Hotel Haunted - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 23

वह तीनों अभी बातें ही कर रहे थे कि तभी मनीष का फोन बजता है, वह फोन की स्क्रीन देखता है तो उस पर 'पाटिल' का नाम दिख रहा था। वह फोन रिसीव करता है,"हेलो मनीष तुम राज को लेकर होटल के पिछेवाले जंगल की ओर आ जाओ मुझे आप लोगों से कुछ काम है।" पहले तो मनीष को यह सुनकर चौक जाता है पर फिर वह मिस्टर पाटिल से पूछता है,"आपको इस वक्त ऐसा कौन सा काम है जो आप हमें जंगल की ओर बुला रहे हैं?" मनीष की क्या बात सुनकर राज और अंकिता भी चौक जाते हैं।

पाटिल फोन पर मनीष से कहता है "वह मैं तुम्हें अभी फोन पर नहीं बता सकता और तुम राज को भी साथ में लेते आना।"इतना कहकर पाटील फोन कट कर देता है। फोन रखने के बाद मनीष राज की ओर देखता है वह अभी कुछ बोलने वाला था कि तभी राज मना करते हुए मनीष से कहता है "मुझे अब इन सब बातों के बारे में और कुछ नहीं जानना, अब मैं जल्द से जल्द इस जगह से बस निकलना चाहता हूं तुम्हें जाना है तो जाओ।" इतना कहने के बाद राज अपने रूम में चला जाता है और गुस्से से रूम का दरवाजा बंद कर देता है।

मनीष कुछ देर तक उस दरवाजे की ओर देखता रहता है तभी उसका ध्यान अंकिता की और जाता है, जो बिना कुछ बोले बस उस दरवाजे की ओर ही देखे जा रही थी। मनीष अंकिता का चेहरा अपनी और करते हुए कहता है"अंकिता देखो तुम इन सब के बारे में ज्यादा मत सोचो तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो मैं इंस्पेक्टर पाटिल के पास जा रहा हूं और जल्द ही वापस आ जाऊंगा।" मनीष की बात सुनकर अंकिता बिना कुछ बोले अपने रूम की और बढ़ जाती है और मनीष बस उसे जाते हुए देखता रहता है। वह होटल के पिछले दरवाजे से होकर जंगल की ओर बढ़ने लगता है।

उन तीनों के जाने के बाद कॉरीडोर में कुछ देर के लिए सन्नाटा हो जाता है कि तभी वहां कदमों की हल्की सी आहट सुनाई देती है। कविता बिना कोई आवाज किए राज के कमरे के पास आती है और उसके दरवाजे के पास लगाए हुए आर्टिफिशियल फ्लावर्स की और देखती है। होटल में सभी कमरों के पास आर्टिफिशियल ब्लैक फ्लावर्स दीवाल पर लगाए हुए थे जो होटल की टीम को ओर बेहतर बनाने के लिए लगाए गए थे। कविता धीरे से उन फ्लावर्स के पीछे से अपना माइक्रोफोन निकालती है और जल्दी से अपने कमरे में पहुंच जाती है।

इस तरफ मनीष होटल से निकलकर जंगल की ओर बढ़ रहा था। आसमान पूरा काले बादलों से घिरा हुआ था, इसलिए चांद की रोशनी जमीन तक नहीं पहुंच रही थी, मनीष को देखने में काफी दिक्कत हो रही थी, वह फोन की फ्लैशलाइट ऑन करके जंगल की ओर बढ़ रहा था। जंगल के थोड़े अंदर जाते हैं दो रास्ते पढ़ते थे।एक जो गांव की ओर जाता था और दूसरा रास्ता उसको जंगल की ओर ले जाता था। मनीष अभी आगे बढ़ ही रहा था कि तभी उसे एक गाड़ी आते हुए दिखाई देती है।

मनीष को यह बात थोड़ी अजीब लगती है क्योंकि कोई इस वक्त कोई इंसान इस अंधेरे जंगल से क्यों गुजरेगा? वह अभी कुछ सोच ही रहा था कि तभी गाड़ी जल्दी से उसके पास से गुजरकर होटल की ओर बढ़ जाती है। वह ज्यादा ना सोचते हुए वापस जंगल में जाने लगता है। जंगल से बाहर आने के बाद होटल की थोड़ी ही दूरी पर वह गाड़ी आकर रूकती है, उसमे बैठा आदमी आसपास देखता है और वापस गाड़ी स्टार्ट करके थोड़ी दूर जंगल के अंधेरे हिस्से में लाकर रख देता है ताकि किसी का ध्यान उसकी कार पर ना पड़े।

