You are my Life - 4 in Hindi Detective stories by Manish Sidana books and stories PDF | तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 4

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तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 4

तू मेरी ज़िन्दगी हैं
भाग -4

राहुल का फ़्री पीरियड था।वो स्टाफ रूम में बैठा था।बैठे बैठे वो पिछले दिनों के बारे में सोच रहा था।मायरा से सगाई होना उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी थी।पर अचानक खुशी के साथ हुए हादसे की वजह से उनकी खुशियां मातम में बदल गई थी।इसी स्टाफ रूम में ही तो मायरा से पहली मुलाक़ात हुई थी।राहुल यादों में कुछ समय पीछे चला जाता है।

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आज कॉलेज में राहुल का पहला दिन था।प्रिंसिपल सर ने स्टाफ रूम में सबका परिचय राहुल से करवाया।वहीं राहुल ने पहली बार मायरा को देखा और बस देखता रह गया।दिल से आवाज़ अाई - यही है वो जिसका उसे इंतज़ार था। स्काई ब्लू सूट में मायरा बिल्कुल अप्सरा लग रही थी।
दोपहर में राहुल की मायरा से मुलाक़ात हुई तो उसने मायरा से कहा....मै इस शहर में नया हूं।क्या आप मकान ढूंढने में मेरी मदद कर सकती हैं?
वैसे तो मै बहुत बिज़ी हूं।मेरी एक दोस्त की कल शादी है।पर आप को मना भी नहीं कर पा रही।आप मुझे परसो शाम को कॉल कीजिएगा....कहते हुए मायरा ने अपना नंबर दिया।
राहुल ने 2 दिन बाद मायरा को कॉल किया तो मायरा ने उसे बुलाकर एक प्रॉपर्टी डीलर से मिलवाया बोली...राहुल ये आपको मकान दिलवा देंगे।
ये अधूरी मदद नहीं चलेगी। अगर मदद करनी है तो पूरी करो...राहुल बोला
मतलब...मायरा ने पूछा
मतलब कि आपको मेरे साथ चलकर मकान देखने होंगे और पसंद करने मै मेरी मदद करनी होगी।तब काम पूरा होगा।आप मना नहीं कर सकती,अपने मदद करने का वायदा किया है।...राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा
ठीक है ,जनाब।चलिए कहां चलना है...खुशी ने हथियार डाल दिए।
अगले कई दिन शाम के समय वो मकान देखने के लिए मिलने लगे। 2-3 दिन में बात कॉफी और फिर धीरे धीरे डिनर तक पहुंची।अब तक दोनो अच्छे दोस्त बन गए थे।
राहुल चाहता था कि मकान देखने का ये सिलसिला कभी ना रुके।
उधर मायरा को भी शाम होने का इंतज़ार रहता था कि कब शाम हो और वो राहुल के साथ कुछ समय बिता पाए।
8-9 दिन बीत गए।प्रॉपर्टी डीलर ने दो मकान ऐसे अच्छे दिखाए जिन्हें मना करना मुमकिन नहीं था।
कौन सा फाइनल किया?....मायरा ने पूछा
तुम बताओ...राहुल ने कहा
रहना आपको है,जनाब...मायरा बोली
हो सकता है कुछ दिन बाद हम आपको यही रहने के लिए बुला ले...राहुल ने मायरा की आंखो में झांकते हुए शरारत से कहा
आपके इरादे ठीक नहीं लगते..मायरा का चेहरा शर्म से लाल हो गया था।आपको पता नहीं,मेरी मम्मी पुलिस में है..मायरा बोली
जल्दी ही आपकी मम्मी मुझे चाय पर बुलाएगी...ये मेरा दावा है...राहुल बोला।
देखते है...कहकर मायरा चली गई।
राहुल ने एक मकान फाइनल कर लिया।
अगले दिन स्टाफ रूम में मायरा ने राहुल का परिचय खुशी से कराया।राहुल खुशी को देखता ही रह गया।राहुल को देखकर खुशी की आंखो में भी चमक उभरी।
खुशी,ये राहुल है।इन्होंने कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया है...मायरा ने खुशी को राहुल का परिचय दिया।
राहुल,ये खुशी है।मेरी सबसे अच्छी दोस्त। कुछ दिन पहले इनकी शादी थी।मैंने तुम्हे बताया था।इसी लिए ये छुट्टी पर चल रही थी।आज ही ज्वाइन किया है।
बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर....राहुल ने खुशी से हाथ मिलाते हुए कहा।
मुझे भी...खुशी ने जवाब दिया।
इतने दिन कहां थे मि.राहुल...खुशी ने पूछा
ज..जी क्या मतलब...राहुल ने पूछा
मेरा मतलब है थोड़े दिन पहले आपने कॉलेज ज्वाइन कर लिया होता तो मै विशाल से शादी नहीं करती....खुशी ने शरारत से कहा
अभी विशाल को फोन करती हूं और बताती हूं कि उसकी नई नवेली बीबी यहां ओरो से फ्लर्ट कर रही है....मायरा ने मोबाइल जेब से निकलते हुए कहा
तीनो खिलखिलाकर हंस दिए।
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राहुल, तुम यहां बैठे हो और मै तुम्हे पूरे कॉलेज में ढूंढ रही हूं....मायरा ने राहुल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो राहुल यादों से निकल कर वर्तमान में आ गया।
अच्छा हुआ मायरा ,तुम आ गई।मुझे तुम्हे कुछ बताना है।मुझे तुम्हे पहले ही बता देना चाहिए था पर...
पहले मेरी बात सुनो...मायरा ने उसकी बात काटते हुए कहा.... मै कब से तुम्हे ढूंढ रही हूं...मुझे खुशी के बारे में तुम्हे कुछ बताना है।
तभी इंस्पेक्टर स्टाफ रूम में आया और बोला...जी बताइए,मै यहां समर को मिलने आया था पर शायद आपको कुछ ऐसा याद आया है जो इस केस में हमारी मदद कर सकता है।
मुझे समर और खुशी के बारे में कुछ बताना है, इंस्पेक्टर....मायरा ने जवाब दिया।

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कहानी अभी जारी है...

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लेखक - मनीष सिडाना