The untold painfull story books and stories free download online pdf in Hindi

अनकही दर्दनाक प्रेम कहानी

यह कहानी है एक लड़का और एक लड़की की जिसमें लड़का था दिवेश लड़की के शिवांगी लड़का लड़की एक दूसरे से अनजान थे रहता था वह अलग गांव में रहती थी वह अलग शहर में दोनों बिल्कुल अलग अलग से थी लड़की थोड़ी गुस्से वाली लड़का बिल्कुल शांत था मेरे दोनों एक सोशल मीडिया पर बातों ही बातों में तकरार हुई तकरार धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई दोस्ती उनकी बड़ी खास थी एक दूसरे की हर बात समझ जाते एक दूसरे का ख्याल रखते एक दूसरे को हर बात बताने लगे दिल नहीं होता तो उनकी दोस्ती खूब अच्छे से चली 1 दिन उस लड़की को पता चला कि वह उसे पसंद करने लगा है इस लड़की ने ऐसा पूछा उसने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है दोनों चुप हो गए किसी ने कोई बात ही नहीं थी उस बारे में बातों ही बातों में फिर से वही बात निकली और लड़के ने यह कबूल कर लिया ऐसी लड़की से प्यार है लड़की ने भी थोड़ा सा सोचा आज फिर से हां कह दी प्यार की कहानी बड़ी रोमांचित थी लेकिन बहुत सी कठिनाइयां थी उनके प्यार में लड़का लड़की दोनों की अलग-अलग जाति के थे इसलिए दोनों में सोच लिया तय कर लिया कि वह शादी तो नहीं कर सकते लेकिन जब तक होगा साथ रहेंगे दोनों ही दूसरे से प्यार करने लगे थे इसलिए दोनों ने यह बात मान ली लड़का जला संवेदनशीलता हर बात को सोच समझकर ही फैसले लेता था लड़की जरा पागल सी थी जो उसके प्यार में हमेशा खोई रहती थी जानती थी वह कि वह उसे नहीं मिलेगा फिर भी हमेशा वह उसी को पाने की नुमाइश करती थी लड़का अपनी पढ़ाई की और ज्यादा ध्यान नहीं देता था उन दोनों की बातें धीरे-धीरे कम होने लगी कम होते होते बिल्कुल जैसे बंद सी हो गई फिर भी दोनों ने एक दूसरे को चाहना नहीं छोड़ा बहुत सी परेशानियां होती थी वो जब बात नहीं होती थी ना फोन होता था और ना ही कोई मैसेज होता था तकलीफ दोनों को होती थी पर मजबूरियां भी बहुत थी ना वह बात कर पाता था ना वह बात कर पाती थी दिलों में इतनी नजदीकियां थी कि रास्तों की दूरियां उनका कुछ ना बिगाड़ पाई एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करने वाले एक दूसरे के बिना रहने लगे मुश्किल तो बहुत था लेकिन दोनों एक दूसरे को समझने लगे तिलक बहुत होती थी दोनों में लेकिन अब तक राज करके फिर मान जाते थे गुस्सा करती थी वह लड़की बार-बार उस पर एक लड़का उसे हर बार मना लेता था उसने एक प्यारे से मैसेज कर दो अपनी सारी सारा गुस्सा बुला दिया करती थी बहुत प्यार करता था दिवेश अपनी शिवांगी से शिवांगी अपने दिवेश से बहुत गुस्सा करती थी शिवांगी अक्षत लड़ाइयां करती थी लेकिन दिवेश इतना समझदार था कि हर बात उसे समझा देता था और उसे हर बार ही वह बना लेता था प्यार तो वह भी बहुत करता था बस मजबूरियों का वह शिकार था दूर रहना ऐसी भी गवारा ना था पर घरवालों की जिम्मेदारियों के आगे वह भी मजबूर था पढ़ाई और किताबें उसका पहला प्यार था और शिवांगीसे प्यार भी उसे बेइंतेहा था बहुत ही गुस्से वाली थी शिवांगी हर बात पर वो उससे नाराज हो जाती थी सीधा सा था वह लड़का जो हर बार उसके बचपने को नजरअंदाज कर जाता शिवांगी का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ करता था लाख दूरियां बनाए रखता फिर भी जो हर पल उसके ख्यालों में रहा करती थी हर पल वह उसके साथ रहती थी कभी अकेला ना छोड़ा .