ziddi ishq - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 7

"तुम होंगे भुक्खड़.........तुम्ही खाओ कीड़े।" माहेरा ने मुंह बना कर कहा।

अब तक सोफ़िया को भी होश आ चुका था वोह मुस्कुराते हुए उनकी बहेस सुन रही थी।

"वैसे तुम लोगो का नाम क्या है? हम तीन बार मिल चुके है लेकिन तुम लोगो ने हमे अब तक अपना नाम नही बताया।"

सोफ़िया ने हिचकिचते हुए माज़ की तरफ देख कर पूछा क्योंकि वोह रामिश से पूछ कर अपनी बेइज़्ज़ती नही कराना चाहती थी।

"इन्हें हमरा नाम पता है लेकिन इन से अगर इनका नाम पूछ लिया तो मानो हमने कोई गुनाह कर दिया हो।"
माहेरा माज़ की बात याद करके मुंह बना कर बोली।

"मेरा नाम रामिश और यह माज है।"
रामिश ने उसे जवाब दिया।

रामिश को सोफ़िया का खुद को इग्नोर करना बिल्कुल पसंद नही आया।

"रामिश सोफिया को उसके घर पर छोड़ दो।" माज़ ने रामिश से कहा।

रामिश ने उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए घर से बाहर निकल गया और सोफ़िया कटी हुई पतंग की तरह उसके साथ चली गयी।

"हटो मुझे भी सोफ़िया के साथ जाना है।"

माहेरा आगे बढ़ने वाली थी की माज़ ने उसका बाजू पकड़ लिया।

"छोड़ो मेरा बाजू तुम गुंडे कहीं के मुझे जाने क्यों नहीं दे रहे हो।"

माहेरा चीखते हुए बोली जबकि माज़ ने उसकी बाजू पर पकड़ ढीली करने की बजाय और टाइट कर दी।

"शी......... पहले भी बताया था अब भी बता रहा हूं मुझे चीखने चिल्लाने वाली लड़कियां पसंद नहीं है अगर तुम दोबारा चिल्लाई तो मैं तुम्हारे मुंह पर टेप लगा दूंगा।

और तुम्हें ना जाने देने की वजह यह है की अब तुम मेरे साथ रहोगी यह बात अपने छोटे से दिमाग में बिठा लो।"

माहेरा ने उसकी बात सुनकर बे यकीनी से उसकी तरफ देखा और अपना बाज़ू छुड़ा कर वहां से भागने के लिए प्लान बनाने लगी।

माहेरा ने अपने दूसरे हाथ का नाखून उसके हाथ पर गढ़ाने लगी ताकि माज़ उसका बाजू छोड़ दे।

लेकिन माज़ ने उसका बाज़ू छोड़ने की बजाए उसे और मजबूती से पकड़ लिया।

"मेंशन जाने के बाद सबसे पहले मैं तुम्हारे इन लंबे नाखूनों को कटवाऊंगा ताकि तुम दोबारा इन्हें मुझ पर इस्तेमाल ना कर सको।"

माज़ ने सपाट लहजे में कहा।

जबकि माहेरा अपने नाखूनों को कटवाने का सुनकर माज़ के हाथों पर नाखून गढ़ाना बंद कर दिया।

माहेरा ने अपने नाखून बहोत मुश्किल से ही बढ़ाये थे वरना वोह बड़े होने से पहले ही टूट जाते थे। माहेरा को अपने नाखूनों के बारे में सुनकर सदमा ही लग गया था।

"तुम मज़ाक़ कर रहे हो ना मेरे नाखून बहोत मुश्किल से ही बड़े होते है और तुम इन्हें इतनी आसानी से काटने के लिए कैसे कह सकते हो।
मुझे सोफ़िया के साथ रहना है........आह......छोड़ो मेरा बाज़ू मुझे दर्द हो रहा है।"

