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बागी स्त्रियाँ - भाग चौबीस

भीख की तरह मिला प्यार बहुत तकलीफ देता है|ऐसा प्यार सीमाओं में बांध देता है |अपनी शर्तों पर जीने को विवश कर देता है।अपूर्वा की सोसाइटी में रहने वाली सीमा एक ऐसे ही प्यार में गिरफ्त है।
उसका प्रेमी अनिकेत पहले उसे बहुत प्यार करता था ,पर बाद में उसकी जिंदगी में वह लड़की लौट आई ,जो उसका पहला प्यार थी ।वह लड़की बहुत पहले अनिकेत को छोड़कर चली गई थी,पर अधिक समय उससे दूर न रह सकी |जब वह उसे छोड़कर चली गई थी तो वह बहुत फ्रस्टेड हो गया था।वह सीमा की ही कम्पनी में काम करता था।इसलिए दोनों पूर्व परिचित थे।एक दिन वह सीमा के घर आया और उसकी गोद में सिर रखकर फूट -फूटकर रोया।सीमा ने उसे प्यार से सम्भाला ,फिर वह रोज उसके घर आने लगा था और कई -कई घंटे रूकने लगा।सीमा को भी वह अच्छा लगता था।एक दिन दोनों के बीच सारी सीमाएं टूट गईं।अनिकेत का तो पता नहीं,पर सीमा सच ही उससे प्यार करने लगी थी।इस प्यार में देह की चाहत ज्यादा थी।अनिकेत एक बहती नदी की तरह था और वह किसी नाव की तरह।जो नदी के आवेग में मस्ती से हिचकोले खाती थी।नदी के थिर होने पर नाव को असीम आनन्द की अनुभूति होती थी।
देह के तृप्त होने के बाद अनिकेत उदास होकर उस लड़की को याद करने लगता था ।कभी -कभी तो रो पड़ता था और वह आहत दृष्टि से उसे देखती रह जाती थी। जब वह वापस चला जाता था तो वह फिर अगली शाम का इंतजार करने लगती थी,जब वह आएगा।
दूसरी शाम को वह बियर की बोतल के साथ उपस्थित हो जाता।ज्यों ही वह दरवाजा बंद करती वह अपनी बाहें फैला देता। आवेग भरे आलिंगन चुम्बन के बाद वह उसे बाहों में भरे ही बिस्तर पर गिर पड़ता और फिर उसे आनंद से सराबोर कर देता।वह सब कुछ भूल जाती। दुनिया- समाज,दीन -ईमान ,पाप -पुण्य सब।देह के साथ उसकी आत्मा भी तृप्त हो रही थी।उसके रोम- रोम में अनिकेत बस चुका था।वह उसके दूर जाने की कल्पना से भी कांप जाती थी,पर वह यह भी जानती थी कि वह उससे विवाह नहीं करेगा।दोनों की उम्र,जाति ही नहीं सामाजिक स्तर में भी काफी भिन्नता थी।मानसिक रूप से भी वह मैच्योर नहीं था और न ही उससे प्रेम करता था।बस दैहिक जरूरत के लिए वह उसके पास आता था।उसके खालीपन को भरने का वह माध्यम भर थी,पर वह उसके लिए सब कुछ था ।वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी ।पर उसे यह पता था कि वह किसी भी आपदा में उसके साथ नहीं होगा।समाज के सामने उसके साथ कभी खड़ा नहीं होगा।फिर भी वह उसे प्यार करती थी।
कई बार वह कई दिन तक उसके पास नहीं आता था और जब आता तो कहता --खुद से लड़ रहा था कि न जाऊं पर आखिरकार नहीं रह पाया।
कभी -कभी वह कहता --हर बार सोचता हूँ कि तुम्हें स्पर्श नहीं करूंगा पर तुम्हारे सामने आते ही पागल हो जाता हूँ।
शायद देह का नशा बियर के नशे से ज्यादा खुमारी लाता है।
एक साल बाद एकाएक अनिकेत ने उसके घर आना बंद कर दिया। वह पागल हो उठी थी।वह उससे दूरी बर्दास्त नहीं कर पा रही थी।वह सोच रही थी कि आखिर वह बिना उसे बताए कहाँ चला गया।जाना ही था तो बताकर जाता।वह उसे नहीं रोकती क्योंकि उसे पता था कि एक दिन उसे जाना ही है।
बाद में उसके एक दोस्त से पता चला कि उसने उसी लड़की गरिमा से शादी कर ली है,जो उससे अलग हो गई थी |
शादी के एक महीने बाद वह उससे मिलने आया और पहले की तरह ही उसने उससे प्यार भी किया ।पर उस प्यार में न तो पहले सी ऊष्मा थी ना आवेग।बस रहम थी सहानुभूति थी ।वह उसके बाद भी उसके पास आता रहा पर उसके लिए कई सीमाएं बांध दी ।उसने कहा कि वह उसके पास महीने में बस एक-दो बार आयेगा |उसके साथ कहीं बाहर नहीं जाएगा | वह कभी उसे फोन नहीं करेगी और इस घर में रहते यदि उसके घरवालों का फोन आयेगा तो वह चुप रहेगी| सीमा अनिकेत से इतना प्यार करती थी कि इन सबके बावजूद भी उसे छोड़ नहीं पा रही थी|
अपूर्वा सीमा की राजदार थी | सोसाइटी में सीमा से और कोई नहीं बोलता था |वह विधवा थी और एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी |आर्थिक रूप से कमजोर न होने के कारण वह किसी पर भी निर्भर नहीं थी |अनिकेत से उसे न कोई सुरक्षा मिली थी न संरक्षण पर बदनामी खूब मिली थी।दोनों के बीच शारीरिक संबंध अनवरत जारी था | सीमा भावनात्मक रूप से उससे इतना जुड़ी थी कि वह अनिकेत को किसी बात के लिए मना नहीं कर पा रही थी।
विवाह के बाद अनिकेत उसके पास बस चंद लम्हों के लिए आता था और अपने पीछे उसके लिए अकेलेपन की खाई छोड़ जाता था |'नो सेंटीमेंटस नो कमिटमेंट्स' यह अनिकेत का तकिया-कलाम बन गया था |सीमा उसकी बातों से आहत तो होती थी पर उसको पूरी तरह खो देने के डर से चुप रहती थी |पर यह भी सकता कि जब वह उसके पास होता था तब भी वह उसे महसूस नहीं कर पाती थी क्योंकि उसकी पत्नी हमेशा उनके बीच मौजूद रहती है |
अपूर्वा को सीमा पर बहुत क्रोध आता है कि वह उसे झटक क्यों नहीं देती |ऐसे स्वार्थी आदमी से वह क्यों बंधी है ?जो आदमी दो औरतों को धोखा दे रहा हो ,साथ ही दोनों का सुख भी उठा रहा हो-वह उसे किसी अपराधी से कम नहीं लगता है
सीमा विधवा है तो क्या उसका जीवन की खुशियों पर कोई हक नहीं है?एक जवान विधवा की ज़िंदगी में कोई पुरूष क्यों नहीं आ सकता ?