Aag aur Geet - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

आग और गीत - 6

(6)

“बेन्टो को वह कमरा तुम लोगों ने दिया था ? ” – राजेश ने पूछा ।

“ख़ुद उसी ने इच्छा प्रकट की थी कि उसे मार्था वाला ही कमरा दिया जाये ।”

“अच्छा यह बताओ कि मार्था की लाश कैसे प्राप्त हुई थी ? ”

“रात के शो के बाद वह अपने कमरे में गई थी । सवेरे नाश्ते के समय बाहर से आवाज़ें दी गई मगर जब उत्तर नहीं मिला तो दरवाज़ा तोडा गया । अंदर मार्था की लाश पड़ी हुई थी ।”

“क्या बेन्टो मार्था को जानता था ? ”

“यह मैं नहीं जानता मगर.....। ” – बैरा कुछ कहते कहते रुक गया ।

“हां – हां – कहो ।” – राजेश ने टोका “चुप क्यों हो गये ? ”

“देखने में तो वह बहुत सुरदय मालूम होता है मगर वास्तव में वह अच्छा आदमी नहीं है ।”

“यह कैसे कह सकते हो ? ”

“पहली बात तो यह कि वह कई बार अपने कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंध करके गया मगर कमरे के अंदर मौजूद पाया गया । दूसरी बात यह है कि उससे बहुत सारी लड़कियां मिलने आती है और तीसरी बात यह है कि पुरुषों में से जो लोग उससे मिलने आते है वह भी अछे आदमी नहीं मालूम होते ।”

“मार्था तुम्हारे यहां कब से नौकर थी ? ” – राजेश ने पूछा ।

“केवल एक महीने से ।”

“उसे कौन लाया था ? ”

“कोई नहीं ।” – बैरा ने कहा “ख़ुद ही आई थी । चूंकि होटल को जरुरत थी इसलिये रख की गई थी ।”

“बेन्टो ने होटल में ठहरने का तात्पर्य क्या बताया है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“खुद को एक बेले कन्सर्ट का मैनेजर कहता है जो यहां प्रोग्राम देगा ।”

“तुम्हारे होटल में ? ”

“जी हां ।”

“क्या तुम्हारे होटल का मैनेजर भी इटैलियन है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“जी हां ।”

“क्या नाम है ? ”

“गुरेजानी ।” – बैरा ने कहा ।

“क्या बेन्टो और गुरेजानी पहले ही से एक दुसरे से परिचित थे ? ”

“मालूम तो यही होता है साहब ।”

“वह कैसे ? ”

“दोनों घंटो एक दुसरे से एकांत में बैठे न जाने क्या बातें करते रहते है ।”

“क्या मार्था वाले कमरे में कोई खास बात है ? ” – राजेश ने कहा ।

“नहीं साहब – जैसे दुसरे कमरे है वैसा ही वह भी है ।” – बैरा ने कहा ।

“सोच कर बताओ – कोई खास बात अवश्य होगी ।”

“नहीं साहब कोई खास बात नहीं है । ” – बैरा ने कहा “हां इतना अवश्य है कि उस कमरे की पिछली खिड़की के पास से पाइप गुज़रता है ।”

“मार्था ने आत्म हत्या की थी ? ” – राजेश ने पूछा ।

“नहीं साहब – उसे क़त्ल किया गया था ।”

“गुरेजानी ने किस पर संदेह प्रकट किया था ? ” – राजेश ने पूछा ।

“संदेह किस पर करता – ख़ुद ही वह संदिग्ध था – मगर यह बात मेरे अतिरिक्त और किसी को नहीं मालूम है ।”

“वह ख़ुद किस्से संदिग्ध था ? ”

“मार्था की मौत से तीन चार दिन पहले तक मार्था और गुरेजानी के मध्य किसी समस्या पर वार्ता होती रहती थी – ऐसा लगता था जैसे गुरेजानी उससे कोई काम लेना चाहता था और वह उस काम इन्कार करती थी । कभी कभी बातों के मध्य गुरेजानी क्रोधित भी हो जाता था ।”

“दोनों में क्या बाते होती थी ? ”

“उनकी बातें मेरी समझ में नहीं आती थी क्योकिवः अपनी ही भाषा में बाते करते थे ।” – बैरा ने कहा “एक बार रात के तीन बजे मैंने मार्था के कमरे से मार्था और गुरेजानी की आवाज़े आती हुई सुनी थी और मजा यह कि मार्था ने हम सबके सामने अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद किया था ।”

“सवाल यह है कि रात में तीन बजे तुम वहां कैसे थे ? ”- राजेश ने उसे संदेह की नज़रों से देखते हुये पूछा ।

“बात यह है साहब कि कभी कभी मुझे स्टोवर का चार्ज भी मिल जाता है ।” – बैरा ने कहा “अभी कल भी मैं स्टोवर ही का चार्ज संभाले हुये था – उस दिन भी मैंने स्टोवर का चार्ज संभल रखा था और उस रात मेरी डयूटी उसी ब्लाक के उसी कारीडर में बारह बजे से चार बजे सवेरे तक थी । और इस प्रकार मैं उन दोनों की आवाज़े सुनता रहा था ।”

