mango tree vampire books and stories free download online pdf in Hindi

आम के पेड़ का पिशाच

आम के पेड़ का पिशाच

गौधूली बेला का समय था, करीब करीब सूरज अपने घर को पहोचने को था और चांद अपनी चांदनी बिखेर रहा था। पुरे गांव में और आसपास के सारे इलाकों में जैसे अंधेरे ने अपनी चादर फैला दी थी।

मंदिर से दर्शन करके सांझ भी अपने घर को लौट रही थी। मंदिर गांव के पास में ही था। पैदल चलकर जाए तो करीब ५ से ७ मिनिट की दूरी पर। सांझ भगवान में बहोत मानती थी। सांझ अपने नित्यक्रम के मुताबिक हनुमान चालीसा करते करते मंदिर से गांव की और अपने घर जाने लगी।

उसने देखा आसपास रास्ते में कोई दिखाई नहीं दे रहा था तब ही उसकी नज़र खेत में रोते हुए एक छोटे से बच्चे पर पड़ी। वो बच्चा करीब २.५ साल का लग रहा था। खेत में अकेला खड़ा वो रो रहा था। सांझ समझ गई कि शायद खेत से लौटते वक्त कोई उसे वहा भूल गया होगा। उसने पास जाकर देखा तो वो अक्षत था। पड़ोस के मीरा आंटी का बेटा। अक्षत को रोता देख उसका दिल पसीजा और उसे गोद में उठाकर अपने साथ गांव ले जाने लगी।

रास्ते में अक्षत कभी हस्ता तो कभी रोता तो कभी बड़बड़ाने लगता था। उपर से सांझ को धीरे धीरे महसूस हो रहा था कि मानो उस छोटे से बच्चे का वजन बढ़ रहा हो। पर उसने सोचा शायद दिनभर की थकान के कारण ऐसा लग रहा है आख़िर वो पास में शहर के एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने जो जाती थी। एक वक्त ऐसा आया की सांझ बच्चे को संभाल नहीं पा रही थी पर ऐसे अंधेरे में उसे छोड़े भी तो कैसे?

अक्षत की हसी, रोना और ये बढ़ता वजन... सांझ समझ गई थी कि होना हो कुछ गड़बड़ ज़रूर है। गांव में उसके घर के पास ही मां जगदंबा की छोटी सी देरी थी। वहां बच्चे को ले जाकर सांझ ज़ोर ज़ोर से हनुमान चालीसा बोलने लगी। पहले तो वो गले पड़ी बला सांझ को छोड़ ही नहीं रही थी। पर मां अम्बे उपर से हनुमान चालीसा। धीरे धीरे वजन कम हुआ और एक पंछी की तरह वो पिशाच वहां से उड़ गया। उसने जल्दी से घर जाकर देखा तो पड़ोस वाला अक्षत वहीं बाकी बच्चों के साथ खेल रहा था।

डरी डरी सी सांझ घर में आकर सीधी अपने दादा के पास जाकर बैठ गई और रोते हुए जो हुआ वो बताने लगी। तब उसके दादा ने कहा कि तुम आम का पेड़ है उस रास्ते से क्यूं आई? सांझ ने बताया कि आज वो बहोत थक गई थी बस इसी लिए जल्दी पहोच जाऊंगी घर ये सोचकर...

तब सांझ के दादा ने बताया कि गांव के उस रास्ते पर संध्याकाल होने के बाद कोई नहीं जाता बेटा उसकी वजह आम के पेड़ का वो पिशाच ही है। और उस पिशाच से बचने के लिए ही पेड़ के ठीक सामने मंदिर की स्थापना की हुए है, वहां तीन वक्त संध्या, अर्चना, प्रभु भक्ति भजन सब होता रहता है इसी लिए पिशाच की असर थोड़ी कम रहती है पर रात के वक्त वहां से गुजरने वालों को वो ताकतवर पिशाच बक्शता नही है। कमज़ोर दिल वाले कई गांव के लोग अपनी जान भी गवा बैठे ही इसी लिए वहां रात के वक्त लगभग कोई नहीं जाता।

सांझ ने बचपन से सुना था कि वहां जाना मना है पर क्यूं , वहां क्या है, वहां जाने से क्या होता है ये बात सांझ को आजतक किसीने नही बताई थी। सांझ को आज सब जानना ही था। और मौका भी था क्योंकि सांझ के मम्मी पापा और दादी शहर में रहने वाले उसके काका के घर गए थे।

सांझ ने अपने दादा को पूरी कहानी के बारे में पूछा। तब दादाजी ने कहा पूरी कहानी तो बहोत बड़ी ही बेटा। बस तुम वहां मत जाना। तब सांझ जिद्द पकड़कर बैठ गई की दादाजी अब में बड़ी हो गई हूं मुझे इतना तो जानने का हक है ना कि आख़िर ऐसा क्या है उस पेड़ में? प्लीज़ आज सब बताइए। सांझ की मिन्नतों को मानते हुए दादा ने बताना शुरू किया।

