Aag aur Geet - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

आग और गीत - 10

(10)

“पवन ! ” – राजेश ने पवन के स्वर में कहा “तुम और मदन सशस्त्र होकर बाटम रोड के तीसरे और चौथे क्रासिंग के मध्य वाले भाग में पहुंच जाओ । अगर वहां तुम्हें कोई ज़ख्मी मिले या लाश मिले तो उसे साइको मेनशन पहुंचा दो । सड़क पर यदि खून के निशान हो तो उन्हें भी मिटा देना ।”

“जी अच्छा – मगर क्या किसी से मुदभेद होने की भी संभावना है ? ” – जोली की आवाज़ आई ।

“हो सकता है – तुम चौहान और माथुर को भी साथ ले लेना । अगर तुम लोग वहां किसी को जिन्दा गिरफ़्तार कर सके तो बहुत बड़ी बात होगी – मैं राजेश को साइको मेनशन भेज रहा हूँ – और हो सकता है कि मैं खुद भी आऊँ । राजेश के साइको मेनशन पहुंचने के बाद तुम लोग वापस चले जाना – बस ।”

रिसीवर हुक पर लटका कर वह बाहर निकला और आंधी तूफ़ान के समान वहां से चल पड़ा ।

सर शम्भू दयाल बड़ी बेचैनी से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे । ठराड के बावजूद वह अकेले ही लान पर टहल रहे थे । राजेश को देखते ही उन्होंने कहा ।

“बड़ी देर कर दी ।”

“जी हां – मार्ग में इश्क करने लगा था ।” – राजेश ने कहा ।

“कभी तो ढंग की बात किया करो ।”

“जब पिता जी ही ने बेढंगा पैदा किया है तो ढंग की बात कैसे कर सकता हूँ ।”

“अशिष्टता करोगे तो चांटा मार दूँगा ।” – सर शम्भू दयाल ने कहा और उसे लिये हुये ड्राइंग रूम में आ गये ।

राजेश ने मार्ग की कहानी सुनाने के बाद कहा ।

“इसी कारण से देर हो गई ।”

“ओह ! ” – सर शम्भू दयाल ने कहा फिर पूछा “मार्था के सिलसिले में क्या रहा ? ”

“यह तो मैं पहले ही आपको बता चुका था कि मार्था की हत्या में गुरेजानी का हाथ था मगर आज गुरेजानी भी क़त्ल कर दिया गया ।” – राजेश ने कहा “मार्था के साथी यहां मौजूद है और मेरा अनुमान है कि आज कासीनो में जिस पार्टी ने शो दिया है वह कोई दूसरा गिरोह है और यह दोनों टोलियां किसी सारण वश आपस में टकरा गई है ।”

“अगर गुरेजानी और मार्था का संबंध दो विभिन्न टोलियां से था तो फिर गुरेजानी कैसे क़त्ल हो गया ? ”

“सीधी बात है – गुरेजानी ने मार्था को क़त्ल किया और मार्था के साथियों ने गुरेजानी को क़त्ल कर दिया ।” – राजेश ने कहा “और यह भी हो सकता है कि ख़ुद गुरेजानी की टोली वालो ने ही उसे क़त्ल कर दिया हो ।”

“यह दूसरी बात कैसे संभव हो सकती है ? ”

“इस प्रकार संभव हो सकती है कि उनके विचार के अनुसार गुरेजानी प्रकाश में आ गया था और उसकी गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई थी ।”

“हो सकता है ।” – सर शम्भू दयाल ने कहा फिर पूछा “उस हवाई दुर्घटना के बारे में अब तक क्या मालूम हो सका है ? ”

उत्तर में राजेश ने नायक वाली कहानी सुना दी ।

“अगर उस चरवाही का बयान सच है तो फिर हमारा आदमी उन्ही कबालियों की कैद में है ।”