माहेरा जो माज़ से बात कर रही थी अपने बाज़ू में माज़ की उंगलिया धंसती हुई महसूस करते हुए दर्द को बर्दाश्त करते बोली।

जबकि उसको तकलीफ में देख कर माज़ ने उसके बाज़ू पर पकड़ ढीली करदी लेकिन अभी भी उसके बाज़ू को छोड़ा नही।

माज़ ने कोल्ड आवाज़ में माहेरा से कहा।

"तुम्हे लग रहा है कि मैं मज़ाक़ कर रहा हु? फिक्र मत करो मैं खुद अपने हाथों तुम्हारे इन प्यारे नाखूनों को काटूंगा और तुम अपने नाखूनों की टेंशन बिल्कुल भी मत लेना मैं काटने के बाद उन्हें तुम्हे दे दूंगा ताकि तुम राज़ से बैठ कर उस पर मातम मना सको।"

"रही बात सोफ़िया के साथ रहने की वोह तो तुम भूल ही जाओ आज के बाद तुम मेरे मेंशन में मेरे साथ रहोगी, इसीलिए अब अपनी बकवास बन्द करो नही तो सबसे पहले मैं तुम्हारी ज़ुबान काटूंगा।"

माहेरा उसकी कोल्ड आवाज़ में दी गयी धमकी सुनकर खामोश हो गयी और मन ही मन उसे बुरा भला कहने लगी।

..........

रामिश जब सोफ़िया के घर के सामने पहोंचा तो उसका हाथ जो अभी भी सोफ़िया के हाथ मे था उसे पकड़ कर अपने सामने किया और दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर आई लाटो को पीछे करते हुए कहा।

"अगर अपनी दोस्त की ज़िंदगी प्यारी है तो पुलिस के पास जाने की कोशिश मत करना। मुझे यकीन है तुम मेरी बात जरूर मानोगी नही तो अपनी दोस्त की मौत की ज़िम्मेदार तुम खुद होगी।"

सोफ़िया उसके हाथों के इस्पर्श महसूस करते ही कांप सी गयी, जिसे रामिश ने भी महसूस किया और हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गयी जिसे किसे के देखने से पहले ही उसने छुपा लिया।

"ल........लेकिन उसने तुम लोगो का क......क्या बिगाड़ा है ज......जो तुम लोग उसे मेरे साथ नही रहने दे रहे हो और क्या पता की वोह तुम लोगो के साथ महफूज़ रहेगी या नही और मैं उससे किसे मिलूंगी मुझे तो यह भी नही पता तुम लोग रहते कहा हो।"

सोफ़िया ने खुद पर काबू पाते हुए काँपती आवाज़ में कहा।

वोह उन लोगो पर कैसे भरोसा कर सकती थी। वोह अपनी जान से प्यारी दोस्त माहेरा को उनके पास कैसे छोड़ सकती थी, वोह तो उनके नाम के इलावा उनके बारे में कुछ नही जानती थी।

"बस तुम्हारे लिए यह जानना ज़रूरी है कि वोह हमारे साथ महफूज़ है और मैं कल तुम्हे लेने आऊंगा तो तुम चल कर अपनी दोस्त से मिल लेना और देख लेना कि वोह हमारे साथ महफूज़ है या नही, और हाँ तुम्हे तो हम पर भरोसा नही है
अगर कल मैं नही आया तो तुम पुलिस को इन्फॉर्म कर देना।"

रामिश ने उसकी बात सुनकर उसका हाथ हल्का सा दबाया और सोफ़िया से कहा।

सोफ़िया ने उसकी बात सुनकर हल्का सा सिर हिलाया तो रामिश ने उसका हाथ छोड़ दिया।

सोफ़िया अंदर जाने लगी कि तभी पीछे से उसे रामिश की आवाज़ आयी।

"मेरे इलवा अगर कोई तुम्हे लेने आये और यह कहे कि मैं ने भेजा है तो यकीन मत करना मैं खुद तुम्हे लेने आऊँगा।"

...........

