Ek Ladki - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

एक लड़की - 18

अभी तक हमने पढ़ा कि हर्ष के कहने पर पंछी 2 दिन के लिए हर्ष की गर्लफ्रैंड बनने के लिए मान जाती हैं जिसमे से पहले दिन कॉलेज देर से पहुचते है जिस पर पंछी के कहने पर घूमने निकलते हैं, दोनों झील के किनारे पर कचौरी खाते हैं, उसके बाद __

पंछी और हर्ष दोनों झील पर कचौरी खाकर वापिस कार मेंं बैठ जाते है पंछी हर्ष को आगे चलने के लिए कहती हैं। दोनों बहुत खुश लग रहे थे थोड़ी दूर जाने पर पंछी कहती हैं - हर्ष, अब हम कहाँ जाएंगे?,
इस पर हर्ष कहता है - पंछी , बहुत लेट हो गए है, घर चलते हैं।
पंछी - ठीक है।
हर्ष कार को पंछी के घर की तरफ कर देता है। शाम के 5 बज चुके थे।
पंछी कहती हैं - मुझे आइस क्रीम खाने की इच्छा हो रही है यही कही आइस क्रीम पार्लर हो तो कार रोक देना ।
हर्ष - ठीक है ।
कुछ देर बाद हर्ष कार को साइड में करता है और पंछी को कुछ देर वैट करने की बोल कर थोड़ी दूर आइस क्रीम पार्लर की तरफ जाने लगता है पंछी पीछे से आवाज लगाती हैं- चॉकलेट कोन ले कर आना, मुझे वो ही पसन्द है।
हर्ष कहता है-ठीक है, 2 मिनट्स रुको, मैं अभी आता हूं।
पंछी कहती हैं - ठीक है जल्दी आना।
हर्ष कुछ देर बाद आता है उसके हाथ में 2 चॉकलेट कोन थे।उसे देख पंछी कहती हैं - तुम 2 क्यों ले कर आये हो ?
हर्ष - अरे!!! 1 मैं अपने लिये लाया हूं ।
पंछी - पर तुम्हे तो स्ट्रॉबेरी आइस क्रीम पसन्द है ना ?
हर्ष - हा , पहले पसन्द थी अब पसन्द चेंज हो गयी।
पंछी - अच्छा !!! पर अचानक से कैसे ??
हर्ष - अब मुझे यही अच्छी लगती हैं तो बस लगती हैं तुम इतने सवाल करना बंद करो वरना तुम्हारी वाली आइस क्रीम भी मैं ही खा जाऊंगा। ( दोनो को अपने पास करते हुए।) ।
पंछी- अरे नहीं , मुझे मेरी आइस क्रीम दे दो।
हर्ष - ठीक है, पहले मैं कार के अंदर आ जाऊ ?
पंछी - हा , आओ ना , मुझे तो पता ही नहीं चला कि तुम बाहर ही हो। जल्दी से अन्दर आ जाओ। दोनो साथ ही खाते है ।
हर्ष - ठीक है आता हूँ।
हर्ष कार के अंदर आता है और पंछी को उसकी आइस क्रीम दे देता है। पंछी की नज़रे उस आइस क्रीम पर ही थी जिसे देख वो बहुत खुश हो रही थी। जैसे ही पंछी आइस क्रीम को लेने वाली थी हर्ष पीछे खींच लेता है आइस क्रीम नही मिलने पर पंछी गुस्सा करने लगती हैं।
हर्ष चिड़ाते हुए कहता है - पंछी, तुमने अपना चेहरा देखा है , बहुत फनी लग रही हो।
पंछी - हर्ष दे दो ना, पता नहीं क्यों पर आज बहुत इच्छा हो रही हैं।
हर्ष - ठीक है , दे दूंगा।थोड़ा वैट करो।
हर्ष पंछी की आइस क्रीम को एक तरफ रख खुद की आइस क्रीम के कवर को पंछी को दिखाते हुए धीरे धीरे हटाने लगता है। पंछी बस देखे जा रही थी जिसे देख हर्ष बहुत खुश हो रहा था।
पंछी कहती हैं - दो ना आइस क्रीम ।
हर्ष -रुको भी, देता हूँ।
पंछी गुस्से में कहती हैं- दे रहे हो या नहीं ??
