Maut Ka Khel - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मौत का खेल - भाग-2

अकेलापन

थर्टी फर्स्ट नाइट का इंतजार तो सार्जेंट सलीम को भी था। 31 दिसंबर को दोपहर का खाना खाकर वह कमरा बंद करके सो गया। सोने से पहले उसने फोन स्विच ऑफ कर लिया था। कानों में रुई ठूंस ली। कोशिश थी कि किसी तरह की आवाज उसके कानों में न जाने पाए, जिससे नींद में खलल पड़े।

दोपहर का खाना सार्जेंट सलीम ने खुद बनाया था। वह जाने कहां से चौलाई का साग ले आया। उसने साग को मक्खन से बघार कर खुद बनाया था। इसके साथ ही उसने मक्के की रोटियां सेंकी थीं। रोटियां गोल तो नहीं बन सकी थीं, लेकिन ऐसी बुरी भी नहीं थीं।

नौकर झाना ने चौलाई का साग खाने से साफ मना कर दिया था। सार्जेंट सलीम ने वजह पूछी तो उसने बताया कि चौलाई का साग घूर पर ‘मूत्र विसर्जन’ करने से उगता है। ‘मूत्र विसर्जन’ उसने बड़ी मुश्किल से कहा था। उसकी बात पर सार्जेंट सलीम काफी देर तक हंसता रहा। बाद में उसने समझाया कि सुकरात के जमाने में माना जाता था कि पसीने से भीगी कमीज और गेहूं की बाली को 21 दिनों के लिए बक्से में बंद करके रख दिया जाए तो वह चूहा बन जाता है। सलीम की बात सुनने के बाद भी झाना को यकीन नहीं हुआ था। उसने पलट कर कहा था, “बड़े-बूढ़ों ने यह बात ऐसे ही थोड़े न कही होगी। मैं तो हाथ भी न लगाऊंगा चौलाई को।”

मक्खन में डूबी मक्के की रोटी और चौलाई का साग खाने के बाद सलीम सोने चला गया था। शाम को जब वह उठा तो पता चला कि सोहराब कुछ देर के लिए आया था, लेकिन कुछ देर लाइब्रेरी में बैठकर फिर कहीं चला गया। सलीम तैयार होकर होटल सिनेरियो रवाना हो गया। वह रास्ते भर सोचता रहा कि अकेले कैसे न्यू इयर सेलिब्रेट करेगा। बिना किसी महिला दोस्त के पार्टी में जाना उसे यूं लगता था, जैसे मातम मनाने आया हो।

दोपहर को जब वह शापिंग करने मॉल गया था तो वह काफी देर सेल्स गर्ल को अपने साथ थर्टी फर्स्ट नाइट की पार्टी में चलने के लिए मनाता रहा। लड़की काफी खूबसूरत थी और उसमें गजब की मासूमियत भी थी। लड़की ने बड़ी शालीनता से मां की तबियत खराब होने का बहाना बनाकर बात खत्म कर दी थी। सलीम भी ‘गेटवेल सून’ कहकर चला आया। अब वह अकेले बकौल उसके होटल सिनेरियो मातम मनाने जा रहा था। हालांकि वह सलीम था। उसे होटल में अपने लिए कोई न कोई साथी ढूंढ ही लेना था।

होटल सिनेरियो की आज की थीम थी ‘हॉट पिंक’। संगमरमर से बने होटल के फ्रंट पर हॉट पिंक कलर की रोशनी डाली जा रही थी। इससे उसका रंग बदल गया था। रास्ते में रखे गमलों में हॉट पिंक कलर के फूल खिलखिल कर खिलखिला रहे थे। गेट खोलने वाले दरबान ने भी हॉट पिंक कलर की ड्रेस पहन रखी थी। कपड़ों के बीच में ब्लैक कलर से मैचिंग की गई थी।

आज की पार्टी ओपेन फार ऑल नहीं थी। सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही इनविटेशन दिया गया था। सार्जेंट सलीम भी यहां का पुराना कस्टमर था। पार्टी में आने वाले कस्टमर को हफ्ते भर पहले ही थीम के बारे में बता दिया गया था।

जब वह बड़े से डायनिंग हाल में पहुंचा तो वहां का नजारा काफी खुश्नुमा था। पूरा हाल हॉट पिंक से भरा हुआ था। खूबसूरत लड़कियां हॉट पिंक कलर में परियां लग रही थीं। कुछ नौजवानों ने भी इसी कलर का सूट पहन रखा था। सलीम को हॉट पिंक कलर की पूरी ड्रेस मुनासिब नहीं लगी थी। उसने ब्लैक सूट पर हॉट पिंक कलर की ‘बो’ लगा रखी थी।