ब्लैक रोज़ मेंशन पहोंच कर माज़ गड़ी से नीचे उतरा और माहेरा के उतरने का इंतेज़ार करने लगा जो कि बाहर निकलने का नाम ही नही ले रही थी।

आखिरकार तंग आ कर माज़ ने उसे गाड़ी से बाहर निकाला और उसे घसीटते हुए अंदर ले कर जाने लगा।

"तुम मेरी नरमी का नाजायज़ फायदा उठा रही हु लेकिन मुझे समझ आ गया है तुम किसी नरमी के लायक ही नही हो, और हाँ यहां से भागने के बारे में सोचना भी मत करना वरना मैं तुम्हारी टाँगे तोड़ दूंगा।"

माज़ ने उसे खींचते हुए सख्त आवाज़ में कहा।

वोह जनता था माहेरा उल्टे दिमाग की है वोह यहां से भागने की कोशिश जरूर करेगी इसीलिए उसने रामिश से कह कर मेंशन की सिक्योरटी डबल करा दी थी।

"वहशी जंगली इंसान छोड़ो मुझे, तुम खुद को समझते क्या हो एक बार मुझे यहां से बाहर निकलने दो सबसे पहले मैं तुम्हे पुलिस से पकड़वाऊंगी।"

माहेरा खुद को घसीटे जाने पर गुस्से से चिल्ला कर बोली।

"हम्म पहले यहां से निकल कर दिखाओ फिर पुलिस के पास चली जाना।"

माज़ ने उसे कमरे में ला कर छोड़ कर ताना मारते हुए कहा और बिना उसकी बात सुने कमरे से बाहर निकल कर कमरा बाहर से लॉक कर दिया।

जब माहेरा ने कमरा लॉक होने की आवाज़ सुनाई तो जल्दी से दरवाज़े की तरफ गयी और गुस्से से चिल्लाते हुए बोली।

"माज़ कमीने इंसान दरवाज़ा खोलो मैं तुम्हारी कैदी नही हु जो तुम मुझे यहां बंद करके रख रहे हो। बस एक बार मुझे यहां से बाहर निकलने दो फिर देखो मैं तुम्हारा क्या हशर करती हूं।"

माज़ ने उसकी बात एक कण से सुनी और दूसरे कान से निकाल दी और अपने कमरे की तरफ चला गया।

माज़ को बुरा भला कहने के बाद जब माहेरा के कलेजे को ठंड पड़ी तो वोह कमरे को देखने लगी।
कमरा नॉर्मल साइज का था और कमरे का कलर वाइट था, उसके बीचो बीच एक किंग साइड बेड था और उसके साथ सोफा और टेबल था।

राइट साइड में ड्रेसिंग रूम और वाशरूम था।

सारा कमरा देख कर माहेरा बेड पर बैठ गयी और थकान की वाजह से उसे नींद आणि शुरू हो गयी.......उसने कल सुबह भागने का सोचा और बेड पर लेट गयी।

...............

रामिश कमरे में लेटा सोफ़िया के बारे में सोच रहा था। उसे वोह नाज़ुक सी लड़की बहोत पसंद थी।
जब वोह उसका स्पर्श महसूस करती थी तो कांप जाती थी और उसकी अटकती हुई आवाज़ सुनकर रामिश का दिल भी अटक जाता था।

जब से रामिश ने उसे देखा था तब से हर वक़्त सोफ़िया ही उसके खाबो और ख्यालो में रहती थी।

उस काली आंखों वाली लड़की (सोफ़िया) ने उसकी नींद हराम कर रखी थी।

अब सिर्फ रामिश को एक ही परेशानी थी कि कोई माहेरा के बारे में जानने के लिए सोफ़िया पर ना हमला करदे और वोह तो इतनी चालक और होशियार भी नही है कि खुद को बचा सके। उसे इस बात का इतमीनान था कि किसी को भो सोफ़िया के बारे में नही पता था और ना ही उन फ़ोटो में उसकी कोई फ़ोटो थी।

रामिश ने सोफ़िया के बारे में सोचने के बाद अपना सिगरेट को फेंका और लैंप ऑफ करके सोने के लिए लेट गया।

.............

