Veera Humari Bahadur Mukhiya - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 5

सोमेश : वीरा जी ...(जोर से चिल्लाता है )....हटो सामने से वीरा जी को गोली लगी है .....
बरखा : डाक्टर साहब को बुलाओ जल्दी....!
सरपंच : हां ...सोहनलाल डाक्टर‌‌ को बुलाओ ...!
निराली : जल्दी डाक्टर को बुलाओ न ...देखो कितना घाव हो गया हैं ...!
इशिता : चाची घबरायो मत ठीक हो जाऐगा ..
निराली : तुम चुप रहो ..देखो कितना खुन बह रहा हैं...!
नंदिता : मां डाक्टर गये ...!
डाक्टर : (ट्रीटमेंट के बाद ) सरपंच जी घबराई नहीं गोली छू कर निकल गया है इसलिए ये जल्दी ठीक हो जाएंगी...!
.....उसी शाम सब चौपाल पर पहुंचते हैं.......
सरपंच : मुखिया जी ...आप बाहर क्यूं आई ..आप को आराम करना चाहिए था...!
इशिता : कोई बात नहीं सरपंच जी ...आप सबके साथ बैठने आ गयी ...!
निराली : सही किया ..बेटी ...नंदिता ..दीदी के लिए हल्दी वाला दूध दे ....!
सोमेश : वीरा जी ...आपका तार वाला उपाये कारगर रहा .!
इशिता : हां ...वैसे काफी समय तक अब ये गांव पर हमला नहीं करेंगे इसलिए आप सब बेझिझक अपने रोज के काम को कर सकते है ...!
गांववासी : हां.. मुखिया जी ...आप के डर से वो सब भाग गये ...!
बरखा : हां ....वीरा हम सबकी की जिंदगी बनकर आई है ...लो दूध पीयो जल्दी ...!
इशिता : चाची आप भी न ...अगर आप सब मेरा साथ नहीं देते तो मैं उन सबसे अकेले कैसे लड़ पाती ...!
सुमित : ऐसी बात नहीं है वीरा जी..... हम तो पहले भी यहां थे तब तो नहीं लड़ पाये ...आपने ही तो आकर हमारे अंदर हिम्मत भरी है ...आज आप उनसे नहीं लड़ती तो हम कैसे जीत पाते ...ये तो आपका बड़डपन है जो अपना श्रेय हम सबको दे रही है ...!
बरखा : सही कहा सुमित ...!
मेयर : ये ठीक कह रहा है ..!
इशिता : अच्छा ठीक है ....मेयर जी आपने कहा था इस गांव का एक और दुश्मन है ...कौन है वो ...?..उसके बारे में बताइए ...!
मेयर : हां ...खांकेल कबीले का मुखिया रांगा ....
सरपंच : मुखिया जी मत पुछो उसके बारे में बहुत खतरनाक है वो ...गांव में कम ही आता है पर आतंक मचा देता है ....!
इशिता : कैसे ...?
सोमेश : वीरा जी ....रांगा ..पूरी तरह जंगलों पर आश्रित है... आदिवासी है वो ...उनका रहन सहन सब कुछ जंगलों पर निर्भर है ...लेकिन बहुत खतरनाक हथियार है उसके पास.. जिससे वो गांव पर हमला करता है ...!
सुमित : और हां वीरा जी ...उस रांगा ने कुछ महीने पहले सुखिया काका की बेटी को उठा ले गये ...वो बेचारी शादी के मंडप से ही अगवा कर ली गयी ...इतना दुष्ट है वो रांगा...!
सरपंच : हां ...मुखिया जी वो ऐसा ही करता है इस कारण मंगल ने अपनी बंटी की शादी करने से मना कर दिया ....!
इशिता : अब आप सब डरिए नहीं ...अब उस रांगा से ही आमना सामना होगा ...और काका आप अपनी बेटी करिए ..आपकी बेटी को कोई हाथ भी नहीं लगा पाऐगा.. उसकी पूरी सुरक्षा करुंगी मै ...आप बेफ्रिक अपनी बेटी की शादी करिए ....!
निराली : वीरा ..! अब तुम आराम कर लो ...दवा लेकर ...!
इशिता : हां ,चाची ...कल बात करते हैं अब ..!
सब सोने चले जाते है ०००००००००००००००००००००००
अगले दिन
गांववासी आपस में बाते करते हैं की उन्हे आज इतने सालो में सुकुन की नींद आई ...!
बरखा : वीरा तुम इतनी जल्दी क्यूं उठ गयी ...!
इशिता : बस अब आराम हैं ....( तभी सुमित आता है ).....क्या हुआ सुमित ..? तुम इतने घबराए हुए क्यूं हो ...!
सुमित : वो रांगा आ गया ...मंगल काका बहुत डरे हुए हैं ..कही वो सीमा को न उठा ले जाऐ ....!
सरपंच : मुखिया जी ....आप तो घायल हैं ...उसका सामना कैसे करेंगी ...?
......
......क्रमशः......