्ट करना हो तो करिए| नहीं करना तो बहुतेरी लैब है यहाँ| कहीं से भी करवा लूँगा| सोहन ने मुझे ज़वाब दिया|

‘बेशक़ आप इस टेस्ट को कहीं भी करवा सकते हैं सोहन जी| पर चूँकि आप दोनों विवाह करने वाले हैं इसलिए मैंने कहा| बगैर डॉक्टर कि सलाह या किसी लक्षण के करवाने का आईडिया आपका था और आप हमारे सेंटर पर आए हैं| तो मुझे कहीं आभास हुआ कि अगर सुमन जी के साथ आप भी टेस्ट करवाते है तो पति-पत्नी के रूप में आप दोनों को दो तरह से फायदा होगा|.... अगर आपके पास समय हो तो मैं आपको बता सकती हूँ|’

मैं इतना बोल कर सोहन की प्रतिक्रिया जानने के लिए उसके चेहरे पर आते-जाते भावों को पढने की चेष्टा करने लगी| फायदे-नुकसान की बात सुनकर सोहन सोच में पड़ गया|

इस बीच जब मैंने सुमन की ओर देखा तो उसकी आँखों में मुझे अपने लिए धन्यवाद का भाव नज़र आया| चूँकि मैं बहुत ज्यादा अन्दर कि बातों में नहीं जाना चाहती थी| तो दोनों से कुछ अधिक नहीं पूछा,बस मन में यही भाव था कि अगर इस युवा के मन में अपनी होने वाली पत्नी के लिए पहले दिन से यह भाव है तो दोनों का आपस में विश्वास होना जरूरी है|

मुझे किसी भी तरह इस युवा को अपने विश्वास में लाना था| फिर यह भी बात सही है कि अगर किसी भी वजह से किसी को भी एड्स निकलती है तो इस का समाधान विवाह पूर्व ही सोच लिया जाये| अगर मैं सीधे-सीधे कहती तो हो सकता था सोहन कहीं आहत होकर मुझे भी अपशब्द बोलता| सो मैंने उसको अलग ही ढंग से समझाने कि कोशिश की| मैं बहुत अच्छे से जानती थी कि कई लोग अपने अहंकार को अपनी समझदारी समझ लेते हैं| वहीँ से परेशानियां शुरू होती हैं|

अब शायद सोहन मेरी कही हुई बातों पर अटक गया था| टेस्ट के लिए आते समय वह अपने आपको बहुत होशियार जान गर्व महसूस कर रहा था| साथ ही अपनी होने वाली बीवी के टेस्ट करवा उस को मन ही मन कहीं यह जताना चाहता था कि वह बहुत ही चरित्रवान है| अगर सब सही निकलता है तो वह शादी करेगा|

जबकि विवाह आपसी विश्वास का रिश्ता है| हम किसी के चरित्र सर्टिफिकेट की अपेक्षा करते है तो अपना चरित्र सर्टिफिकेट भी उसे दे| ताकि विवाह कि नींव उस विश्वास और समझदारी पर टिकी हो जहां प्रेम नज़र आए| दोनों को साथ-साथ बैठा कर बात करना बहुत काम आया क्योंकि अब एकदम से इंकार कर पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था|

‘मैडम आप मुझे क्या कहना चाहती थी कि अगर मैं भी यह टेस्ट करवाता हूँ तो मेरे वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा होगा इसके क्या मायने हैं? मुझे यह टेस्ट क्यों करवाना चाहिए? आप का मतलब क्या है? बोलकर सोहन मेरे उत्तर कि प्रतीक्षा करने लगा|

‘देखो सोहन जी मेरे कोई मायने नहीं है पहली बात तो आप दोनों बगैर किसी लक्षण या डॉक्टर कि सलाह के हमारे पास टेस्ट के आए हो| वजह सिर्फ़ यही कि आप अपने किसी शक़ के तहद सुमन जी का टेस्ट करवाना चाहते हैं कि कहीं इनको इस तरह कि कोई बीमारी तो नहीं| जबकि इसका उलट भी तो सोचिये|...

ताकि दोनों के मन में एक तरह का सम्मान रहे| वजह कोई भी हो अगर दोनों में से किसी को भी यह बीमारी निकली तो विवाह नहीं करेगे क्योंकि किसी एक को भी एड्स होना दूसरे की जिंदगी को धोखा देना है|...

विवाह की नींव भरोसे पर टिकी होती है सोहन जी| जो आप अपने लिए उचित सोचते है सुमन के लिये भी सोचिये| ताकि रिश्ते में प्रगाढ़ता बने| किसी भी रिश्ते को अहम् का हिस्सा बना कर ख़ुद को संतुष्ट करना बहुत स्वार्थी होता है| फिर जिसके साथ उम्र भर साथ रहना हो...वहाँ वो करिए जिससे दोनों की भावनाओं का सम्मान हो| ऐसा करके ख़ुद भी बहुत ख़ुश रहेगे और साथ वाले को रखेगे|’

मेरी बातें सुनकर सोहन तो किसी सोच में डूब गया पर सुमन के चेहरे की मुस्कराहट मुझे बगैर कुछ कहे शुक्रिया कहती हुई महसूस हुई|

‘चूँकि अब सोहन मेरी बातों में उलझ गया था और अब उसको महसूस हो चुका था कि इस सेंटर पर तो अगर टेस्ट करवाने है तो दोनों को करवाने होंगे| नहीं तो निकल कर कहीं और जाना होगा| दूसरी ओर होने वाली पत्नी के आगे इतनी खुलकर बात हो गयी है तो अगर उसने टेस्ट नहीं करवाया तो भविष्य में पता नहीं क्या हो|’

वास्तव में आजकल के दौर के हिसाब से सोचे तो विवाह से पहले इस तरह के रूटीन टेस्ट करवा लेने में कोई बुराई भी नहीं है| पर नियम तो सभी के लिए एक से ही लागू होते है,यह बात गौर करने की है|

अक्सर ही ख़ुद को बहुत समझदार समझने वाले लोग अपने अहम् कि वजह से ख़ुद को ऊंचा दिखाने के लिए कितनी नासमझियां करते है| उनको पता ही नहीं चलता| यही नासमझियां रिश्ते बनने से पहले चिटकन बन, ताउम्र सामने वाले को आहत करती रहती है|

कई बार दिल को लगी हुई चोट मजबूरी में चुप्पी तो बन जाती है पर सामने वाले की इज्ज़त कभी नहीं कर पाती| साथ ही विवाह जैसे रिश्ते में एक दूसरे की भावनाओं को सम्मान देना उतना ही आवश्यक है जितना कि विवाह से जुडी रस्मों-रिवाज़ो का|

अधिकतर केसेस में पुरुष प्रधान विचार होने से या शिक्षा की कमी होने से स्त्री के ऊपर जो भी आरोपित किया जाता है उसके पास स्वीकारने के सिवाय कोई चारा नहीं होता| मानसिकताओं में बदलाव बहुत जरूरी है| हर व्यक्ति का अपना एक आत्मस्वाभिमान होता है| हर रिश्ते में इसका मान रखना परमावश्यक है| इन सब बातों पर हर स्तर पर सुधार करने की तरीके से कोशिशे करनी चाहिये बगैर कुछ भी नकारात्मक विचारों को सोचे हुए|

प्रगति गुप्ता