“पुलिस को तो तुमने यह सब बताया ही होगा ? ” – राजेश ने पूछा ।

“अरे साहब – पुलिस को यह सब बता कर मैं अपनी गर्दन नहीं फंसवाना चाहता था ।”

“पुलिस का एक अफसर भी तो यहां आता था । उसका नाम कैप्टन मलखान है ।”

“जी हां – उसे तो होटल का हर आदमी जानता है ।” – बैरा ने कहा “जब से मार्था यहां आई थी तब से वह लगभग राज ही आता था । गुरेजानी ने उनके लिये एक कमरा अलग करवा दिया था – और कप्तान साहब घंटो उसी में मार्था के साथ रहते थे ।”

“हूँ । ” – राजेश ने कहा फिर पूछा “उस समय कमरे में उन दोनों के अतिरिक्त और कोई नहीं रहता था ? ”

“जी नहीं । ” – बैरा ने कहा “एक बात और याद आ रही है साहब ।”

”वह क्या ? ” – राजेश ने उत्सुकता के साथ पूछा ।

मगर बैरा कुछ नहीं बोला ।

“डरने की कोई जरुरत नहीं है ।” – राजेश ने कहा “जो भी बात हो निर्भय होकर बताओ । तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता – इसका जिम्मा मै लेता हूँ ।”

“जिस रात मार्था की हत्या हुई थी उस रात कप्तान साहब उससे न जानेकिस बात पर बहुत नाराज़ थे ।” – बैरा ने कहा “डांस आरंभ होने से पहले उन्होंने मार्था से बड़े कठोर स्वर में कहा था कि – मैं केवल जेल ही में नहीं पहुंचाता बल्कि फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया करता हूँ और कभी कभी इसकी भी आवश्कता नहीं पड़ती – मौत पहले ही आ जाती है ।”

“कन्सर्ट आज ही आ रहा है ना ?व – राजेश ने पूछा ।

‘जी हां – बारह बजे आने वाला है – मुझे आशा थी कि स्डोवार्ड की हैसियत से मेरी ही डयूटी लगेगी मगर किसी दुसरे की डयूटी लगा दी गई है ।”

“किसकी डयूटी लगी है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“गुरेजानी का खास आदमी है । उसका नाम पेनरो है । वह भी इटैलियन ही है और गुरेजानी के लिये औरतों की व्यस्था करता है । यहां बहुत दिनों से रह रहा है । ”

“ठीक है – हम फिर मिलेंगे ।” – राजेश ने कहा और सौ की एक नोट उसे थमा दी ।

“अब एक बात पुछू साहब ? ” – बैरा ने कहा ।

“ज़रूर पूछो ।”

“आप है कौन ? ”

“यह सवाल तुमने क्यों किया ? ”

“इसलिये कि पहले आप झक्की मालूम हुये थे – फिर क्रेक और उसके बाद इस समय आपने सी. आई. डी. वालों के समान प्रश्न किये ।”

“तुम इस चक्कर में न पदों कि मैं क्या हूँ । मैंने तुम्हारी रक्षा की जिम्मेदारी ली है बस तुम्हारे लिये यही काफ़ी है ।” – राजेश ने कहा ।

बैरा सलाम करके चला गया और राजेश भी होटल की ओर पलट पड़ा ।

होटल के क्लाक रूम में पहुंच कर उसने अपनी अटैची उठाई और वापसी के लिये मुडा ।

कम्पाउंड में पहुंचा तो देखा कि एक स्टेशन वैगन खड़ा है । उसके पास ही तीन लड़कियाँ और चार मर्द खड़े थे । स्टेशन वैगन से सामान निकले जा रहे थे । गुरेजानी और बेन्टो भी वहीँ खड़े थे । उनसे कुछ फासिले पर अजय खड़ा था और वह स्टेशन वैगन ही की ओर देख रहा था ।

राजेश सीधा घर पहुंचा और टेलीफोन पर कैप्टन मलखान के नंबर दायक किये । कुछ क्षणों तक घंटी बजती रही फिर मलखान की नींद में डूबी हुई आवाज सुनाई दी ।

“हलो ।”

“झूठे का मुह काला ।” – राजेश ने माउथ पीस में कहा ।

“कौन है – यह क्या अशिष्टता है ।” – मलखान दहाड़ा “कदाचित वह राजेश की आवाज नहीं पहचान सका था ।

“मार्था क़त्ल कर दी गई प्यारे ।” – राजेश ने कहा “तुम मुझसे झूठ बोले थे – अब तुम्हारी गर्दन बुरी तरह फंस गई है ।”

“ओह – कौन राजेश ? ” – आवाज आई ।

“आखिर तुम मुझसे झूठ क्यों बोले थे ।” – राजेश ने कहा “मार्था के साथ तुम्हारे गहरे संबंध थे । उसकी लाश का तो पोस्ट मार्टम भी हुआ था मगर तुम्हारी लाश तो बिना पोस्ट मार्टम ही के रह जायेगी – इस लिये कि तुम्हारा कोई अंग सलामत नहीं रहेगा ।”

