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तुम..


March 2018 यह भागमभाग की ज़िंदगी है , कभी कोई तो कभी कोई आगे निकल जाता है पर कुछ लोग जो थोड़ी देर के लिए रुक जाते हैं शायद उन्हें इंतजार पसंद है | इसी सोच में नया साल कुछ अनमना और सुना था | मैं अक्सर सोचा करती थी कि किसी के लिए चार कदम पीछे चलना या फिर थोड़ा ठहर जाना क्या सचमुच बेवकूफी है ? जवाब मेरे लिए हमेशा अधूरा रहा इसलिए मैंने अपने लिखे शब्दों और पंक्तियों के आगे कभी पूर्ण विराम नहीं लगाया बस कुछ डॉट (..) के बाद अधूरा ही छोड़ दी |
अपने शांत से कमरे में मैं अपने भविष्य का ताना-बाना बुन रही थी लेकिन पता नहीं क्यों अतीत की कुछ आवाजें मेरी सोच में खलल डाल रही थी | इन पाँच सालों में तुम तब मेरे ख्यालों में आए जब मैंने चाहा था पर आज मेरा इन यादों पर कोई जोर नहीं था | ऐसे ही बिना कुछ कहे अचानक से तुम यह कह कर चले गए थे कि मुझसे बेहतर मिल गया है तुम्हें कोई | मेरे दिल ने कभी इस बात पर यकीन नहीं किया था पर मेरे स्वाभिमान ने तुमसे सवाल करने की और तुम्हें रोकने की अनुमति कभी नहीं दी | साथ चलने का वादा, एक दूसरे को समझने की बातें, भविष्य के सपने और बहुत से चांद तारों वाली ख्वाहिशें सब टूट कर बिखर चुके थे | मेरे मन में इन सबके बाद भी तुम्हारे लिए नाराजगी क्यों नहीं थी यह मुझे कभी समझ नहीं आया | आज इस नए वर्ष में मैं तुम्हारे ख्यालों से मुक्ति पाना चाहती थी | यही सोच कर वापस तुमको फोन लगाई थी | मोबाइल बंद बता रहा था मैं हताश हो गई थी लेकिन तुम्हारे एक रिश्तेदार का नंबर था मेरे पास | तुम्हारे बारे में बस इतना ही जानना था कि तुम कैसे हो ? यकीन मानो मोबाइल में बजती हुई घंटियों के साथ मेरे दिल की धड़कन भी तेज हो चली थी | यूं तो तुम हजारों किलोमीटर दूर थे पर तुम्हारी सुबह-शाम मेरी आवाज हुआ करती थी | मेरी आंखों का काजल बहुत पसंद था ना तुमको ! तुमने ही कहा था कि बिना काजल की मेरी आंखें सुनी हो जाती हैं और तुमको मेरी सुने आंखें पसंद नहीं | मुझे याद है जब तुमने कहा था - "काज़ल से तुम्हारी आँखे बोलती हैं, तुम कुछ लिखा मत करो |"
सामने से जानी पहचानी आवाज सुनाई दी-
हेलो !
मैंने भी हेलो ! कहा |
अपना परिचय देने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई मुझे | थोड़ी देर औपचारिक बातें हुई फिर मैंने अपने दिल को संभालते हुए तुम्हारे बारे में पूछा | देखो कितना इंतजार किया था मैंने | सोची थी शायद ! तुम लौट आओगे | तुम्हारे एक सॉरी से मैं मान जाऊंगी लेकिन थोड़ा रूठना तो बनता है | आज जब तुमसे बात होगी तो कहूंगी कि जा रही हूं मैं एक नए आसमान एक नए भविष्य की तलाश में तुमसे दूर पर अगर तुम साथ नहीं चल सकते तो मुझे जाने दो अपने ख्यालों से दूर |
मोबाइल में दूसरी तरफ दीदी- दीदी की आवाज ने नींद से जगा दिया हो मानो ;
मैं जाग चुकी थी क्योंकि जवाब मिल चुका था | जिस शख्स का इंतजार मैंने 5 वर्ष किए थे वह इंतजार उम्र भर का था | ठीक 3 साल पहले 17 नवंबर 2016 को बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो चुकी थी | रोने के लिए शायद पूरी उम्र कम थी पर अपने अंदर के शैलाब को मैंने दिल में दबा लिया था और आंखों में फिर से काजल लगा लिया था |
आज यकीन हो चला था खुद पर अपने दिल पर कि उसने मुझसे कभी कोई झूठ नहीं कहा, कभी कोई छल नहीं किया |
वह शख्स हमेशा मेरे लिए नई उम्मीद, नया आसमान चाहता था | कहते हैं मृत्यु अंत नहीं शुरुआत होती है और इसी शुरुआत के क्रम में आज मैं लोगों के बीच सफल कहलाती हूं । वह आज भी मेरे साथ है मेरी कहानियों के डॉट-डॉट में और मेरी आंखों के काजल में |
आस्था