Kaun hai khalnayak - Part 16 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

कौन है ख़लनायक - भाग १६  - अंतिम भाग

अब तक रुपाली सामान्य जीवन जीने लगी थी। हँसना, बोलना, मस्ती करना, दोस्तों से मिलना जुलना सब शुरू हो गया। अजय की मम्मी शादी करने के लिए हमेशा उसके पीछे पड़ी ही रहती थी पर वह हमेशा मना कर देता था। उसके मना करने का कारण भी वह जानती थी। वह जानती थी कि अजय रुपाली के बिना किसी और से शादी कभी नहीं करेगा और वह रुपाली से भी कभी इस बारे में बात नहीं करेगा।

एक दिन उसकी मम्मी अदिति ने उसके पापा विनोद से कहा, " विनोद हम रुपाली के मम्मी पापा से बात करें क्या?"

"अदिति मैं भी कुछ दिनों से यही सोच रहा हूँ। सोच रहा था कि हमें एक बार कोशिश ज़रूर करनी चाहिए।"

अदिति ने कहा, " रुपाली के मम्मी पापा तो मान जाएँगे पर रुपाली? पता नहीं वह मानेगी या नहीं…"

आपस में यह निर्णय लेने के बाद अदिति और विनोद, अजय को बताए बिना रुपाली के घर पहुँच गए। विजय ने उनका स्वागत कर उन्हें बिठाया।

तब विनोद ने कहा, "विजय जी आज हम बहुत उम्मीद लेकर आपके पास आए हैं। प्लीज़ मना मत करिएगा।"

"अरे बोलिए ना आप, ऐसी क्या बात है?"

"हम रुपाली को अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं।"

विजय चौंक गए, "आप यह क्या कह रहे हैं? आप तो सब कुछ जानते हैं उसकी बारात… "

"…तो क्या हुआ इसमें रुपाली की भला क्या ग़लती, जीवन में इस तरह की घटना से जीवन रुक तो नहीं जाता। उन्हें भूल कर आगे बढ़ना ही तो ज़िंदगी है।"

"विनोद जी हम तो तैयार हैं किंतु रुपाली शायद तैयार नहीं होगी, उससे पूछना पड़ेगा।"

रुपाली सीढ़ियों से नीचे उतरते वक्त यह सब सुन रही थी। अरुणा ने कहा, " रुपाली से पूछे बिना हम निर्णय नहीं ले सकते। हम उससे पूछ कर आपको फ़ोन करेंगे।"

"ठीक है लेकिन आप रुपाली को यह ज़रूर बता देना कि हमें यहाँ अजय ने बिल्कुल नहीं भेजा। उसे तो मालूम ही नहीं है कि हम यहाँ यह बात करने आए हैं। हमारी इस बात पर विश्वास ज़रूर कर लेना। रुपाली को आप समझाना कि लड़की की जब शादी होती है ना, तब उसे उस लड़के से प्यार नहीं होता। प्यार तो बाद में ही होता है, रुपाली को भी धीरे-धीरे हो जाएगा। "

अजय के पापा के मुँह से यह सब सुनने के बाद रुपाली सोचने पर मजबूर हो गई कि वह सही तो कह रहे हैं। इतनी खुशामद कौन किसकी करता है? इतना प्यार कौन करता है? जितना अजय उसे करता है।

रात को उसकी माँ ने कहा, "रुपाली अजय के पापा मम्मी आये थे।"

"मैं जानती हूँ माँ, मैंने सब कुछ सुन लिया है, मैं तैयार हूँ।"

उसकी माँ तो रुपाली की हाँ सुनकर ख़ुशी से झूम उठी और यह ख़बर तुरंत ही उन्होंने अजय के पापा मम्मी तक पहुँचा दी।

जब अजय शाम को ऑफिस से आया तब अदिति ने कहा, "अजय हम तुम्हारा रिश्ता पक्का करके आए हैं।"

"मम्मी आप यह क्या कह रही हो? आप तो जानती हो ना मुझे शादी करनी ही नहीं है।"

"शादी तो करनी ही पड़ेगी बेटा, वरना हमें नाती पोते कैसे मिलेंगे? क्या हमें ऐसे ही मरना होगा ना बहू, ना बच्चे?"

