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तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 2

तू मेरी ज़िन्दगी हैं
भाग - 2

कॉलेज में आडिटोरियम के बाहर ही विशाल सिर पकड़ कर बैठा था।उसके उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे उसका सब कुछ लुट गया हो।उसक आस पास कॉलेज स्टाफ के कई लोग थे जो उसे तसल्ली देने का प्रयास कर रहे है थे।पर उसके आंसू रक ही नहीं रहे थे।राहल को देखकर वो उसके गले लग कर रोने लगा।
मायरा, तुम्हारी दोस्त ने मुझे धोखा दिया है।उसने ज़िन्दगी भर साथ रहने का वादा किया था पर वो मुझे अकेला छोड़कर चली गई।
मायरा की आंखो से आंसू बहे जा रहे थे।उस समझ ही नहीं आया कि वो विशाल को क्या जवाब दे।

प्रिंसिपल साहब पुलिस इंस्पेक्टर को बता रहे थे...
खुशी रोज की तरह सुबह 8 बजे कॉलेज आ गई थी।9.30 बजे तक उसने लेक्चर लिए।उसके बाद उसके फ्री पीरियड्स थे।11 बजे समर ने शोर मचाया तो हम सब आडिटोरियम में आए तो देखा वहां खुशी फर्श पर पड़ी थी।उसकी मौत हो चुकी थी।
इंस्पेक्टर- ये समर कहां है?
मै यहां हूं।एक युवक ने जवाब दिया।वो करीबन 6 फीट लंबा कसरती बदन वाला स्मार्ट सा लड़का था।
सर,मेरा नाम समर है। मैं इस कॉलेज के छात्र संघ का अध्यक्ष हूं।सब से पहले मैंने ही खुशी मैम्म की लाश देखी थी और आडिटोरियम के बाहर आकर शोर मचाया।
इंस्पेक्टर - तुम आडिटोरियम में क्या कर रहे थे?
समर - सर,जी मै राहुल सर को ढूंढ रहा था।वो कॉलेज फंक्शन के लिए एक प्ले करवा रहे है तो मुझे लगा कि वो शायद आडिटोरियम में होंगे।
राहुल सर वहां थे?
नहीं, सर ।मुझे बाद में पता चला कि वो आज छुट्टी पर है।
तुमने किसी और को आडिटोरियम में आते या जाते हुए देखा?
नहीं सर
तुमने किसी चीज को हाथ लगाया?
मैंने मेम्म को जमीन पर पड़े देखा तो उनकी नब्ज चेक की थी।उसके बाद मैंने बाहर आकर शोर मचा दिया।मैंने और किसी चीज को नहीं छुआ।

ठीक है,तुम्हे और कोई काम की बात याद आए तो हमे सूचना देना और जब तक कातिल पकड़ा नहीं जाता ,तुम शहर से बाहर नहीं जाओगे।अब तुम जाओ।
जी सर...कहकर समर पीछे हट गया।

ये राहुल सर कहा मिलेंगे?... इंस्पेक्टर ने प्रिंसिपल से पूछा?
मै यही हूं ,सर..राहुल ने आगे आकर जवाब दिया।

पर आप तो आज छुट्टी पर थे।

जी सर,कल मेरी सगाई थी।इसलिए आज मैंने छुट्टी ले रखी थी।खुशी और विशाल मेरे बहुत अच्छे दोस्त है।इसलिए जब प्रिंसिपल साहब ने खुशी की मौत की सूचना दी तो मैं फौरन चला आया।

आप को कोई अंदाजा है..खुशी की हत्या क्यों की गई होगी?

जी नहीं,कल रात को 3 बजे तक विशाल और खुशी हमारे साथ थे।वो कितनी खुश थी।

फिर इंस्पेक्टर विशाल के पास आया।

सर ,आई एम सॉरी। मै जानता हूं इस समय आप बहुत दुखी है,पर मुझे भी अपनी ड्यूटी करनी है और जल्द से जल्द अपराधियों का पता लगाना है।
आपको किसी पर शक़ है?
नहीं सर,
पिछले दिनों खुशी का किसी से झगड़ा हुआ हो?
नहीं सर ,वो तो बहुत मिलनसार और खुशमिजाज थी।उसका किसी से कोई झगड़ा नहीं।
ठीक है,सर हम खुशी की लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे है । पहली दृष्टि में ऐसा लगता है जैसे उसका खून गला दबाकर किया गया है।उसके गले पर पतले तार के निशान है।उसकी जीभ भी कुछ बाहर को है और आंखे भी खुली हुई थी।आप को कुछ ऐसा याद आए जो इस केस से जुड़ा हो सकता है तो हमे जरूर बताएं...कहकर इंस्पेक्टर ने विदा ली।

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शाम को 6 बजे खुशी का अंतिम संस्कार हुआ।राहुल रात 10बजे करीब घर पहुंचा और आते ही सो गया।

सुबह 8 बजे कॉलबेल की आवाज़ से नींद खुली।
दरवाजा खोला तो इंस्पेक्टर और दो सिपाही थे।

मि. राहुल,क्या कल सुबह आप खुशी से मिलने कॉलेज गए थे.. इंस्पेक्टर ने सवाल दागा।
राहुल सोच में पड़ गया।
मि.राहुल, झूठ बोलने की कोशिश मत करना।खुशी के मोबाइल पे आखरी कॉल आपकी थी।
राहुल खामोश था।
मि.राहुल,जवाब दीजिए वरना मुझे आपको गिरफ्तार करना होगा और फिर पूछताछ थाने में होगी।
राहुल के माथे पर परेशानी की लकीरें थी और होठो पर खामोशी।

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कहानी अभी ज़ारी हैं.......

लेखक - मनीष सिडाना

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