सार्जेंट सलीम ने गेट पर खड़े होकर एक भरपूर नजर डायनिंग हाल पर मारी और फिर बड़े आराम से टहलते हुए अपनी रिजर्व सीट तक पहुंच गया। आज उसकी चाल में ऐसा रोबदाब था, जैसे वह किसी स्टेट का प्रिंस हो। वह अपनी रिजर्व सीट पर जाकर बैठ गया। इस वक्त रात के साढ़े आठ बज रहे थे। आज यहां अफ्रीकन डांस ‘रक्स शरकी’ पेश किया जाने वाला था। थर्टी फर्स्ट नाइट के लिए यह स्पेशल प्रोग्राम था। रक्स शरकी रात दस बजे से शुरू होना था। अभी डेढ़ घंटा बचा हुआ था।

सार्जेंट सलीम के बैठते ही वेटर उसके पास आकर खड़ा हो गया। उसने वेटर से दो हॉट कॉफी लाने के लिए कहा। वेटर सार्जेंट सलीम को पहचानता था। उसने बेतकल्लुफी से पूछा, “आज आप अकेले ही!”

“एक मग तुम्हारे लिए....।” सार्जेंट सलीम ने मुस्कुराते हुए कहा।

“सर मैं ड्यूटी पर हूं।” वेटर ने धीमी आवाज में कहा।

“अबे शराब पीने को नहीं कह रहा हूं।” सलीम ने वेटर को डपटते हुए कहा।

वेटर हंसते हुए चला गया।

सार्जेंट सलीम ने जेब से पाइप निकाल लिया और उसमें वान गॉग तंबाकू भरने लगा। वान गॉग पाइप में पीने वाली खुश्बूदार तंबाकू होती है। मशहूर पेंटर वान गॉग के नाम पर इस तंबाकू का नाम पड़ा है। वान गॉग भी पाइप पीने के शौकीन थे।

सार्जेंट सलीम के पास इन दिनों ज्यादा काम नहीं था। ऑफिस जाता और वहां से आकर अकसर मटरगश्ती करने निकल जाता था। कोई जिम्मेदारी थी नहीं। इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने भी उसे छुट्टा छोड़ रखा था। सोहराब को यकीन था कि सलीम कभी अपनी हदें पार नहीं करेगा और न कभी उसे सलीम से कोई शिकायत ही हुई थी। थोड़ा लापरवाह था, लेकिन काम के वक्त हमेशा पूरी जिम्मेदारी निभाता था।

सलीम पाइप के हल्के-हल्के कश लेता रहा। उसे थोड़ी बोरियत होने लगी थी। वह अकेलेपन से बहुत घबराता था। उसके मुताबिक वह शाम बड़ी मनहूस होती है, जिसमें आप अकेले होते हैं। वह बैठा यही सब कुछ सोचता रहा, तभी वेटर कॉफी लेकर आ गया।

वेटर कॉफी रखकर जाने लगा। सलीम ने उसे डपटते हुए कहा, “बैठ जाओ चुपचाप।”

“सर ड्यूटी!” वेटर ने धीमी आवाज में घिघियाते हुए कहा।

“नहीं बैठे तो मैं मैनेजर से कहकर तुम्हें नौकरी से निकलवा दूंगा।” सलीम ने मुस्कुराते हुए कहा।

वेटर दाएं-बाएं देखते हुए चुपचाप बैठ गया। वह थोड़ा डरा हुआ सा था। कुछ लोग अजीब नजरों से सलीम और वेटर को देख रहे थे। पैसे वालों की दुनिया में सब कुछ फिक्स होता है। जरा सा भी इधर-उधर हुआ तो उनकी सोसायटी की इमारत हिलने लगती है। इस वक्त भी वेटर का सलीम के साथ बैठना कुछ लोगों को बड़ा अजीब लगा था।

सार्जेंट सलीम ने वेटर के लिए कॉफी बनाते हुए पूछा, “सर चीनी कितनी।”

उसकी इस बात पर वेटर का मुंह इस कदर उतर गया कि जैसे रो देगा। जब सलीम ने दोबारा पूछा तो उसने बड़ी मुश्किल से कहा, “दो... दो...।”

सलीम ने कॉफी का मग उसके आगे रखने के बाद अपने लिए काफी बना ली। वेटर ने जल्दी-जल्दी काफी हलक में उंडेली और उठकर भाग खड़ा हुआ। उसे डर था कि अगर होटल के किसी स्टॉफ ने उसे ऐसा करते देख लिया तो उसकी शामत आ जाएगी।