हजारों की भीड़ से शिवांगी की जिंदगी में कभी फिर भी उसकी जगह किसी और को ना दीं . दूर रहता था वो पर हमेशा उससे प्यार करता था जब भी उसे दूर जाने की शिवांगी अक्सर दिवेश रो देता था जब भी शिवांगी दूर जाने की बात करती थी अक्सर वो उदास हो जाता था मजबूरी से मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन वो शिवांगी को खोने से हर पल डरता था बहुत प्यार करते थे वह एक दूसरे से दूरियां कुछ भी ना बिगाड़ पाई ना जाने उनकी जिंदगी का अब आगे क्या मोड़ होगा साथ रहेंगे दोनों या उनको अलग होना होगा प्यार दोनों ही बहुत करते हैं एक दूसरे से दूरियां भी बहुत हैं उनकी बीच मजबूरिया उससे भी ज्यादा है परिवार की खुशियों के लिए उन्होंने अपना मन मारा है दोनों अकेले कैसे खुश रहेंगे बस यही उनका नजरिया है सब को खुश करने के लिए दोनों ने अपना दिल तोड़ा है वह साथ रहे या ना रहे पर उनका प्यार हमेशा दूसरे के दिलों में जिंदा रहेगा कोई नहीं जानता इस प्यारे से सफर का अंत कब होगा न जाने क्या मोड़ होगा जिंदगी का उस दिन जब भी दोनों अलग होंगे.
इन सब में कुछ था तो दोनों का "प्यार"और एक प्यारा सा नाम "दिशु"यह कहानी है एक लड़का और एक लड़की की जिसमें लड़का था दिवेश लड़की के शिवांगी लड़का लड़की एक दूसरे से अनजान थे रहता था वह अलग गांव में रहती थी वह अलग शहर में दोनों बिल्कुल अलग अलग से थी लड़की थोड़ी गुस्से वाली लड़का बिल्कुल शांत था मेरे दोनों एक सोशल मीडिया पर बातों ही बातों में तकरार हुई तकरार धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई दोस्ती उनकी बड़ी खास थी एक दूसरे की हर बात समझ जाते एक दूसरे का ख्याल रखते एक दूसरे को हर बात बताने लगे दिल नहीं होता तो उनकी दोस्ती खूब अच्छे से चली 1 दिन उस लड़की को पता चला कि वह उसे पसंद करने लगा है इस लड़की ने ऐसा पूछा उसने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है दोनों चुप हो गए किसी ने कोई बात ही नहीं थी उस बारे में बातों ही बातों में फिर से वही बात निकली और लड़के ने यह कबूल कर लिया ऐसी लड़की से प्यार है लड़की ने भी थोड़ा सा सोचा आज फिर से हां कह दी प्यार की कहानी बड़ी रोमांचित थी लेकिन बहुत सी कठिनाइयां थी उनके प्यार में लड़का लड़की दोनों की अलग-अलग जाति के थे इसलिए दोनों में सोच लिया तय कर लिया कि वह शादी तो नहीं कर सकते लेकिन जब तक होगा साथ रहेंगे दोनों ही दूसरे से प्यार करने लगे थे इसलिए दोनों ने यह बात मान ली लड़का जला संवेदनशीलता हर बात को सोच समझकर ही फैसले लेता था लड़की जरा पागल सी थी जो उसके प्यार में हमेशा खोई रहती थी जानती थी