Ek Ladki - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

एक लड़की - 19

पंछी जैसे ही घर में प्रवेश करती है देखती है कि सोफ़े पर झील उसका ही इंतेजार कर रही थी पंछी को देख झील पंछी पर गुस्सा करने लगती है और कहती है - इतना टाइम कहाँ लगा और मैं कब से तुझे फ़ोन लगा रही हूं तू उठा क्यों नहीं रही थी । ऐसे ही लगातार झील बोले जा रही थी अचानक से उसका ध्यान जाता है कि पंछी चेहरा नीचे किये बस उसकी बात सुने ही जा रही थी उसे ऐसे देख झील प्यार से पूछती है- पंछी क्या हुआ ? तू ठीक है ना ? झील बिना कुछ बोले रूम में चली जाती हैं। झील भी उसके पीछे पीछे रूम में जाती हैं पंछी अपने बेड पर बैठी हुई थी झील उसके सामने बैठ जाती है और अपने दोनों हाथों से पंछी के दोनों गालों को धीरे से छू कर कहती हैं - पंछी ,क्या हुआ ? , अब मुझे चिंता हो रही है अब बता भी दे, क्या हुआ। पंछी अपनी पलकों को उठा कर झील की आंखों में देख कहती हैं - दी मैं और हर्ष वापिस आ ही रहे थे रास्ते में ज्योतिषी का बोर्ड देखा तो मुझे वहाँ जाने की इच्छा हुई और हम अंदर गए ।
झील - फिर क्या हुआ ?
पंछी उसके बाद जो हुआ सब कुछ बता देती है। उसकी पूरी बात सुन झील कहती हैं - पंछी , तू भी ना ऐसी बातों को इतना सीरियस क्यों ले रही हैं। ज्योतिष की बातें सच नहीं होती वो तो कुछ भी बोल देते है। मैं जानती हूं कि तुझे भी भविष्य जानने की इच्छा होती हैं और तू इन बातों में विश्वास भी करती है लेकिन पंछी, ज्योतिष हमेशा सब कुछ सच भी नहीं बता सकते । वो किसी ओर के बारे मे इतनी सही भविष्यवाणी कैसे कर सकते है और अगर उनकी बातों को लेकर बैठ गए तो बस बैठे ही रहो कुछ भी करने की जरूरत ही नहीं रहेगी।
पंछी- हां दी, मुझे भी उनकी बातों को ज्यादा नहीं सोचना चाहिए जो होगा वो देखा जाएगा अभी क्यों दुःखी होऊ।
झील - एक दम सही बात । बाद कि बाद में ही देख लेंगे। पंछी - हम्म। झील- अब बता की आज का दिन कैसा रहा ? पंछी - बहुत अच्छा था दी ! आपको पता है आज हम कॉलेज ही नहीं गए।
झील चौकते हुए- कॉलेज नही गए मतलब ?
पंछी - दी ! मेरा मतलब था कि हम कॉलेज तो गए थे लेकिन लेट हो गए थे तो हम बाहर घूमने चले गए बहुत मज़ा आया।
झील - अच्छा ! मतलब आज तो फूल मजे किये ।
पंछी -हां दी !
झील - कल का दिन भी तो है ।
पंछी - हां दी ! कल देखते हैं क्या होता है।
झील - एक बात बताओ ।
पंछी- क्या दी ?
झील - तुमने आज सुबह से एक भी बार ऋषि से बात की ?
ये सुनते ही पंछी को याद आता है कि आज पूरे दिन में एक बार भी उसने ऋषि से बात भी नही की थी और कहती है कि - नही दी! अब कॉल करती हूं और सॉरी बोल दूंगी। झील - सुबह good morning भी नहीं बोला ? पंछी - नही। झील - तुझे दिन में एक बार भी ऋषि की याद नहीं आयी या फिर हर्ष के साथ थी इसलिये ऋषि को भूल गयी । झील की बात पर पंछी को बहुत बुरा लगता है इसलिए कुछ नही बोल पाती हैं तो झील कहती हैं - तुझे पता है आज शाम को जब मैने तुझे कॉल किया था उसके थोड़ी देर बाद ही ऋषि ने तुझे कॉल किये थे लेकिन तुझे पता ही नही चला उसके बाद उसने मुझे कॉल किया था तुझे पता है उसने क्या कहा उसने कहा कि पंछी कहाँ है ,वो ठीक तो है ना ? उसने सुबह से कॉल भी नहीं किया और मेरा कॉल भी नही उठा रही हैं वो ठीक है ना , घर आ गयी है ना ? तो मैने उससे झूठ बोल दिया कि वो घर आ गयी है और सो गयी है।
ये सब सुन पंछी की आंखे भर आती हैं उसे समझ ही नही आया कि अब वो क्या करे। झील दुबारा कहती हैं - तू ऋषि को ही पसन्द करती हैं ना ?