“विश्वास के साथ नाहीनाही कहा जा सकता श्रीमान जी ।” – राजेश ने कहा “यह भी हो सकता है कि हमारा आदमी भी मर गया हो और वह कोई दूसरा आदमी हो ।”

“अब मेरी बात सुनो ।” – सर शम्भू दयाल एकदम से गंभीर हो गये “थोड़ी देर पहले फारेन सीक्रेट सर्विस से मुझे यह सूचना मिली थी कि ध्वंसकारीयो की एक टोली हमारे देश के कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति को एक ही समय में क़त्ल करना चाहती है । मैं इस सूचना को कोई महत्त्व नहीं देता मगर मुझे वह हवाई दुर्घटनायाद आ गई जिसमे भी मूल्यवान जीवन नष्ट हो गये – वायुयान गिरा कर उनको मार डाला गया – इसीलिये मैंने तुमको फोन किया था ।”

“आपका विचार बिलकुल सच मालूम पड़ रहा है श्रीमान जी ।” राजेश ने कहा “आज कासीनो होटल के आडिटोरियम में जो शो हो रहा था उसे देखने के लिये तीन ऐसे आदमी भी गये थे जो हमारे देश के महान बुध्धिजीवी कहलाते है – पता नहीं और कितने रहे होंगे – और आडिटोरियम के उसी भाग को टाइम बम से उड़ा देने का प्लान था जिस विंग में इस प्रकार के महान और महत्वपूर्ण व्यक्ति बैठाये गये थे ।”

“ओह ! ” – सर शम्भू दयाल ने कहा फिर पूछा “आडिटोरियम में सीटों की व्यस्था किसने की थी ? ”

“प्रकट है कि यह जिम्मेदारी मैनेजर की थी – और वह मार डाला गया ।”

“कासीनो का मालिक कौन है ? ”

“फिलहाल तो वह यहाँ मौजूद नहीं है ।”

“मैंने मालिक का नाम पुछा था ? ”

“उसका नाम कोयरल है – वह जनेवा, रूम और वान में रहता है  । साल में एक बार यहां आता है ।”

“बहरहाल तुमको उसी आदमी को हर मूल्य पर देखना है जो उन कबायलियो की कैद में है ।” – सर शम्भू दयाल ने कहा “अगर वह वही आदमी है जिसके पास हमारे कागजात थे तो फिर उसकी वापसी आवश्यक है – और अगर वह भी मर गया है और कागजात किसी दुसरे के हाथ लग गये है तो फिर समझ लो कि अनर्थ हो जायेगा ।”

“आज्ञा का पालन होगा श्रीमान जी – और अब आज्ञा चाहता हूँ ।” – राजेश ने कहा  और बाहर निकल आया ।

************

राजेश जब साइको मेनशन पहुंचा तो वहा केवल मदन ही था ।

“हल्लो मिस्टर मोहन ।”

“जी नहीं – मदन ।” – मदन ने जल्दी से कहा ।

“कोई अंतर नहीं पड़ता ।” – राजेश ने कहा “सवाल यह है कि इतनी रात में आप यहां कैसे ? ”

“आपको रिपोर्ट देनी है ।”

“कैसी रिपोर्ट ?” – राजेश ने अनजान बनते हुये पूछा ।

“सुन लीजिये – मालूम हो जायेगा ।” – मदन ने कहा “हम लोग बाटम रोड के तीसरे और चौथे क्रासिंग के मध्य वालिवाली जगह पर पहुचे थे । हमारे चीफ ने कहा था कि हो सकता है हमें वहा कोई जख्मी आदमी मिले या लाश मिलर – मगर न वहां कोई ज़ख्मी आदमी था न कोई लाश थी । किसी से मुठभेड़ भी नहीं हुई थी । वहां की सड़क बिलकुल साफ़ थी । कही भी खून का हल्का सा धब्बा भी नजर नहीं आया था – अब में आज्ञा चाहूंगा ।”