हर्ष बिना कुछ बोले पंछी को चिड़ाते हुए आइस क्रीम खाता रहता है। पंछी इस बार कुछ नहीं बोलती हैं और अपना चेहरा नीचे कर मुँह लटका कर बैठ जाती हैं। हर्ष को पंछी को ऐसे उदास देख अच्छा नहीं लगता है और आइस क्रीम उसकी ओर करते हुए कहता है - लो ,तुम्हारी आइस क्रीम।
पंछी कोई रिप्लाई नहीं करती है।
हर्ष एक बार फिर कहता है - लो तुम्हारी आइस क्रीम।
पंछी धीरे से ऊपर देखती है। हर्ष उससे धीरे से सॉरी बोलता है। जिससे पंछी मुस्कुरा देती है। और उसके हाथ से वो आइस क्रीम ले लेती है और खाने लगती हैं। हर्ष पंछी की उस हल्की सी मुस्कान में एक पल के लिए कही खो सा गया था और उसे आइस क्रीम खाते हुए देखे जा रहा था इन सब से अनजान पंछी अपनी आइस क्रीम मे बिजी थी। कुछ देर बाद हर्ष को याद आता है कि पंछी सिर्फ 2 दिन के लिए ही उसके साथ थी जिसकी वजह से उसकी आंखों में नमी सी छाने लगती है। उस समय हर्ष की आंखों में पंछी के दूर जाने का जो डर था वो दिख रहा था। लेकिन हर्ष बस उसी में खोया हुआ था तभी उसके मुंह से अचानक से निकल जाता हैं - मैं तुम्हें बहुत मिस करूँगा। ऐसा बोलते ही उस होश आता है और आइस क्रीम खाने का दिखावा करने लगता है। तभी पंछी ये सुन पूछती है - क्या कहा तुमने, किसे मिस करोगे?
हर्ष बात को बदलते हुए - अरे। मुझे पहले स्ट्रॉबेरी आइस क्रीम पसन्द थी ना, अब नही है इसलिये आइस क्रीम को कह रहा हूँ कि मैं तुम्हे बहुत मिस करूँगा।
पंछी उसकी बात पर हँसते हुए कहती है -तुम भी ना, कैसी बातें कर रहे हो पर बात तो सही है मिस तो करना भी चाहिए।
हर्ष - ह्म्म्म ।
कुछ देर बाद दोनो आइस क्रीम खत्म कर देते हैं और हर्ष कार को आगे बढ़ाता है। अब तक 6 बज चुके थे। पंछी को झील का कॉल आता है पंछी उठा कर बोलने ही वाली थी कि उधर से झील कहती हैं - कहाँ है तू ? अभी तक घर क्यों नहीं आयी ? कोई प्रॉब्लम है क्या? पंछी झील की बात को काटते हुए कहती है - दी, रुको भी, मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ मुझे और अभी मैं हर्ष के साथ हूँ , हम बाहर आये थे तो अब वापिस घर आ रही हूं।
झील- ठीक है , जल्दी आना ।
पंछी - हा दी, आ रही हूं।
झील - अपना ख्याल रखना ।
पंछी- हां दी , आप बेफिक्र रहो, मैं आ रही हूं ।
झील - ठीक है आजा ।
पंछी - ठीक है।
और कॉल कट कर देती हैं। थोड़ी दूर चलने पर पंछी को एक बोर्ड दिखायी देता है वो किसी ज्योतिषी का था उसे देख पंछी कहती है - हर्ष वहाँ देखो, ज्योतिषी ! चलो ना वहाँ चलते हैं। मुझे देखना है कि मेरा भविष्य क्या है।
हर्ष - ये सब झूठी बातें हैं सच नहीं होता।
पंछी - ये चीज़ वर्षो से है तो इसमें कुछ तो सच्चाई होगी इसीलिये आज तक चल रही है।
हर्ष- पर हर कोई जो भविष्य बताता है वो सब सच भी तो नहीं बताते बस बातों को घुमा फिरा कर कुछ भी बता देते हैं।
पंछी - कोई ना कोई तो भविष्य बताता ही होगा।
हर्ष- मुझे तो नहीं लगता। और तुम्हें भी तो लेट हो रहा है झील तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हैं।
पंछी- थोड़ी देर का ही तो काम है चलो ना चलते हैं।
हर्ष उसे मना भी नहीं कर पाता है और मान जाता है कार को साइड में पार्क करके दोनो अंदर जाते हैं। अंदर जाकर देखते हैं कि सामने एक ज्योतिष बैठे हुए थे जो कोई बहुत ही पुरानी ज्योतिष की किताब मगन होकर पढ़ रहे थे उन्हें देख पंछी और हर्ष एक दूसरे की तरफ देखते हैं और पंछी हर्ष को देख मुस्कुराती है जैसे कह रही हो कि देखो, ये ढोंगी नहीं है ये जो बताएंगे सच ही बताएंगे। हर्ष कुछ नहीं बोलता है और दोनों उन्हें आवाज़ लगाते है 2 - 3 बार आवाज़ लगाने पर भी वो नही सुनते हैं। तो हर्ष थोड़ा जोर से आवाज लगाता है - महाराज !!!! इस बार वो सुन जाते हैं और किताब से नज़र हटा कर उनकी और देखते हैं। और उन्हें अंदर आकर बैठने को बोलते हैं दोनो एक दूसरे की ओर देखते हैं और अंदर जाकर उनके सामने बैठ जाते है।
पंछी कहती है - महाराज ,मुझे मेरा भविष्य जानना है।
ज्योतिष उसे उसका हाथ आगे करने की बोलते हैं। पंछी अपना हाथ आगे करती है वो उसका हाथ देखने लगते हैं। कुछ देर देखने के बाद ज्योतिष कहते हैं -तुम्हारी किस्मत किन्ही और से भी जुड़ी हुई है। परिवार के अलावा तुम्हारे जीवन में और भी कोई है क्या ?