पंछी कुछ नहीं बोलती है तो झील दुबारा कहती है - मेने पहले ही बोल था की अगर सच में ऋषि को पसंद करती हो तो ही ऋषि को हां करना लेकिन मेरी बात तो तूने सुनी ही नही।
पंछी - दी! ऐसी कोई बात नहीं है मेरी लाइफ में ऋषि के अलावा कभी कोई नही आएगा।
झील- काश की तू जो कह रही हो सच हो।
पंछी - दी ! अब अब आप सो जाइये मुझे ऋषि से बात करनी है
झील - ठीक है ।
पंछी ऋषि को कॉल करती है उस समय ऋषि अपने फ़ोन में अपनी ओर पंछी को फोटोज देख रहा था पंछी का कॉल आते ही पहली रिंग में ही कॉल उठा लेता है और चिंतित स्वर में कहता है - हेल्लो पंछी !
पंछी कुछ नही बोलती है ऋषि एक बार फिर कहता है - हेल्लो ,पंछी तुम ठीक हो ना, क्या हुआ।
ऋषी की आवाज़ में ही इतनी परवाह थी कि पंछी की आंखे भर आती है कुछ देर बाद बोलती है -सॉरी ऋषि !
ऋषि - सॉरी क्यों?
पंछी -सॉरी ऋषि ,मुझे माफ़ कर दो आज सुबह से मैने एक बार भी कॉल नही किया ।
ऋषि - हा इस बात पर तो माफी मांगनी चाहिए । सुबह से एक बार भी कॉल नही किया कि कहा हो केसी हो , तुम्हें पता है मुझे तुम्हारी कितनी चिन्ता हो रही थी।
पंछी - सॉरी।
ऋषि - तुम्हें पता भी है मेने तुम्हे कितना मिस किया।
पंछी -सॉरी ना , आज के बाद मै ऐसा कभी नही करूंगी ।
ऋषि- पक्का ?
पंछी - हां ,पक्का ।
ऋषी - ठीक है अपनी बात याद रखना ।
पंछी - ठीक है, वैसे एक बात बताऊ ।
ऋषि -हां बताओ ना ।
पंछी - तुम बहुत अच्छे हो ।
ऋषी - पंछी, मैं इतना भी अच्छा नहीं हु तुम्हे याद है ना जब तुम पहली बार कॉलेज आयी थी तब हमारी वजह से तुम्हें कितनी प्रॉब्लम हुई थी तो हम अच्छे कैसे हो सकते हैं ।
पंछी - पता है तुम पांचो के ग्रुप से सब डरते हैं बहुत लड़ाई झगड़े करते हों तुम सब के बहुत से दुश्मन भी है लेकिन मेरे लिए तुम बहुत अच्छे हो।
ऋषि - मतलब ? वो कैसे ?
पंछी - तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और परवाह भी बहुत करते हो मेरा ख्याल भी रखते हो और मुझे खोने से भी डरते हो ओर तुमने मेरा इंतजार भी बहुत किया है और मुझे कभी कुछ होने भी नही देते। , तो तुम्ही बताओ तुमसे ज्यादा अच्छा मेरे लिए कौन होगा।
ऋषि पंछी को चिढ़ाते हुए कहता है - अब तुम मुझे अपनी अंगुलियों पर नचाने वाली तो नही हो ,मेरी अच्छाई का फायदा उठाने का इरादा तो नही है।
पंछी -नहीं, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है। और मुझे लगता है कि इसकी कोई जरूरत भी नही है, तुम तो वैसे भी मेरी सारी बात मानते हो और समझते भी हो।
ऋषि - तुम आज बहुत अलग बातें कर रही हो।
पंछी - सुनो ना।
ऋषि -हां, बोलो ना!
पंछी- मैं अगर चाहू ना तो भी तुमसे दूर नहीं जा पाउंगी क्योंकि तुम्हारा प्यार मुझे तुमसे दूर होने ही नही देगा।
ऋषि -तुम्हें आज हुआ क्या है कुछ हुआ है क्या आज ?
पंछी - नहीं, कुछ नहीं हुआ , बस जो दिल में है सब कुछ बताने का मन कर रहा है। चलो, ऋषि बहुत लेट हो गया है अब सो जाते हैं।
ऋषि- इतनी जल्दी , अभी तो हमारी बात ही खत्म ही नहीं हुई है पर तुम्हे सोना हो तो ठीक है ।
पंछी - ठीक है कल मिलते हैं।
ऋषि -हां, good night .
पंछी - good night.
पंछी कॉल करके अपने रूम में चली जाती है ओर सो जाती है। और अब ऋषि भी आराम से सो जाता है।