“जाओ भी यार – इतनी देर से नाहक कान खा रहे थे ।” – राजेश ने कहा ।

मदन के जाने के बाद राजेश उस कमरे में दाखिल हुआ जिसमें उसका वह कैदी रखा गया था जिसे उसने कासीनो होटल के पीछे टाइम बम रखते हुये पकड़ा था । कमरे में दाखिल होते ही आटोमेटिक द्वार बंद हो गया था ।

वह आदमी होश में था । राजेश को देखते ही खड़ा हो गया था और राजेश को घूर रहा था ।

“कैसे मिजाज है मिस्टर ? ” – राजेश ने अंग्रेजी में पूछा ।

“मुझे यहां क्यों कैद किया गया है ? ” – उस आदमी ने इटैलियन में पूछा ।

“तुम्हारा पास्पोर्ट कहां है ? ” – राजेश ने फिर अंग्रेजी में पूछा ।

“तुम कौन हो मिस्टर ? ” – कैदी ने फिर इटैलियन में पूछा ।

राजेश समझ गया कि वह इटैलियन के अतिरिक्त दूसरी भाषा नहीं समझता इसलिये उसने भी इटैलियन ही में प्रश्न दुहराने आरंभ कर दिये ।

“तुम्हारा पास्पोर्ट कहां है ? ”

“तुम हो कौन ? ” – उस आदमी ने पूछा ।

“ब्लैक मेलर ।”

“और ब्लैक मेलर हो कर मुझसे मेरा पास्पोर्ट मांगते हो ? ” – उसने आँखे निकाल कर कहा ।

“हां – और वह इसलिये कि मैं केवल उन्ही को ब्लैक मेल करना चाहता हूँ जो कासीनो का आडिटोरियम टाइम बम से उडाना चाहते थे ।” – राजेश ने कहा और जेब से वही तार निकाला जो आडिटोरियम से उठाया था ।

तार को देखते ही उस आदमी का चेहरा श्वेत पड़ गया । उसने कम्पित स्वर में कहा ।

“यह तुमको कहां मिला ? ”

“वही – जहा तुम टाइम बम रख रहे थर ।” – राजेश ने कहा “इतनी जल्द तुम यह भूल गये कि मैंने तुमको रेंज हाथों पकड़ा था ! ”

उस आदमी ने कुछ कहने बजाय राजेश पर छलांग लगा दी ।राजेश ने बगल हटते हुये टांग मरी और वह आदमी मुंह के बल गिरा ।

“उठो, और फिर कोशिश करो ।” राजेश ने कहा ।

वह आदमी उठा और राजेश ने उछल कर उसके जबड़े पर घूँसा मारा । वह डकारता हुआ फिर ढेर हो गया ।

“सुनो बेटे ! मैं तुमको इस प्रकार मारता रहूँगा कि न तुम मर सको और न बेहोश हो सको ।” राजेश ने कहा फिर झुक कर उसका कालर पकड़ा, उठाया और घूँसा मारना ही चाहता था कि उस आदमी ने जल्दी से कहा ।

“ठहरो , क्या चाहते हो ? ”

“जो कुछ मैं पूछू उसका सही उत्तर ।” राजेश ने कहा ।

“मैं उत्तर देने के लिये तैयार हूँ, मुझे छोड़ दो ।”

“अब तुमने काम की बात की है ।” राजेश ने उसका कालर छोड़ते हुये कहा “इस प्रकार न तुम केवल अपना जीवन बचा सकते हो बल्कि मानवता का भी जीवन बचा सकते हो ।”

“हूँ ।” – वह फिर भड़क उठा “तुम ब्लैक मेलर मानवता की बात कर रहे हो ? ”

“हां दोस्त ! मैं इसी प्रकार का ब्लैक मेलर हूँ ।”

“तुम इटैलियन तो नहीं हो, फिर इतनी अच्छी इटैलियन कैसे बोल रहे हो ? ”