पंछी - परिवार के अलावा तो मेरा एक बेस्ट फ्रेंड हैं जो यही मेरे साथ है ( हर्ष की ओर इशारा करते हुए कहती हैं ) ।
ज्योतिष - ओर इसके अलावा ?
पंछी - मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है।
ज्योतिष कहता है -तुम तीनों की किस्मत बंधी हुई हैं जल्द ही तुम्हारी जीवन में कोई ख़ास घटना घटने वाली है जो बहुत खुशी का पल होगा लेकिन ....।
ज्योतिष की बात सुन दोनों घबरा जाते है।
हर्ष पूछता है - लेकिन क्या ? क्या होने वाला है ?
ज्योतिष पंछी की ओर देखते हुए - वो एक खुशी का पल होगा लेकिन तुम तीनों में से जो भी सबसे ज्यादा प्यार करता होगा वो नही रहेगा। दोनो ये बात सुन डर जाते है और एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं हर्ष को अपने कानों पर विश्वास नही होता है और वो फिर से पूछता है - नहीं रहेगा मतलब ?
ज्योतिष - मतलब की तुम तीनों में जो भी सबसे ज्यादा प्यार करता होगा वो अपना जीवन गवां देगा।
पंछी अचानक से बोल पड़ती है -ऐसे कैसे हो सकता है हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं होने वाला। आप ऐसे कैसे बोल सकते है।
ज्योतिष - तुम्हारी किस्मत में जो दिख रहा है वही बता रहा हूँ। मैने अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं बोला है। ज्योतिष की बातों से पंछी की आंखे भर आती है और घबराने लगती है और कहती है - आप झूठ बोल रहे हो।आपको हाथ पढ़ना ही नहीं आता है।
हर्ष पंछी को उठाते हुए कहता है - पंछी , चलो यहा से।
हर्ष पंछी को बाहर लेकर आता है और कार में बैठा कर खुद भी अपनी सीट पर आकर बैठ जाता है। पंछी के अब आँसू आने लगे थे और बैठे बैठे रोये जा रही थी। हर्ष उसे मनाते हुए कहता है - पंछी मेने बोला था ना ,वो जो बताते हैं वो सच नहीं होता है। हाथ की रेखाओं से कोई भविष्य कैसे बता सकता है तुम उनकी बातों को भूल जाओ ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।
पंछी हर्ष की बातों में भरोसा करने लगती है और कहती है - पक्का ना ,वो झूठ ही बोल रहे थे। क्योंकि मैं तुम दोनों में से किसी को खोना नही चाहती।
हर्ष- हां , पक्का ! किसी को कुछ नहीं होगा। वैसे भी मुझे तो कुछ होने से रहा और ऋषि के साथ तो हम दोनों है ना , और ऋषि तुम्हे कुछ होने नहीं देगा। तो फिर किसी को भी कुछ भी कैसे हो सकता है। तुम उनकी बातों को भूल जाओ ,कुछ नहीं होगा।
पंछी सहजता से पूछती है - और तुम ? तुम भी तो करते हों ना ?
हर्ष पंछी से उसकी बात सुन कुछ नहीं बोल पता है लेकिन थोड़ी देर बाद सोच कर बोलता है - मुझे मिले तो थोड़े दिन ही हुए है तो मैं तुम दोनों की बराबरी थोड़ी कर सकता हूँ तो तुम बेफिक्र रहो मुझे कुछ नहीं होगा और तुम्हे भी कुछ नहीं होगा । पंछी को हर्ष की बात सही लग रही थी इसलिए वो अब थोड़ा अच्छा महसूस करने लगी थी।
हर्ष उससे कहता है -अब अपने आंसू भी पोंछ लो और रोना बंद कर दो।
पंछी अपने आंसू पोंछ कर आगे देखने लगती हैं।और हर्ष कार को स्टार्ट करता है और थोड़े समय बाद पंछी के घर के सामने पहुँच जाते हैं। पंछी कार से बाहर निकलती है और bye, good night बोल कर अपने घर की ओर बढ़ती है। हर्ष भी मुस्कुराते हुए good night बोलता है। पंछी अपने घर के अंदर चली जाती है हर्ष भी वहाँ से चला जाता है। कुछ दूर जाने पर हर्ष किकार को रोकता है उसका ध्यान बार बार ज्योतिष की बात पर जा रहा था कैसे भी करके उसने पंछी को मना तो मना लिया था लेकिन ज्योतिष की बात से वो भी घबरा गया था अगर ज्योतिष की बात सच हुई तो वो अपने बेस्ट फ्रेंड को भी नहीं खो सकता था और पंछी के आंखों में आंसू भी नहीं देख सकता था तो उसे खोने की कल्पना भी कैसे कर सकता था।
लगभग 1 घण्टे तक वो वहीं रहता है फिर अपने घर की ओर चल देता है।