"माँ मैं यह कुछ नहीं जानता मुझे शादी नहीं करनी है और यही मेरा अंतिम फ़ैसला है।"

"यदि उस लड़की को तू देख लेगा तब भी नहीं करनी?"

"मुझे देखना ही नहीं है माँ। "

"तुझे देखने तो चलना ही पड़ेगा ।"

"मैं किसी भी क़ीमत पर नहीं जाऊँगा।"

"ठीक है तो हम उस लड़की को ही यहाँ बुला लेते हैं।"

"मैं यह घर छोड़ कर चला जाऊँगा, यदि आप इस तरह पीछे पड़ोगी तो… "

अजय नाराज़ होकर अपने कमरे में ऊपर चला गया। अदिति ने फ़ोन करके अरुणा को सारी बात बता कर उन्हें ही रुपाली के साथ अपने घर बुला लिया। एक घंटे के अंदर ही विजय, अरुणा और हल्के गुलाबी रंग की साड़ी में लिपटी रुपाली अजय के घर आ गए।

जैसे ही बेल बजी अदिति ने अजय को आवाज़ लगाते हुए कहा, "अजय मेरी बहुत कमर दुख रही है, तेरे पापा बाथरूम में हैं। दरवाज़ा खोलकर देख कौन आया है?"

"अरे मम्मी मैं ऊपर हूँ।"

"तो नीचे आकर खोल, कहा ना मैं लेटी हूँ, मेरी कमर…"

"ठीक है आता हूँ।"

अजय ने जैसे ही दरवाज़ा खोला उसे रुपाली के पापा मम्मी दिखाई दिए।

"अरे अंकल आंटी आप लोग आइए अंदर आइए रुपाली नहीं आई?" कुछ ही पलों में उसकी आँखों के सामने रुपाली दिखाई दी। अजय अपनी आँखें मलने लगा मानो उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा हो, "आओ अंदर आओ…"

सब लोग साथ में बैठे हुए थे। विजय ने कहा, "अब आप लोगों को क्या बताएं। अजय को कितना मनाया शादी के लिए परंतु वह कहता है शादी की बात करोगे तो घर ही छोड़ कर चला जाऊँगा। हमने कहा एक बार लड़की से तो मिल ले पर नहीं, लड़की से भी उसे नहीं मिलना। हमने कहा चलो लड़की को ही यहाँ बुला लेते हैं।"

"पापा आप शांत हो जाइए प्लीज़। यह सब क्या बोल रहे हैं आप?"

"अजय बेटा यही है वह लड़की, जिसे हमने पसंद किया है। अब तुम्हारी इच्छा क्या है?"

"पापा…"

"अजय बेटा, रुपाली ने हाँ कर दी है।"

अजय चौंक गया वह रुपाली की तरफ देखने लगा। रुपाली ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से आँखों ही आँखों में उसे जता दिया कि वह तैयार है। वह एक दूसरे को देख रहे थे तभी वे चारों कमरे से बाहर चले गए। बाहर से ज़ोर-ज़ोर से हँसने व बातें करने की आवाज़ें आ रही थीं।

रुपाली ने आगे बढ़कर अजय को कहा, "आई लव यू अजय!"

अजय ने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा, "रुपाली चलो बाहर जाकर दोनों के पापा मम्मी का आशीर्वाद लेते हैं।"

रुपाली ने उसकी तरफ देखा और वे दोनों बाहर आ गए। अजय ने कहा, "मम्मी पापा आशीर्वाद दीजिए। अब तो आप ख़ुश हैं ना?"

"बहुत ख़ुश हैं बेटा।"

रुपाली ने भी अपने पापा मम्मी से पूछा, " मां पापा आप लोग भी अब तो ख़ुश हैं ना?"

"हाँ बेटा"

बस फिर क्या था घर में शहनाई बज गई। देर से ही सही अजय को उसका प्यार मिल गया और रुपाली को एक सच्चा और अच्छा प्यार करने वाला जीवन साथी मिल गया।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

समाप्त