वह जेब में से अपना फोन निकालता है तो देखता है कि 10:30 बजने वाले थे, वह अपने बैग में से अपना लैपटॉप निकालता है। इस तरह कविता अपने कमरे में बैठकर राज और मनीष की सभी बातों के बारे में सोच रही थी कि तभी उसका फोन बजने लगता है, वह फोन रिसीव करते हुए कहती है "हेलो नीलेश इस वक्त क्यों फोन किया क्या कोई काम था?"

इस तरफ मनीष जंगल में आगे बढ़ रहा था कि तभी उसे सामने इंस्पेक्टर पाटिल अपने कुछ ऑफिसर के साथ खड़े हुए दिखाई देते है। वह जल्दी से उनके पास पहुंचता है,पाटिल मनीष को देखकर कहता है "राज कहां है? मनीष तुम अकेले क्यों आए हो?" मनीष पाटिल से कहता है "राज इन सब बातों को लेकर अब बहुत परेशान हो गया है इसलिए वह इन सभी चीजों से दूर रहना चाहता है, रिया हमारी एक अच्छी दोस्त थी इसलिए मैं यहां पर आया हूं?"

पाटिल मनीष की ओर देखते हुए कहता है,"हमें जहां से जयदीप की लाश मिली उससे कुछ ही दूरी पर हाईवे के पास रिया भी जख्मी हालत में मिली तो शायद हम उस एरिया की अच्छे से तलाशी ले तो शायद हमें कोई सुराग मिल जाए और मैं नहीं चाहता था कि सभी लोगों को इसके बारे में पता चले इसलिए मैंने तुम्हें रात में बुलाया ताकि हम लोग किसी की नजर में आएं बिना ढूंढ सके" इतना कहकर वह सब जंगल में ढूंढने लगते हैं।

इस तरफ निलेश कविता से कहता है क्यों कोई काम बिना मैं तुम्हें फोन नहीं कर सकता? निलेश की बात सुन कर कविता मुस्कुराने लगती है। निलेश मुस्कुराते हुए थोड़ी सिरीयस आवाज में कहता है "पर मैंने यह जानने के लिए फोन किया था कि क्या तुम्हें कोई और इंफॉर्मेशन मिली?" कविता धीरे से कहती है "कल रिया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने वाली है,अगर वह हमें देखने को मिल जाए तो शायद हमें आगे उसके बारे में कुछ पता चल सकता है।"

निलेश कुछ सोचने के बाद कहता है "कोई बात नहीं पर तुम अपना ध्यान रखना किसी को हमारे बारे में पता नहीं चलना चाहिए और कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे कॉल कर देना।" निलेश की बात सुनकर कविता मुस्कुराते हुए कहती हैं "हां जैसे मेरे कॉल करने पर तुम तुरंत मेरे पास चले आओगे।"

सभी लोग इस वक्त जंगल में सुराग ढूंढ रहे थे। मनीष घड़ी देखता है तो रात के 12:15 बजे थे, जंगल में घूमते हुए कब वक्त चला बीत गया पता ही नहीं चला। वह आसमान की ओर देखता है तो काले बादलों में से चांद की हल्की रोशनी जमीन पर पड़ रही थी। सभी पुलिस वाले भी थोड़ा आराम कर रहे थे तभी मनीष का ध्यान पत्थर के पास कुछ चमकती हुई चीज पर जाता है‌

वह उस पत्थर के पास पहुंच कर उसे उठाता है तो वह एक डायमंड की रिंग थी, जो चांद की रोशनी में और भी चमक रही थी इस रिंग को देखकर मनीष सोच में पड़ जाता है तभी पाटिल उसके पास आकर उस रिंग को देखते हुए कहता है "मनीष यह तुम्हे कहा से मिली और यह किसकी रिंग है?" मनीष ईस वक्त कुछ बोलने की हालत में नहीं था, उसका दिमाग इस वक्त कई बातो के बारे में सोच रहा था। पाटिल फिर जोर देते हुए पूछता है "मनीष क्या तुम्हें पता है रिंग किसकी है?" उसके जवाब में मनीष सिर्फ इतना ही कहता है "अंकिता.......!!!??"


To be continued.......