“इटैलियन ही नहीं, बल्कि मैं संसार की हर भाषा इतनी ही अच्छी तरह बोल सकता हूँ, एक सफल ब्लैक मेलर में यह गुण होना आवश्यक है ।”

“मेरा जबड़ा फट गया है और बड़ी पीड़ा हो रही है – क्या तुम मेरे लिये व्हिस्की का इंतजाम कर सकते हो  ? ”

“बैठ जाओ ।” राजेश ने उन कुर्सियों की ओर संकेत किया जो एक मेज के इर्द गिर्द पड़ी हुई थी । वह आदमी एक कुर्सी पर बैठ गया ।

राजेश ने अल्मारी खोल कर व्हिस्की की बोतल, गिलास और सोडे की बोतल निकाल कर रख दी, फिर दूसरी अल्मारी खोल कर गर्म पानी की बोतल, रुई तथा दवाई निकाली और उसकी ड्रेसिंग करने लगा उसके बाद बोला ।

“अब तुम व्हिस्की पी सकते हो ।”

“तुम विचित्र आदमी हो ।” उसने आश्चर्य के साथ कहा “अभी तो तुम मेरी जान के ग्राहक्ठे और अब इतनी खातिर कर रहे हो ? ”

“मैं दोस्तों का दोस्त हूँ, उनके लिये जान भी दे सकता हूँ ।” राजेश ने कहा “और दुश्मनों का इस हद तक दुश्मन हूँ कि उनकी जानें भी ले सकता हूँ ।”

“यदि मैं तुम्हें धोखा देने के लिये झूठ बोलूं तो ? ”

“तो फिर तुम मेरे सबसे बड़े शत्रु होगे ।” राजेश ने कहा “अब पिओ ।”

उस आदमी ने व्हिस्की की बोतल शोल कर गिलास में उदेंली फिर बिना सोडा मिलाये पीने लगा ।

आधा गिलास पीने के बाद बोला ।

“बहुत तेज व्हिस्की है, मुझे ऐसी ही व्हिस्की पसंद है ।”

“तुम्हारा नाम क्या है दोस्त ? ” राजेश ने पूछा ।

“मोंटे ।”

“पास्पोर्ट से आये थे ? ”

“हां, मगर पास्पोर्ट जाली है, कला उत्तम नमूना, कोई पहचान ही नहीं सकता ।”

“कब से यहां हो ? ” राजेश ने पूछा ।

“ऐसे तो कल रात मैं यहां आया हूँ ।”

“बेले कन्सर्ट के साथ ? ”

“हां, मगर मेरे जिम्मे एक ही काम था ।”

“क्या ? ”

“आडिटोरियम का पिछला भाग बम से उडाना ।”

“तुम्हारे साथियों के पास्पोर्ट भी जली है ? ” राजेश ने पूछा ।

“हो सकता है, मैं विश्वास के साथ नहीं कह सकता ।”

“तुम लोगों के यहां आने का ध्येय क्या था ? ”

“कई ध्येय थे, पहला ध्येय तो यही था कि आडिटोरियम का वह भाग उड़ा दिया जाये ।”

“यह क्यों ? ”

“इसका उत्तर तो बेन्टो और मादाम ही दे सकती है ।”

“यह मादाम कौन है ? ” राजेश ने पूछा ।

“जिन्होंने आग का डान्स प्रस्तुत किया था । वैसे उनके सेकड़ों नाम है, जैसे साइकी.....। ”

“दूसरा ध्येय क्या था ? ” राजेश ने बात काट कर पूछा ।

“हमारी टोली में एक औरत थी जिसका नाम मार्था था । वह एक दुसरे देश की सीक्रेट सर्विस के हाथों बिक गई थी, उसके कई साथी थे । फिर मार्था क़त्ल कर दी गई, मगर उसके तीन साथी बच गये थे और हमें उन तीनों को भी क़त्ल करना था, यह भी सुन लो कि मार्था तथा उसके साथी तुम्हारे देश के भी शत्रु थे ।”