Prem ki bhavna - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम की भावना (भाग-8)

मैं अगले दिन का अवकाश लेकर इंदौर के लिये निकल पड़ा.!! क्योंकि पत्र में इंदौर का ही एड्रेस लिखा हुआ था..!!

मुझे अपने शहर इस इंदौर पहुंचने में उतना समय नही लगा जितना इंदौर के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचने में लग गया..!! पहले मैंने सोचा रवि से पूछ लेता हूँ ये कौन सी जगह है.? फिर लगा," पता नही भावना ने उसे बताया है या नही इस पत्र के बारे में..!"

कैब वाले ने एक बड़े से हॉस्पिटल के आगे लेजाकर कैब खड़ी कर दी !! मैंने उससे पूछा,"यहां क्यों रोकी गाड़ी..??"

ड्राइवर ने कहा," सर ये एड्रेस यही का है। इसी हॉस्पिटल का..!!"

मैं चौंक गया। मैं सोचने लगा,"भावना ने हॉस्पिटल का एड्रेस क्यों दिया..?? कहीं ऐसा तो नही की वो अब यहाँ जॉब करने लगी है..??"

ड्राइवर ने आवाज़ लगाई तो मैं खयालो से बाहर आया। उसे उसका किराया देकर मैं होस्पिटल के अंदर पहुँचा। रिसेप्शन पर पूछा,"यहां कोई डॉक्टर भावना है क्या..??" रिसेप्शनिस्ट ने साफ इंकार कर दिया !

मैं फिर से सोच विचार करने लगा ! जाने क्या लिखा था उस लैटर में ..?? मैं वहीं हॉस्पिटल की बेंच पर बैठ गया !! तभी मेरी नज़र गेट से अंदर भागते रवि पर गयी। उसके हाथ मे एक थैला था! मैं उसे आवाज़ लगाता तब तक तो वो इतनी आगे निकल गया कि मेरी आवाज उस तक पहुंचती ही नही ..!!

मैंने भी सोचा," इसके पीछे ही जाता हूँ..! शायद कुछ समझ आ जाये..!!" लेकिन रवि को इतनी हड़बड़ाहट में देखकर मुझे भी चिंता होने लगी, "ना जाने कौन एडमिट है यहां..!! शायद सासु माँ या ससुरजी की तबियत खराब हो गयी है..!!"

खुद ही सवाल करके जवाब देते हुए मैं रवि के पीछे पहुंचा !! रवि आईसीयू के बाहर रखी बेंच पर अपने दोनो हाथों से मुंह
छुपा कर बैठा था !! मैं उस तक पहुंचता उसके पहले ही मेरी नज़र सामने की ओर से आते मेरे सास-ससुर पर गयी।
मेरे कदम वहीं थम गए।

"सासु माँ और ससुरजी तो एकदम ठीक है..!! फिर आईसीयू में कौन है..??" विचार आया मेरे मन मे ! और दिल की धड़कने अचानक से तेज़ हो गयी।

भारी कदमो से मैं उसतक पहुंचा। मैंने जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा, वो चौंक कर खड़ा हो गया..!! मैंने सबसे पूछा,"क्या हुआ है..? आप सब लोग यहां क्यों..?? कौन भर्ती है यहाँ !!"

किसी ने कोई जवाब नही दिया। सब चुपचाप मेरी शक्ल देखे जा रहे थे ! लेकिन रवि की आंखों में आँसू की धार लगे जा रही थी।
रवि ने मेरी ओर देखकर आईसीयू के गेट को देखा ! मैं समझ गया उसका इशारा।

मैं तेज़ी से गेट पर पहुंचा!! गेट में लगे हुए कांच में से अन्दर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ स्पष्ट नज़र नही आया। एक नर्स ने मुझे देखा तो वो पूछने के लिए बाहर आई,"कौन हैं आप..??"

मैं कुछ कहता उसके पहले ही रवि बोल उठा," ये ही हैं प्रेम जी! भावना के पति !"

मैंने रवि को हैरानी से देखा ! उसने मेरा परिचय इस प्रकार दिया जैसे वो नर्स मेरे नाम से पहले ही परिचित हो।

नर्स कहने लगी," जल्दी मिल लीजिये उनसे! समय कम है उनके पास..!!"

मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा था,"आखिर बात क्या है?? हो क्या रहा है यहां। क्या चल रहा है ये सब कुछ..?? किसके पास समय कम है??" मैं सवाल पर सवाल पूछे जा रहा था लेकिन कोई भी जवाब नही दे रहा था।

मैं समझ गया ! मेरे सवालो का जवाब मुझे यहां नही आईसीयू के अंदर ही मिलेंगे !! पर ना जाने क्यों कुछ खटक रहा था मन मे !! कुछ था जो छूट रहा था, मुझसे दूर जा रहा था।

मैं आईसीयू के अंदर आया !! जैसे ही पेशेंट के पास पहुंचा, पैरों तले जमीन ही खिसक गई !!
"भावना..!!" इतना ही निकला था मेरे मुंह से और मुझे चक्कर आ गए! ! आंखों के सामने अंधेरा छा गया !! कुछ भी नज़र ही नही आ रहा था.!!

मैं गिरने ही वाला था कि रवि ने आकर सम्भाला मुझे ! मैंने उसे धक्का देकर हटाया..!! इतना बड़ा छल किया था आखिर उसने मेरे साथ..!! मेरी भावना आज इस स्थिति में पहुंच चुकी थी लेकिन किसी ने, कुछ भी मुझे उसके बारे में बताना आवश्यक नही समझा.!!! एक बार भी मुझे नही बताया..!!क्यों..???

भावना की हालत देखकर कोई ये कह ही नही सकता कि, ये भावना है.!! छरहरी काया वाली मेरी भावना की काया इकहरी हो गयी थी.!! जिस भावना के घने लंबे काले बाल हुआ करते थे कभी, आज उसके बाल भी जा चुके थे।

मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नही था ! अपने सोचने-समझने की शक्ति भी खो चुका था ! क्या करूँ.? कुछ भी समझ नही आ रहा था!!

मैं वहीं भावना के पास बैठ गया ! उसके चेहरे को अपने हाथों में भरना चाहा, लेकिन डॉक्टर ने साफ मना कर दिया.!!
मेरी आँखों मे आंसूओ का सैलाब उमड़ रहा था लेकिन एक बूंद भी बाहर नही निकली..!!

मैं एकटक बस अपनी भावना को निहार रहा था!! मेरे दिल पर उस वक़्त क्या बीत रही थी उसे शब्दो मे बयाँ करना असंभव था..!!

रवि ने फिर मेरे कंधे पर हाथ रखा! इस बार मैंने उससे पूछा,"कब, क्यों, कैसे..?? इन सबका जवाब दो मुझे..!!?"

रवि ने जैसे तैसे खुद को संभालते हुए कहा,"भावना को कैंसर है ये बात तो आप को पहले से ही पता थी ! लेकिन उसका इलाज करवाने के बाद सबको यही लग रहा था कि अब कोई खतरा नही है..!! लेकिन कैंसर भावना के शरीर मे अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा था..! जब भावना के ऑपरेशन के बाद पहली बार मैं उसे घर लेकर आया था, तब उसकी तबियत खराब हुई और तभी पता चला कि कैंसर तेज़ी से उसके शरीर मे फैलने लग गया है..!! जिसे रोकना अब ना मुमकिन है..!!"

इतना बोलकर रवि चुप हो गया..!! अब समझ आया था मुझे क्यों भावना अपने मायके से आने के बाद मेरी दूसरी शादी करवाने पर अड़ी हुई थी।

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