“क्या बक रहे हो ? ” – मलखान की आवाज आई मगर उसके स्वर में भय समावेश था ।

“जितनी जल्द हो सके अपना घर छोड़ कर किसी ऐसी जगह छिप जाओ जहां से मुझसे संबंध स्थापित कर सको वर्ना तुम्हारी बीबी विधवा होकर किसी दुसरे की बीबी बन जायेगी ।”

“पता नहीं क्या कह रहे हो ? ”

“खोपड़ी प्रयोग कर प्यारे ! मैं नहीं कह सकता कि किस लिये तुम्हें निशाना बनाया गया है – मगर तुम्हारा क़त्ल और तुम्हारी पत्नी का अपहरण दोनों ही निश्चित मालूम हो रहा है ।”

”अगर मैं अपने घर ही में रहू तो ? ” – मलखान की कांपती हुई आवाज आई ।

“घर में रहोगे तो सरकारी काम भी सर पर रहेगा और उसके लिये तुम्हें बहार निकलना ही पड़ेगा और तुम क़त्ल कर दिये जाओगे ।”

“तो यह कैद कब तक रहेगी ? ”

“यह अभी नहीं बता सकता ।”

“तुम्हारे पास आ जाऊ ? ”

“आ जाओ मगर मैं सोता रहूँगा – मुझे जगाना नहीं – ड्राइंग रूम में सो जाना ।” – राजेश ने कहा और संबंध काट दिया ।

फिर मेकफ को बुला कर कुछ आदेश दिये – उसके बाद दुसरे कमरे में पहुंच कर प्राइवेट फोन पर जोली के नंबर डायल किये ।

दूसरी ओर से फौरन ही रिसीवर उठाया गया ।

“क्या तुम जाग रही थी ? ” – राजेश ने पवन के स्वर में पूछा ।

“जी हां श्रीमान जी ।”

“कोई खास कारण ? ”

“जी हां – मदन आ गया था – और चौहान की रिपोर्ट भी आई थी ।”

“मदन क्यों आया था ? ” – राजेश ने पूछा ।

“यह बताने के लिये कि नायक के फ़्लैट की निगरानी हो रही है ।”

“निगरानी करने वाले कौन है ? ”

“दो विदेशी ।” – आवाज आई ।

“कब से निगरानी हो रही है ? ”

“मदन का विचार है कि तीसरे पहर से ।”

राजेश सोचने लगा कि इसका अर्थ यह हुआ कि जिस समय वह नायक के फ़्लैट पर गया था उस समय नायक के फ़्लैट की निगरानी हो रही थी – फिर उसने पूछा ।

“तो फिर मदन ने इस सिलसिले में क्या किया ? ”

“उसने नायक के फ़्लैट पर माथुर की डयूटी लगा दी है ।”

“चौहान की रिपोर्ट क्या है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“हवाई अड्डे पर होटल कसीनो के मैनेजर – बैन्टो और लाल रेशमी पोशाक वाली औरत तीनों मौजूद थे और वह सब किसी ऐसे आदमी का उल्लेख कर रहे थे जिसने कासीनो में छतरी लगा रखी थी – वहां अजय भी मौजूद था ।”

“और कोई खास बात ? ”

“होटल ही से अजय उन तीनों का पीछा करता हुआ हवाई अड्डे तक पहुंचा था । अजय और चौहान दोनों की यही रिपोर्ट है कि कन्सर्ट में सात आदमी है । सात में तीन औरतें और चार मर्द है । साथ में साधारण वाध्य यंत्र है – अजय ने यह भी बताया था कि वह लाल पोशाक वाली औरत हवाई अड्डे से किसी दूसरी और चली गई थी । ”

“अपनी कार से ? ” – राजेश ने पुछा ।

“जी नहीं – टैक्सी से । ”

“टैक्सी नंबर ? ”

फिर वह नंबर नोट करने लगा । दूसरी ओर से जोली नंबर बता रही थी । नंबर नोट करने के बाद राजेश ने पूछा ।

“कन्सर्ट का प्रोग्राम मालूम हुआ ? ”

“जी हां – कल रात वह अपना एक शो देगा । टिकिट पचास रुपये का होगा । कल के समाचार पत्रों में खबर भी आ जायेगी ।”

“वेरी गुड – बस ।” – राजेश ने कहा और संबंध काट कर बाहर निकल आया और सीधे स्लीपिंग रूम में पहुंचा । अंदर से दरवाज़ा बंद किया और एक फाइल निकाल कर देखने लगा ।

लगभग पन्द्रह मिनट बाद मेकफ ने दरवाज़ा खटखटाया ।

“कौन है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“मैं हूँ बास । ” – मेकफ ने कहा ।

“क्या बात है ? ”

“मिस्टर मलखान आ गये है । आपके आदेशानुसार मैंने उन्हें ड्राइंग रूम में सुला दिया है और कह दिया है कि वह अंदर से दरवाज़ा बंद कर लें ।”

“ठीक है – अब तू भी जाकर सो जा ।” – राजेश ने कहा और फिर फाइल देखने लगा ।