वह कि वह उसे नहीं मिलेगा फिर भी हमेशा वह उसी को पाने की नुमाइश करती थी लड़का अपनी पढ़ाई की और ज्यादा ध्यान नहीं देता था उन दोनों की बातें धीरे-धीरे कम होने लगी कम होते होते बिल्कुल जैसे बंद सी हो गई फिर भी दोनों ने एक दूसरे को चाहना नहीं छोड़ा बहुत सी परेशानियां होती थी वो जब बात नहीं होती थी ना फोन होता था और ना ही कोई मैसेज होता था तकलीफ दोनों को होती थी पर मजबूरियां भी बहुत थी ना वह बात कर पाता था ना वह बात कर पाती थी दिलों में इतनी नजदीकियां थी कि रास्तों की दूरियां उनका कुछ ना बिगाड़ पाई एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करने वाले एक दूसरे के बिना रहने लगे मुश्किल तो बहुत था लेकिन दोनों एक दूसरे को समझने लगे तिलक बहुत होती थी दोनों में लेकिन अब तक राज करके फिर मान जाते थे गुस्सा करती थी वह लड़की बार-बार उस पर एक लड़का उसे हर बार मना लेता था उसने एक प्यारे से मैसेज कर दो अपनी सारी सारा गुस्सा बुला दिया करती थी बहुत प्यार करता था दिवेश अपनी शिवांगी से शिवांगी अपने दिवेश से बहुत गुस्सा करती थी शिवांगी अक्षत लड़ाइयां करती थी लेकिन दिवेश इतना समझदार था कि हर बात उसे समझा देता था और उसे हर बार ही वह बना लेता था प्यार तो वह भी बहुत करता था बस मजबूरियों का वह शिकार था दूर रहना ऐसी भी गवारा ना था पर घरवालों की जिम्मेदारियों के आगे वह भी मजबूर था पढ़ाई और किताबें उसका पहला प्यार था और शिवांगीसे प्यार भी उसे बेइंतेहा था बहुत ही गुस्से वाली थी शिवांगी हर बात पर वो उससे नाराज हो जाती थी सीधा सा था वह लड़का जो हर बार उसके बचपने को नजरअंदाज कर जाता शिवांगी का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ करता था लाख दूरियां बनाए रखता फिर भी जो हर पल उसके ख्यालों में रहा करती थी हर पल वह उसके साथ रहती थी कभी अकेला ना छोड़ा .हजारों की भीड़ से शिवांगी की जिंदगी में कभी फिर भी उसकी जगह किसी और को ना दीं . दूर रहता था वो पर हमेशा उससे प्यार करता था जब भी उसे दूर जाने की शिवांगी अक्सर दिवेश रो देता था जब भी शिवांगी दूर जाने की बात करती थी अक्सर वो उदास हो जाता था मजबूरी से मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन वो शिवांगी को खोने से हर पल डरता था बहुत प्यार करते थे वह एक दूसरे से दूरियां कुछ भी ना बिगाड़ पाई ना जाने उनकी जिंदगी का अब आगे क्या मोड़ होगा साथ रहेंगे दोनों या उनको अलग होना होगा प्यार दोनों ही बहुत करते हैं एक दूसरे से दूरियां भी बहुत हैं उनकी बीच मजबूरिया उससे भी ज्यादा है परिवार की खुशियों के लिए उन्होंने अपना मन मारा है दोनों अकेले कैसे खुश रहेंगे बस यही उनका नजरिया है सब को खुश करने के लिए दोनों ने अपना दिल तोड़ा है वह साथ रहे या ना रहे पर उनका प्यार हमेशा दूसरे के दिलों में जिंदा रहेगा कोई नहीं जानता इस प्यारे से सफर का अंत कब होगा न जाने क्या मोड़ होगा जिंदगी का उस दिन जब भी दोनों अलग होंगे.
इन सब में कुछ था तो दोनों का "प्यार"और एक प्यारा सा नाम "दिशु"