Confronted by Corona - 3 in Hindi Biography by Kishanlal Sharma books and stories PDF | कोरोना से सामना - 3

Featured Books
Categories
Share

कोरोना से सामना - 3

और बेटे का इलाज शुरू हो गया था।
जैसा मैंने इसी पोस्ट में पूर्व में भी लिखा है।मेरे उपन्यास "वो चालीस दिन और लोकडौन" के अंदर पूरा विवरण आएगा।यहां इस लेख का विषय अलग है।इसलिए मूल बात पर आता हूँ।
बेटा, पुत्रवधू और दोनों पोते जयपुर में थे।उसे पूरा एक साल हो चूका था।उसकी किडनी आदि जांचे करानी थी।इसलिए मैं और पत्नी जयपुर गए थे।वहां से 2 अप्रैल को लौटे थे।पत्नी के सर्दी जुकाम खांसी हो गई थी।मुझे भी हरारत सी महसूस हो रही थी।मैं केमिस्ट से दवा ले आया। जब। कई दिन दवा लेने पर तबियत ठीक नही हुई तब पत्नी बोली,"कोरोना फैल रहा है।तीन दिन दवा ले ली।फायदा नही हुआ है।डॉक्टर के पास चलो।"
और हम 7 तारीख को डॉक्टर रमेश के पास गए थे।पत्नी रास्ते मे बोली,"तुम भी चेक करा लेना।"
"मैं तो ठीक हूँ।"
"ठीक हो तो रोज गोली क्यो खा रहे हो।"
और मुझे पत्नी के साथ अपना भी पर्चा बनवाना पड़ा था। हमसे पहले चार मरीज थे।चार मरीजो के बाद कंपाउंडर बोला,"आइए शर्माजी।"
"इन्हें भेजू पहले"
"आप दोनों ही आ जाइये"
कोरोना के बाद सब व्यवस्था बदल चुकी है।पहले नंबर आने पर एक एक करके मरीजो को डॉक्टर रमेश के चेम्बर में भेजा जाता था।डॉक्टर की कुर्सी के पास एक स्टूल रखा रहता था।जिस पर मरीज बैठता और डॉक्टर उसका चेकअप करते थे।अब व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया था।कंपाउंडर के काउंटर के आगे प्लास्टिक शीट लगा फि गई थी।शीट के इस तरफ बेंचे थी।जिन पर मरीज बैठते थे।शीट के अंदर दोनो कम्पाउण्डर रहते।चेम्बर के बाहर बेंच लगा दी गई थी।चेम्बर के गेट पर डॉक्टर की कुर्सी थी।
नंबर आने पर मरीज को बुलाया जाता।पहले उसके हाथ को सैनेटियाज़ किया जाता।फिर टेम्परेचर लिया जाता।फिर मरीज को बेंच पर बैठाया जाता।और ब्लड प्रेशर व अन्य जांच की जाती।पहले डॉक्टर रमेश ने पत्नी का चेकअप किया फिर मेरा।दवा तीन दिन की लिखने के साथ वह एक टेस्ट लिखते हुए बोले,"आप दोनों की एक सी समस्या है।आप दोनों को यह टेस्ट कराने की जरूरत नही है।आप पत्नी का टेस्ट करा लें।उससे पता चल जाएगा कोरोना टेस्ट कराना है या नही।"
लैब पास में ही है।मैने पत्नी का टेस्ट कराया।फिर केमिस्ट से दोनों की तीन तीन दिन की दवा ली थी।और हम घर आ गए थे।शाम को सात बजे टेस्ट की रिपार्ट मिलनी थी।इसलिए मुझे शाम को वापस जाना पड़ा।मैने लैब से रिपोर्ट ली थी।रिपोर्ट लेकर कम्पाउण्डर के जरिये डॉक्टर के पास भेज दी थी।डॉक्टर ने मुझे बुलाया।डॉक्टर रमेश बोले,"CRP इनका बढ़ा हुआ आया है।6 होना चाहिए लेकिन 26 है।कोरोना की जांच करा लें।जिला अस्पताल में फ्री हो रहे है।मै गोली भी लिख रहा हूँ।एक गोली रोज दे।"
वायरस कम करने की गोली थी।हम गोली लेकर घर आ गए।
कोरोना की जांच होने से पहले ही कोरोना हमारे दिमाग मे घुस गया।हम अस्पताल या कहीं भी जाते है,तो एक ही ऑटो वाला फिक्स है।पत्नी बोली,"कोरोना का नाम सुनकर वो तो अब जाएगा नही।"
"अभी कौनसा कोरोना डिक्लेअर हो गया।"
रात भर पत्नी और मेरे बीच कोरोना पर वाद बिवाद चलता रहा।सुबह मैने हरगोविंद से फोन पर बात की।वह बोला,"भाई साहब विवेक से बात करो।"
मेरे डी आर एम आफिस से रिटायर होने के बाद मेरी पोस्ट पर वो ही काम कर रहा था।