आज से करीब २०० साल पुरानी ये बात है। कहते है ये जो गांव है वहां कभी महल हुआ करता था। वो महल था रानी चिरुमलादेवी का। रानी दिखने में बेहद सुंदर, आकर्षक और ताकतवर भी थी। उस समय राजा विशोधन की एक लौती बेटी थी वो। उन्हें अपनी वीरता, रूप और रानी होने का बहोत घमड़ था। एक लौती संतान होने के कारण उन्हें बेहद लाड प्यार से रखा था। उनका अभिमान तोड़ने वाला उस वक्त में शायद कोई वीर नहीं था ऐसा ही सब मानते थे। पर ऐसा मानना सबकी गलती थी।

एक दिन रानी चिरुमलादेवी स्नान करने हेतु अपने महल के बगल वाले बड़े से तालाब में गई। तब वहां एक पारधी आया। जो दिखने में अत्यंत आकर्षक था और उसने चंद पलों में शिकार कर लिया। उसने एक झलक रानी को देखा तक नहीं और वो मछली पकड़ने में व्यस्त हो गया। ये देख रानी को गुस्सा आया कि मेरी इतनी खूबसूरती का अपमान? उसने पारधी को बंदी बना लिया और अपने महल में रख लिया। कुछ दिन महल में उस पारधी को भूखा प्यासा रखने के बाद रानी को उससे प्यार हो गया और उस पारधी विनायक से शादी कर ली।

रानी चिरुमलादेवी विनायक से सच्चा प्यार करने लगी थी। विनायक ने रानी के साथ एक रात बिताई और उसके बाद रानी का प्यार विनायक के लिए और बढ़ गया। पर दूसरे दिन उसकी नज़र के सामने विनायक उसे छोड़ जाने लगा और विनायक के रानी को बताया कि, आपको आपके रूप का बहोत घमंड था ना? मुझे बिन वजह बंदी बनाया उसकी सज़ा यही है कि जिंदगीभर तुम तड़पो अब मेरे प्यार के लिए, एक जिस्म के लिए। मैं तो चला।

रानी बहोत रोई और उसने कहा कि मेरा प्यार तुम्हारे लिए सच्चा है मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। पर विनायक नहीं रुका। तब रानी बोलती गई के मैं मर तो रही हूं पर मेरी आत्मा यही रहेगी तुम्हारे पास। तबाह कर दूंगी में सबको अगर हमारे बीच में कोई भी आया। इतना कहकर रानी ने अपने महल से कूदकर जान दे दी। पर उसके बाद विनायक की जिंदगी बत्तर हो गई। वो पागल जैसा हो गया था। उसे हर जगह रानी की आत्मा दिखाई देती थी। रानी ने उसे भी जीने नही दिया। कुछ ही वक्त में विनायक ने रानी चिरुमलादेवी कि आत्मा से पीछा छुड़ाने को आत्महत्या कर ली। कहते है विनायक ने जिस पेड़ पर लटककर आत्महत्या कि थी वो यही आम का पेड़ है। और जब उसने आत्महत्या की तब उसके शरीर में रानी की आत्मा मौजूद थी।

बस उसी दिन से विद्यमान है आम के पेड़ में दो आत्मा। दिन में आजतक किसीको कोई बुरा अनुभव नहीं हुआ पर रात को कोई पडछाई दिखना, या कोई प्राणी की आवाज या बच्चे की चीखें या रोने की आवाज और पता नहीं क्या क्या...

मैं अपनी कहानी ही बताऊं तो, एक बार मैं और तुम्हारी दादी तुम्हारे पापा और चाचू को उनकी दादी के यहां छोड़कर वापस आ रहे थे। वापस आते वक्त लौटने में बहोत देर हो गई थी और बस घर जल्दी पहुंचने की हड़बड़ी में मैंने आम के पेड़ वाले रास्ते से साइकल ले ली। मैं घर आकर जब साइकल से उतरा तब पीछे तुम्हारी दादी नहीं थी। ये देख मेरी सांसें तेज़ हो गई। क्योंकि अगर तुम्हारी दादी रास्ते में कही उतरी होती या गिरी होती तो वो मुझे रोकती या चिल्लाती। पर ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था। और तो मुझे साइकल में वजन भी लग रहा था मानों तुम्हारी दादी पीछे बैठी हुई ही है। पर तब मुझे अचानक याद आया कि मैं गलती से आम के पेड़ वाले रास्ते से आ गया था।

मुझे तुम्हारी दादी की फ़िक्र हो रही थी। मैं तुम्हारी दादी को आवाज़ देते हुए दौड़ता वापस वहां गया तो देखा तुम्हारी दादी वहां खड़ी अकेली बातें कर रही थी। मैंने पास उसका हाथ पकड़ा और उसे दौड़ता अपने साथ लेकर आ गया। मैंने उसे घर आकर पूछा तो उसने बताया कि, रास्ते में आपकी साइकल बिगड़ गई थी और आप ही ने मुझे वहां रुकने को कहा और अकेली कहां आप साइकल ठीक कर रहे थे और मैं आपसे बात...

जब हम दोनों ने अपनेअपने हादसे एक दूसरे को बताए तो हम दोनों बेहद डर गई। हमे उस वक्त तीन दिन तक बुखार भी आया था। तब से कसम खाई की आज के बाद वहां से संध्या के समय गुजरना बंद।

.... और इसी लिए गौधूली बेला होने से पहले ही लोग वहां से गुजरना बंद कर देते है।

***