The Road Cafe books and stories free download online pdf in English

The Road Cafe

अपनी एक मीटिंग खत्म करने के बाद मैं होटल वापस जाने से अच्छा एक रेस्टोरेंट मे जाना चाहती थी जहां सुकून से बैठ सकूं कुछ देर , वैसे होटल का कमरा बुरा नहीं था पर अकेले कमरे में बातें करने से अच्छा था महफिल में अकेले खुद को तलाशना। अपनी गाड़ी में भटकते हुए एक रेस्टोरेंट दिखाई दिया जो बाहर से बड़ी सी झोपड़ी के आकार की थी जिसके बाहर एक बॉडीबिल्डर पहरा दे रहा था । उस रेस्टोरेंट के बाहरी रंग रूप से ज्यादा मुझे उसका नाम पसंद आया था- "दी रोड कैफे "
यह नाम देखते ही मुझे एक पसंदीदा उपन्यास "मुसाफिर कैफे" याद आया । जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित यह उपन्यास मुझे बेहद पसंद थी। मैं स्वत: ही खींची चली गई वहां । बैठने की अच्छी व्यवस्था थी । अंदर से काफी बड़ा था और जिन लोगों को प्राइवेसी पसंद थी उनके लिए पर्याप्त वेंटिलेटेड कैबिन भी था । उस कैफेटेरिया की सजावट अपने आप में बड़ी खास थी - पुरानी चीजें जैसे टेप रिकॉर्डर, सीडी , स्कूटर, साइकिल एवं किताबों आदि से सजा था पूरा।
बैठने के लिए व्यवस्था भी लकड़ियों एवं बांस की कुर्सी टेबल एवं काउच से की गई थी । अपने आप में यह रेस्टोरेंट उन सभी सामानों को इकट्ठा किए हुए था जो जीने के लिए आवश्यक होती है बिल्कुल एक घर की तरह। अपनी प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए मैंने केबिन में बैठना उचित समझा । ज्यादा भीड़ नहीं थी वहां पर कुछ प्यार करने वाले जोड़े थे जो भीड़ से दूर अपने लिए सुकून भरा पल चाहते थे जिन्हें देखकर एहसास हो रहा था मुझे कि जीवन में हमसफर की जरूरत कितनी हो सकती है ...
मैं अपने केबिन में आराम से बैठकर मैन्यू पड़ने लगी । उस मैन्यू कार्ड में खाने के साथ-साथ सिगरेट एवं ड्रिंक के भी आइटम लिखे हुए थे । मेरा ध्यान ब्रीज़र, थ्री सिस्टर्स एवं ब्लैक सिगरेट पर गया। कुछ याद आ रहा था मुझे और इन यादों को जगजीत सिंह की आवाज में बजने वाली गजल हवा दे रही थी ...
"जब सामने तुम आ जाते हो ..... "
याद करते हुए मैंने चाय और मशरूम चिल्ली ऑर्डर किया, वैसे मुझे कॉफी पसंद है पर आज चाय पीने का मन किया था। मैंने अपना ध्यान गाने पर केंद्रित किया -
"आईना देख के बोले यह सवरने वाले
अब तो बेमौत मरेंगे मेरे चाहने वाले
कुछ मिल जाता है कुछ खो जाता है
क्या जानिए क्या हो जाता है ,,,,,,,,,,"
सचमुच जिंदगी के सफर में कितना कुछ खो जाता है । क्या कभी कभी ऐसा नहीं होता कि कुछ खोने में कुछ मिला हो ? कुछ सवाल को सवाल ही होना चाहिए जवाब नहीं ; जिसकी याद मेरे दिल में दस्तक दे रही थी उसके लिए मैंने अपने यादों का दरवाजा खोल दिया था । जैसे ही मैंने दरवाजा खोला शिकायतों का बवंडर दिल-दिमाग को शून्य कर रहा था । बार-बार एक ही सवाल पूछ रहा हो जैसे वह -
"तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ??????? "
उस बवंडर से बचने के लिए मैं चीख कर कह रही थी- "तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ???? "
जवाब में उसने कहा -
"पूरा उम्र के लिए चाहता हूं तुमको ---मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था-- लेकिन कुछ कर भी नहीं पा रहा था तुम्हारे लिए --डर गया था मैं तुम्हारी सुसाइड वाली बात पर ----बहुत कमजोर था मैं--- सब से लड़ने की हिम्मत और क्षमता नहीं थी ---"
फिर अचानक ही उसके जवाब का अंदाज बदला इस बार आवाज़ में गुस्सा था -
"तुमने धोखा दिया है मुझे-- अपनी सच्चाई छुपाई है-- मैं ही बेवकूफ था जो तुम पर विश्वास किया-- कभी तुम्हारी बातों पर दिमाग ही नहीं लगाया-- हमेशा सोचा तुम जो बोल रही हो वह सब सही है-- पर आज भी तुम मेरे दिमाग से नहीं उतर पाई ---कोई प्यार नहीं है तुमसे --मुझे मेरे जीवन में अकेला छोड़ दो ---"
फिर आवाज़ बदला, इस बार आवाज में रुदन सुनाई दी -
"क्या तुम्हें मजा आता है मुझे तकलीफ देने में रुलाने में ?????बहुत रोया हूं तुम्हारे लिए--- तुम नहीं समझ पाई मुझे ---क्या हम दोस्त नहीं रह सकते थे??? मैं तुम्हारे लिए आया था ----अब कभी नहीं आऊंगा मैं --- एक खालीपन को तुम्हारे साथ भरना चाहता था लेकिन मेरी यह कोशिश झूठी निकली --" अब मैं हकीकत की कर्कश आवाज सुन रही थी अपने नाजुक नाजुक ख्वाबों के खिलाफ ।
अचानक ही मेरा ऑर्डर मेरे सामने था । एक सुंदर से कप में चाय परोसा गया था एक नोट के साथ। हर डिश के साथ कुछ अलग परोसना उस कैफे का रिवाज था । खैर मुझे जो नोट चाय के साथ परोसा गया था उस पर लिखा था -
"आरजू जुर्म, वफा जुर्म, तमन्ना है गुनाह,
यह वह दुनिया है यहाँ प्यार नहीं हो सकता,
कैसे बाजार का दस्तूर तुम्हें समझाऊं,
बिक गया जो वह खरीददार नहीं हो सकता "
दिल दिमाग में उठने वाली उसकी आवाज मानो शांत हो चली थी जैसे कह रही हो कि जवाब में क्या लिखोगी तुम ? मैंने अपनी बहती हुई काजल को पोछा और उस नोटपैड में लिखा -
"जीत जाएंगे हम दोनों ही लेकर अपना अपना आशय
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, छड़ भर जीवन मेरा परिचय ,,,,,, "
If you touch my soul
Body doesn't matter
कुछ देर के ठहराव और विश्राम में मैंने तुम्हें हमेशा के लिए पा लिया था और मेरा सफर तुम्हारे साथ पूरा हुआ था .,,
"यह सफर था कच्ची सड़क का और आगे का सफर है पगडंडियों का ,,, "
दी रोड कैफे की दीवारें मुस्कुरा रही थी जिसकी दीवारों में लिखा था - "Born to Ride",,,,
आस्था