Ziddi Ishq book and story is written by Sabreen FA in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ziddi Ishq is also popular in Anything in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ज़िद्दी इश्क़ - Novels
by Sabreen FA
in
Hindi Anything
रात का अंधेरा चारो तरफ फैला हुआ था और रात के इसी पहर एक घर के कमरे में एक लड़की को बेदर्दी से कुर्सी पर बाँधा गया था।
टिप टिप करके खून की बूंदे उसके चेहरे से टपक कर फर्श पर गिर रही थी जिसकी वजह से पूरा फर्श लाल हो गया था।
लेकिन अब खून सूख चुका था। उसका चेहरा सूजा हुआ था और उसकी गर्दन पर चाकू से कट लगा हुआ था।
उसके बाल बिखरे हुए थे जैसे उसे बालो से पकड़ कर घसीटा गया था।
उसकी हालत देखने मे बहोत खौफनाक लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म में अब जान ही नही रही।
अचानक उस लड़की की बॉडी में थोड़ी हलचल हुई। उसने अपनी सूजी हुई आंखों को खोला और अपने हाथ मे लिए हुए शीशे से रस्सी को काटने लगी।
बाहर से आती आवाज़ों को सुनकर वोह फिर अपनी पहली वाली हालात में चली गयी। जब आवाज़ें आनी बंद हो गयी वोह फिर रस्सी को काटने लगी।
रस्सी खोलने के बाद वोह दरवाज़े के पास गई और दरवाज़े को खोल कर इधर उधर देखने लगी। यह देख कर की बाहर कोई नही है वोह आहिस्ता आहिस्ता कदम उठाते हुए ऊपर की तरफ चली गयी।
वोह ऊपर के फ्लोर के राइट साइड के कार्नर वाले रूम में चली गयी और अलमारी से सारे कपड़े निकाल कर बाहर फेंकने लगी। सारे कपड़े बहार निकलने के बाद उसे वहां एक बटन नज़र आई। उसने बटन को दबाया तो वहां से एक सेफ बाहर आया उसने पासवर्ड डाल कर सेफ को ओपन किया और अपना पासपोर्ट और लिफाफा निकाल कर एक जैकेट पहेन कर वहां से निकल कर बाकलनी से पाईप का सहारा ले कर नीचे उतरने लगी और तभी उसका पैर फिसल गया और वोह.....
रात का अंधेरा चारो तरफ फैला हुआ था और रात के इसी पहर एक घर के कमरे में एक लड़की को बेदर्दी से कुर्सी पर बाँधा गया था। टिप टिप करके खून की बूंदे उसके चेहरे से टपक कर ...Read Moreपर गिर रही थी जिसकी वजह से पूरा फर्श लाल हो गया था। लेकिन अब खून सूख चुका था। उसका चेहरा सूजा हुआ था और उसकी गर्दन पर चाकू से कट लगा हुआ था। उसके बाल बिखरे हुए थे जैसे उसे बालो से पकड़ कर घसीटा गया था। उसकी हालत देखने मे बहोत खौफनाक लग रही थी ऐसा लग रहा
"पापा अपने पहेली बार मुझसे कुछ मांगा है मैं ज़रूर जाउंगी।" माहेरा ने अपने पापा को देखते हैए कहा जबकि वोह अपनी माँ और भाईयो की उदास भरी नज़रे खुद पर महसूस कर सकती थी। "बेगम आप दुखी क्यों ...Read Moreरही है आपको तो खुश होना चाहिए हमारी बेटी पढ़ने के लिए बाहर जा रही है।" "और माहेरा आप तैयारी करलो अगले हफ्ते आप इटली जा रही है।" ज़ाकिर साहब ने पहले अपनी बीवी और फिर माहेरा की तरफ देखते हुए कहा। माहेरा जो खुश थी कि अभी एक या दो महीने बाद इटली जाएगी अपने पापा की आखिरी बात
माहेरा को जब होश आया तो उसने खुद को एक अनजान जगह पाया। वोह जितनी भी बहादुर थी पर अब उसे इस जगह से डर लग रहा था। कमरे में बिल्कुल अंधेरा था। अचानक कमरे का दरवाजा खुला और ...Read Moreअंदर आया। रामिश ने उसे इशारा करके अपने साथ चलने के लिए कहा। उसका इशारा समझ कर माहेरा जल्दी से खड़ी हुई और उसके पीछे चलने लगी। बाहर जाते हुए उसे अचानक सोफ़िया का खयाल आया। "मेरी दोस्त कहा है?" माहेरा ने इटेलियन लैंग्वेज में कहा। "वोह ठीक है तुम फिक्र मत करो।" रामिश ने मुड़ते हुए उसे जवाब दिया।
माज़ और रामिश इस वक़्त अल्बर्टो के मेंशन में थे। उन लोगो ने एक घण्टे पहले ही उस पर हमला किया था क्योंकि अल्बर्टो का कमरा साउंडप्रूफ था और उन लोगों ने इस तरह हमला किया था कि अपबर्टो ...Read Moreआदमियों को अभी इस हमले की कुछ खबर ही नही थी। माज़ सोफे पर बैठा था और उसके साथ मे रामिश खड़ा था और उस के बिल्कुल सामने अल्बर्टो खड़ा दर्द से कार्रह रह था। उसके मुंह से खून निकल रहा था, उसका होंठ फटा हुआ था, और उसने अपने बाज़ुओं को पकड़ा हुआ था जिस से खून बह रहा
माहेरा जब केफे से घर आई तो सोफ़िया उसे कहि नही दिखी, उसे लगा कि वोह मार्किट गयी होगी इसीलिए वोह भी जा कर अपने रूम में लेट गयी और देखते ही देखते वोह नींद की वादियों में उतर ...Read Moreजब उसकी आंख खुली तो रात के आठ बजे रहे थे। वो जल्दी से उठ कर बाहर गयी तो देखा की सोफ़िया अभी तक घर नही आई है। उसने परेशान होते हुए सोफ़िया को कॉल की, लेकिन सोफ़िया ने उसका फ़ोन नही उठाया। "यार सोफ़िया फ़ोन क्यों नही उठा रही हो।" माहेरा ने बड़बड़ाते हुए दोबार उसका नंबर डायल किया।