कॉफी खत्म करके सलीम ने एक भरपूर नजर फिर से डायनिंग हाल पर डाली। सलीम की सीट के बगल में एक खूबसूरत लड़की अकेले बैठी हुई थी। वह थोड़ी-थोड़ी देर बाद अपनी रिस्ट वाच देख लेती थी। कभी-कभी उसकी नजर डायनिंग हाल के बड़े से दरवाजे की तरफ भी उठ जाती थी। उसने अब तक कई बार किसी को फोन डायल किया था, लेकिन हर बार वह निराश होकर फोन रख देती थी। शायद दूसरी तरफ से फोन पिक नहीं हो रहा था, या फिर स्विच ऑफ या नॉट रीचबल था।

सार्जेंट सलीम की नजरें उस लड़की पर जम गईं थीं। वह उसकी परेशानी देख कर इतना तो समझ गया था कि उसे किसी का बेसब्री से इंतजार है।

झगड़ा

डॉ. वरुण वीरानी ने टिशू पेपर से कपड़ों पर गिरी शराब साफ कर ली थी। हालांकि शराब ने अपना धब्बा उनके कीमती सूट पर छोड़ दिया था। पार्टी में मौजूद एक व्यक्ति तेजी से उसके पास आया और पूछने लगा, “क्या मामला है मिस्टर वीरानी?”

“कुछ खास नहीं।” डॉ. वीरानी ने बात को टालते हुए कहा, “पार्टियों में इस तरह के हादसे हो जाते हैं।”

अभी यह बात हो ही रही थी कि वह महिला फिर से पलट पड़ी और डॉ. वीरानी से तेज आवाज में कहा, “एक तो मेरे ऊपर शराब उंडेल दी और अब मुझे ही जिम्मेदार ठहरा रहे हो।”

“मैं कुछ नहीं कह रहा हूं... आपको शायद गलतफहमी हुई है।” डॉ. वीरानी ने महिला को समझाते हुए कहा, “आप प्लीज यहां से जाइए... मैं कोई सीन क्रियेट नहीं करना चाहता हूं।”

महिला की आवाज सुनकर कुछ और लोग जमा हो गए और वह उस महिला को समझाकर वहां से हटा ले गए। महिला की उम्र 24-25 साल थी। वह एक बड़े बिजनेसमैन की दूसरी बीवी थी। उसका नाम वनिता था। यूं वह काफी खुशमिजाज मानी जाती थी, लेकिन आज जाने क्यों वह उलझ पड़ी थी।

रायना ने अपना नगमा पूरा किया तो हाल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। कुछ लोगों ने एक और नगमे की फरमाइश की लेकिन रायना ने बड़ी खूबसूरती से उन्हें टाल दिया। उसने कहा, “अभी पार्टी इंज्वाय करते हैं। पूरी रात पड़ी है फिर गा लेंगे।”

वह स्टेज से उतर कर सीधे डॉ. वीरानी के पास आई और उन्हें परेशान देखकर उनका हाथ पकड़कर थोड़ा दूर अलग लेकर चली गई।

“डार्लिंग तबियत तो ठीक है न तुम्हारी। परेशान क्यों लग रहे हो।” कपड़े को भीगा देखकर उसने चौंकते हुए पूछा, “तुम्हारे कपड़े कैसे भीग गए? क्या वाइन गिरा ली?”

“नहीं मैं ठीक हूं। बस किसी से टकरा गया था तो शराब छलक पड़ी।” डॉ. वीरानी ने कहा।

“जरूर वह कोई लड़की होगी। तुम बहुत नॉटी हो।” रायना ने उसे आंख मारते हुए कहा।

“तुम भी न!” डॉ. वीरानी ने कहा, “हम अलग खड़े हैं, अच्छा नहीं लग रहा। चलो लोगों के बीच चलते हैं।”

पार्टी पूरे शबाब पर थी। लोग छोटे-छोटे गुटों में खड़े गपिया रहे थे। थोड़ी-थोड़ी देर में लोगों के ठहाके सुनाई दे रहे थे। कुछ महिलाएं एक अलग ग्रुप में गासिप में मशगूल थीं। अचानक पूरे हाल में अंधेरा छा गया।
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होटल सिनेरियो में मौजूद लड़की को आखिर किसका इंतजार था?
पार्टी में अचानक अंधेरा किसने कर दिया था?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ का अगला भाग...