माज़ फ्रेश हो कर निकला तो उसके फ़ोन पर शेर खान की कॉल आ रही थी।

उसने कॉल उठाते हुए कहा:"हेलो डैड।"

"हम्म......कैसे हो माज़?"

शेर खान ने अपनी भारी आवाज़ में पूछा।

"मैं ठीक हु......आप कैसे है डैड?.......आप कब आ रहे है?........मॉम के बाद अपने खुद को ऐसा बिजी कर लिया है कि मैं ने आपको छह महीने से देखा तक नही है।"

माज़ ने अपने डैड को जवाब देने के बाद उसने शिकायत करते हुए कहा।

"मैं भी ठीक हु..अगले महीने वापस आ रहा हु और यहां एक ज़रूरी काम था इसीलिए छह महीने लग गए, चलो मैं तुमसे कल बात करता हु यहां एक ज़रूरी काम आ गया है।"

"ठीक है डैड फिर कल बात करते है।"

माज़ ने कहा और फ़ोन कट करके कॉफी बनाने के लिए किचन में चला गया।

................

सोफ़िया कुछ आवाज़ सुनकर अपने कमरे से बाहर आई तो उसके डैड किचन में कॉफी बना रहे थे।

"डैड आप वापस कब आये?"

सोफ़िया ने पीछे से आपने डैड को गले लगाते हुए कहा।

सोफ़िया के डैड ने पीछे मुड़ कर सोफ़िया के माथे पर किस किया और कॉफी का कप उठा कर हाल में सोफे पर बैठते हुए सोफ़िया को जवाब दिया।

"मैं थोड़ी देर पहले हो आया हु और तुम तो माहेरा के घर पर थी ना घर कब आयी।"

सोफ़िया उनकी बाद सुनकर गड़बड़ा गयी और जल्दी से खुद को नॉर्मल करते हुए बोल।

"डैड माहेरा के घर की वाटर सप्लाई में कुछ प्रॉब्लम हो गयी थी इसीलिए वोह मुझे घर छोड़ कर अपने अंकल के घर चली गयी।"

"ठीक तो फिर थकी होगी जाओ आराम करलो हम सुबह बात करेंगे।"

सोफ़िया के डैड ने उसे जमाई लेते देखा तो उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा।

सोफ़िया उनकी बात सुनकर उठी और अपने कमरे में चली गयी।

.............

सुबह जब माहेरा की आंख खुली तो खुद को अपने कमरे के इलावा कहि और देख कर उसकी नींद भक से उड़ गई।

थोड़ी देर बाद उसे सब कुछ याद आ गया वोह उठी और फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चली गयी।

वोह वाशरूम से बाहर निकली तो भूख की वाजह से उसके पेट से अजीब अजीब सी आवाजे आ रही थी।

कल दोपहर उसने यूनिवर्सिटी में जूस के इलावा कुछ भी नही पिया था और रात को उसने जो खाना बनाई थी वोह तो अब तक किचन में पड़ा
पड़ा ही सड़ चुका था।

अभी वोह अपनी सोचो में गुम थी कि कोई औरत दरवाज़ा खोल कर अंदर आयी और खाने की टरे टेबल पर रख कर माहेरा के कुछ पूछने से पहले ही कमरे से बाहर निकल गयी और दरवजा बाहर से लॉक कर दिया।

माहेरा को उसके ऊपर बहोत गुस्सा आया जो उसकी बात सुने बगैर ही कमरे से चली गयी थी।

मगर अपनी भूख का सोच कर वोह जल्दी से खाना खाने लगी और वहां से निकल ने के बारे में सोचने लगी।

कहानी जारी है....